Wednesday 28 November 2018

GOOD NEWS

प्रयागराज के कुंभ मेले को संयुक्तराष्ट्र संघ ने दिया विश्वधरोहर का दर्जा
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2 साल पहले तक विश्व के सौर ऊर्जा उत्पादन देशो में भारत की गिनती दूर-दूर तक नही होती थी । अब भारत की गिनती 6ठे देश के रूप में हो गई । ये है सौर ऊर्जा के चैंपियन देशो की सूची। टाप पर जर्मनी का नम्बर है।

बताते चले की भारत सौर ऊर्जा के मामले में बेहद अच्छा प्रदर्शन कर रहा है. देश अब टॉप-10 सोलर एनर्जी उत्पादकों में शामिल हो चुका है. देखिए किसका कितना सालाना उत्पादन है. शीघ्र ही अमेरिका को पछाड़ 5 वे स्थान पर आ जायेगा.
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अभिनव प्रयोग,नवीकरण ऊर्जा
भारत के लिए 150 MW की क्षमता वाला तैरता हुआ सोलर प्लांट मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश की सीमा पर स्थित रिहन्द डैम पर Shapoorji Pallonji Group (SPG) द्वारा स्थापित किया जा रहा है. इसमे उत्पादित ग्रीन ऊर्जा की बिजली ₹3.32/ किलोवाट पर राज्य सरकारें लेंगी.,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

