Friday, 24 June 2016
"मैं युद्ध भूमि छोडकर नहीं जाऊंगी, इस युद्धमें मुझे विजय अथवा मृत्युमें से एक चाहिए। " - रानी दुर्गावती
अकबरने वर्ष १५६३ में आसफ खान नामक बलाढ्य सेनानीको गोंडवाना पर आक्रमण करने भेज दिया । यह समाचार मिलते ही रानी दुर्गावती ने अपनी व्यूहरचना आरंभ कर दी । सर्वप्रथम अपने विश्वसनीय दूतों द्वारा अपने मांडलिक राजाओं तथा सेनानायकों को सावधान हो जानेकी सूचनाएं भेज दीं । अपनी सेनाकी कुछ टुकडियोंको घने जंगलमें छिपा रखा और शेष को अपने साथ लेकर रानी निकल पडी । रानी ने सैनिकों को मार्गदर्शन किया । एक पहाड़ की तलहटीपर आसफ खान और रानी दुर्गावतीका सामना हुआ । बडे आवेशसे युद्ध हुआ । मुगल सेना विशाल थी । उसमें बंदूकधारी सैनिक अधिक थे । इस कारण रानीके सैनिक मरने लगे; परंतु इतनेमें जंगलमें छिपी सेनाने अचानक धनुष-बाणसे आक्रमण कर, बाणोंकी वर्षा की । इससे मुगल सेनाको भारी क्षति पहुंची और रानी दुर्गावतीने आसफ खानको पराजित किया । आसफ खानने एक वर्षकी अवधिमें ३ बार आक्रमण किया और तीनों ही बार वह पराजित हुआ।
अंतमें वर्ष १५६४ में आसफखान ने सिंगौरगढ पर घेरा डाला; परंतु रानी वहां से भागने में सफल हुई । यह समाचार पाते ही आसफखान ने रानी का पीछा किया । पुनः युद्ध आरंभ हो गया । दोनो ओरसे सैनिकोंको भारी क्षति पहुंची । रानी प्राणों पर खेलकर युद्ध कर रही थीं । इतनेमें रानीके पुत्र वीरनारायण सिंहके अत्यंत घायल होने का समाचार सुनकर सेना में भगदड मच गई । सैनिक भागने लगे । रानी के पास केवल ३०० सैनिक थे । उन्हीं सैनिकों के साथ रानी स्वयं घायल होने पर भी आसफखान से शौर्य से लड रही थी । उसकी अवस्था और परिस्थिति देखकर सैनिकोंने उसे सुरक्षित स्थानपर चलनेकी विनती की; परंतु रानीने कहा, ‘‘मैं युद्ध भूमि छोडकर नहीं जाऊंगी, इस युद्धमें मुझे विजय अथवा मृत्युमें से एक चाहिए।” अंतमें घायल तथा थकी हुई अवस्थामें उसने एक सैनिकको पास बुलाकर कहा, “अब हमसे तलवार घुमाना असंभव है; परंतु हमारे शरीरका नख भी शत्रुके हाथ न लगे, यही हमारी अंतिम इच्छा है। इसलिए आप भालेसे हमें मार दीजिए। हमें वीरमृत्यु चाहिए और वह आप हमें दीजिए”; परंतु सैनिक वह साहस न कर सका, तो रानीने स्वयं ही अपनी तलवार गलेपर चला ली।
वह दिन था २४ जून १५६४ का। इस प्रकार युद्ध भूमि पर गोंडवानाके लिए अर्थात् अपने देशकी स्वतंत्रताके लिए अंतिम क्षण तक वह झूझती रही। गोंडवाना पर वर्ष १९४९ से १५६४ अर्थात् १५ वर्ष तक रानी दुर्गावतीका शासन था, जो मुगलोंने नष्ट किया । इस प्रकार महान पराक्रमी रानी दुर्गावतीका अंत हुआ। इस महान वीरांगनाको हमारा शतशः प्रणाम !
🚩प्रश्न - #साधू-#संतो के पास करोड़ो की संपत्ति है । साधू-संतो को इतनी संपत्ति की क्या जरुरत है? साधू को तो अपरिग्रही होना चाहिए ?
💥उत्तर : रोमन केथोलिक #चर्च का एक छोटा राज्य है जिसे वेटिकन बोलते है । अपने धर्म (#ईसाई) के प्रचार के लिए वे हर साल 171,600,000,000
डॉलर खर्च करते है । तो उनके पास कुल कितनी #संपत्ति होगी?
डॉलर खर्च करते है । तो उनके पास कुल कितनी #संपत्ति होगी?
