Sunday 30 April 2017

बाहुबली
तीन घंटे की फिल्म में यदि 30 बार रोंगटे खड़े हो जाएं, तो लगता है कि निर्देशक ने फिल्म नहीं, इतिहास बनाया है। फिल्म देखते समय आदमी सोचने लगता है कि निर्देशक ने भारतीय इतिहास का कितना गहन अध्ययन किया है। अगर भव्यता की बात करें तो बाहुबली भारतीय सिनेमा की अबतक की सबसे भव्य फिल्म 'मुगलेआजम' को बहुत पीछे छोड़ देती है। तीन घंटे की फिल्म देखते समय आप तीन सेकेण्ड के लिए भी परदे से आँख नही हटा सकते।
पिछले दो साल के सबसे चर्चित सवाल "कंटप्पा ने बाहुबली को क्यों मारा" का उत्तर ले कर आयी फिल्म प्रारम्भ में ही दर्शक को ऐसा बांध देती है कि वह पल भर के लिए भी परदे से नजर नही हटा पाता। नायक के रणकौशल को देख कर आपके मुह से अनायास ही निकल पड़ता है- वाह! यही था हमारा इतिहास। ऐसे ही रहे होंगे समुद्रगुप्त, स्कन्दगुप्त, ऐसे ही रहे होंगे प्रताप और शिवा, ऐसा ही रहा होगा बाजीराव। एक साथ धनुष से चार चार बाण चलाते बाहुबली और देवसेना का शौर्य आपको झूमने पर विवश कर देता है। तक्षक और पुष्यमित्र की कहानियां लिखते समय मेरे दिमाग में जो अद्भुत योद्धा घूमते रहते हैं, वे इस फिल्म में साक्षात् दीखते हैं। युद्ध के समय हवा में उड़ते सैनिकों का कौशल अकल्पनीय भले लगे, पर अतार्किक नही लगते बल्कि उसे देख कर आपको पुराणों में बर्णित अद्भुत युद्धकला पर विश्वास हो जाता है।
युगों बाद भारतीय सिनेमा के परदे पर कोई संस्कृत बोलता योद्धा दिखा है। युगों बाद परदे पर अपने रक्त से रुद्राभिषेक करता योद्धा दिखा है। युगों बाद भारतीय सिनेमा में भारत दिखा है।
आपने विश्व सिनेमा में स्त्री सौंदर्य के अनेकों प्रतिमान देखे होंगे, पर आप देवसेना के रूप में अनुष्का को देखिये, मैं दावे के साथ कहता हूँ आप कह उठेंगे- ऐसा कभी नही देखा। स्त्री को सदैव भोग्या के रूप में दिखाने वाले भारतीय फिल्मोद्योग के इतिहास की यह पहली फिल्म है जिसमे स्त्री अपनी पूरी गरिमा के साथ खड़ी दिखती है। यह पहली फिल्म है जिसमे प्रेम के दृश्योँ में भी स्त्री पुरुष का खिलौना नही दिखती। यहां महेश भट्ट जैसे देह व्यपारियों द्वारा परोसा जाने वाला प्रेम नहीं, बल्कि असित कुमार मिश्र की कहानियों वाला प्रेम दीखता है। यह पहली फिल्म है जिसने एक स्त्री की गरिमा के साथ न्याय किया है। यह पहली फिल्म है जिसने एक राजकुमारी की गरिमा के साथ न्याय किया है। देवसेना को उसके गौरव और मर्यादा की रक्षा के वचन के साथ महिष्मति ले आता बाहुबली जब पानी में उतर कर अपने कंधों और बाहुओं से रास्ता बनाता है और उसके कंधों पर चल कर देवसेना नाव पर चढ़ती है, तो बाहुबली एक पूर्ण पुरुष लगता है और दर्शक को अपने पुरुष होने पर गर्व होता है। देवसेना जब पुरे गर्व के साथ महिष्मति की सत्ता से टकराती है तो उसके गर्व को देख कर गर्व होता है।
प्रभास के रूप में फिल्मोद्योग को एक ऐसा नायक मिला है जो सचमुच महानायक लगता है, और राजमौली तो भारत के सर्वश्रेष्ठ फ़िल्मकार साबित हो ही चुके। और अनुष्का, उसे यह एक फिल्म ही अबतक की सभी अभिनेत्रियों की रानी बना चुकी है।
बाहुबली में यदि कुछ कमजोर है, तो वह है संगीत। पर इसमें राजमौली का कोई दोष नहीं, फ़िल्मी दुनिया में आज कोई ऐसा संगीतकार बचा ही नहीं जो इस फिल्म लायक संगीत बना पाता। मैं सोच रहा हूँ कि काश! नौशाद या रवि जी रहे होते। पर सबके बावजूद मैं इस फिल्म को दस में ग्यारह नम्बर दूंगा।
बाहुबली सिर्फ एक फिल्म नहीं, बल्कि प्राचीन भारत की गौरव गाथा है। आपको समय निकाल कर बड़े परदे पर यह फिल्म देखनी ही चाहिए।
कंटप्पा ने बाहुबली को क्यों मारा, यह फिल्म देख कर जी जानिए।

Thursday 27 April 2017

महाराणा कुम्भा भाग-1
मनीषा सिंह की कलम से देश के इतिहास में ऐसा राजा न कभी हुआ और न कभी होगा। यकीनन इस राजा ने केवल युद्ध की भूमि ने विजयगाथाएं ही नहीं रचीं, बल्कि साहित्यव, कला, संगीत और संस्कृेति के क्षेत्र में जो रचा, उसे देखकर आज भी दुनिया गश खा जाती है। अनोखी है इस राजा की इतिहास।
महाराणा कुम्भा का जीवन परिचय" 
दुनिया जिन सात महाद्वीपों बंटी हुई है, उनमें एशिया सबसे बड़ा महाद्वीप है। एशिया में भारत, चीन, रूस जैसी विशाल और प्राचीन सभ्ययताएं आज के आधुनिक वैश्विक दौर में भी अपनी एक खास अहमियत रखती हैं। एशिया जितनी भौगोलिक संपदा, प्राकृतिक विवधता, धर्म, दर्शन, कला-संस्कृाति, साहित्यत और विराट ज्ञान वैभव पूरी दुनिया में कहीं नहीं रहा। यकीनन यहां एक ओर बेखौफ जांबाज योद्धा और लड़ाके रहे, जिन्होंने अपनी तलवार के दम पर पूरी दुनिया को चुनौती दी, तो वहीं दूसरी ओर ऐसे महान शासक भी रहे, जिनके विशाल साम्राज्यों की आज भी दुनिया में तूती बोलती रही, और उनके राज्य में निर्मित हुए कला संस्कृति के नायाब नमूने आज भी पूरे विश्व को हैरत में डालते हैं। ऐसे ही देश के एक ऐसे राजा रहे जिसने युद्ध की रणभूमि पर जितनी विजयगाथाएं रची, उतना ही संगीत, साहित्य, कला संस्कृति के क्षेत्र में नये कीर्तिमान रचे। इस राजा का नाम था महाराणा कुंभा। युद्ध में विजयपताकाएं, बदल दी देश की राजनीति : महराणा कुम्भा या महाराणा कुम्भकर्ण दरअसल राजस्थाेन में मेवाड के राजा थे। उन्हों ने सन् 1433 से 1468 तक राज किया। महाराणा कुंभकर्ण ने पूरी राजपूताना विरासत में युद्ध की ऐसी विजयपताकाएं लहराईं कि उनके पहले के राजा सपने भी सोच नहीं सकते थे। उन्हों ने दरअसल देश में राजपूताना राजनीति को एक नया रूप दिया। इतिहास में ये 'राणा कुंभा' के नाम से अधिक प्रसिद्ध हैं। सत्ताय हासिल करने के सात सालों के अंदर उन्होंने सारंगपुर, नागौर, नराणा, अजमेर, मंडोर, मोडालगढ़, बूंदी, खाटू, चाटूस आदि के कई मजबूत किलों को जीत लिया।
महाराणा कुम्भा की माता सौभाग्य देवी परमार राजा जैतमल सांखला की पुत्री थीं कहीं-कहीं इनका नाम माया कंवर व सुहागदे भी लिखा गया है।महाराणा कुम्भा के उपनाम थे राज गुरु, तात गुरु, चाप गुरु (धनुर्विद्या का शिक्षक), छाप गुरु, हाल गुरु, शैल गुरु (भाला सिखाने वाला) परम गुरु, नाटकराज का कर्ता, धीमान, राणो रासो, राणे राय, गणपति, नरपति, अश्वपति, हिन्दु सुरत्राण, अभिनव भरताचार्य (नव्य भरत), नंदिकेश्वरावतार, राजस्थान में स्थापत्य कला का जनक महाराणा कुम्भा द्वारा रचित ग्रन्थ/कृतियाँ - संगीतमीमांसा, गीतगोविन्द, सूडप्रबन्ध, कामराज रतिसार, संगीतराज, रसिकप्रिया, एकलिंग महात्म्य का प्रथम भाग (कुल 10-12 ग्रन्थ) । मंडन - ये महाराणा कुम्भा का राज्याश्रित शिल्पी एवं विद्वान था । गोविन्द - ये मंडन का पुत्र था । रमाबाई - ये महाराणा कुम्भा की पुत्री थीं, जिनका विवाह गुजरात में गिरनार के राजा मण्डलीक से हुआ था । रमाबाई संगीतशास्त्र की ज्ञाता थीं।इन्हें वागीश्वरी नाम से भी जाना जाता है। इन्द्रादे - ये भी महाराणा कुम्भा की पुत्री थीं, जिनका विवाह आमेर के राजा उद्धरण कछवाहा से हुआ ।

1433 ई. में महाराणा कुम्भा का राज्याभिषेक हुआ (कर्नल जेम्स टॉड ने महाराणा कुम्भा के राज्याभिषेक का वर्ष 1418 ई. जो कि सही नहीं है) महाराणा कुम्भा ने मांडू के सुल्तान महमूद को खत लिखा कि "हमारे पिता के हत्यारे को हमारे सुपुर्द कर दिया जावे तो ठीक वरना मुकाबले को तैयार रहना" महमूद ने इस खत का बहुत ही सख्त जवाब दिया और महपा को महाराणा के सुपुर्द करने से साफ इनकार किया महाराणा कुम्भा ने फौज समेत मांडू की तरफ कूच किया ।इस वक्त रणमल्ल भी महाराणा के साथ था ।बड़ी सख्त लड़ाई के बाद महमूद भागकर मांडू के किले में चला गया, पर थोड़ी देर बाद फिर बाहर निकला, सुल्तान महमूद को महाराणा कुम्भा ने कैद कर लिया और बन्दी बनाकर चित्तौड़ ले आए 6 माह बाद कुछ दण्ड (जुर्माना) लेकर छोड़ दिया