मोदीराज में समृद्ध हो रहा इंडिया: विश्व में सबसे तेजी से विकास करने वाले टॉप 10 शहरों में सभी भारत के...
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश का रुतबा लगातार बढ़ रहा है और भारत एक विश्व शक्ति बनकर उभर रहा है। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत ने एक और उपलब्धि हासिल की है। अब आर्थिक विकास के मामले में विश्व के शीर्ष 10 शहरों की बात आने पर भारत अगले दो दशकों तक हावी रहने वाला है। ऑक्सफोर्ड इकोनॉमिक्स की ताजा रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में सबसे तेजी से विकास करने वाले शीर्ष दस शहरों में सभी शहर भारत के हैं। ऑक्सफोर्ड के वैश्विक शहरों के शोध के प्रमुख रिचर्ड होल्ट के मुताबिक गुजरात की हीरा नगरी और व्यापार केंद्र सूरत में 2035 तक 9 प्रतिशत से अधिक की औसत के साथ सबसे तेजी से विस्तार देखेने को मिलेगा। शीर्ष के 10 शहरों में- सूरत, आगरा, बेंगलुरु, हैदराबाद, नागपुर, तिरुपुर, राजकोट, तिरुचिरापल्ली चेन्नई और विजयवाड़ा शामिल है।
ब्लूमबर्ग की खबर के अनुसार हालांकि सूची में शामिल कई भारतीय शहरों का इकोनॉमिक आउटपुट दुनिया के बड़े मेट्रोपॉलिटन शहरों से कम रहेगा, लेकिन एशिया के सभी शहरों का कुल जीडीपी 2027 तक उत्तरी अमेरिका और यूरोप के प्रमुख शहरों से कई गुना आगे निकल जाएगा। 2035 तक यह उत्तर अमेरिका और यूरोप महाद्वीपों से 17 प्रतिशत अधिक हो जाएगा। इसमें सबसे ज्यादा योगदान चीनी शहरों का होगा।
यह कोई पहली बार नहीं है, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत इस तरह के कई मुकाम हासिल कर चुका है। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में देश ना सिर्फ पूरी रफ्तार बल्कि सही दिशा में आगे बढ़ रहा है। नजर डालते हैं पिछले चार वर्षों में भारत की कुछ अहम उपलब्धियों पर-
एशिया पैसिफिक में सबसे तेज प्रगति करने वाला देश बना भारत
एशिया प्रशांत देशों में भारत सबसे तेजी से तरक्की करने वाला देश बन गया है। अंतरराष्ट्रीय थिंक-टैंक लेगाटम इंस्टीट्यूट के 12वें सालाना वैश्विक समृद्धि सूचकांक में भारत 19 पायदान की लंबी छलांग लगाते हुए 94 स्थान पर पहुंच गया है। दुनिया सबसे समृद्ध देश की पहचान के लिए सौ से ज्यादा मानदंडों पर सभी देशों के परखा गया था। 2013 में भारत इस सूची में 113वें नंबर था और पांच वर्षों के दौरान भारत अभूतपूर्व प्रगति के साथ 94 नंबर पर पहुंच गया है।
मानव विकास सूचकांक में भारत की रैंकिंग में सुधार
संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) द्वारा हाल में जारी ताजा मानव विकास सूचकांक में भारत 189 देशों में एक स्थान ऊपर चढ़कर 130वें स्थान पर पहुंच गया है। दक्षिण एशिया में भारत का मानव विकास सूचकांक मूल्य 0.640 है। यह दक्षिण एशिया के औसत 0.638 से अधिक है। रिपोर्ट के अनुसार भारत में 1990 से 2017 के बीच सकल राष्ट्रीय प्रति व्यक्ति आय में 266.6 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। भारत की क्रय क्षमता के आधार पर प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय आय करीब 4.55 लाख रुपये पहुंच गई है। जो पिछले साल से 23,470 रुपये अधिक है। इसके साथ ही जीवन प्रत्याशा के मामले में भारत की स्थिति बेहतर हुई है। भारत में जीवन प्रत्याशा 68.8 साल है जबकि 1990 में 57.9 साल थी।
ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स में भारत की रैंकिंग में सुधार
हाल ही में दुनियाभर में इनोवेशन के मामले में भारत की रैंकिंग में 3 स्थान का सुधार हुआ है। ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स (जीआईआई) की सूची में भारत 57वें नंबर पर है, पिछले साल भारत 60वें नंबर पर था। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत की स्थिति में लगातार सुधार हुआ है। 2015 में भारत 81वें स्थान पर था। कॉर्नेल यूनिवसिटी और वर्ल्ड इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी ऑर्गनाइजेशन ने मिलकर इस इंडेक्स को तैयार किया है। जीआईआई इंडेक्स के अनुसार मध्य और दक्षिण एशिया क्षेत्र में भारत सबसे इनोवेटिव देश है।
ग्लोबल पीस इंडेक्स में 4 पायदान सुधार के साथ 137वें नंबर पर भारत
इसके साथ ही ग्लोबल पीस इंडेक्स-2017 में भारत चार पायदान ऊपर चढ़कर 137 वें स्थान पर पहुंच गया है। भारत अब 163 देशों में पिछले साल की रैंकिंग 141 की तुलना में चार पायदान सुधार के साथ 137वें नंबर पर है। ऑस्ट्रेलिया स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ इकोनॉमिक्स एंड पीस (आईईपी) की ओर से जारी सर्वे रिपोर्ट में भारत की रैंकिंग सुधरने का कारण हिंसक घटनाओं में आई कमी को बताया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में कानून-व्यवस्था सुधरी है। रिपोर्ट के अनुसार आइसलैंड दुनिया का सबसे शांतिपूर्ण देश है, जबकि सीरिया दुनिया का सबसे कम शांति वाला देश है।
भारत बना दुनिया का छठा सबसे धनी देश
भारत 8,230 अरब डॉलर की संपत्ति के साथ विश्व का छठा सबसे धनी देश है। अफ्रएशिया बैंक की वैश्विक संपत्ति पलायन समीक्षा (AfrAsia Bank Global Wealth Migration Review) रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका 62,584 अरब डॉलर की संपत्ति के साथ शीर्ष पर है। रिपोर्ट के अनुसार 2027 तक भारत, ब्रिटेन और जर्मनी को पछाड़ दुनिया का चौथा सबसे धनी देश बन जाएगा।बैंक की समीक्षा में किसी देश के हर व्यक्ति की कुल निजी संपत्ति को आधार माना गया है। 24,803 अरब डॉलर की संपत्ति के साथ चीन दूसरे और 19,522 अरब डॉलर के साथ जापान तीसरे स्थान पर है। शीर्ष 10 में शामिल अन्य देशों में ब्रिटेन की कुल संपत्ति 9,919 अरब डॉलर, जर्मनी की कुल संपत्ति 9,660 अरब डॉलर, ऑस्ट्रेलिया की कुल 6,142 अरब डॉलर, कनाडा की कुल संपत्ति 6,393 अरब डॉलर, फ्रांस की कुल संपत्ति 6,649 अरब डॉलर और इटली की कुल संपत्ति 4,276 अरब डॉलर है।
भारत में संपत्ति सृजन के कारणों में उद्यमियों की काफी संख्या, अच्छी शिक्षा प्रणाली, सूचना प्रौद्योगिकी का शानदार परिदृश्य, कारोबारी प्रक्रिया की आउटसोर्सिंग, रियल एस्टेट, हेलथकेयर और मीडिया क्षेत्र शामिल है। पिछले 10 वर्ष में इनकी संपत्ति में 200 गुना तेजी दर्ज की गयी है। रिपोर्ट के अनुसार विश्व में अभी 1.52 करोड़ ऐसे लोग हैं जिनकी संपत्ति 10 लाख डॉलर से अधिक है। एक करोड़ डॉलर से अधिक की संपत्ति वाले लोगों की संख्या 5.84 लाख और एक अरब डॉलर से अधिक की संपत्ति वाले लोगों की संख्या 2,252 है।
मार्केट कैपिटलाइजेशन में बना 8वां बड़ा बाजार बना भारत
मार्केट कैपिटलाइजेशन के हिसाब से भारत, टॉप 10 की सूची में दुनिया का 8वां बड़ा बाजार बन गया है। दरअसल भारतीय शेयर बाजार में आई जबरदस्त तेजी का दौर मार्केट कैपिटलाइजेशन की रैंकिंग में लगातार बड़े बदलाव कर रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार भारतीय शेयर बाजार ने अपने मार्केट कैपिटलाइजेशन में आई 49 % की तेजी के चलते कनाडा को पीछे छोड़कर यह स्थान बनाया है। पिछले महीने 13 दिसंबर को भारत का मार्केट कैपिटलाइजेशन कनाडा के 2.21 लाख करोड़ डॉलर के मुकाबले 2.28 लाख करोड़ डॉलर रहा। इस बढ़ोत्तरी की तीन मुख्य वजहें बताई जा रही हैं। बेंचमार्क इंडेक्स यानी सेंसेक्स का 24% बढ़ना, रुपये में डॉलर की तुलना में 12% की मजबूती और आईपीओ मार्केट की बढ़ी हुई गतिविधि। पिछले साल 82 भारतीय कंपनियों में आईपीओ के माध्यम से लगभग 71,687 करोड़ रुपये जुटाए गए।
समृद्धि के मामले में चीन के करीब पहुंचा भारत
प्रधानमंत्री मोदी की नीतियों की वजह से देश में खुशहाली आई है, और लोगों का जीवनस्तर भी सुधरा है। लंदन स्थित एक संस्थान की हाल की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत समृद्धि के मामले में चीन के नजदीक पहुंच गया है। लंदन स्थित लेगातुम इंस्टिट्यूट के लेगातुम प्रॉस्पेरिटी इंडेक्स के मुताबिक समृद्धि के लिहाज से भारत 2016 के मुकाबले 2017 में चार स्थान ऊपर पहुंचकर रैंकिंग में 100वें स्थान पर पहुंच गया है। इस सूची में चीन 90वें नंबर पर है।
मोदी सरकार दुनिया की तीन सबसे भरोसेमंद सरकारों में
हाल में प्रामाणिक विदेशी संस्थानों की ओर से ऐसे कम से कम तीन सर्वे के नतीजे सामने आए जो मोदी सरकार के आर्थिक सुधार के कार्यक्रमों पर मुहर लगाते हैं। हाल ही में विश्व आर्थिक मंच (WEF) के एक सर्वे में प्रधानमंत्री मोदी की अगुआई वाली केंद्र सरकार को दुनिया की तीसरी सबसे भरोसेमंद सरकार बताया गया है। WEF के सर्वे के अनुसार करीब तीन चौथाई भारतीयों ने मोदी सरकार में अपना भरोसा जताया। यह सर्वे अर्थव्यवस्था की स्थिति, राजनीतिक बदलाव और भ्रष्टाचार मामलों को लेकर किये गए थे। सर्वे के नतीजों में बताया गया है कि देश में भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम और टैक्स सुधारों के कारण मौजूदा सरकार में भरोसा बढ़ा है।,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
भारत ने की इंटरनेट स्पीड में ज़बरदस्त क्रांति ...//
मिल रही बड़ी खबर के मुताबिक आज भारत ने अब तक का सबसे भारी सैटेलाइट GSAT-11 को लॉन्च किया है. इस उपग्रह को दक्षिण अमेरिका के फ्रेंच गुयाना स्पेस सेंटर से फ्रांस के एरियन-5 रॉकेट कीमदद से लॉन्च किया गया.
इसरो का यह अब तक का सबसे ज्यादा वजनी सैटेलाइट है जिसका वजन 5,845 किलोग्राम है. भारतीय समयानुसार देर रात 2.07 AM और 3.23 AM के बीच इस सैटेलाइट को लॉन्च किया गया.
इसे इसरो की एक बड़ी कामयाबी माना जा रहा है. इससे भारत में इंटरनेट की गति बढ़ाने में मदद मिलेगी. कहा जा रहा है कि ये कामयाबी टेलिकॉम सेक्टर के लिए वरदान साबित हो सकता है, क्योंकि इसकी मदद से इंटरनेट की गति 14 GBPS तक हो सकती है.
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नौसेना 56 जंगी जहाज और पनडुब्बियां शामिल करने की तैयारी.
नौसेना प्रमुख एडमिरल सुनील लांबा ने प्रेस कांफ्रेंस करके बताया कि नौसेना अपनी क्षमता बढ़ाने के लिए 56 जंगी जहाजों और पनडुब्बियों को शामिल करने की योजना बना रही है और एक तीसरा विमानवाहक पोत लाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. उन्होंने देश को यकीन दिलाया कि नौसेना भारत के समुद्री इलाकों में दिन-रात निगरानी कर रही है. इससे भारत की ताकत अधिक बढ़ जाएगी और पाकिस्‍तान व चीन समुद्र के रास्‍ते भारत पर नजर डालने से पहले सोचने पर मजबूर हो जाएंगे.
एडमिरल लांबा ने अपनी सालाना प्रेस कांफ्रेंस में कहा, ‘‘नौसेना अपनी क्षमता बढ़ाने के लिए 56 जंगी जहाजों और पनडुब्बियों को शामिल करने की योजना बना रही है. यह निर्माणाधीन 32 जंगी जहाजों के अतिरिक्त होंगे.’’
उन्होंने कहा कि तटीय सुरक्षा बढ़ाने के प्रयासों के तहत मछली पकड़ने वाली तकरीबन ढाई लाख नौकाओं पर स्वत: पहचान करने वाले ट्रांसपोर्डर लगाने की प्रक्रिया शुरू की जा चुकी है. लांबा ने कहा कि तीसरे विमानवाहक पोत को शामिल करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है
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विजय माल्‍या ने 100% कर्ज लौटाने की बात कही, बोले- 'प्‍लीज ले लीजिए'