💥वेटिकन के किसी भी व्यक्ति को पता नहीं है कि उनके कितने व्यापार चलते है ।
💥रोम शहर में 33% इलेक्टोनिक, #प्लास्टिक, #एर लाइन, #केमिकल और#इंजीनियरिंग बिजनेस वेटिकन के हाथ में है ।
💥दुनिया में सबसे बड़े shares वेटिकन के पास है ।
💥#इटालियन #बैंकिंग में उनकी बड़ी संपत्ति है और #अमेरिका एवं स्विस बेंको में उनकी बड़ी भारी deposits है ।
💥ज्यादा जानकारी के लिए पुस्तक पढाना जिसका नाम है #VATICAN EMPIRE
💥रोम शहर में 33% इलेक्टोनिक, #प्लास्टिक, #एर लाइन, #केमिकल और#इंजीनियरिंग बिजनेस वेटिकन के हाथ में है ।
💥दुनिया में सबसे बड़े shares वेटिकन के पास है ।
💥#इटालियन #बैंकिंग में उनकी बड़ी संपत्ति है और #अमेरिका एवं स्विस बेंको में उनकी बड़ी भारी deposits है ।
💥ज्यादा जानकारी के लिए पुस्तक पढाना जिसका नाम है #VATICAN EMPIRE
💥उनकी संपत्ति के आगे आपके भारत के साधुओं के करोड रुपये कोई मायना नहीं रखते ।
💥वे लोग खर्च करते है विश्व में धर्मान्तरण करके लोगों को अपनी #संस्कृति, और #धर्मसे भ्रष्ट करने में और भारत के संत खर्च करते है लोगों को शान्ति देने में, उनकी स्वास्थ्य सेवाओं में, #आदिवासियों और गरीबों की सेवा में, #प्राकृतिक आपदा के समय पीडितों की सेवा में और अन्य लोकसेवा के कार्यों में ।
💥#प्राचीन काल में #ऋषियों के पास इतनी संपत्ति होती थी, कि बड़े बड़े राजा जब आर्थिक संकट में आ जाते थे, तब उनसे लोन लेकर अपने राज्य की अर्थ व्यवस्था ठीक करते थे ।
💥कौत्स ब्राह्मण ने अपने गुरु वर्तन्तु को 14 करोड स्वर्ण मुद्रा गुरु दक्षिणा में दी थी ।
💥साधू संतो के पास संपत्ति नहीं होगी तो वे धर्म प्रचार का कार्य कैसे करेंगे ❓
💥प्राचीन काल में राज्य से धर्म प्रचार के लिए धन दिया जाता था । भगवान बुद्ध के प्रचार के लिए सम्राट अशोक जैसे राजाओं ने अपनी सारी संपत्ति लगा दी और आज के समय में सरकार मंदिरों व #आश्रमो की संपत्ति और आय को हड़प कर लेती है और उसे #चर्च एवं #मस्जिदों में खर्च करती है लेकिन #हिंदू धर्म के प्रचार के लिए पैसा खर्च नहीं करती ।
💥आम हिंदू समाज भी अपने परिवार के लिए ही सब धन खर्च करना जानता है, धर्म की सेवा के लिए 10% आय भी लगाता नहीं और लोगों के अपवित्र जीवन और उदासीनता के कारण भिक्षा वृत्ति भी अब संभव नहीं है ।
💥इसलिए #आश्रमवासियों के लिए भोजन बनाने के लिए भी संतों को व्यवस्था करनी पड़ती है । उनको व्यापारी मुफ्त में तो दाल, चावल, शक्कर, आदि नहीं देंगे ।
💥अपरिग्रह की बात सिर्फ हिंदू साधुओं के लिए ही सिखाई जाती है ।
💥#बिकाऊ #मीडिया को हिंदू साधुओं की संपत्ति पर ही बार-बार स्टोरी बनाकर दिखाते है, ईसाई पादरिओ की नही जबकि उनके पास दुनिया में सबसे ज्यादा संपत्ति है और उसमें से 17 हजार करोड़ डॉलर हर साल #ईसाई #धर्मांतरण पर खर्च किया जाता है ।
जिसके बारे में आम लोगों को पता भी नहीं चलता । ...इसपर मीडिया चुप क्यों ? ..क्यों की मीडिया की #चैनले 90% ईसाई मिशनरियों द्वारा संचालित होती है इसलिए वो हमेशा हिन्दू संग़ठन और साधू-संतो को ही बदनाम करते रहते है ।
-डॉ.प्रेमजी
Thursday, 23 June 2016
ब्रूसली,जैकी चैन जैसे बॉलीवुड के अभिनेताओ द्वारा कुंग फु और मार्शल आर्ट्स की मारधाड़ से भरपूर फिल्म हम भारतीयो सदा आल्हादित करती है और आज का युवा ब्रूसली और जैकी चैन के बड़े बड़े पोस्टर अपने रूम में लगाना अपनी शान समझते है.लेकिन आश्चर्य और मजे की बात ये है की कुंग फु और मार्शल आर्ट्स हमारे देश की अत्यंत प्राचीन युद्ध कौशल कला है इसीसे मिलता हुआ "कलारियापट्टू"ये एक युद्धकला है जिसका उपयोग केरल की युद्ध कला में निपुण और शक्तिशाली नायर लोग करते थे इसका इतिहास बहुत पुराना है.