"विजय स्तम्भ" इस विजय का चिन्ह विजय स्तम्भ है, जो कि चित्तौड़गढ़ में स्थित एक स्तम्भ या टॉवर है । ये 1442-49 ई. में बनवाया गया |
122 फीट ऊंचा, 9 मंजिला विजय स्तंभ भारतीय स्थापत्य कला की बारीक एवं सुन्दर कारीगरी का नायाब नमूना है, जो नीचे से चौड़ा, बीच में संकरा एवं ऊपर से पुनः चौड़ा डमरू के आकार का है । इसमें ऊपर तक जाने के लिए 157 सीढ़ियाँ बनी हुई हैं । स्तम्भ का निर्माण महाराणा कुम्भा ने अपने समय के महान वास्तुशिल्पी मंडन के मार्गदर्शन में उनके बनाये नक़्शे के आधार पर करवाया था । इस स्तम्भ के आन्तरिक तथा बाह्य भागों पर भारतीय देवी-देवताओं, अर्द्धनारीश्वर, उमा-महेश्वर, लक्ष्मीनारायण, ब्रह्मा, सावित्री, हरिहर, पितामह विष्णु के विभिन्न अवतारों व रामायण एवं महाभारत के पात्रों की सेंकड़ों मूर्तियां उत्कीर्ण हैं ।विजय स्तम्भ का संबंध मात्र राजनीतिक विजय से नहीं है, वरन् यह भारतीय संस्कृति और स्थापत्य का ज्ञानकोष है |
महाराणा कुम्भा ने नराणा, मलारणा, अजमेर, मोडालगढ़, खाटू, जांगल प्रदेश, कांसली, नारदीयनगर, हमीरपुर, शोन्यानगरी, वायसपुर, धान्यनगर, सिंहपुर, बसन्तगढ़, वासा, पिण्डवाड़ा, शाकम्भरी, सांभर, चाटसू, खंडेला, आमेर, सीहारे, जोगिनीपुर, विशाल नगर पर विजय प्राप्त की यहां के कुछ शासकों से महाराणा ने कर भी वसूल किया महाराणा कुम्भा ने जानागढ़ दुर्ग पर विजय प्राप्त की व अपने किसी सरदार को वहां मुकर्रर किया
कुछ समय बाद मालवा के सुल्तान महमूद खिलजी ने जानागढ़ पर हमला किया ।किले में राजपूतानियों ने जौहर किया, पर ये जौहर इतिहास में प्रसिद्ध नहीं हुआ ।
1439 ई. में जब महाराणा कुम्भा ने मांडू के बादशाह महमूद खिलजी प्रथम को कैद कर छोड़ दिया, तो 3 वर्ष बाद उसने बदला लेने की नियत से फिर मेवाड़ पर चढाई की महमूद अपनी फौज के साथ पहाड़ों के किनारे-किनारे होता हुआ सीधा कुम्भलगढ़ की तरफ गया महाराणा कुम्भा चित्तौड़गढ़ व कुम्भलगढ़ दोनों जगह नहीं थे । महाराणा इस वक्त चित्तौड़गढ़ के पूर्व की तरफ पहाड़ों में किसी पर चढाई करने गए थे |
महमूद कुम्भलगढ़ से पहले केलवाड़ा गाँव में आया, तभी कुम्भलगढ़ से दीपसिंह के नेतृत्व में राजपूतों की एक फौजी टुकड़ी केलवाड़ा में बाण/बायण माता के मन्दिर पहुंची
7 दिन तक लड़ाई चली और दीपसिंह अपने सभी राजपूतों समेत वीरगति को प्राप्त हुए (महमूद ने इस मन्दिर के साथ जो किया वो मैं बयां नहीं कर सकती) मन्दिर की फ़तेह से खुश होकर महमूद ने कुम्भलगढ़ दुर्ग फ़तेह करने का इरादा किया, पर दुर्ग की तलहटी में थोड़ी-बहोत लड़ाई करके किला जीतना नामुमकिन देखकर वहां से चला गया महमूद ने चित्तौड़गढ़ पर फ़तेह हासिल करने का इरादा किया सख्त लड़ाई के बाद महमूद को कामयाबी मिली और वह अपनी बहुत सी फौज को चित्तौड़गढ़ पर मुकर्रर करके महाराणा की खोज में निकला महमूद ने आज़म को फौजी टुकड़ी के साथ महाराणा के मुल्क को तबाह करने मन्दसौर की तरफ भेजा । आज़म मन्दसौर में ही मारा गया |
महाराणा कुम्भा ने मांडलगढ़ के पास आकर महमूद से मुकाबला किया इस लड़ाई में भी महाराणा कुम्भा विजयी हुए एवं कुछ समय बाद महाराणा ने फिर से महमूद से मुकाबला किया । इस बार भी महमूद भागकर मांडू चला गया और चित्तौड़गढ़ पर महाराणा कुम्भा ने अधिकार किया |
यही नहीं उन्होंने दिल्ली के सुलतान सैयद मुहम्मद शाह और गुजरात के सुलतान अहमदशाह को भी धूल चटा दी। मुस्लिम आक्रान्ताओं को 56बार धुल चटायें हैं ।
आपको जानकर आश्चीर्य होगा कि महज 35 साल की उम्र में इस युवा ने जो स्थापत्य कला का निर्माण करवाया वह पूरी दुनिया में चर्चा का केंद्र आज भी बने हुए हैं। उनके बनवाए गए बत्तीस दुर्गों में चित्तौड़गढ़, कुंभलगढ़, अचलगढ़ जहां सशक्त स्थापत्य में शीर्षस्थ हैं, वहीं इन पर्वत-दुर्गों मंा चमत्कृत करने वाले देवालय भी हैं। जानकर आश्चआर्य होगा कि उनके द्वारा बनवाया गया विश्वविख्यात विजय स्तंभ भारत की अमूल्य धरोहर है। तलवार के दम पर दुश्मनों को हराने वाला यह योद्धा कलम का भी उतना ही महान सिपाही थी । न केवल नाट्यशास्त्र के ज्ञाता थे, बल्किय वीणावादन में भी कुशल थे। कीर्तिस्तंभों की रचना पर तो उन्होंने स्वयं एक ग्रंथ लिखा और मंडन आदि सूत्रधारों से शिल्पशास्त्र के ग्रंथ लिखवाए।

जय मेवाड़ 🚩🚩
जय एकलिंगनाथ जी

Wednesday 26 April 2017

CIA ने किया खुलासा, भारत के खिलाफ पाकिस्तान को कुछ इस तरह तैयार कर रहा था चीन ...

चीन और पाकिस्तान के बीच गहरे आपसी संबंध हैं। लेकिन हाल में ही अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए (CIA) ने कुछ दस्तावेज सार्वजनिक किए हैं जिनके अनुसार चीन पाकिस्तान की ये प्रगाढ़ता कोई नई नहीं बल्कि बेहद पुरानी है।
इन दस्तावेजों से इस बात के प्रमाण मिलते हैं कि चीन और पाकिस्तान के संबंध ना केवल पिछले कुछ दशकों से लगातार गहराते जा रहे हैं, बल्कि यह भी पता चलता है कि चीन अपने ‘सदाबहार दोस्त’ पाकिस्तान की परमाणु महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार था।
CIA द्वारा जारी किये गये इन दस्तावेजों में दावा किया गया है कि, चीन अमेरिका के साथ अपने परमाणु सहयोग को भी दांव पर लगाने से पीछे नहीं हटने वाला था।
दस्तावेज के अनुसार, पाकिस्तान के नेताओं के साथ एक परमाणु समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद चीन ने पाक से कहा था कि वह अन्तर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी की निगरानी के लिए परमाणु प्रतिष्ठानों की जानकारी साझा ना करे।इस समझौते में गैर-सैन्य परमाणु तकनीक, रेडियो-आइसोटोप्स, मेडिकल रिसर्च और सिविलियन पावर टेक्नोलॉजी जैसे विषयों पर फोकस किया गया था।
अमेरिका का कहना है कि इस समझौते के तहत चीन पाकिस्तान के असंवेदनशील इलाकों में एक न्यूक्लियर एक्सपोर्ट मार्केट को विकसित करना चाहता था। उससे इस कदम से पाकिस्तान के परमाणु ढांचे को लेकर अमेरिका जैसे देशों की चिंता बढ़नी स्वाभाविक थी।
अमेरिका के मुताबिक, इस बात की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता है कि चीन को लगा होगा कि अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी की निगरानी की आड़ में गुपचुप ढंग से पाकिस्तान को मदद पहुंचाना आसान रहेगा। वर्ष 1983-84 तक अमेरिका को पता चल चुका था कि चीन-पाकिस्तान परमाणु सहयोग की जड़ें बहुत गहरी हैं।
रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि, अमेरिकी कांग्रेस की एक समिति को 1983 में दी गयी जानकारी में कहा गया था कि अमेरिका के पास चीन और पाकिस्तान के बीच परमाणु हथियारों के निर्माण को लेकर चल रही बातचीत के सबूत हैं।
सीआईए ने दावा किया है कि चीन ने लोप नॉर रेगिस्तान में किए अपने चौथे परमाणु परीक्षण के बाद परमाणु बम का डिजाइन पाकिस्तान को दिया था। अमेरिका का मानना है कि इस परीक्षण के दौरान एक ‘वरिष्ठ पाकिस्तानी अधिकारी’ भी मौजूद था।

अफगानिस्तान पहले था हिन्दू राष्ट्र ( भाग १ )

अफगानिस्तान और पाकिस्तान को छोड़कर भारत के इतिहास की कल्पना नहीं की जा सकती। कहना चाहिए की वह 7वीं सदी तक अखंड भारत का एक हिस्सा था। अफगान पहले एक हिन्दू राष्ट्र था। बाद में यह बौद्ध राष्ट्र बना और अब वह एक इस्लामिक राष्ट्र है।
26 मई 1739 को दिल्ली के बादशाह मुहम्मद शाह अकबर ने ईरान के नादिर शाह से संधि कर उपगण स्थान अफगानिस्तान उसे सौंप दिया था।17वीं सदी तक अफगानिस्तान नाम का कोई राष्ट्र नहीं था। अफगानिस्तान नाम का विशेष-प्रचलन अहमद शाह दुर्रानी के शासन-काल (1747-1773) में ही हुआ। इसके पूर्व अफगानिस्तान को आर्याना, आर्यानुम्र वीजू, पख्तिया, खुरासान, पश्तूनख्वाह और रोह आदि नामों से पुकारा जाता था जिसमें गांधार, कम्बोज, कुंभा, वर्णु, सुवास्तु आदि क्षेत्र थे।
अफगानिस्तान में मिला महाभारतकालीन विमान..!
यहां हिन्दूकुश नाम का एक पहाड़ी क्षेत्र है जिसके उस पार कजाकिस्तान, रूस और चीन जाया जा सकता है। ईसा के 700 साल पूर्व तक यह स्थान आर्यों का था। ईसा पूर्व 700 साल पहले तक इसके उत्तरी क्षेत्र में गांधार महाजनपद था जिसके बारे में भारतीय स्रोत महाभारत तथा अन्य ग्रंथों में वर्णन मिलता है।अफगानिस्तान की सबसे बड़ी होटलों की श्रृंखला का नाम ‘आर्याना’ था और हवाई कंपनी भी ‘आर्याना’ के नाम से जानी जाती थी। इस्लाम के पहले अफगानिस्तान को आर्याना, आर्यानुम्र वीजू, पख्तिया, खुरासान, पश्तूनख्वाह और रोह आदि नामों से पुकारा जाता था।
पारसी मत के प्रवर्तक जरथ्रुष्ट द्वारा रचित ग्रंथ ‘जिंदावेस्ता’ में इस भूखंड को ऐरीन-वीजो या आर्यानुम्र वीजो कहा गया है। आज भी अफगानिस्तान के गांवों में बच्चों के नाम आपको कनिष्क, आर्यन, वेद आदि मिलेंगे।
उत्तरी अफगानिस्तान का बल्ख प्रांत दुनिया की कुछ बेहद महत्वपूर्ण ऐतिहासिक विरासतों को सहेजे हुए है। इसके कुछ प्राचीन शहरों को दुनिया के सभी शहरों का जनक कहा जाता है। ये बल्ख के तराई इलाकों की समतल भूमि है जिसके प्राचीन व्यापारिक मार्ग ने खानाबदोशों, योद्धाओं, साहसी लोगों और धर्म प्रचारकों का ध्यान अपनी ओर खींचा। इन लोगों ने अपने पीछे यहां ऐसे रहस्यों को छोड़ा जिन्हें पुरातत्वविदों ने खोजना शुरू ही किया है।
पिछले वर्ष ही अफगानिस्तान में 5,000 साल पुराना एक विमान मिला है। इस विमान के महाभारतकालीन होने का अनुमान है। यह खुलासा ‘वायर्ड डॉट कॉम’ की एक रिपोर्ट में किया गया है।

Tuesday 25 April 2017

गाय को सम्मान देकर यहाँ हर आदमी अमीर है, 

क्या भारत इस देश से सीख सकता है कुछ !