विजय माल्‍या ने कहा, ''तीन दशकों से भारत की सबसे बड़ी एल्‍कोहल ब्रीवरेज ग्रुप का संचालन कर रहे हैं. इससे टैक्‍स के रूप में सरकारी खजाने को सैकड़ों करोड़ रुपये का योगदान दिया है. किंगफिशर एयरलाइंस भी इस मद में अच्‍छा योगदान कर रही थी. उसका नुकसान में जाना दुखद रहा...'' इसके बाद एक अन्‍य ट्वीट में उन्‍होंने कहा, ''अपने प्रत्‍यर्पण के मसले पर मीडिया पर चल रही बहस को मैंने देखा है. यह अलग मसला है और कानून अपने हिसाब से काम करेगा. सबसे अहम बात जनता के पैसे की है और मैं इसे 100 प्रतिशत वापस करने को तैयार हूं. मैं विनम्रतापूर्वक बैंकों और सरकार से इसे स्‍वीकार करने का आग्रह करता हूं. लेकिन यदि इसे अस्‍वीकार किया जाता है तो बताइए, क्‍यों?''गौरतलब है कि विजय माल्या पर ईडी ने 9,000 करोड़ रुपये का ऋण नहीं चुकाने का आरोप लगाया है. इसके अलावा उन पर कुछ कर्ज को इधर-उधर करने का भी आरोप है. विजय माल्या 2 मार्च 2016 को जर्मनी होते हुए लंदन गए. जांच एजेंसियों का दावा है कि माल्या संदिग्ध परिस्थितियों में देश छोड़कर गए हैं.,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
128 साल पुराने KANPUR KE नाले की गंदगी से गंगा को आखिरकार मुक्ति मिल गई मुक्तिअंग्रेजों द्वारा 1892 में बनी और एशिया की सबसे पुरानी नाले की गंदगी से आखिरकार गंगा को मुक्ति मिल गई। सीसामऊ नाला 128 साल से लगातार गंगा को प्रदूषित कर रही थी। मंगलवार को भैरो घाट से डायवर्ट किया गया सीवेज जाजमऊ सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट तक पहुंच गया। इसके साथ ही नमामि गंगे का सबसे महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट भी सफल हो गया है। कानपुर में 16 नाले है जो गंगा में सीधे गिरते है,जिसमें से 8 नाले को सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट में सफाई करने के बाद छोड़ा जाएगा।नाले के पानी को रोकने के लिए नमामि गंगे के इंजीनियरों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा क्योंकि नाले के पानी की तीव्रता नहर के समान ही था। पहले सीसामऊ नाले से 14 करोड़ लीटर सीवेज गंगा में गिराता था मगर इसमें से 8 करोड़ लीटर सीवेज कुछ दूर पहले ही मोड़कर एसटीपी तक भेज दिया गया था, लेकिन 6 करोड़ लीटर करोड़ लीटर गंदगी गंगा में जाने से रोकने में इंजीनियरों को काफी दिक्कत हुई।

