Samaadhan

Thursday, 29 November 2012

कैप्टन बाबा हरभजन सिंह!!!!

कैप्टन बाबा हरभजन सिंह!!!!

एक अद्दभुत चमत्कार.......जिसे जान कर आप को हैरानी और अपने आप शर्मिदंगी जरुर महसूस होगी!!!!

आज भारत देश का जो हाल है वो आप सभी जानते है .भारत देश को लुटने वाले इस के अपने ही बाशिंदे है . मगर आप माने या न माने लेकिन हमारे भारत देश में मरने के बाद भी तीन दशकों से एक फौजी सरहदों की रक्षा कर रहा है। इस फौजी को अब लोग कैप्टन बाबा हरभजन सिंह के नाम से पुकारते हैं।

4 अक्टूबर 1968 में सिक्किम के साथ लगती चीन की सीमा के साथ नाथुला पास में गहरी खाई में गिरने से मृत्यु हो गई थी। लोगों का ऐसा मानना है कि तब से लेकर आज तक यह सिपाही भूत बन कर सरहदों की रक्षा कर रहा है। इस बात पर हमारे देश के सैनिकों को पूरा विश्ववास तो है ही लेकिन चीन के सैनिक भी इस बात को मानते हैं क्योंकि उन्होंने कैप्टन बाबा हरभजन सिंह को मरने के बाद घोड़े 
कैप्टन हरभजन सिंह का जन्म 3 अगस्त 1941 को पंजाब के कपूरथला जिला के ब्रोंदल गांव में हुआ था। उन्होंने वर्ष 1966 में 23वीं पंजाब बटालियन ज्वाइन की थी। वह सिक्किम जब 4 अक्टूबर 1968 में टेकुला सरहद से घोड़े पर सवार होकर अपने मुख्यालय डेंगचुकला जा रहे थे तो वह एक तेज बहते हुए झरने में जा गिरे और उनकी मौत हो गई। उन्हें पांच दिन तक जीवित मानकर लापता घोषित कर दिया गया था। पांचवें दिन उनके साथी सिपाही प्रीतम सिंह को सपने में आकर मृत्यू की जानकारी दी और बताया की उनका शव कहां पड़ा है। उन्होंने प्रीतम प्रीतम सिंह से यह भी इच्छा जाहिर की कि उनकी समाधि भी वहीं बनाई जाए। पहले प्रीतम सिंह कि बात का किसी ने विश्वास नहीं कि लेकिन जब उनका शव उसी स्थल पर मिला जहां उन्होंने बताया था तो सेना के अधिकारियों को उनकी बात पर विश्वास हो गया। और सेना के अधिकारियों ने उनकी छोक्या छो नामक स्थान पर उनकी समाधि बना डाली।


उनके आज भी रात को ही जवान वर्दी को प्रेस कर देते हैं उनके जूतों को पॉलिश कर दिया जाता है क्योंकि ऐसी धारणा है कि उन्हें सुबह सरहद पर डयूटी पर जाना होता है। उनके कमरे में रोजाना सफाई की जाती है सरकार ने उन्हें मृत न घोषित करते हुए उनकी सेवाओं को जारी रखा उनके परिवार के सदस्यों को पेंशन नहीं मिलती थी उनका वेतन उनके घर बाकायदा फौज के जवान देकर जाते थे। मरने के बाद बाबा कैप्टन बाबा को सेना के अधिकारियों ने सिपाही से पदोन्नत कर कैप्टन बना दिया। पर सवार होकर सरहदों की गश्त करते हुए देखा है।वह किसी न किसी तरह सीमा के पार होने वाली गतिविधियों की जानकारी आज भी सेना के अधिकारियों को दे देते हैं। अब काफी समय के बाद सेना ने उनका वेतन बंद कर दिया है। हालांकि उनकी समाधि पर चढऩे वाला चढ़ावा उनके घर आज भी भिजवा दिया जाता है।