उरुग्वे एक दक्षिण अमरीकी देश है जो ब्राज़ील के पास है,  सबसे पहले हम आपको इस देश का झंडा और इसका राष्ट्रीय चिन्ह दिखाना चाहते है, ये देखिये इसका झंडा
झंडे पर सूर्य बना हुआ है, अब देखिये इसका राष्ट्रीय चिंन्ह (जैसे भारत में अशोक स्तंभ है)
देखिये राष्ट्रीय चिंन्ह पर घोड़ा और गाय बनी हुई है 
*” उरुग्वे “* एक ऐसा देश है , जिसमे औसतन हर एक आदमी के पास 4 गायें हैं … और
पूरे विश्व में वो खेती के मामले में नम्बर वन की पोजीशन में है …
सिर्फ 34 लाख लोगों का देश है और 1 करोड़ 20 लाख ???? गायें है …
हर एक ???? गाय के कान पर इलेक्ट्रॉनिक ???? चिप लगा रखी है …
जिससे कौन सी ???? गाय कहाँ पर है , वो देखते – रहते हैं …
एक किसान मशीन के अन्दर बैठा , फसल कटाई कर रहा है , तो दूसरा उसे स्क्रीन पर जोड़ता है , कि फसल का डाटा क्या है … ???
इकठ्ठा किये हुये डाटा के जरिए , किसान प्रति वर्ग मीटर की पैदावार का स्वयं विश्लेषण करता हैं …
2005 में 34 लाख लोगों का देश , 90 लाख लोगों के लिए अनाज पैदा करता था … और …
आज की तारीख में 2 करोड़ 80 लाख लोगों के लिये अनाज पैदा करता है …
*” उरुग्वे “* के सफल प्रदर्शन के पीछे देश , किसानों और पशुपालकों का दशकों का अध्ययन शामिल है …
पूरी खेती को देखने के लिए 500 कृषि इंजीनियर लगाए गए हैं और ये लोग ड्रोन और सैटेलाइट से किसानों पर नजर रखते हैं , कि खेती का वही तरीका अपनाएँ जो निर्धारित है …
यानि *” दूध , दही , घी , मक्खन “* के साथ आबादी से कई गुना ज्यादा अनाज उत्पादन …
*” सब अनाज , दूध , दही , घी , मक्खन , आराम से निर्यात होते हैं और हर किसान लाखों में कमाता है … “*
एक आदमी की कम से कम आय 1,25,000/= महीने की है , यानि 19,000 डॉलर सालाना …
इस देश का राष्ट्रीय चिन्ह सूर्य ???? व राष्ट्रीय प्रगति चिन्ह गाय ???? व घोड़ा ???? हैं …
उरूग्वे में गाय ???? की हत्या पर तत्काल फाँसी का कानून है …
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धन्यवाद है , इस गौ – प्रेमी देश को …
मुख्य बात यह है , *” कि ये सभी गो – धन भारतीय हैं, इस देश में भारत की गायों को ही ले जाय गया है, और आज जितनी भी गायें पैदा होती है, वो मूल रुप से भारतीय ही है  …
जिसे वहाँ *” इण्डियन काउ “* के तौर पर जानते हैं …
दु:ख इस बात का है , कि भारत में गो – हत्या होती है और वहाँ उरुग्वे में गो – हत्या पर मृत्युदण्ड का प्रावधान है …
क्या हम इस कृषक राष्ट्र उरुग्वे से कुछ सीख सकते हैं … ???

एक ऐसा नरसंहार जिसका आज की पीड़ी को कुछ नहीं पता।

कभी सुना है आपने मोपला काण्ड ? जिसमे हुआ था एक वर्ग का नरंसहार
जब बात गुजरात की हो , जब बात मुजफ्फरनगर की हो या जब बात आसाम की हो तब अचानक ही कुछ तथाकथित लोग न्याय , अत्याचार , मानवाधिकार की बातें करते हुए कभी साकार को तो कभी सिस्टम को कोसना शुरू कर देते हैं . पर जब बात मोपला की हो तब तमाम को उसका नाम भी नहीं पता होता , . यह एक ऐसा नरसंहार था , एक दरिंदगी जिसमें हजारों की तादात में हिन्दू मारे गये। जिसका कोई आज जिक्र नहीं करता, एक ऐसा नरसंहार जिसका आज की पीड़ी को कुछ नहीं पता। 
मोपला कांड में मुस्लिम आक्रांताओं के हाथों 20 हजार हिन्दू क़त्ल किये गए थे और 20 हजार हिन्दूओं को जबरदस्ती मुसलमान बनवा दिया. इस भीषणतम अमानवीय काण्ड में दस हजार महिलाओं का बलात्कार हुआ था जिनकी उम्र में बालिग़ और नाबालिग नहीं देखा गया था । इस कांड का आज के समय में शायद ही किसी को पता हो.. आइये आज हम बताते है मोपला कांड के बारे में जिसे पढ़ शायद आपको हम से बार बार छिपाये जा रहे वास्तविक और रक्तरंजीत इतिहास का पता चले .कांग्रेस में 1903 में ही मतभेद हो गये थे उस समय कांग्रेस में दो दल थे। नरम व गरम दल और दोनों दलो के सोच में जमीन आसमान का अन्तर था। नरम दल  किसी भी प्रकार की हिंसा का विरोध करता था , भले ही भगत सिंह हो या चंद्रशेखर आज़ाद , उनका नेतृत्व कर रहे थे मोती लालनेहरू व गोखले। वहीँ दूसरा धड़ा था गरम दल जो दुष्ट अंग्रेजों के खिलाफ हर प्रकार के मार्ग का समर्थन करते थे . इस दल के नेता थे लोकमान्य तिलक जी जिनका नारा था स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं उसे लेकर रहूंगा।  1903 से 1920 तक कांग्रेस में लोकमान्य तिलक का प्रभुत्व था लेकिन 1916 में गांधी के अफ्रिका से आने के बाद उनकी जगह धीरे धीरे गांधी ने लेनी शुरू कर दी .  1920 में तिलक जी के स्वर्गवास के बाद परिस्थिति बदल गई और कांग्रेस गांधी व नेहरू के हाथ में आ गई। ये दोनों चाहते तो तिलक जी के पूर्ण स्वराज को आगे लेकर जा सकते थे मगर इन दोनों ने अपना एक आंदोलन शुरू किया जो खिलाफत आन्दोलन के नाम से जाना गया।
ये जानना जरुरी है कि खिलाफत आन्दोलन था क्या ? भारत के इतिहास में खिलाफत आन्दोलन का वर्णन तो है मगर ये स्वाधीनता हेतु नहीं बल्कि  मुस्लिम देश तुर्की के राजा को गद्दी से हटाने जाने के विरोध में भारत में रह रहे मुसलमानों की संतुष्टि के लिए गांधी द्वारा चलाया गया आन्दोलन था। आज भी अधिकतर लोगों को नहीं पता कि खिलाफत आन्दोलन स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए चलाया गया आन्दोलन था। मगर सत्य यह है कि पहले विश्व युद्ध में तुर्की के हार जाने के बाद अंग्रेजों ने वहां के राजा को गद्दी से हटा दिया था। तो भारत में रह रहे मुसलमानों ने तुर्की के सुल्तान को गद्दी पर वापस बिठाने के लिए चलाया था जिसका समर्थन गाँधी व नेहरु ने किया था और खिलाफत आंदोलनों को शुरू किया था। खिलाफत आन्दोलन का नेतृत्व गांधी के साथ मोहम्मद अली जोहर व शोकत अली जोहर दो भाई कर रहे थे। गाँधी ने खिलाफत के सहयोग के लिए ही असहयोग आन्दोलन की घोषणा कर दी। जब कुछ राष्ट्रप्रेमी कांग्रेसियों ने इसका विरोध किया तो गाँधी ने यह कह दिया कि जो खिलाफत का विरोधी है तो वह कोंग्रेस का भी शत्रु है। लेकिन बहुसंख्यक हिन्दुओं ने इसका विरोध किया जिसका परिणाम यह हुआ कि खिलाफत आन्दोलन फेल हो गया। माना जाता है की खिलाफत आंदोलन असफल होने का दोषी तमाम चरमपंथी मुस्लिमों ने हिन्दुओं को माना और अंग्रेजों का गुस्सा हिन्दुओं पर उतारा . उन जगहों की तलाश की गयी जहाँ हिन्दू अल्पसंख्यक थे और उसमे से एक था मोपला . वहां काम संख्या में रह रहे हिन्दुओं पर हमला कर दिया गया और सिर्फ शुरू हुआ एक बहुत बड़ा नरसंहार . मोपला कांड में ही अकेले 20 हजार हिन्दुओं को काट डाला गया, 20 हजार से ज्यादा को जबरन मुस्लमान बना दिया गया। 10 हजार से अधिक हिन्दू औरतों का बलात्कार किया गया. अफ़सोस मोपला काण्ड के खिलाफ आज तक ना किसी ने अपने एक भी शब्द बतौर श्रद्धांजलि या बतौर इतिहास उनका नाम दर्ज करवाया . गुजरात , मुजफ्फरनगर या असम के लिए आये दिन रोने वालों के आँखों के आंसू अचानक ही सूख जाते हैं मोपला का नाम आते ही . सुदर्शन न्यूज ऐसे दबे इतिहास को जनता तक पहुंचाने के लिए कृत संकल्पित है क्योंकि वास्तविक इतिहास जानना जनता का मौलिक अधिकार है . 


Monday 24 April 2017

बहुत ही कम लोग जानते है की जापान में हनुमान जी भी प्रधान देवता की तरह पूजे जाते है केवल हनुमान जी नहीं, जापान में अन्य हिंदू देवी देवताओं की भी पूजा की जाती है। जापान में कई हिंदू देवी-देवताओं जैसे शिव जी, ब्रह्मा, गणेश, गरुड़, वायु, वरुण आदि की पूजा आज भी की जाती है।आज हम आपको बताते है जापान के हनुमान जी के बारे में, ये है जापान के सन्नो गोंगेन – Sanno Gongen (Sannō) 山王権現 नामक देवता जो कि वानर देवता है। जापान में इन्हें Messanger या सन्देश लाने वाला देवता माना जाता है।

जापान में हनुमान जी का मंदिर

हनुमान जी के इस रूप को जापान में सदियों पहले से पूजा जाता रहा है। बोद्ध धर्म के प्रचार के बाद इन्हें जापान में बोद्ध देवता माना जाने लगा। जापान में आज भी इनके कई मन्दिर है।जापान में कई स्थलों पर वानरों को पूज्य माना जाता है और उनके कई मंदिर जापान में आज भी बने हुए है। ठीक उसी तरह जैसे भारत में वानरों को हनुमान जी का प्रतीक मानकर उनका सम्मान किया जाता है।

https://www.facebook.com/ViralHindu/videos/1924216537858431/

kashmir

फसल बर्बाद, दाने दाने के लिए मोहताज तो फ्लाइट में उड़ने के लिए कहाँ से आ गया किसानों के पास पैसा

पहले ही शक हो रहा था कि तमिल नाडु के किसानों के नाम पर किया जा रहा यह धरना मोदी सरकार और बीजेपी के खिलाफ साजिश है, कल जिस प्रकार से किसानों से अपना धरना ख़त्म किया उससे मेरा शक यकीन में बदल गया, जो किसान अपनी मांगों के लिए Urine पी रहे थे, मल खाने के लिए तैयार थे उन्होंने MCD चुनावों के साथ साथ अपना धरना भी समाप्त कर दिया.