सफलता के पीछे नितिन गडकरी

सीसामऊ नाले को मोड़ने की योजना 1985 में बनी थी। काफी पैसे खर्च होने के बाद भी इस गंदे नाली को गंगा में गिरने से नहीं रोका जा सका। अपने काम लिए मशहूर नितिन गडकरी ने आखिरकार इसे कर के दिखा दिया। उन्होंने गंगा में बचे काम को भी तय सीमा में पूरा करने का भरोसा दिया है।
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चीन ने PoK को बताया भारत का हिस्सा !

पाकिस्तान को लेकर चीन के रूख में बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। PoK को पाकिस्तान का हिस्सा बताने वाले चीन ने उसे बड़ा झटका दिया है। चीनी ने अपने नक्शे में पाक अधिकृत कश्मीर को भारत के हिस्से में बताया है। दरअसल चीन सरकारी टीवी चैनल CGTN ने PoK को भारत के नक्शे में दिखाया है। चीनी सरकारी टेलीविजन चैनल CGTN पिछले शुक्रवार को पाकिस्तान में चीन के वाणिज्य दूतावास पर आतंकी हमले की रिपोर्ट दिखा रहा था। उसी दौरान उसने यह नक्शा दिखाया था। इस नक्शे में पूरे कश्मीर को भारत के हिस्से के तौर पर दिखाया गया।फिलहाल अभी यह साफ नहीं है कि यह चिनपिंग सराकार का सोच-समझकर उठाया गया कदम था या अनजाने में यह नक्शा दिखाया गया था। हालांकि, इस बात की संभावना नहीं के बराबर है कि चीन का सरकारी टीवी चैनल सत्ता के खिलाफ जाकर कोई काम करे। अभी तक यह भी साफ नहीं है कि इस घटनाक्रम के तार भारत और चीन सरकार की हालिया उच्च स्तरीय बातचीत से जुड़े हैं या नहीं। आपको बता दें कि भारत काफी लंबे समय से चीन से इस बात की मांग कर रहा है कि वो पाक अधिकृत कश्मीर को भारत का हिस्सा बताए। चीन के सरकारी टीवी चैनल CGTN को आमतौर पर CCTV-9 और CCTV न्यूज के तौर पर जाना जाता है। यह चीन इंटरनेशनल इंग्लिश न्यूज चैनल है, जिसपर चाइना ग्लोबल टेलीविजन नेटवर्क ग्रुप का मालिकाना हक है। यह पेइचिंग स्थित चाइना सेंट्रल टेलीविजन का हिस्सा है। यह चैनल 2000 में लॉन्च हुआ था।
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78 करोड़ में बेचा टॉयलेट का पानी, अब उससे निकलने वाली गैस से चलती हैं 50 बसें
नागपुर में सरकारी एजेंसी ने टॉयलेट के पानी को 78 करोड़ रुपए में बेच दिया है। अब उससे नागपुर शहर में 50 एसी बसें चलाई जा रही है। केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने बताया कि नागपुर में वैकल्पिक फ्यूल को लेकर कई प्रयोग किए जा रहे हैं। इनमें से एक टॉयलेट के पानी से बायो सीएनजी निकालकर उससे बस चलाने की योजना है। अभी ऐसी 50 बसें चल रही हैं।
गंगा की गंदगी से निकाली जाएगी गैस, 26 शहरों में चलेंगी बसें
गडकरी ने बताया कि पेट्रोलियम मंत्रालय के अधीन काम करने वाली तेल व गैस कंपनियों के साथ एक करार किया गया है, जिसके तहत गंगा किनारे बसे 26 शहरों को लाभ होगा। उन्होंने बताया कि पानी की गंदगी से निकलने वाली मीथेन गैस से बायो सीएनजी तैयार की जाएगी, जिससे इन 26 शहरों में सिटी बसें चलेंगी। इस काम से 50 लाख युवाओं को रोजगार मिलेंगे। इससे गंगा की सफाई भी होगी।
कोयला आधारित मीथेन से मुंबई, पुणे व गुवाहाटी में सिटी बस चलाने की तैयारी
गडकरी ने बताया कि हमारे देश में कोयले की कोई कमी नहीं है। इससे मीथेन निकालकर फिलहाल मुंबई, पुणे व गुवाहाटी में सिटी बस चलाने की तैयारी चल रही है। उन्होंने बताया कि 62 रुपए प्रति लीटर के डीजल की कीमत के बराबर काम करने वाली मीथेन की कीमत 16 रुपए पड़ती है। उन्होंने बताया कि देश में वैकल्पिक फ्यूल को लेकर कई प्रकार के प्रयोग किए जा रहे हैं।
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मोदी जैसा नेता हजारों वर्षो बाद जन्म लेता है।
सौभाग्य है कि मैं मोदी युग में जन्मा- केनेडी रिचर्ड्स
Times magazine of america
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भारत को 2019 में 13 हजार करोड़ के हथियारों का आर्डर मिला,
2014 से पहले देश केवल हथियार खरीदता था .
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मोदी सरकार की उज्ज्वला योजना का कमाल, रेकॉर्ड उछाल के साथ 89% घरों में पहुंचा एलपीजी कनेक्शन
= उज्ज्वला योजना की वजह से सरकारी तेल कंपनियों के एलपीजी ग्राहकों की संख्या दो-तिहाई बढ़ चुकी है
= अक्टूबर 2018 के आखिर तक देशभर के 89 प्रतिशत घरों में एलपीजी गैस पहुंच गया
= 1 अप्रैल 2015 तक महज 56.2 प्रतिशत घरों में एलपीजी कनेक्शन था
= झारखंड, बिहार और ओडिशा जैसे राज्यों में सबसे कमजोर कवरेज रेशियो है
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Tuesday 27 November 2018