हर वर्ष उन्हें 15 सितंबर से 15 नंवबर तक वार्षिक छुट्टी पर जाना होता है। इस दौरान फौज के दो सिपाही उनका सामान लेकर घर जाते हैं और उनकी छुट्टी खतम होने पर उनका सामान वापस लेकर आते है। इस दौरान युनिट के सभी फौजियों की छुट्टियां रद्द कर दी जाती हैं।

सिक्कम के लोग भगवान कंचनजुंगा के बाद दूसरा भगवान इन्हें मानते हैं।

है न हेरान करने वाली देश-भग्ती.....देश प्रेम...मरने के बाद भी देश वासियों की सुरक्षा की जिम्मेवारी का फर्ज अदा किया जा रहा है .
Posted by Vivek Surange at 10:12 No comments:
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Tuesday, 27 November 2012

एक पुरानी, लेकिन अति-महत्वपूर्ण पोस्ट दोबारा डाल रहा हूँ -


Suresh Chiplunkar
एक पुरानी, लेकिन अति-महत्वपूर्ण पोस्ट दोबारा डाल रहा हूँ -

मैं नीचे एक लिस्ट दे रहा हूं उसे चेक करके सच-सच बतायें कि इसके अनुसार आप कितने “सामाजिक” हैं?

1) आप अपने बिल्डिंग/गली/मोहल्ले/सोसायटी में रहने वाले कितने व्यक्तियों को चेहरे से, कितनों को नाम से जानते हैं? उनमें से कितनों के बारे में यह जानते हैं कि वह क्या काम करता है?

2) जिन्हें आप व्यक्तिगत रूप से जानते हैं, उनके घर वर्ष में कितनी बार गये हैं?

3) आपकी कालोनी में हुई कितनी शादियों / अर्थियों में आप कितनी बार गये हैं? कितनी बार आप होली-दीवाली के अलावा भी पड़ोसियों से बात करते, मिलते हैं?

4) आप अपनी कालोनी/सोसायटी की किसी मीटिंग अथवा समिति में कितनी बार गये है? क्या आप किसी सामाजिक-सांस्कृतिक संस्था से जुड़े हुए हैं? और उसकी गतिविधियों में माह में कितनी बार जाते हैं?

5) क्या आप अपने इलाके के पार्षद (Corporator), विधायक, सांसद को व्यक्तिगत रूप से जानते हैं? उनके फ़ोन नम्बर या पता आपको मालूम है? अपने इलाके के राजनैतिक कार्यकर्ताओं-मवालियों-गुण्डों को आप पहचानते हैं या नहीं?

6) क्या आप जानते हैं कि आपके मोहल्ले-गली-वार्ड का बिजली कनेक्शन किस ट्रांसफ़ार्मर से है? आप अपने इलाके के बिजली विभाग के बारे में उनके फ़ोन नम्बर के अलावा और क्या जानते हैं?

7) क्या आप जानते हैं कि आपके इलाके-मोहल्ले-गली-सड़क को पानी की सप्लाई कहाँ से होती है? क्या कभी आपने मोहल्ले की पानी की पाइप लाइन की संरचना पर ध्यान दिया है?

8) क्या आप कॉलोनी की सीवर लाइन के बारे में जानकारी रखते हैं, कि वह कहाँ से गई है, कहाँ-किस नाले में जाकर मिलती है, कहाँ उसके चोक होने की सम्भावना है… आदि-आदि?

9) आपके मोहल्ले में अमूमन लगातार वर्षों तक घूमने वाले अखबार हॉकर, ब्रेड वाले, दूध वाले, टेलीफ़ोन कर्मी, बिजलीकर्मी, नलकर्मी, ऑटो रिक्शा वाले आदि में से आप कितनों को चेहरा देखकर पहचान सकते हैं?

10) जिस सड़क-गली-मोहल्ले से आप रोज़ाना दफ़्तर-बाज़ार आदि के लिये गुजरते हैं क्या आप उस पर चल रही किसी “असामान्य गतिविधि” का नोटिस लेते हैं? क्या आपने कभी अवैध मन्दिर-दरगाह या अतिक्रमण करके बनाई गई गुमटियों-ठेलों-दुकानों-मकानों पर ध्यान दिया है?