आज केरल के कई हिस्सों में आत्मरक्षा के लिए ये युद्ध कला का प्रशिक्षण लड़को और लड़कियो दोनों को दिया जता है .7 वर्ष की उम्र के बच्चों को लिया जाता ताकि उनके शरीर को इस कला को सीखने की जरुरत के अनुसार लचीला और फुर्तीला बनाया जा सके इस कला के प्रदर्शन को देखना उस प्रदर्शन के दौरान हथियारों का इतना बेहतरीन प्रदर्शन होता है की देखते ही बनता है.इस युद्ध कौशल में जहा हथियार चलते हुए देखना रोमांचित करता है बल्कि उस हथियार के हमले से बचाव करते हुए देखना बहुत ही रोमांचक होता है मार्शल आर्ट्स की ही तरह इसमें भी मर्मशास्त्र के अनुसार घायल योद्धा का इलाज किया जाता है इस मर्मशास्त्र के जनक सप्तऋषियों में से एक और क्रोध में सिर्फ 3 आचमन में पुरे समुद्र को पी जाने वाले अगस्त्य मुनि थे.
आज जिस तरह देश में महिलाओ पर अपराध बढ़ रहे है उसको देखते हुए ये कला उन्हें सीखनी चाहिए और केरल के बहार पुरे भारत में इस कला को सीखने के प्रशिक्षण केंद्र होने चाहिए
आज केरल के कई हिस्सों में आत्मरक्षा के लिए ये युद्ध कला का प्रशिक्षण लड़को और लड़कियो दोनों को दिया जता है .7 वर्ष की उम्र के बच्चों को लिया जाता ताकि उनके शरीर को इस कला को सीखने की जरुरत के अनुसार लचीला और फुर्तीला बनाया जा सके इस कला के प्रदर्शन को देखना उस प्रदर्शन के दौरान हथियारों का इतना बेहतरीन प्रदर्शन होता है की देखते ही बनता है.इस युद्ध कौशल में जहा हथियार चलते हुए देखना रोमांचित करता है बल्कि उस हथियार के हमले से बचाव करते हुए देखना बहुत ही रोमांचक होता है मार्शल आर्ट्स की ही तरह इसमें भी मर्मशास्त्र के अनुसार घायल योद्धा का इलाज किया जाता है इस मर्मशास्त्र के जनक सप्तऋषियों में से एक और क्रोध में सिर्फ 3 आचमन में पुरे समुद्र को पी जाने वाले अगस्त्य मुनि थे.
आज जिस तरह देश में महिलाओ पर अपराध बढ़ रहे है उसको देखते हुए ये कला उन्हें सीखनी चाहिए और केरल के बहार पुरे भारत में इस कला को सीखने के प्रशिक्षण केंद्र होने चाहिए
अब इसके बाद ये बताने की जरुरत नहीं है की जिसे हम आज मार्शल आर्ट्स के नाम से जानते है वो कला हमारे देश हजारो सालो से प्रचलित है.











Wednesday, 22 June 2016
भारत में कभी भी हो सकता है इस्लामिक विद्रोह, तैयार हो चुकी है फौज !!
आये दिन सुनने को मिलता है कि केरल में संघ कार्यकर्ता की हत्या तो कभी बीजेपी या किसी हिन्दू कार्यकर्ता की हत्या या उसके साथ मारपीट कर दी गई,
लेकिन भारत की लोकतंत्रता और सांप्रदायिक माहौल को देखते हुए ऐसी घटनाओं पर जल्दी विश्वास नहीं होता लेकिन किस प्रकार (PFI) पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया ने केरल में खुद की सेना तैयार कर ली है और यह सेना कोई साधारण सेना नहीं है बल्कि किसी देश की आर्मी की तरह इनकी ट्रेनिंग और परेड भी आप देख सकते है । अब यह देश की सुरक्षा के लिए चिंता का विषय बनता जा रहा है यह सेना हिन्दुओं के खिलाफ नफरत फैलाने का काम कर रही है | PFI केरल में लव जिहाद की घटनाओं में भी लिप्त पाई गई है । ऐसे में केंद्र और राज्य सरकारों को मिलकर इस तरह के गैर सरकारी संगठनों पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगाकर उचित कार्यवाही करनी चाहिए ।
जनसंख्या का चरित्र बदलने से
राजनीतिक परिदृश्य और देशों की सीमाएं तक बदल जाती है.