vyang


जब भी लूटा मेरे देश को किसी ने ,
लुटेरा सदा विदेशी निकला.......
और लूट में साथ देने वाला 'जयचन्द' सदा अपना घर का निकला ।
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मुफ्त शौचालय बनाने की बजाय एक एक लोटा बांट दिया होता तो बीजेपी कभी न हारती खुले में शौच करेगा इंडिया तभी तो बढ़ेगा इंडिया..
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एक अमेरिकी महिला पॉप स्टार ने बोला था कि "भारत गरीब देश है" ।
मुकेश अंबानी जी ने अपनी बेटी की शादी में उसे रातभर नचवाया...//
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मंदिरों की संपत्ति की वामपंथी दल द्वारा हो रही खुली लूट को देखते हुए केरल के हिंदुओं ने तय किया है कि अब वे मंदिरों की दानपेटी में पैसे न डालते हुए प्रसाद के लिए मुरमुरे डालेंगे। नतीजा देखिए,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
अब्दुल पूछ रिया है कि
10000 रुपिया महीना बेरोजगारी भत्ता कब से मिलना शुरू होगा
मध्यप्रदेश
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जो आदमी 48 साल की उम्र में लुगाई नही चुन सका वो सीएम चुन रहा है....?
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वाह क्या कमेडी है
सीएम के पद के लिए सचिन, सिंधिया में अनुभव की कमी
पर पीएम के उम्मीदवार राहुल अनुभव से परिपूर्ण है जी
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एक आयुर्वेदिक शेर अर्ज है ...
अदरक की गांठों सा रहा बचपन अपना..
बस उतना ही सुधरे, जितना कूटे गए...
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ये इंडिया है साहब... यहाँ फ़ूलन देवी जीत सकती हैं लेकिन... किरन बेदी नहीं.. ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
-नारा बदल गया-
चौकीदार प्योर है
मां-बेटे चोर हैं ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
प्रियंका संसार की इकलौती ऐसी महिला है जो "जीन्स" पहनकर वाड्रा और "साड़ी" पहनकर गांधी कहलाती हैं
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बहुत लम्बा (4 साल से ज़्यादा) समय हो गया किसी घोटाले की खबर सुने ....तीन राज्यों के रिजल्ट के बाद अब जाकर उम्मीद की किरण जगी हैं !!,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
राफेल पर SC का फैसला गलत है !-अशांत भूषण
अपने बाप के बेटे हो,अपने घर में ही Court क्यों नही खोल देते ?
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  दोषी तो नरेंद्र मोदी है
एक पेड़ का डंठल अचानक टूट कर गिरता है। जिसके कारण पेड़ के नीचे सोया हुआ एक बूढ़े व्यक्ति की मौत हो जाती है।
आस-पास के चतुर लोग इस घटना का विश्लेषण करते हुए बूढ़े व्यक्ति के मौत के लिए पेड़ को दोषी ठहरा देते है। इस पर दूसरा चतुर आदमी बोलता है की पेड़ का क्या दोष, दोषी तो वो है, जो इस कमजोर मिटटी में पेड़ लगाया था।
अब पेड़ लगाने वाले को बुलाकर उससे बूढ़े का मौत का जिम्मेदार ठहराया जाता है।
पेड़ लगाने वाला भी चतुर था वो बोला- इसमें मेरा क्या दोष, इस पेड़ की डाली में बगुलों का झुण्ड आकर बैठ गया, जिसके वजन से डाली टूट गई और बूढ़े के ऊपर गिर गई।इसलिए दोषी बगुले है।
दूसरा चतुर आदमी बोला- इन बेजुबान बगुलों का कोई दोष नहीं, ये बगुले पहले स्टेट बैंक के पास वाले पेड़ पर बैठते थे। लेकिन आज-कल वहाँ लम्बी-लम्बी लाइन लगी है और बहुत शोर होता है, जिसके कारण बगुले वहा से यहाँ शिप्ट हो गए। दोषी तो स्टेट बैंक है।
इस पर एक और चतुर आदमी बोलता है- स्टेट बैंक का क्या दोष, *दोषी तो नरेंद्र मोदी है*, जिसने नोट बंदी लगा दिया और उसी के कारण इस बूढ़े की मौत हो गई।
अंत में सभी चतुर लोग एक मत से फैसला करते है की स्टेट बैंक से कोसो दूर एक पेड़ की डाली के नीचे सोये हुए बूढ़े की मौत नरेंद्र मोदी के कारण हुआ है।
विश्वास न हो तो संसद में सुन लेना..।