यह तमाम जानकारियाँ “सामाजिक जागरुकता” के तहत आती हैं, जिनकी जानकारी सामान्य तौर पर "थोड़ी या ज्यादा", प्रत्येक व्यक्ति को होनी ही चाहिये… क्योंकि “बुरा समय” कहकर नहीं आता, कहीं ऐसा न हो कि खतरा आपके चारों ओर मंडरा रहा हो और आप अपने घर में टीवी ही देखते रह जायें…।

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अब स्कोर की बारी - यदि ऊपर दी गई 10 प्रश्नावली में से 7-8 पर आपका उत्तर "हाँ" है तो आप निश्चित रूप से "जागरुक" की श्रेणी में आते हैं, यदि आपके उत्तर 4-5 के लिये ही "हाँ" हैं, तब आपको और अधिक जानकारी एकत्रित करने की आवश्यकता है, और यदि आपका जवाब सिर्फ़ 1 या 2 के लिये ही "हाँ" है, तब इसका मतलब है कि आप निहायत "गैर-सामाजिक" और "खुदगर्ज़" किस्म के इंसान हैं… 
Posted by Vivek Surange at 06:01 No comments:
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Sunday, 25 November 2012

राईट बंधुओं ने पहला विमान.....


आज भी हम भारतीय यह मानते हैं कि 17 दिसंबर
1903 में राईट बंधुओं ने पहला विमान बना कर
अमरीका के दक्षिण कैरोलीना के समुद्री तटों पर
उड़ाया जो 120 फुट की ऊंचाई तक उड़ने के बाद नीचे
गिर गया था| जबकि इससे आठ वर्ष पहले एक
मराठी श्री शिवकर बापूजी तलपडे ने सन 1895 में
मुंबई के चौपाटी के समुद्री तट पर एक विमान बना कर
उड़ाया था जो 1400 फुट की ऊंचाई तक उड़ा और
सुरक्षित नीचे उतार लिया गया| मज़े की बात इसमें
कोई भी चालक नहीं था| इस महान वैज्ञानिक ने इसे
ज़मीन से ही नियंत्रित कर उड़ाया था| उससे भी अधिक
मज़े की बात यह है कि इसकी प्रेरणा उन्होंने
महर्षि भारद्वाज के विमानशास्त्र से ली जो भारद्वाज
मुनि कई हज़ार साल पहले लिख चुके हैं| बाद में
अंग्रेजों ने झांसा देकर उनसे इस विमान का डिजाइन
हथिया लिया| इस घटना के कुछ ही समय पश्चात
श्री शिवकर बापूजी तलपडे की रहस्यमय तरीके से मौत
हो गयी| किन्तु मैकॉले मानस पुत्र इस सच्चाई
को आज तक हमारे पाठ्यक्रमों में शामिल नहीं कर पाए|
जबकि आज तक राईट बंधुओं का गुणगान गाए जा रहे
हैं|
 
Posted by Vivek Surange at 05:23 No comments:
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Saturday, 24 November 2012

इसे एक बार ज़रूर पढ़े ......।।।।


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बात दुर्ग के रेलवे स्टेशन की है .., कल रात .,मैं ट्रेन के इंतज़ार में रेल्वे - प्लेटफार्म पर टहल रहा था ., 
एक वृद्ध महिला , जिनकी उम्र लगभग 60 - 65 वर्ष के लगभग रही होगी ., वो मेरे पास आयी और मुझसे खाने के लिए पैसे माँगने लगी .... 
उनके कपडे फटे ., पूरे तार - तार थे ., उनकी दयनीय हालत देख कर ऐसा लग रहा था की पिछले कई द
िनों से भोजन भी ना किया हो ..
मुझे उनकी दशा पर बहुत तरस आया तो मैंने अपना पर्स टटोला ., कुछ तीस रुपये के आसपास छुट्टे पैसे और एक हरा " गांधी " मेरे पर्स में था .,
मैंने वो पूरे छुट्टे उन्हें दे दिए...