इससे भी हैरान करने वाली बात यह थी कि धरना ख़त्म करने के बाद अचानक किसानों के पास पता नहीं कहाँ से पैसा आ गया, सब के सब एयरपोर्ट पहुंचे और तमिल-नाडु के लिए उड़ गए, अब सवाल यह उठता है कि अगर किसानों की वाकई में फसल बर्बाद हो गयी थी, अगर वे वाकई में दाने दाने के लिए मोहताज हैं तो उनके पास फ्लाइट में उड़ने के लिए पैसे कहाँ से आ गए. एकाएक उनका रूप कैसे बदल गया. यह सोचने का विषय है, ऐसा लग रहा है कि किसानों का धरना PAID था यानी कि किसी ने धरने की फंडिंग की थी.यह भी हो सकता है कि BJP को MCD चुनाव में नुकसान पहुंचाने के लिए AAP ने कोई साजिश रची हो क्योंकि केजरीवाल हमेशा किसानों के संपर्क में थे और उनका धरना ख़त्म करवाने के लिए AAP नेता कुमार विश्वास पहुंचे. उन्होंने मोदी के खिलाफ कविता गाई - 

आत्महत्या की चिता पर देख कर किसान को,
नींद कैसे आ रही है देश के प्रधान को.

क्या स्क्रिप्टेड था किसानों का धरना

सबसे पहले तो बता दें कि इसमें से कई किसान प्रोफेशनल धरनेबाज थे और दूसरी बात ये कि कोई भी किसान अपनी जान दे देगा लेकिन अपनी बात मनवाने के लिए मूत्र नहीं पिएगा और ना ही मल खाएगा लेकिन ये किसान तो मूत्र भी पी रहे थे और मल खाने की धमकी भी दे रहे थे और वो भी मोदी सरकार के खिलाफ जबकि उन्हें अपनी सरकार के खिलाफ धरना देना चाहिए था. वैसे हमें तो नहीं लगता कि उनके बोतल में मूत्र रहा होगा, हमें तो लगता है कि किसी और चीज को उन्होंने मूत्र बता दिया होगा, वरना कौन आदमी मूत्र पी सकता है.

अगर मान भी लें कि उन्होंने मूत्र पीया था तो इतना सब कुछ करने के बाद वे एकाएक धरना कैसे ख़त्म कर सकते हैं, यह अपने आप में सोचने का विषय है, कल AAP नेता कुमार विश्वास खुद धरना ख़त्म करवाने के लिए जंतर मंतर पर पहुंचे और मोदी के खिलाफ बयान दिया, इसके अलावा किसानों ने यह भी बताया कि उनकी कई बार केजरीवाल से भी बात हुई है.

सन्देश क्या गया?

इस धरने में AAP नेता कुमार विश्वास ने सिर्फ यही सन्देश दिया कि अन्नदाता मूत्र पी रहे हैं, मरे हुए चूहे खा रहे हैं, सांप खा रहे हैं, मूत्र पी रहे हैं लेकिन देश के प्रधान यानी मोदी सो रहे हैं, यह साफ़ साफ़ मोदी के खिलाफ साजिश थी, साथ ही मोदी विरोधी यह भी सोच रहे थे कि MCD चुनावों में किसान मोदी सरकार के खिलाफ खड़े हो जाँय, ताकि MCD में भी AAP की सरकार बन सके.

बड़े बड़े होटलों से किसानों के लिए आता था खाना, मिनरल वाटर

जानकारी के लिए बता दें कि धरनेबाज किसानों के लिए बड़े बड़े होटलों से खाना आता था, मिनरल वाटर की बोतल आती थीं, हर समय चाय-समोसे मिलते थे, ऐसा लग रहा था कि कोई इनके धरने की फंडिंग कर रहा है, ये लोग टीवी-मीडिया का ध्यान आकर्षित करने के लिए मरे हुए सांप, चूहे खाने का दिखावा करते थे और दूसरी तरफ होटलों के लजीज व्यंजन खाते थे.
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कभी इस बात पर भी विचार करिएगा की आखिर इन नक्सलियों का मददगार कौन है ??
यह वामपंथी दल यह.. तमाम एनजीओ चलाने वाले जैसे मेघा पाटकर स्वामी अग्निवेश कविता कृष्णन अरविंद केजरीवाल मनीष सिसोदिया कन्हैया कुमार यह लोग खुलकर नक्सलियों के समर्थन में बोलते हैं और नक्सलियों पर कार्यवाही का विरोध करते हैं         
Jitendra Pratap Singh
 प्रत्यक्षदर्शियों की मानें तो हमला करने वाले नक्सली 350 की संख्या में थे और अत्याधुनिक हथियारों से लैस थे। जवानों का दोष केवल इतना था कि वे सड़क निर्माण को सुरक्षा दे रहे थे। इस घटना के बाद एक सवाल मन में उठने लगा है कि क्या राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के दबाव में राज्य सरकार द्वारा बस्तर आईजी एसआरपी कल्लूरी को हटाने का निर्णय क्या सही था? बस्तर में कल्लूरी के रहते नक्सलियों ने हिंसा का तांडव करने की कोई हिमाकत नहीं की। लेकिन उनके हटते ही बस्तर को फिर लाल आतंक का गढ़ बनते हुए हम देख रहे हैं। बस्तर फिर पांच साल पीछे चला गया है, जब नक्सल एंबुश में फंसकर जवानों के शहीद होने की खबरें आम होती थीं, अब लगता है वही दौर लौट आया है।..और इस बात पर भी कोई आश्चर्य नहीं कि नक्सलियों की मौत पर विधवा विलाप करने वाले जवानों की मौत पर मौन हैं। शहीदों को विनम्र श्रद्धांजलि। ईश्वर उनके परिजनों को दुख सहने की शक्ति प्रदान करे।
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सऊदी अरब सरकार ने अरबी में गीता रिलीज की। यहाँ तो भारत माता की जय बोलने में इस्लाम खतरे में आ जाता हैं। 
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Sunday 23 April 2017

हिन्दू लड़कियों को इस्लामिक जिहाद के बारे में समझाया कैसे जाये..??
इस्लामिक जिहाद को सबसे ज्यादा सहयोग देती हैं पढ़ी लिखी सेक्युलर हिन्दू लड़कियां..और ये लड़कियाँ लगभग हर घर में हैं... ये कार्य आप अपने ही घर से शुरू करें..जैसा कि पहले भी कहा गया है कि जब भी आप अपने घर में अपनी सगी बहन या फिर रिश्ते की बहनों के सामने बैठे हों तो ये इस्लामिक जिहाद की चर्चा अवश्य ही छेड़ें..चाहे उनको ये बात अच्छी लगे या न लगे..क्योंकि जब मरीज़ डाक्टर से ईलाज करवाता है तो उसको भी कड़वी दवाई अच्छी नहीं लगती पर वही दवा उस मरीज के भले के लिये होती है।
सबसे बड़ी बात आप उसको इस्लाम में रोज घट रही बातों के बारे में बताएं....बोको हराम ...ISIS आदि संगठनों के किये जा रहे क्रियाकलापों के बारे में बताएं ... या उसके एक दो न्यूज़ ही सुना दें...याद रखिये....आज के समय में जो सबसे बड़ी गलती हिंदूवादी कर रहे हैं वो यही है कि आप अपने धर्म के बारे में तो बताते हैं लेकिन इस्लाम कि बुराई को बता पाने में असमर्थ होते हैं.... मान लिया कि वो हिन्दू धर्म के बारे में तो जान गयी लेकिन इस्लाम को जान ही नहीं पायी तो वो तो उसको अच्छा ही समझेगी ....
आप पागल कुत्ते को देख कर क्यूँ डरते हैं ? आप सांप देख कर क्यूँ डरते हैं ? आखिर क्यूँ ? क्यूंकि आपने उसके खतरनाक और ज़हरीले क्रियाकलापों को जान लिया और ये भी जान लिया कि अगर सांप ने काटा तो मुझे मरने का डर है... कुत्ते ने काटा तो 14 इंजेक्शन लगने का डर है...तो आपको सबसे पहले इस्लामिक जिहाद के बारे में बताना होगा...
ये कहना खराब लगता है ...ऐसा लगता है जैसे मैं नफरत करने को सिखा रहा हूँ.पर जो लोग आपसे आलरेडी नफरत कर रहे हैं उससे कैसी दोस्ती ? जो आपको बर्बाद करने पर तुला है और जो आपकी बहन बेटी कि इज्जत लूटना चाहते है उससे नफरत नहीं तो और क्या किया जाए ? विकल्प कहाँ है ? रास्ता क्या है ? या तो बहन बेटी सौंप दो अगर आप नामर्द हो...या फिर बहन बेटी से खेलने वाले को सबक सिखाओ...
आखिरी बात...इसे फेसबुक आदि जगहों पर ये सोच कर शेयर करने से डरें नहीं कि आपके फ्रेंड लिस्ट कि कोई सुन्दर मगर मुर्ख और सेक्युलर लडकी आपको अनफ्रेंड कर देगी..क्यूंकि यही फैलते फैलते फिर आपके घर कि लड़कियों तक भी बात जायेगी..अगर वो अनफ्रेंड भी करती है तो आपने एक अच्छा काम किया है इसका संतोष रखिये...क्योंकि उसके भी कान तक एक बार तो आपने सच्चाई पहुंचाई ही।
खुश पाण्डेय