Sunday 25 November 2018

srijan -jan

ये है 80 साल की बहादुर जगदीश कौर जिनकी गवाही ने कांग्रेस के दिग्गज नेता सज्जन कुमार को दिलाई आज उम्र कैद की सज़ा,जिसके पति और जवान बेटे को उन्हीं की आखों के सामने 1984 के सिख नरसंहार में जला दिया था. 8 करोड़ का आफर से लेकर जान से मारने तक कि धमकी के बीच इस महिला ने निडर होकर सज्जन के ख़िलाफ़ कोर्ट में गवाही दी।

patr vishesh =========

इस समाचार में भी हिंदुत्व शामिल है अगर समझने वाले के कपाल के अन्दर भूंसा ना भरा हो और दिमाग स्वस्थ अवस्था में हो तो
इन्डियन नेवी की नजरों से समंदर में अब कुछ बच नहीं सकेगा.
समंदर को सुरक्षित बनाने की दिशा में इंडियन नेवी एक कदम और आगे बढ़ी है। अब समंदर में कोई जहाज नेवी की नजरों से बच नहीं सकेगा।आतंकी कसाब के समंदर के रास्ते भारत में घुसने के बाद समंदर को सुरक्षित बनाने की कोशिश अब एक ऐसे मुकाम तक पहुंच रही है जहां आर्टिफिशियल इंटेलिजिंस और बिग डेटा अनैलेसिस के जरिए समंदर में हर हरकत पर रियल टाइम नजर रहेगी। इंडियन नेवी के नेटवर्क के साथ ही 66 और देशों से भी पल पल की जानकारी मिलेगी। राजधानी से कुछ दूरी पर बने इन्फर्मेश मैनेजमेंट ऐंड ऐनालिटिक सेंटर (आईमेक) में लगी स्क्रीन समंदर में हो रही हर हरकत दिखाएंगी।
पाकिस्तानी आतंकवादी कसाब के समंदर के रास्ते भारत में घुसने और अटैक के बाद समुद्री सीमाओं को सुरक्षित बनाने की दिशा में तेजी से काम शुरू हुआ। इंडियन नेवी के द्वारा 7600 किलोमीटर की समुद्री सीमाओं में 46 कोस्टल रेडार स्टेशन लग गए हैं और 42 तैयार हो रहे हैं। जमीन और स्पेस बेस्ड 89 ऑटोमेटिक आइडेंटिफिकेशन सिस्टम भारतीय समंदर पर चौकसी कर रहे हैं। इनकी पल पल की निगरानी बॉम्बे, कोच्चि, विशाखापटनम और पोर्टब्लेयर में बने चार जॉइंट ऑपरेशन सेंटर में हो रही है। साथ ही राजधानी से कुछ दूरी पर गुड़गांव में बने आईमेक में इन सभी जगहों से आ रही फीड को मॉनिटर किया जा रहा है।
नेवी के अनुसार हर जहाज का अपना नंबर होता है, वह किस देश का है, उसमें कौन कैप्टन है, क्रू क्या है, क्या सामान आ रहा है, कहां से आ रहा है कहां जा रहा है यह सब जानकारी होती है। आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस और बिग डेटा अनैलिसिस के जरिए चंद सेकंड में पता चल जाएगा कि आज हमारे समंदर में कितने जहाज होने हैं और क्या कोई अतिरिक्त गतिविधि समंदर में दिख रही है। ऐसी किसी भी आहट पर तुरंत अलर्ट हो कर ऐक्शन लिया जा सकता है। किसी दूसरे देश से अगर हमारी तरफ कोई ऐसा जहाज आ रहा है जो संदिग्ध है तो इसका पता भी तुरंत चल जाएगा।
भारत ने अब तक 36 देशों के साथ इस संबंध में अग्रीमेंट कर लिया है कि उनका डेटा हमें रियल टाइम मिलता रहेगा। इसके साथ ही 30 देशों के ग्रुप के साथ एक मल्टीलेटरल अग्रीमेंट भी हुआ है। 13 देशों के साथ यह शुरू भी हो गया है और डेटा मिलने भी लगा है। शुक्रवार से यानी 21 दिसंबर से गुड़गांव का आईमेक, इंटरनैशनल इन्फर्मेशन फ्यूजन सेंटर की तरह काम करने लगेगा। तब वहां स्क्रीन पर भारतीय समंदर पर चल रही गतिविधि के साथ ही उन देशों के जिम्मे वाले समंदर की जानकारी भी मिलेगी, जिनसे समझौता हो गया है। -
पवन अवस्थी