मैंने पैसे उन्हें दिए ही थे ., की इतने में एक महिला ., एक छोटे से रोते - बिलखते., दूधमुहे बच्चे के साथ टपक पड़ी ., और छोटे दूधमुहे बच्चे का वास्ता देकर वो भी मुझसे पैसे माँगने लगी ... मैं उस दूसरी महिला को कोई ज़वाब दे पाता की उन वृद्ध माताजी ने वो सारे पैसे उस दूसरी महिला को दे दिए ., जो मैंने उन्हें दिए थे .... पैसे लेकर वो महिला तो चलती बनी... लेकिन मैं सोच में पड़ गया ... मैंने उनसे पूछा की-" आपने वो पैसे उस महिला को दे दिए ..??? "
उनका ज़वाब आया -" उस महिला के साथ उसका छोटा सा दूधमुहा बच्चा भी तो था ., मैं भूखे रह लूंगी लेकिन वो छोटा बच्चा बगैर दूध के कैसे रह पायेगा ... ??? भूख के मारे रो भी रहा था ..."
उनका ज़वाब सुनकर मैं स्तब्ध रह गया .... सच ... भूखे पेट भी कितनी बड़ी मानवता की बात उनके ज़ेहन में बसी थी ....

उनकी सोच से मैं प्रभावित हुआ ., तो उनसे यूं ही पूछ लिया की यूं दर -बदर की ठोकरे खाने के पीछे आखिर कारण क्या है ...???
उनका ज़वाब आया की उनके दोनों बेटो ने शादी के बाद उन्हें साथ रखने से इनकार कर दिया ., पति भी चल बसे .., आखिर में कोई चारा न बसा ...
बेटो ने तो दुत्कार दिया ., लेकिन वो भी हर बच्चे में अपने दोनों बेटो को ही देखती है ., इतना कहकर उनकी आँखों में आंसू आ गए ...

मैं भी भावुक हो गया .,मैंने पास की एक कैंटीन से उन्हें खाने का सामान ला दिया ... मैं भी वहा से फिर साईड हट गया ...
लेकिन बार-बार ज़ेहन में यही बात आ रही थी ., की आज की पीढी कैसी निर्लज्ज है ., जो अपनी जन्म देने वाली माँ तक को सहारा नहीं दे सकती ...??? लानत है ऐसी संतान पर .... और दूसरी तरफ वो " माँ " ., जिसे हर बच्चे में अपने " बेटे " दिखाई देते है ....
धन्य है " मातृत्व-प्रेम "......
Posted by Vivek Surange at 05:19 No comments:
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जानिये कौन कौन से देश में कैसे कैसे फैला इस्लाम ? Share it !

जानिये कौन कौन से देश में कैसे कैसे फैला इस्लाम ? Share it !

1) सौदी अरब में मुहम्मद के जन्म के (इस 570) वक्त अधिकतर लोग यहूदी (Jew) और ईसाई (Christian) धर्मि थे, और कुछ आदिवासीयों का अलग धर्म था जो अब लुप्त हो चूका है! वहा पर आतंक फैला कर मुहम्मद और उसके अनुयायियों ने जनता को मुसलमान बनाया और सौदी अरब इस्लामी देश बन गया !

2) फ़िर सौदी अरब के मुस्लिमों ने कुरान से प्रभावित होकर येमेन, फिलिस्तीन,

इजिप्त, जोर्डन आदि यहूदी (Judaism) धर्मि राष्ट्रों को हमला कर मुस्लिम देशो में तब्दील किया !

3) कुछ हि सालो में पड़ोस के उत्तर आफ्रिका, ओमान, टर्की, ईराक आदि ईसाई (Christian) देशो को हमला कर मुसलमान बनाया गया !

4) इरान एक पारसी (Zoroastrian) देश था, लेकिन इरान के पारसी धर्मी लोगो को जिस क्रूरता से मुसलमान बनाया गया यह हम नहीं भूल सकते. आज कोई यकीन भी नहीं करेगा की इतिहास में इरान का इस्लाम से दूर दूर तक कोई नाता नहीं था ! आज पारसी धर्म लुप्त होने के कगार पर है !