Saturday 22 April 2017

 इस्लामी अंधविज्ञान के कुछ तथ्य

 जो कि कुरान और हदीसों में 

विज्ञानं और इस्लाम एक दूसरे के विरोधी हैं , क्योंकि विज्ञानं तथ्यों को तर्क की कसौटी पर परखने के बाद और कई बार परीक्षण करने के बाद उनको स्वीकार करता है .जबकि इस्लाम निराधार , बेतुकी , और ऊलजलूल बातों पर आँख मूँद पर ईमान रखने पर जोर देता है . इतिहास गवाह है कि इस्लाम के उदय से लेकर मुसलमानों ने ” हुक्के ” के आलावा कोई अविष्कार नहीं किया ,लेकिन दूसरों के द्वारा किये गए अविष्कारों के फार्मूले चोरी करके उनका उपयोग दुनिया को बर्बाद करने के लिए जरुर किया है .
लगभग 15 वीं शताब्दी तक मुसलमान तलवार की जोर से इस्लाम फैलाते . लेकिन जैसे जैसे विज्ञानं की उन्नति होने लगी , तो लोगों की विज्ञानं के प्रति प्रति रूचि बढ़ने लगी , यह देख कर जाकिर नायक जैसे धूर्त इस्लाम के प्रचारकों ने नयी तरकीब निकाली ,यह लोग कुरान और हदीस में दी गयी बेसिर पर की बातों का तोड़ मरोड़ कर ऐसा अर्थ करने लगे जिस से यह साबित हो जाये कि कुरान और हदीसें विज्ञानं सम्मत हैं .मुसलमानों की इसी चालाकी भरी नीति को ही ” इस्लामी अंधविज्ञानं ” कहा जाता है .इसका उद्देश्य पढ़े लिखे लोगों को गुमराह करके उनका धर्म परिवर्तन कराना है .लेकिन जाकिर नायक जैसे लोग विज्ञानं की आड़ में लोगों के दिमाग में इस्लाम का कचरा भरने का कितना भी प्रयास करें ,खुद कुरान और हदीस ही उनके दावों का भंडाफोड़ कर देते है .यद्यपि कुरान और हदीस में हजारों ऐसे बातें मौजूद है ,जो विज्ञानं के बिलकुल विपरीत हैं , लेकिन कुछ थोड़े से उदहारण यहाँ दिए जा रहे हैं
1-आकाश के सात तल
इस्लामी मान्यता के अनुसार आकाश के सात तल हैं , जो एक दुसरे के ऊपर टिके हुए हैं . और अल्लाह सबसे ऊपर वाले असमान पर अपना सिंहासन जमा कर बैठा रहता है . और वहीँ से अपने फरिश्तों या नबियों के द्वारा हुकूमत चला रहा है .इसी लिए आकाश को अरबी में ” समावात ” भी कहा जाता है , जो बहुवचन शब्द है . अंगरेजी में इसका अनुवाद Heavens इसी लिए किया जाता है , क्योंकि इस्लाम में आकाश के सात तल माने गए हैं .जैसा कि इन आयतों में कहा गया है .
“क्या तुमने नहीं देखा कि अल्लाह ने किस प्रकार से सात आसमान ऊपर तले बनाये हैं ”
सूरा -नूह 71:15
कुरान की इस बात की पुष्टि इस हदीस से भी होती है ,
अबू हुरैरा ने कहा कि रसूल ने अपनी पुत्री फातिमा से कहा करते थे कि जब भी अल्लाह को पुकारो तो , कहा करो कि ‘ हे सात असमानों के स्वामी अल्लाह ”
وَحَدَّثَنَا أَبُو كُرَيْبٍ، مُحَمَّدُ بْنُ الْعَلاَءِ حَدَّثَنَا أَبُو أُسَامَةَ، ح وَحَدَّثَنَا أَبُو بَكْرِ بْنُ أَبِي، شَيْبَةَ وَأَبُو كُرَيْبٍ قَالاَ حَدَّثَنَا ابْنُ أَبِي عُبَيْدَةَ، حَدَّثَنَا أَبِي كِلاَهُمَا، عَنِ الأَعْمَشِ، عَنْ أَبِي، صَالِحٍ عَنْ أَبِي هُرَيْرَةَ، قَالَ أَتَتْ فَاطِمَةُ النَّبِيَّ صلى الله عليه وسلم تَسْأَلُهُ خَادِمًا فَقَالَ لَهَا ‏ “‏ قُولِي اللَّهُمَّ رَبَّ السَّمَوَاتِ السَّبْعِ ‏”‏ ‏.‏ بِمِثْلِ حَدِيثِ سُهَيْلٍ عَنْ أَبِيهِ ‏.‏
सही मुस्लिम -किताब 35 हदीस 6553
2-तारे पृथ्वी के निकट हैं
विज्ञानं ने सिद्ध कर दिया है कि तारे ( stars ) पृथ्वी से करोड़ों प्रकाश वर्ष मील दूर हैं .और दूरी के कारण छोटे दिखायी देते हैं .लेकिन कुरान इस से बिलकुल उलटी बात कहती है ,कि तारे आकाश के सबसे निचले आकाश में सजे हुए है .यानी पृथ्वी के बिलकुल पास हैं .कुरान की यह आयत देखिये ,
“हमने दुनिया के आकाश को सबसे निचले आकाश को तारों से सजा दिया है ”
सूरा -अस साफ्फात 37:6
3-सूरज दलदल में डूब जाता है
कुरान की ऐसी कई कहानियां हैं ,जो यूनानी दन्तकथाओं से ली गयी हैं .ऐसी एक कहानी सिकंदर की है , जिसने दावा किया था कि उसने सूरज को एक कीचड़ वाले दलदल में डूबा हुआ देखा था .सिकंदर को कुरान में “जुल करनैन ” ذو القرنين “कहा गया है . अरबी में इस शब्द का अर्थ “दो सींगों वाला two-horned one” होता है .इस्लामी किताबों में इसे भी अल्लाह का एक नबी बताया जाता है ,लेकिन जुल करनैन वास्तव में कौन था इसके बारे में इस्लामी विद्वानों में मतभेद है , मौलाना अबुल कलाम आजाद ने अपनी किताब ‘ असहाबे कहफ ” में इसे सिकंदर महान Alexander the Great साबित किया है .कहा जाता है कि जब सिकंदर विश्वविजय के लिए फारस से आगे निकल गया तो उसने सूरज को एक दलदल में डूबते हुए देखा था .और कुरान इस बात को सही मानकर जोड़ लिया गया .कुरान में बताया गया है कि सूर्यास्त के बाद सूरज कहाँ डूब जाता है ,
” यहाँ तक कि वह ( जुल करनैन ) उस जगह पहुंच गया ,और उसने सूरज को एक कीचड़ वाले दलदल (muddy spring ) डूबा हुआ पाया ”
सूरा -अल कहफ़ 18:86
4-रात में सूरज कहाँ रहता है ?
इस बात को सभी लोग जानते हैं कि सूरज अस्त होने के बाद भी प्रथ्वी के किसी न किसी भाग पर प्रकाश देता रहता है ,यानि प्रथ्वी के उस भाग पर दिन बना रहता है , लेकिन हदीस के अनुसार अस्त होने के बाद सूरज रात भर अल्लाह के सिंहासन के नीचे छुपा रहता है
“अबू जर ने कहा कि एक बार रसूल ने मुझ से पूछा कि क्या तुम जानते हो कि सूर्यास्त के बाद सूरज कहाँ छुप जाता है , तो मैंने कहा कि रसूल मुझ से अधिक जानते है . तब रसूल ने कहा सुनो जब सूरज अपना सफ़र पूरा कर लेता है ,तो अल्लाह को सिजदा करके उसके सिंहासन के कदमों के नीचे छुप जाता है .फिर जब अल्लाह उसे फिर से निकलने का हुक्म देते है , तो सूरज अल्लाह को सिजदा करके वापस अपने सफ़र पर निकल पड़ता है .और यदि अल्लाह सूरज को हुक्म देगा तो सूरज पूरब की जगह पश्चिम से निकल सकता है
.सही बुखारी -जिल्द 4 किताब 54 हदीस 421
5-अंधविश्वासी रसूल
सूर्यग्रहण एक प्राकृतिक घटना है .जिसका क़यामत से कोई सम्बन्ध नहीं है .लेकिन मुसलमान जिस मुहम्मद को अल्लाह का रसूल और हर विषय का जानकार बताते हैं , वह सूर्यग्रहण के समय डर के मारे कांपने लगता था ,यह बात इस हदीस से पता चलती है ,
“अबू मूसा ने कहा कि जिस दिन भी सूर्यग्रहण होता था , रसूल डर के मारे खड़े होकर कांपने लगते थे .उनको लगता था कि यह कियामत का दिन है , जिसमे कर्मों का हिसाब होने वाला है .फिर रसूल भाग कर मस्जिद में घुस जाते थे , वहां लम्बी लम्बी नमाजें पढ़ते थे और सिजदे करते थे .हमने उनको इतना भयभीत कभी नहीं देखा . शायद वह सूर्यग्रहण को कियामत की निशानी समझते थे . और अल्लाह से अपने गुनाहों को माफ़ करने के लिए इतनी अधिक इबादत किया करते थे .”
सही बुखारी – जिल्द 2 किताब 15 हदीस 167
6-कपड़ा चोर चट्टान
मुसलमान जिन हदीसों को प्रमाणिक मानकर खुद मानते हैं ,और दूसरों को मानने पर जोर डालते हैं , उनमे ऐसी ऐसी बातें दी गयी हैं ,जिनपर कोई मूर्ख ही विश्वास कर सकता है .फिर भी मुस्लिम प्रचारक दावा करते रहते हैं कि कुरान की तरह हदीसें भी विज्ञानं सम्मत है .इसके लिए यह एक हदीस ही काफी है ,जिसे पढ़कर हदीस कहने वाले की बुद्धि पर हंसी आती है .जिसमे मूसा (Moses ) के बारे में एक घटना दी गयी है ,हदीस देखिये ,

“अबू हुरैरा ने कहा कि रसूल ने बताया है कि बनीइजराइल के लोग नंगे होकर नहाया करते थे ,और एक दूसरे के गुप्तांगों को देखा करते थे . लेकिन मूसा अकेले ही नहाते थे . क्योंकि उनके अंडकोष काफी बड़े थे . उनमे (scrotal hernia ) की बीमारी थी . और लोगों को यह बात पता नहीं थी . एक बार जब मूसा अपने कपडे एक चट्टान पर रख कर नहाने के लिए नदी में गए तो . चट्टान उनके कपडे लेकर भागने लगी . और मूसा नंगे ही उसके पीछे दौड़ते हुए कहने लगे ” चट्टान मेरे कपडे वापस कर ” इस तरह लोगों को पता चल गया कि मूसा के अंडकोष बड़े हैं . तब लोगों ने चट्टान से मूसा के कपडे वापस दिलवाए .और नाराज होकर मूसा ने उस चट्टान को काफी मारा .रसूल ने कहा ” अल्लाह की कसम आज भी उस चट्टान पर मारने के छह सात निशान मौजूद हैं ”
सही बुखारी – जिल्द 1किताब 5 हदीस 277
यही हदीस सही मुस्लिम में भी मौजूद है .
सही मुस्लिम -किताब 3 हदीस 669 और सही मुस्लिम -किताब 30 हदीस 5849
ही नहीं मूसा की इस कहानी के बारे में कुरान में भी लिखा है . और मुसलमानों को निर्देश दिया गया है कि ” हे ईमान वालो तुम उन लोगों जैसे नहीं बन जाना , जिन्होंने मूसा को (नंगा देख कर ) दुःख पहुंचाया था ” सूरा -अहजाब 33:69
कुरान और हदीसों के इन कुछ उदाहरणों को पढ़ कर लोग यही सोचेंगे कि जब मुसलमानों के अल्लाह और रसूल आकाश ,सूरज ,और चट्टान के बारे में ऐसे अवैज्ञानिक विचार रखते हैं ,तो मुसलमान कुरान और् हदीस विरोधी विज्ञानं क्यों पढ़ते हैं? इसका एक ही कारण है कि मुसलमान विज्ञानं से दुनियां की भलाई नहीं दुनिया को बर्बाद करना चाहते हैं ,या तो वह कहीं से किसी अविष्कार का फार्मूला चुरा लेते है .या फिर विज्ञानं का उपयोग विस्फोटक बनाने , नकली नोट छापने , फर्जी क्रेडिट कार्ड से रुपये निकालने ,और दूसरों की साईटों को हैक करने में करते हैं .
लेकिन विज्ञानं की सहायता से इतने कुकर्म करने के बाद भी ,मुसलमानों में इस्लामी अंधविज्ञानं हमेशा बना रहता है .और क़यामत तक बना रहेगा

कौन थे नेहरु ?