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19 खरब 50 अरब 40 करोड़ का सालाना व्यापार बस हम सब को बीमार बनाने के लिऐ हो रहा है। नहीं विश्वास हो रहा ना तो ये लेख ध्यान से पढ़णा:-
बौद्धिक लड़ाई ना एक दिन में लड़ी जाती और ना जीती जाती, इस के लिए तो सैकड़ों साल लगते हैं और पीढियाँ की पीढियाँ खप जाती हैं। एक बौद्धिक लड़ाई है जैविक कृषि बनाम रसायनिक कृषि और अंत में विजय जैविक खेती की ही होनी है कंपनियां चाहे जो मर्जी कर लें।
बुद्धि का विकास शिक्षा से ही होता है और वो शिक्षा ही गलत दे दी जाए तो कोई कहाँ जा कर रोए।
आप सभी गेहूँ व चावल तो खाते ही होंगे। आज इन दो फसलों के बारे में ही बात करुंगा। जब देश में कृषि विश्व विद्यालय नहीं थे तो जैविक कृषि ही होती थी, जब देश में वन विभाग नहीं थे तो जंगलों में अनेक प्रकार के देशी पेड़ पौधे थे, जब देश में पशुपालन विभाग नहीं था तो उत्तम नश्ल की गाय, अन्य पशु व विभिन्न प्रकार के पक्षी थे।
खैर आज बस गेहूँ और चावल।
गेहुं का बीज आज हमें बाजार में मिलता है,यह गेहूँ का बीज किसान को करीब 1000/- ₹ में 50 किलो प्रति एकड़ बोने के लिए दिया जाता है। फिर बुआई के समय सुपर फास्फेट नामक जहर की 50 किलो की बोरी करीब 400/- ₹ कि थमा दी जाती है। गेहूँ के अंकुरित होते ही यूरिया की एक बोरी 350/- की तथा दूसरी सिंचाई के वक्त एक बोरी यूरिया और डालवा दी जाती है। 500 से 1000/- ₹ के खरपतवार व कीटनाशक डलवाया जाता है। जब गेहूँ पक जाता है तो सल्फास नामक जहर उस को सुरक्षित रखने के नाम पर डलवाया जाता है।
कहने का मतलब है की किसान को पूरी तरह ठग कर उस को जहर युक्त बीज देने से लेकर गेहू।
जहर युक्त बीज देने से लेकर गेहूँ को सुरक्षित रखने के उपाय तक कंपनी किसान से करीब तीन हजार रुपए प्रति एकड़ का जहर बेच जाती है।
अब चावल की बात करते हैं। चावल की 10 किलो की जहर से उपचारित पंजीरी प्रति एकड़ 400 से 500/- किसान को दी जाती है। पौध रोपण के साथ ही 3000/- की तीन बोरी डीएपी की डलवाई जाती हैं। बाद में एक बोरी यूरिया, एक से दो 500/- ₹ के खरपतवार नाशी जहर तथा तीन 1500/- ₹ के कीटनाशक जहर के छिडकाव करवाए जाते हैं। चावल कि फसल में भी कंपनी करीब 6000/- ₹ के जहर प्रति एकड़ डलवाने में सफल हो जाती है।
सिर्फ गेहूँ व चावल में जहर डलवाने के नाम पर कंपनी 9000/- ₹ प्रति एकड़ का सामान बेच जाती है।
भारत में 3946 लाख एकड़ कृषि भूमी है जिसमे से 2156 लाख सिंचित भूमी पर गेहूँ व चावल कि खेती होती है। 215600000 x 9000 = 1950400000000/- ₹ प्रति वर्ष किसान को बेवकूफ बनाकर आप को जहर युक्त खाना कंपनी तैयार करवाती हैं ताकि आप बीमार हों अगर आप बीमार नहीं हुए तो अंग्रेजी दवाई कैसे बिकेंगी?????
कितने किसान स्त्री पुरूष यह कीटनाशक, खरपतवार नाशक व सल्फास पी खा कर मरे हैं इस का आकडा आप को कहीं नहीं मिलेगा क्यों कि ज्यादातर परिवार इस की जानकारी थानों में नहीं देते।
किसान भाईयो नीम धतूरा और आक में अब भी वही गुण हैं। गोबर, गौमुत्र व लस्सी आप के घर से ही निकलता है। उस की ताकत पहचानों। उस से ही खाद व कीटनाशक तैयार करो। खुद के बीज बनाओ। इन कंपनियों के दुष्चक्र को हमें ही तोड़णा होगा।
अंत में अपने शहरी मित्रो से अपील करना चाहूंगा कि फैमिली डॉक्टर के साथ साथ एक फैमिली फार्मर भी रख लो।
जैसा खाए अन्न वैसा होगा मन।
विश्व मृदा स्वास्थ दिवस पे तो कम से कम धरणी माता पे तरस खाओ, उसकी मृदा अनादी काल से हमारा भरन और पोषण कर रही हैं. धरणी माता हैं वो कोई डायन नही।- Uday Otari