5) फ़िर आया अफगानिस्तान का नंबर, जहा बौद्ध (Buddhism) धर्म का प्रभाव था. अफगानिस्तान को भी रक्तपात कर इस्लामी देश बनाया गया. बामियान की बौद्ध की मुर्तिया तालिबान ने किस तरह तोड़ी यह तो पूरी दुनिया देख चूका है !

6) फ़िर आया पाकिस्तान याने भारत का हि एक हिस्सा ! यहाँ पंजाब, सिंध राज्यों में जो भी हिंदू राजा थे उनका कत्लेआम कर सभी हिंदू जनता से इस्लाम काबुल करवाया गया ! मुघलो ने भारत में करोडो लोगो को मुसलमान बनाया, लेकिन वे भारत को पूरी तरह इस्लामी राष्ट्र बनाने में कामयाब नहीं हो सके !

7) बाद में समुन्दर के रास्ते से मुसलमान मलेशिया और इंडोनेशिया तक पहुच गये, ये दोनों बौद्ध राष्ट्र आज इस्लामी राष्ट्र बन चुके है !

मित्रों संभल जाओ, इन मुस्लिम राष्ट्रों की स्थिति क्या है हम देख हि रहे है ! इनकी जिंदगी में आतंकवाद, जिहाद, मदरसे, बम धमाके, शिया-सुन्नी दंगे, कुर्बानी, इस्लाम के अलावा कुछ भी नहीं ! अगर भारतीय अब भी नहीं संभले तो भारत का हिंदू से मुस्लिम देश बनना तय है !
Posted by Vivek Surange at 04:28 No comments:
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Sunday, 11 November 2012

आयुर्वेदिक दोहे--------
_____________________________________________________

1.जहाँ कहीं भी आपको,काँटा कोइ लग जाय। दूधी पीस लगाइये, काँटा बाहर आय।।
2.मिश्री कत्था तनिक सा,चूसें मुँह में डाल। मुँह में छाले हों अगर,दूर होंय
तत्काल।।
3.पौदीना औ इलायची, लीजै दो-दो ग्राम। खायें उसे उबाल कर, उल्टी से आराम।।
4.छिलका लेंय इलायची,दो या तीन गिराम। सिर दर्द मुँह सूजना, लगा होय आराम।।
5.अण्डी पत्ता वृंत पर, चुना तनिक मिलाय। बार-बार तिल पर घिसे,तिल बाहर आ
जाय।।
6.गाजर का रस पीजिये, आवश्कतानुसार। सभी जगह उपलब्ध यह,दूर करे अतिसार।।
7.खट्टा दामिड़ रस, दही,गाजर शाक पकाय। दूर करेगा अर्श को,जो भी इसको खाय।।
8.रस अनार की कली का,नाक बूँद दो डाल। खून बहे जो नाक से, बंद होय तत्काल।।
9.भून मुनक्का शुद्ध घी,सैंधा नमक मिलाय। चक्कर आना बंद हों,जो भी इसको खाय।।
10.मूली की शाखों का रस,ले निकाल सौ ग्राम। तीन बार दिन में पियें, पथरी से
आराम।।
11.दो चम्मच रस प्याज की,मिश्री सँग पी जाय। पथरी केवल बीस दिन,में गल बाहर
जाय।
12.आधा कप अंगूर रस, केसर जरा मिलाय। पथरी से आराम हो, रोगी प्रतिदिन खाय।।
13.सदा करेला रस पिये,सुबहा हो औ शाम। दो चम्मच की मात्रा, पथरी से आराम।।
14.एक डेढ़ अनुपात कप, पालक रस चौलाइ। चीनी सँग लें बीस दिन,पथरी दे न दिखाइ।।
15.खीरे का रस लीजिये,कुछ दिन तीस ग्राम। लगातार सेवन करें, पथरी से आराम।।
16.बैगन भुर्ता बीज बिन,पन्द्रह दिन गर खाय। गल-गल करके आपकी,पथरी बाहर आय।।
17.लेकर कुलथी दाल को,पतली मगर बनाय। इसको नियमित खाय तो,पथरी बाहर आय।।
18.दामिड़(अनार) छिलका सुखाकर,पीसे चूर बनाय। सुबह-शाम जल डाल कम, पी मुँह
बदबू जाय।।
19. चूना घी और शहद को, ले सम भाग मिलाय। बिच्छू को विष दूर हो, इसको यदि
लगाय।।
20. गरम नीर को कीजिये, उसमें शहद मिलाय। तीन बार दिन लीजिये, तो जुकाम मिट
जाय।।
21. अदरक रस मधु(शहद) भाग सम, करें अगर उपयोग। दूर आपसे होयगा, कफ औ खाँसी
रोग।।
22. ताजे तुलसी-पत्र का, पीजे रस दस ग्राम। पेट दर्द से पायँगे, कुछ पल का
आराम।।
23.बहुत सहज उपचार है, यदि आग जल जाय। मींगी पीस कपास की, फौरन जले लगाय।।
24.रुई जलाकर भस्म कर, वहाँ करें भुरकाव। जल्दी ही आराम हो, होय जहाँ पर घाव।।
25.नीम-पत्र के चूर्ण मैं, अजवायन इक ग्राम। गुण संग पीजै पेट के, कीड़ों से
आराम।।
26.दो-दो चम्मच शहद औ, रस ले नीम का पात। रोग पीलिया दूर हो, उठे पिये जो
प्रात।।
27.मिश्री के संग पीजिये, रस ये पत्ते नीम। पेंचिश के ये रोग में, काम न कोई
हकीम।।
28.हरड बहेडा आँवला चौथी नीम गिलोय, पंचम जीरा डालकर सुमिरन काया होय॥
29.सावन में गुड खावै, सो मौहर बराबर पावै॥
 — with
Posted by Vivek Surange at 04:52 No comments:
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Saturday, 3 November 2012