नेहरू - गांधी वंश मुग़ल Ghiyasuddin गाजी नाम के एक आदमी के साथ शुरू होता है. वह सिटी कोतवाल यानी पुलिस अधिकारी दिल्ली के 1857 के विद्रोह से पहले मुगल शासन के अधीन था. दिल्ली पर कब्जा करने के बाद 1857 में, गदर के वर्ष में, ब्रिटिश सभी मुगलों हर जगह कत्लेआम रहे थे. ब्रिटिश एक गहन खोज की है और हर मुग़ल मार डाला इतना है कि दिल्ली के सिंहासन के लिए कोई भविष्य दावेदार थे. दूसरे हाथ पर हिंदुओं ब्रिटिश द्वारा लक्षित नहीं जब तक पृथक हिंदुओं मुगलों, पिछले संघों के कारण के साथ साइडिंग हो पाए थे. इसलिए, यह कई मुसलमान हिंदू नाम को अपनाने के लिए प्रथागत हो गया. तो, आदमी Ghiyasuddin गाजी (काफिर का हत्यारा शब्द का मतलब है) एक हिंदू नाम गंगाधर नेहरू अपनाया और इस प्रकार छल द्वारा उसकी जान बचाई. Ghiyasuddin गाजी जाहिरा तौर पर लाल किले के निकट एक नहर (या Nehr) के तट पर रहते थे. इस प्रकार, वह परिवार के नाम के रूप में 'नेहरू' के नाम को अपनाया. बाहर की दुनिया के माध्यम से, हम किसी भी गंगाधर की तुलना में अन्य वंशज नहीं मिल कुलनाम नेहरू. एम.के. द्वारा "भारतीय आजादी के युद्ध के विश्वकोश" (ISBN :81-261-3745-9) के 13 वें मात्रा सिंह अलंकृत राज्यों. भारत सरकार इस तथ्य को छुपा रहा है.शहर कोतवाल पुलिस आज के आयुक्त की तरह एक महत्वपूर्ण पद था. यह मुगल रिकॉर्ड से प्रतीत होता है कि वहाँ कोई हिंदू कोतवाल नियुक्त किया गया था. यह एक हिंदू के लिए बहुत संभावना नहीं है कि पद के लिए काम पर रखा जाना था. विदेशी पुरखे की अनिवार्य टोरंटो या सिडनी में केवल मुसलमान इस तरह के महत्वपूर्ण पदों के लिए काम पर रखा गया.
जवाहरलाल नेहरू की दूसरी बहन कृष्णा Hutheesing भी अपने संस्मरण में कहा गया है कि उसके दादा दिल्ली शहर कोतवाल 1857 के विद्रोह से पहले था जब बहादुर शाह जफर को अभी भी दिल्ली के सुल्तान था. जवाहर लाल नेहरू ने अपनी आत्मकथा में कहा है, कि वह अपने दादा जो उसे एक मुगल ठाकुर की तरह में चित्रित की एक तस्वीर देखी है. यह है कि चित्र में दिखाई देता है कि वह लंबी और बहुत मोटी दाढ़ी कर रहा था, एक मुस्लिम टोपी पहने हुए किया गया था और उसके हाथ में दो तलवारें. जवाहरलाल नेहरू ने अपनी आत्मकथा है कि दिल्ली से आगरा (मुगल प्रभाव का एक सीट) के लिए अपने रास्ते पर, अपने भव्य पिता के परिवार के सदस्यों को अंग्रेजों द्वारा हिरासत में लिया गया राज्यों में है. निरोध के लिए कारण उनके मुग़ल सुविधाओं था. लेकिन वे वकालत की कि वे कश्मीरी पंडित थे और इस तरह दूर हो गया. 19 वीं सदी के उर्दू साहित्य, विशेष रूप से ख्वाजा हसन निज़ामी का काम करता, miseries कि मुगलों और मुसलमान का सामना करना पड़ता है तो पूरा कर रहे हैं. उन्होंने यह भी वर्णन कैसे मुगलों अन्य शहरों के लिए बच गए उनके जीवन को बचाने. सभी संभावना में, जवाहर नेहरू मुग़ल दादा और अपने परिवार के उन के बीच में थे.
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जवाहर लाल नेहरू एक व्यक्ति है कि भारत प्यार करते थे. वह निस्संदेह एक बहुत ही ध्वनि राजनीतिज्ञ और एक प्रतिभाशाली व्यक्ति था. लेकिन, भारत सरकार अपने जन्म इलाहाबाद में जगह 77 Mirganj में जवाहरलाल नेहरू के एक स्मारक का निर्माण नहीं किया है, क्योंकि यह एक वेश्यालय है. पूरे इलाके में एक अच्छी तरह से जाना जाता है लंबे समय के बाद से लाल बत्ती क्षेत्र है. यह हाल ही में एक वेश्यालय नहीं बन गया है, लेकिन यह जवाहरलाल नेहरू के जन्म से पहले भी एक वेश्यालय किया गया है. एक ही घर के एक हिस्से को अपने पिता मोतीलाल नेहरू ने लाली जान नाम एक वेश्या के लिए बेच दिया गया था और यह करने के लिए रूप में "Imambada" में जाना जाने लगा. यदि आप कुछ संदेह है, तो आप जगह की यात्रा कर सकते हैं. कई भरोसेमंद स्रोतों और भी encyclopedia.com और विकिपीडिया यह कहना है. मोतीलाल नेहरू अपने परिवार के साथ बाद में आनंद भवन में स्थानांतरित कर दिया गया. याद रखें कि आनंद भवन जवाहरलाल नेहरू के पैतृक घर और अपने जन्म स्थान नहीं है.
भारतीय सिविल सेवा की एमओ मथाई प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के निजी सचिव के रूप में सेवा की. मथाई एक पुस्तक "नेहरू आयु के संस्मरण" (ISBN-13: 9780706906219) पुस्तक में लिखा है मथाई से पता चलता है कि वहाँ जवाहरलाल नेहरू और एडविना माउंटबेटन (भारत के लिए अंतिम वायसराय की पत्नी लुईस माउंटबेटन) के बीच गहन प्रेम प्रसंग था. रोमांस इंदिरा गांधी, जो उसके पिता को राजी करने के लिए उनके रिश्ते के बारे में थोड़ा सावधानी बरतनी में मौलाना अबुल कलाम आजाद की मदद की तलाश करने के लिए इस्तेमाल किया के लिए बहुत शर्मिंदगी का एक स्रोत था.
इसके अलावा नेहरू सरोजिनी नायडू की बेटी पद्मजा नायडू, जिसे नेहरू ने बंगाल के राज्यपाल के रूप में नियुक्त किया गया के साथ प्रेम प्रसंग था. यह पता चला है कि वह अपने बिस्तर कमरे में उसके चित्र रखने के लिए, जो इंदिरा अक्सर को दूर करेगा. यह पिता और बेटी के बीच कुछ तनाव के कारण होता है.
इन महिलाओं के अलावा, पंडित नेहरू श्रद्धा माता का नाम बनारस से एक संन्यासिन के साथ चक्कर चल रहा था. वह एक आकर्षक संस्कृत अच्छी तरह से प्राचीन भारतीय शास्त्रों और पुराणों में निपुण विद्वान था. जब वह उनके अवैध संबंध की कल्पना की है, 1949 में बंगलौर में एक कॉन्वेंट में, वह जोर देकर कहा है कि नेहरू ने उनसे शादी करनी चाहिए. लेकिन, नेहरू कि मना कर दिया है, क्योंकि यह उनके राजनीतिक कैरियर को प्रभावित कर सकता है. एक बेटा पैदा हुआ था और वह एक ईसाई मिशनरी बोर्डिंग स्कूल में रखा गया था. उनके जन्म की तिथि को 30 किया जा सकता है, 1949 के लिए अनुमान है. वह अपने प्रारंभिक साठ के दशक में अब हो सकता है. ऐसे मामलों में convents बच्चे के अपमान को रोकने की गोपनीयता बनाए रखने के लिए. हालांकि मथाई बच्चे के अस्तित्व की पुष्टि की, कोई प्रयास कभी उसे पता लगाने के लिए बनाया गया है. वह एक कैथोलिक ईसाई blissfully उसका पिता कौन था अज्ञानी के रूप में बड़े हो गए चाहिए.
Sraddha माता
नेताजी सुभाष चंद्र बोस और डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी भारत के प्रधानमंत्री के पद के लिए जवाहर लाल नेहरू के प्रतियोगियों थे और उन दोनों को रहस्यमय परिस्थितियों में मृत्यु हो गई.
इन सभी तथ्यों को जानने का, नेहरू का जन्मदिन बाल दिवस के रूप में मना करने का कोई अर्थ है? उसे अपने बच्चों के लिए एक अलग व्यक्ति के रूप में पेश करने और सच छुपा है, उन्हें करने के लिए शिक्षा से इनकार करने के लिए बराबर है.
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किताब "महान डिवाइड: मुस्लिम अलगाववाद और विभाजन" के अनुसार (ISBN-13: 9788121205917) अनुसूचित जाति भट्ट जवाहरलाल नेहरू की बहन विजया लक्ष्मी उसके पिता कर्मचारी Syud हुसैन के साथ भाग गई. तब मोतीलाल नेहरू जबरदस्ती उसे वापस ले लिया और उसे एक और रंजीत पंडित नाम के एक आदमी के साथ शादी कर ली.
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इंदिरा प्रियदर्शिनी नेहरू राजवंश में अनैतिकता perpetuated. बौद्धिक इंदिरा ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में भर्ती कराया गया था, लेकिन वहाँ से बाहर गैर - प्रदर्शन के लिए प्रेरित किया गया. वह तो शांतिनिकेतन विश्वविद्यालय में भर्ती कराया गया था, लेकिन गुरु देव रवीन्द्रनाथ टैगोर उसे बुरा आचरण के लिए पीछा किया.
बाद शान्तिनिकेतन के बाहर संचालित, इंदिरा अकेला हो गया है के रूप में पिता और राजनीति के साथ व्यस्त था और माँ तपेदिक के स्विट्जरलैंड में मर गया था. उसे अकेलापन, फिरोज खान, नवाब खान नाम पंसारी जो इलाहाबाद में मोतीलाल नेहरू घरेलू वाइन आदि की आपूर्ति के बेटे के साथ बजाना उसके करीब आकर्षित करने में सक्षम था. महाराष्ट्र के तत्कालीन राज्यपाल डा. श्रीप्रकाश नेहरू ने चेतावनी दी है, कि इंदिरा फिरोज खान के साथ अवैध संबंध हो रही थी. फिरोज खान इंग्लैंड में तो था और वह काफी इंदिरा के लिए सहानुभूति थी. जल्द ही वह अपने धर्म बदल पर्याप्त, एक मुस्लिम महिला बन गया है और लंदन के एक मस्जिद में फिरोज खान से शादी कर ली. इंदिरा प्रियदर्शिनी नेहरू Maimuna बेगम के लिए उसका नाम बदल दिया है. उसकी माँ कमला नेहरू कि शादी के खिलाफ पूरी तरह से था. नेहरू मुस्लिम के लिए रूपांतरण के रूप में प्रधानमंत्री बनने की उसकी संभावना को ख़तरे में डालना होगा खुश नहीं था.