भारत ने वर्ष 1952 में जनसंख्या नीति घोषित की, लेकिन नीति बनाते समय समग्र विचार नहीं हुआ. इसलिए जनसंख्या में वृद्धि असंतुलन बढ़ता गया. जनसंख्या असंतुलन के कारण पिछले 15 साल में विश्व में तीन नए देश बने हैं. आज विश्व के कई देशों में संघर्ष चल रहा है.
देश के जिस भाग में भारतीय पंथों को मानने वालों की संख्या कम हुई है, वहां संघर्ष हो रहे हैं. आतंकवाद और नक्सलवाद बढ़ा है. जिन क्षेत्रों में चर्च का प्रभाव बढ़ा, वहां माओवादियों की संख्या अधिक हो गई.
देश में जनसंख्या में असंतुलन का मुख्य कारण कारण हिन्दू-मुस्लिमों की प्रजजन दर में भारी असमानता, विदेशी घुसपैठ और मतांतरण है. इसके चलते देश की सुरक्षा, एकता – अखण्डता और सांस्कृतिक पहचान खतरे में है. मतांतरण के कारण को समझने की जरूरत है. समाज की कमजोर कड़ी में काम करने की आवश्यकता है. लालच और धोखे से हो रहे मतांतरण और घुसपैठ को रोकना होगा. इस संकट के निवारण के लिए देश में परिवार कल्याण कार्यक्रम सभी नागरिकों पर समान रूप से लागू किया जाये. देश की जनसंख्या नीति बने, अवैध घुसपैठ पर कठोरता से नियंत्रण और मतांतरण पर प्रभावी रोक की आवश्यकता है.
वर्ष 2011 की जनगणना के आंकड़ों के अनुसार मुस्लिम समुदाय की आबादी 2001 से 2011 के बीच 10 साल में 0.8 फीसदी की वृद्धि के साथ 17.22 करोड़ पहुंच गई, वहीं हिंदुओं की जनसंख्या इस अवधि में 0.7 फीसदी कमी के साथ 96.63 करोड़ रह गई. देश में हिन्दुओं की जनसंख्या का अनुपात पहली बार 80 प्रतिशत से कम हुआ. जबकि मुस्लिम जनसंख्या का अनुपात पिछले दशक की तुलना में 9.8 प्रतिशत से बढ़कर14.23 प्रतिशत हुआ. असम में एक तिहाई जिलों में मुस्लिम आबादी 50 प्रतिशत तक पहुंच गई. मणिपुर में भारतीय उपासना पद्धतियों को मानने वालों का अनुपात 50 प्रतिशत रह गया जो 1951 में 80 प्रतिशत था.
ISRO ने एक साथ 20 सैटेलाईट लांच करके इतिहास रच दिया ! पूरी दुनिया में वाह वाह
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आज ISRO ने एक साथ 20 सैटेलाईट लांच कर इतिहास रच दिया। लांच की गयी सैटेलाईटों में तीन देशी जबकि 17 विदेशी थीं। इसरो के इस कारनामे की पूरी दुनिया में चर्चा हो रही है और हर तरफ से भारत की जय जय कार हो रही है।
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लांच किये गए उपग्रहों में अमेरिका, जर्मनी, कनाडा, इंडोनेशिया के उपग्रह भी शामिल हैं। ISRO ने 660 करोड़ रुपये की कमाई की है।
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----------- Hardik Savani -------
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आज ISRO ने एक साथ 20 सैटेलाईट लांच कर इतिहास रच दिया। लांच की गयी सैटेलाईटों में तीन देशी जबकि 17 विदेशी थीं। इसरो के इस कारनामे की पूरी दुनिया में चर्चा हो रही है और हर तरफ से भारत की जय जय कार हो रही है।
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लांच किये गए उपग्रहों में अमेरिका, जर्मनी, कनाडा, इंडोनेशिया के उपग्रह भी शामिल हैं। ISRO ने 660 करोड़ रुपये की कमाई की है।
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----------- Hardik Savani -------

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