इसाई बनाने के तौर - तरीके


  • Jugal Kishore Somani


    दोस्तों , आज मेरी जिन्दगी में हुई एक घटना का विवरण आपके साथ बांटना चाहता हूँ :-
    सन २००५ की १७ फरवरी को मैं मेरी धर्मपत्नी श्रीमती शांता के साथ बैंगलोर से जयपुर की ट्रेन में यात्रा के लिए दोपहर को रवाना हुआ . अर्द्ध रात्रि सिकंदराबाद / हैदराबाद स्टेशन पर कुछ वनवासी से युवक हमारे कोच में आ घुसे , संयोग से उनके डिब्बे में आते ही ट्रेन चल पड़ी . ये वनवासी , जो करीब ५ - ६ थे , घबराए हुए से थे . हिन्दी भाषा तो उनको आती नहीं थी किन्तु राजस्थान का एक परिवार जो बेल्लारी में रहता था , इसी कम्पार्टमेंट में था , उन्होंने उनसे बात की तो मालुम पडा कि ये लोग करीब ३०० की संख्या में धर्मावरम से कोटा जा रहे हैं , जहां इन हिन्दुओं को धर्मांतरण कर इसाई बनाया जाना है . इन लोगों को लाने वाले एजेंट टाइप पादरी ( ४ पुरुष और २ महिलाएं ) इसी कोच में यात्रा कर रहे हैं और उनके पास ही इनकी टिकटें हैं . साधारण कोच में यात्रा कर रहे इन लोगों को टिकट चेकर ने पकड़ लिया इस कारण ये लोग अपनी टिकटें लेने हेतु इस कोच में आये हैं . चूंकि अगले स्टेशन के आने में करीब २ घण्टों की देरी थी अतः हमने धीरे - धीरे इन लोगों से धर्मांतरण संबंधी पूरी जानकारी प्राप्त कर ली . इन लोगों को काफी लालच देकर ये लोग ले जा रहे थे किन्तु इन भोले भाले वनवासियों के मन में भारी क्लेश भी था . ये कत्तई अपना हिन्दू धर्म छोड़ने को तैयार नहीं थे किन्तु भयंकर भुखमरी के शिकार विवश होकर इस कुकृत्य को करने तैयार हुए .
    मैंने करीब ४ बजे प्रातः ( १८ फरवरी ) सरदारशहर के डा. महेश शर्मा को मोबाइल से संपर्क कर पूरी कहानी बताई . फिर जयपुर स्थित राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के मुख्यालय " भारती भवन " के पधाधिकारियों ( माननीय शंकर जी भाई साहब एवं माननीय अजेय जी भाई साहब ) को पूरी स्थिति से अवगत कराया . चूंकि यह ट्रेन अगले दिन ( १९ फरवरी ) अर्द्ध रात्रि को कोटा पहुँचती है अतएव इस कुकृत्य का भंडाफोड़ की पूरी तैयारी कर ली गयी .