तो, नेहरू युवा आदमी फिरोज खान से पूछा खान से गांधी के लिए अपने उपनाम बदल. यह इस्लाम से हिंदू धर्म के लिए धर्म परिवर्तन के साथ कुछ नहीं करना था. यह सिर्फ एक हलफनामा द्वारा नाम की एक परिवर्तन का एक मामला था. और इसलिए फिरोज खान फिरोज गांधी बन गया है, हालांकि यह बिस्मिल्लाह सरमा की तरह एक असंगत नाम है. दोनों अपने नाम करने के लिए भारत की जनता मूर्ख बदल दिया है. जब वे भारत लौटे, एक नकली वैदिक शादी जनता के उपभोग के लिए स्थापित किया गया था. इस प्रकार, इंदिरा और उसके वंश काल्पनिक नाम गांधी मिला. नेहरू और गांधी दोनों फैंसी नाम हैं. इस वंश के रूप में एक गिरगिट अपने रंग बदलता है, अपने नाम बदल गया है अपनी असली पहचान छिपाने के.
इंदिरा गांधी के दो बेटों अर्थात् राजीव गांधी और संजय गांधी था. संजय मूल संजीव कि राजीव अपने बड़े भाई के नाम के साथ तुकांतवाला के रूप में नामित किया गया था. संजीव ब्रिटेन और उसका पासपोर्ट जब्त कर लिया गया था में एक कार चोरी के लिए ब्रिटिश पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया गया था. इंदिरा गांधी की दिशा में तत्कालीन भारतीय राजदूत ब्रिटेन, कृष्ण मेनन अपनी शक्ति का दुरूपयोग, संजय के लिए उसका नाम बदल दिया और एक नया पासपोर्ट की खरीद. इस प्रकार संजीव गांधी संजय गांधी के रूप में जाना जाने लगा.
यह एक ज्ञात तथ्य है कि राजीव गांधी की जन्म के बाद, इंदिरा गांधी और फिरोज गांधी अलग रहते थे, लेकिन वे नहीं तलाक ले रहे थे. पुस्तक के.एन. राव राज्यों द्वारा "नेहरू राजवंश" (10:8186092005 ISBN) है कि इंदिरा (या श्रीमती फिरोज खान) के दूसरे बेटे संजय गांधी के रूप में जाना जाता फिरोज गांधी के पुत्र नहीं था. वह एक और मुस्लिम मोहम्मद यूनुस नाम सज्जन का बेटा था.
दिलचस्प सिख लड़की मेनका के साथ संजय गांधी की शादी नई दिल्ली में मोहम्मद यूनुस के घर में जगह ले ली. जाहिरा तौर पर यूनुस शादी से नाखुश था के रूप में वह अपनी पसंद की एक मुस्लिम लड़की के साथ उसकी शादी करना चाहता था. यह मोहम्मद यूनुस, जो सबसे अधिक रोया जब संजय गांधी की विमान दुर्घटना में निधन हो गया था. 'यूनुस पुस्तक में, "व्यक्तियों, जुनून और राजनीति" (ISBN-10: 0706910176) एक खोज कर सकते हैं कि बच्चे संजय खतना निम्नलिखित इस्लामी कस्टम था.
यह एक तथ्य है कि संजय गांधी को लगातार उनकी मां इंदिरा गांधी का रहस्य उसका असली पिता कौन है के साथ, ब्लैकमेल के लिए इस्तेमाल किया है. संजय उसकी माँ पर एक गहरा भावनात्मक नियंत्रण का प्रयोग किया, जो वह अक्सर दुरुपयोग. इंदिरा गांधी अपने कुकर्मों की अनदेखी करने के लिए चुना है और वह परोक्ष रूप से सरकार नियंत्रित किया गया था.
जब संजय गांधी की मृत्यु की खबर इंदिरा गांधी पर पहुंच गया, उसे पहला सवाल था? "उसकी कुंजी और उसकी कलाई घड़ी कहाँ हैं." नेहरू - गांधी वंश के बारे में कुछ गहरे रहस्य उन objects.The विमान दुर्घटना में छिपा हो लगता है भी रहस्यमय था. यह एक नया है कि एक दुर्घटना के लिए ग़ोता मारना और अभी तक विमान के प्रभाव पर विस्फोट नहीं था विमान था. यह तब होता है जब कोई ईंधन है. लेकिन उड़ान रजिस्टर से पता चलता है कि ईंधन टैंक बंद करने से पहले पूरा किया गया था. इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री कार्यालय के अनुचित प्रभाव का उपयोग कर जगह ले जाने से किसी भी जांच के निषिद्ध. तो, जो संदिग्ध है?
इंदिरा और संजय गांधी
पुस्तक (ISBN: 9780007259304) इंदिरा नेहरू गांधी के जीवन "कैथरीन फ्रैंक ने इंदिरा गांधी के अन्य प्रेम संबंधों के कुछ पर प्रकाश डालता है. यह लिखा है कि इंदिरा पहला प्यार शान्तिनिकेतन में उसे जर्मन शिक्षक के साथ हुई थी. बाद में वह एमओ मथाई (पिता के सचिव), तो धीरेंद्र ब्रह्मचारी (उसे योग शिक्षक) और दिनेश सिंह (विदेश मंत्री) के साथ पिछले चक्कर था.
पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह मुगलों के इंदिरा गांधी की आत्मीयता के बारे में एक दिलचस्प रहस्योद्घाटन किया अपनी पुस्तक "प्रोफाइल और पत्र" (ISBN: 8129102358). यह कहा गया है कि 1968 में इंदिरा गांधी ने भारत के प्रधानमंत्री के रूप में अफगानिस्तान के लिए एक सरकारी यात्रा पर चला गया. नटवर गाओ उसे कर्तव्य में एक आईएफएस अधिकारी के रूप में साथ थे. दिन भर सगाई पूरा होने के बाद, इंदिरा गांधी शाम में एक सवारी के लिए बाहर जाना चाहता था. कार में एक लंबी दूरी जाने के बाद इंदिरा गांधी बाबर दफन जगह यात्रा करना चाहता था, हालांकि इस कार्यक्रम में शामिल नहीं था. अफगान सुरक्षा अधिकारियों के लिए उसे न करने के लिए समझाना की कोशिश की, लेकिन वह अड़े हुए थे. अंत में वह उस दफन जगह पर चला गया. यह एक सुनसान जगह थी. वह बाबर की कब्र से पहले चला गया, सिर श्रद्धा में नीचे तुला के साथ कुछ मिनट के लिए वहाँ खड़ा था. नटवर सिंह उसके पीछे खड़ा था. जब इंदिरा ने उसकी प्रार्थना को समाप्त हो गया था, वह वापस कर दिया और "आज हम इतिहास के साथ हमारे ब्रश पड़ा है," सिंह ने बताया वॉर्थ करने का उल्लेख है कि बाबर भारत में मुगल शासन, जिसमें से नेहरू - गांधी वंश के वंशज है के संस्थापक था.
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यह मुश्किल है कि कई उच्च शिक्षा के संस्थानों कैसे गिनती राजीव गांधी के नाम पर कर रहे हैं, लेकिन राजीव गांधी कम क्षमता के एक व्यक्ति था. 1962 से 1965 तक, वह ट्रिनिटी कॉलेज, कैम्ब्रिज में एक यांत्रिक अभियांत्रिकी पाठ्यक्रम के लिए दाखिला लिया था. लेकिन, वह एक डिग्री के बिना कैम्ब्रिज के लिए छोड़ दिया है, क्योंकि वह परीक्षा पारित नहीं कर सका. अगले साल 1966 में, वह एक डिग्री के बिना इंपीरियल कॉलेज, लंदन, लेकिन यह फिर से छोड़ दिया में शामिल हो गए.
इसके बाद के संस्करण में के.एन. राव ने कहा कि पुस्तक का आरोप है कि राजीव गांधी एक कैथोलिक बने सानिया माइनो शादी. राजीव रॉबर्टो बन गया. उनके बेटे का नाम राउल और बेटी का नाम Bianca है. बहुत बड़ी चतुराई से एक ही नाम राहुल और प्रियंका के रूप में भारत के लोगों के लिए प्रस्तुत कर रहे हैं.
व्यक्तिगत आचरण में राजीव बहुत बहुत एक मुगल था. 15 अगस्त 1988 को वह लाल किले की प्राचीर से गरजा, "हमारा प्रयास हाइट्स करने के लिए जो इसे 250-300 साल पहले के बारे में संबंधित देश लेने के लिए होना चाहिए. यह तो औरंगजेब के शासनकाल 'jeziya गुरु और नंबर एक मंदिर विध्वंसक था. "
भारत के प्रधानमंत्री के रूप में पदभार संभालने के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि राजीव गांधी ने लंदन में दिया बहुत जानकारीपूर्ण था. इस पत्रकार सम्मेलन में राजीव दावा है कि वह एक हिंदू लेकिन एक पारसी नहीं है. फिरोज खान के पिता और राजीव गांधी के दादा गुजरात के जूनागढ़ क्षेत्र से एक मुस्लिम सज्जन था. नवाब खान के नाम से यह मुस्लिम पंसारी उसे इस्लाम के लिए परिवर्तित करने के बाद एक पारसी महिला से विवाह रचाया था. यह स्रोत है जहां राजीव एक पारसी होने के मिथक से प्राप्त किया गया है. मन है कि वह कोई पारसी पूर्वज सब पर था. उनकी दादी नवाब खान शादी पारसी धर्म परित्यक्त होने के बाद मुस्लिम दिया था. हैरानी की बात है, पारसी राजीव गांधी वैदिक संस्कार के अनुसार भारतीय जनता के पूर्ण दृश्य में अंतिम संस्कार किया गया.
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डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी लिखते हैं कि सोनिया गांधी के नाम Antonia Maino था. उसके पिता एक मेसन था. उन्होंने इटली के कुख्यात फासीवादी शासन के एक कार्यकर्ता था और वह रूस में पांच साल की कैद की सेवा की. सोनिया गांधी उच्च विद्यालय से परे नहीं अध्ययन किया है. वह एक अंग्रेजी शिक्षण Lennox कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय परिसर में स्कूल का नाम की दुकान से कुछ अंग्रेजी सीखा. इस तथ्य से वह प्रतिष्ठित कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में अध्ययन का दावा है. कुछ अंग्रेजी सीखने के बाद, वह कैम्ब्रिज शहर में एक रेस्तरां में एक वेट्रेस था.
सोनिया गांधी ब्रिटेन में माधवराव सिंधिया, जो उसकी शादी के बाद भी जारी रखा के साथ तीव्र दोस्ती थी. 2 में एक रात 1982 में माधवराव सिंधिया और सोनिया गांधी के साथ अकेले पकड़े गए थे जब उनकी कार आईआईटी दिल्ली के मुख्य द्वार के पास एक दुर्घटना से मुलाकात की.
जब इंदिरा गांधी और राजीव गांधी प्रधानमंत्री मंत्री थे, प्रधानमंत्री की सुरक्षा के लिए नई दिल्ली और चेन्नई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों के लिए जाना मंदिर मूर्तियां, प्राचीन वस्तुओं की तरह भारतीय खजाने के बक्से भेजने के लिए इस्तेमाल किया, पेंटिंग करने के लिए रोम आदि. मुख्यमंत्री के रूप में अर्जुन सिंह और संस्कृति के आरोप में केंद्रीय मंत्री लूट का आयोजन किया के रूप में बाद में. सीमा शुल्क विभाग द्वारा अनियंत्रित, वे इटली में पहुंचा दिया गया दो Etnica और गणपति, सोनिया गांधी की बहन Alessandra माइनो विंची द्वारा स्वामित्व नाम की दुकानों में बेचा जा.
इंदिरा गांधी, क्योंकि उसके दिल या मस्तिष्क गोलियों से छेदा गया, नहीं मृत्यु हो गई, लेकिन वह रक्त की हानि की मृत्यु हो गई. बाद इंदिरा गांधी पर निकाल दिया गया था, सोनिया गांधी अजीब जोर देकर कहा है कि खून बह रहा इंदिरा गांधी डा. राम मनोहर लोहिया अस्पताल ले जाया जा चाहिए एम्स जो करने के लिए ठीक से इस तरह की घटनाओं के साथ निपटने के लिए एक आपात प्रोटोकॉल था के विपरीत दिशा में है. डा. राम मनोहर लोहिया अस्पताल में पहुंचने के बाद, सोनिया गांधी ने उसके मन और मांग है कि इंदिरा गांधी ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान से लिया जाना चाहिए बदल गया है, इस प्रकार 24 बहुमूल्य मिनट बर्बाद. यह संदिग्ध है कि यह सोनिया गांधी की अपरिपक्वता या एक चाल के लिए तेजी से सत्ता में उसके पति लाने था.