    इस बीच एजेंटो को कुछ संदेह हुआ कि यह ( यानि मैं ) कोई न कोई गड़बड़ कर रहा है . इटारसी आने से पहले एक छोटे स्टेशन पर कारण वश गाड़ी रुक गयी , मैं मोबाइल चार्ज करने हेतु एक कर्मचारी के सामने ही बने कमरे की ओर गया . चूंकि हमारा कोच सामने ही था - देखता हूँ कि चारों पुरुष एजेंटों ने अपने सूटकेशों से रिवाल्वरे / पिस्तोले निकाल कर अपनी कमर में दबा ली और डिब्बे से नीचे उतर कर मेरी तरफ बढ़ने लगे . प्रभु कृपा से उसी समय ट्रेन ने चलने की व्हीशल बजा दी , कोच के दूसरे दरवाजे से मैं भी भाग कर कोच में चढ़ गया . मुझे खतरे का ज्ञान तो हो ही गया था , अतः मैं कम्पार्टमेंट के अन्दर की तरफ बैठ गया ( हम दोनों की सीट ७ ; ८ थी - साइड वाली ) इटारसी आते आते नेटवर्क आ गया और मैंने जयपुर सारी बात बता दी . उन्होंने भोपाल तक सावधान रहने को कहा . भोपाल स्टेशन पर २ हट्टे कट्टे स्वयं सेवक कोच में चढ़ कर मेरे पास ही बैठ गए . भवानी मंडी में २ और कार्यकर्ता आ गए .
    २ घंटे विलम्ब से गाड़ी करीब ४ बजे कोटा पहुँची . भयंकर शर्दी थी . करीब १५०० स्वयं सेवकों ने गाड़ी को घेर लिया . सारे वनवासियों को उन्होंने संरक्षण प्रदान किया और उन एजेंटों को पुलिस के हवाले किया .
    चूंकि मैंने पहले ही बता दिया था कि इन वनबंधुओं के पास कोई गर्म कपड़ा भी नहीं है और भूखें भी हैं अतएव कोटा के साथी कम्बले आदि लेकर ही स्टेशन आये थे . जहां इनके रुकने की व्यवस्था संघ परिवार ने की थी वहाँ इन लोगों के सहायतार्थ २ - ३ कन्नड़ / हिन्दी भाषी बंधुओं की भी व्यवस्था के साथ ही साम्भर - चावल आदि दक्षिण भारतीय भोजन का प्रबंध भी था . नंगे पैरों में चप्पल / जूतों तक पहनाने की अतुलनीय व्यवस्था कोटा साथियों ने की .
    मुझे सीधे जयपुर पहुँचाने का आदेश था ताकि रूबरू पूरी बात बता सकूँ .
    तत्कालीन मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा जी ने विधान सभा में धर्मांतरण रोकने संबंधी विधेयक पारित कर राज्यपाल ( उस समय श्रीमती प्रतिभा पाटिल थी ) के समक्ष प्रस्तुत किया , जो आज तक पास नहीं हो सका . आशा है कि यदि आगामी राज्य सरकार गैर कांग्रेसी आई तो हो सकता है कि यह विधेयक पुनः सदन पटल पर रख कर पास कराया जाय .
    -------------------------------
    साथियों , इस तरह के कुकृत्य न जाने देश में कहाँ कहाँ हो रहे हैं , यदि हम सोये रहें , अपने ही भाइयों से छुआछूत जैसा भेदभाव करते रहें तो ....... हाँ , ऐसा ही होता रहेगा ...........
Posted by Vivek Surange at 23:57 No comments:
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