राजेश पायलट और माधव राव सिंधिया के प्रधान मंत्री पद के लिए मजबूत दावेदार थे और वे सोनिया गांधी की सत्ता में रास्ते में सड़क ब्लॉक थे. उन दोनों रहस्यमय दुर्घटनाओं में मृत्यु हो गई.
प्रथम दृष्टया संभावना है कि माइनो परिवार लिट्टे अनुबंधित किया है राजीव गांधी की हत्या की ओर इशारा करते हुए परिस्थितिजन्य सबूत हैं. आजकल, सोनिया गांधी एमडीएमके, पीएमके और द्रमुक जैसे उन जो राजीव गांधी के हत्यारों की प्रशंसा के साथ राजनीतिक गठबंधन होने में काफी अडिग है. कोई भारतीय विधवा कभी करना होगा. ऐसे हालात कई हैं, और एक संदेह बढ़ा. राजीव गांधी की हत्या में सोनिया की भागीदारी में एक जांच आवश्यक है. (ISBN 81-220-0591-8) - आप डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी की पुस्तक "आशातीत प्रश्न और अनुत्तरित प्रश्न राजीव गांधी की हत्या" पढ़ सकते हैं. यह ऐसी साजिश के संकेत हैं.
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1992 में, सोनिया गांधी इतालवी नागरिकता कानून के अनुच्छेद 17 के तहत इटली की उसकी नागरिकता को पुनर्जीवित किया. इतालवी कानून के तहत, राहुल और प्रियंका इतालवी नागरिक हैं क्योंकि सोनिया ने एक इतालवी नागरिक था जब वह उन्हें को जन्म दिया. राहुल गांधी इतालवी उसकी हिंदी से बेहतर है. राहुल गांधी एक इतालवी नागरिक तथ्य यह है कि 27 सितंबर, 2001 को वह बोस्टन हवाई अड्डे, संयुक्त राज्य अमेरिका में एफबीआई द्वारा एक इतालवी पासपोर्ट पर यात्रा करने के लिए गिरफ्तार कर लिया गया था से प्रासंगिक है. अगर भारत में एक कानून बनाया गया है कि कि राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के जैसे महत्वपूर्ण पदों पर विदेशी मूल के एक व्यक्ति द्वारा नहीं ठहराया जाना चाहिए, तो राहुल गांधी स्वचालित रूप से प्रधानमंत्री पद के लिए संघर्ष करने के लिए disqualifies.
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स्कूल शिक्षा खत्म करने के बाद, राहुल गांधी नई दिल्ली में सेंट स्टीफंस कॉलेज में दाखिला मिल गया, योग्यता के आधार पर नहीं, लेकिन राइफल शूटिंग के खेल कोटे पर. 1989-90 में एक संक्षिप्त रहने के बाद वह 1994 में रोलिंस कालेज, फ्लोरिडा से बी.ए. किया. बस एक बीए करने के लिए अमेरिका के लिए जाने की जरूरत नहीं है. अगले ही साल 1995 में उन्होंने एम. फिल मिला. ट्रिनिटी कॉलेज, कैम्ब्रिज से डिग्री. इस डिग्री की असलियत के रूप में वह एम. फिल किया है पूछताछ की है. एमए कर के बिना. Amaratya सेन की मदद के लिए हाथ के पीछे माना जाता है. आप में से कई मशहूर फिल्म "मुन्नाभाई एमबीबीएस" देखा हो सकता है.
2008 में राहुल गांधी को कानपुर में चन्द्र शेखर आजाद विश्वविद्यालय के छात्रों की रैली के लिए एक सभागार का उपयोग करने से रोका गया था. बाद में, विश्वविद्यालय के कुलपति वी.के., सूरी, उत्तर प्रदेश के राज्यपाल द्वारा अपदस्थ किया गया था. 26/11 के दौरान जब पूरे देश कैसे मुंबई आतंक से निपटने के बारे में परेशान था, राहुल गांधी lavishly 05:00 तक अपने दोस्तों के साथ जश्न मना. राहुल गांधी ने सभी कांग्रेस सदस्यों के लिए तपस्या की सलाह है. वे कहते हैं, यह सभी नेताओं का कर्तव्य है तपस्या. दूसरी ओर वह एक पूरी तरह से सुसज्जित जिम के साथ एक मंत्री बंगला है. वह कम से कम दिल्ली के poshest जिम के दो, जिनमें से एक 5 - सितारा दर्जा दिया है की एक नियमित सदस्य है. राहुल गांधी चेन्नई यात्रा 2009 में तपस्या के लिए अभियान के लिए पार्टी के 1 करोड़ रुपये से अधिक लागत. इस तरह की विसंगतियों दिखाने के लिए है कि राहुल गांधी द्वारा की गई पहलों उसका अपना नहीं कर रहे हैं, लेकिन उनकी पार्टी केवल पुरुषों की कसरत.
2007 उत्तर प्रदेश में चुनाव अभियान के दौरान राहुल गांधी ने कहा है कि "अगर नेहरू - गांधी परिवार से किसी को तो राजनीति में सक्रिय किया गया था, बाबरी मस्जिद गिर गया है नहीं होगा." यह doubtlessly अपने पूर्वजों के लिए एक वफादारी के रूप में अपने मुसलमान संबद्धता से पता चलता है. 31 दिसंबर, 2004 को, जॉन एम. Itty, केरल के अलाप्पुझा जिले में एक सेवानिवृत्त कॉलेज के प्रोफेसर का तर्क था कि केरल में एक रिसोर्ट में तीन दिनों के लिए एक साथ रहने के लिए राहुल गांधी और उसकी प्रेमिका Juvenitta उर्फ वेरोनिका के खिलाफ कार्रवाई लिया जाना चाहिए. यह अनैतिक तस्करी अधिनियम के तहत एक अपराध है के रूप में वे शादी नहीं कर रहे. वैसे भी, एक अधिक विदेशी बहू सहिष्णु भारतीयों शासन इंतज़ार कर रही है.
राहुल गांधी withVeronica
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स्विस पत्रिका Schweizer Illustrierte 11 वीं नवंबर 1991 मुद्दे से पता चला है कि राहुल गांधी ने अमेरिका के 2 अरब डॉलर के लायक खातों के लाभार्थी उनकी मां सोनिया गांधी द्वारा नियंत्रित किया गया था. 2006 में स्विस बैंकिंग एसोसिएशन से एक रिपोर्ट से पता चला है कि भारतीय नागरिकों की संयुक्त जमा के रूप में अभी तक किसी भी अन्य देश, अमेरिका 1.4 खरब डॉलर का एक कुल, एक भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) से अधिक आंकड़ा से अधिक कर रहे हैं. इस राजवंश भारत के आधे से अधिक नियम. केंद्र की उपेक्षा, 28 राज्यों और 7 संघ शासित प्रदेशों के बाहर, उनमें से आधे से अधिक समय के किसी भी बिंदु पर कांग्रेस सरकार है. राजीव गांधी तक भारत में मुगल शासन के साथ सोनिया गांधी, भारत पर रोम शासन शुरू कर दिया था.
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इस लेख को लिखने के पीछे उद्देश्य के लिए अपने राष्ट्रीय नेताओं के साथ भारत के नागरिकों परिचित और दिखाने के लिए कैसे एक राजवंश इस देश के लोकतंत्र का दुरुपयोग किया है. कई प्रतिष्ठित राष्ट्रीय संपत्ति और योजनाओं इन खो चरित्र लोगों के नाम हैं उन्हें अमर. सबूत के समर्थन की कमी की वजह से इस लेख में कई अन्य चौंकाने वाला तथ्य नहीं प्रस्तुत कर रहे हैं.
वंदे मातरम्.
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अन्य अर्क से स्रोतों
आरोप है कि 3 दिसंबर 2006 की रात में, उसकी परदेशी मित्रों गिरोह के साथ राहुल गांधी अमेठी में एक वीआईपी गेस्ट हाउस में तो बीस चार साल पुराने सुकन्या देवी के साथ बलात्कार किया. वह 23-12 मेडिकल गला दबा के बलराम सिंह और सुमित्रा देवी, संजय गांधी मार्ग, अमेठी, रायबरेली, उत्तर प्रदेश की बेटी है. पुलिस शिकायत दर्ज करने से इनकार कर दिया, डॉ. गिरिजा व्यास की अध्यक्षता में महिलाओं के लिए राष्ट्रीय आयोग ने एक कांग्रेस पार्टी कार्यालय के रूप में काम किया. शिकार और उसके परिवार तब से लापता है.
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मोतीलाल और शादी अपनी पहली पत्नी और बेटे को प्रसव में निधन हो गया.
मोतीलाल और उनकी दूसरी पत्नी THUSSU (नाम स्वरूप रानी बदल) तीन बच्चों की थी
THUSSU MOBARAK अली (मोतीलाल बॉस) के साथ 1 पुत्र जवाहर लाल नेहरू (वह खतना किया गया था)
मोतीलाल THUSSU नाम (भी बुलाया विजया लक्ष्मी) नेन और कृष्णा द्वारा दो बेटियां थी
मोतीलाल नाम शेख अब्दुल्ला और SYUD हुसैन द्वारा मुस्लिम महिलाओं के बाहर भी दो कमीने बेटे थे
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विजया लक्ष्मी SYUD हुसैन (आधा भाई और बहन) के साथ भागकर एक लड़की चंद्रलेखा था
विजयलक्ष्मी शादी आर.एस. पंडित और दो अधिक नयनतारा और रीता लड़कियों था
जवाहर लाल नेहरू विवाहित कमला कौल (consummated कभी नहीं शादी)
जवाहर लाल SARADDHA माता (कल्पित नाम) के साथ चक्कर चल रहा था और एक बेटे को एक अनाथालय को दूर बंगलौर में दिया था
जवाहर लाल लेडी माउण्टबेटन के साथ एक चक्कर है, लेकिन बच्चों को नहीं थी
जवाहर लाल कई मामलों था और अंत में गरमी की मृत्यु हो गई
कमला कौल MANZUR अली (जो Mobark अली के बेटे जो नेहरू भी जन्मा है) और उनकी बेटी के साथ एक चक्कर था इंदिरा PRIYADARSINI नेहरू
कमला कौल फिरोज खान (नवाब खान जो उनके घर शराब की आपूर्ति के बेटे), लेकिन कोई बच्चों के साथ चक्कर चल रहा था
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इंदिरा बिस्तर में उसे जर्मन शिक्षक के साथ शान्तिनिकेतन में पाया गया था
इंदिरा PRIYADARSINI खुद को इस्लाम के लिए परिवर्तित करने के बाद इस्लामी संस्कार फिरोज खान के अनुसार nikhahed. उसकी नई नाम MAIMUNA बेगम था और दोनों उनके नाम बदल गांधी की सलाह पर भारत की एक अदालत में एक शपथ पत्र के द्वारा जनता के लिए इंदिरा गांधी और फिरोज गांधी मूर्ख था
इंदिरा और फिरोज नाम राजीव गांधी (के रूप में इस्लामी संस्कार प्रति वह खतना किया गया था) द्वारा एक बेटा था
इंदिरा मोहम्मद यूनुस के साथ एक चक्कर था और एक दूसरे बेटे संजीव गांधी था (बाद में संजय गांधी को बदल कार चोरी के लिए ब्रिटेन में अभियोजन पक्ष से बचने के लिए एक नाम वह इस्लामी संस्कार के अनुसार खतना किया गया था.)
इंदिरा प्रसूतिविज्ञान निष्णात साथ एक चक्कर था मथाई (नेहरू स्टेनो) और एक बेटा निरस्त किया गया था
इंदिरा धीरेन्द्र BRAMMACHARI के साथ एक चक्कर है, लेकिन बच्चों को नहीं थी
इंदिरा DHINESH सिंह के साथ एक चक्कर है, लेकिन बच्चों को नहीं थी
फिरोज TARAKESWARI सिन्हा के साथ चक्कर चल रहा था
फिरोज MEHMUNA सुल्ताना के साथ एक चक्कर था
फिरोज सुभद्रा जोशी और कई अन्य लोगों के साथ एक चक्कर था.