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आपरेशन NSA अजीत डोभाल के नेतृत्व में चलाया गया।
अगुस्टा वेस्टलैंड हेलिकॉप्टर घोटाला मामले में भारत को बड़ी कामयाबी हाथ लगी है। 3,600 करोड़ रुपये के इस VVIP चॉपर सौदे के कथित बिचौलिए और ब्रिटिश नागरिक क्रिश्चियन मिशेल को भारत ले आया गया है। यह ऑपरेशन राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के नेतृत्व में चलाया गया। भारत की जांच एजेंसियां मिशेल को मंगलवार को दुबई इंटरनैशनल एयरपोर्ट ले गईं थीं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक वहां से उन्हें भारत लाया गया। अगस्ता वेस्टलैंड घोटाले में ‘प्रथम फैमिली’ को 200 करोड़ घूस देने का जब होगा भारतीय अदालत में खुलासा तो मिट जाएगी कांग्रेस!
सीबीआई ने बताया कि ऑपरेशन की जिम्मेदारी अंतरिम सीबीआई निदेशक एम नागेश्वर राव और जॉइंट डायरेक्टर साई मनोहर के नेतृत्व वाली टीम को दी गई थी। नवंबर में कसेशन कोर्ट ने निचली अदालत के आदेश को बरकरार रखते हुए मिशेल के प्रत्यर्पण का रास्ता साफ कर दिया था। खलीज टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक 54 वर्षीय मिशेल को दुबई एयरपोर्ट ले जाया गया है और वहां भारत लाया जाएगा। भारत ने 2017 में खाड़ी देशों से उनके प्रत्यर्पण की मांग की थी। सीबीआई और ईडी इस मामले में उनपर आपराधिक मामले के तहत जांच कर रहे थे।
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मेवात में हिन्दू युवक की #लाश का माँस खाते पकड़े गए रोहिंग्या मुसलमान ,
सरकार नहीं चेती तो हो सकता है बहुत बड़ा बवाल..

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आप लोगो को याद होगा पिछले वर्ष कामी वामी आपियों और नोटियों ने ख़ूब हल्ला मचाया था जब काशी में अतिक्रमण हटाए जा रहे थे । मेरे तो सैकड़ों परिजन बनारस में हैं और हर मुहल्ले में हैं तो मैने पता किया की क्या हो रहा है तो मुझे बताया गया की चिंता न करें , कार्यवाही क़ब्ज़ा गुरू लोगो के ख़िलाफ़ हो रही है इसलिए ये सब पिनपिनाए हुए है । सैकड़ों मंदिर , और कुछ तो कदाचित हज़ारों वर्ष से अधिक पुराने है , बाहर आ चुके हैं । उन सबको पुन: सम्मानित स्वरूप दिया जा रहा है और काशी की पुरानी गरिमा लौटेगी ऐसा मेरा विश्वास है ।
आप लोगों में से भी कुछ लोग पिछले वर्ष बहुत व्यथित हो रहे थे तो मैने धैर्य रखने को कहा था । लीजिए , क़ब्ज़ा गुरूओं से मुक्त मंदिरों का भव्य स्वरूप की एक झलक देखिए ।Raj Shekher Tiwari
भगवान को धंधा बनाकर, भक्तों को डराकर मंदिरों पर कब्ज़ा करने में तो इन पंडे पुजारिओं व मंदिर मालिकों ने तो मुग़लिया लोगों को भी पीछे छोड़ दिया। सच में मोदी बड़ा ही निर्मोही है। इसी लिए ये लोग पिनपिनाय है व भ्रामक प्रचार कर मोदी को धर्म विरोधी बता रहें हैं
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विश्‍वनाथ कॉरिडोर में मिले मंदिरों से सामने आया 5,000 साल पुराना इतिहास!प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रॉजेक्ट विश्वनाथ कॉरिडोर के तहत चल रहे ध्वस्तीकरण में कई ऐसे पुराने मंदिर सामने आ रहे हैं जिनका इतिहास 5 हजार साल से भी पुराना है। इनमें से कई मंदिर चंद्रगुप्त काल के बताए जा रहे हैं।धर्म नगरी काशी को सबसे प्राचीनतम और जीवंत नगरी यूं ही नहीं कहा जाता है। यहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रॉजेक्‍ट विश्‍वनाथ कॉरिडोर के तहत चल रहे ध्‍वस्‍तीकरण में कई ऐसे मंदिर सामने आए हैं, जिनके पांच हजार साल पुराना होने का दावा किया जा रहा है। इनमें से कई मंदिर और अवशेष चंद्रगुप्‍त काल के होने से साबित होता है कि काशी उस काल में भी जीवंत नगरी रही है। काशी विश्‍वनाथ मंदिर विस्‍तारीकरण योजना के तहत मणिकर्णिका और ललिता घाट से मंदिर तक 40-40 फीट के दो कॉरिडोर बनाने का काम इन दिनों जोर शोर से चल रहा है। कॉरिडोर के लिए पुरानी काशी यानी पक्‍का महाल के अब तक खरीदे गए करीब 175 भवनों को ध्‍वस्‍त करने के लिए करीब तीन हजार मजदूर लगाए गए हैं। मिल रहे हैं चंद्रगुप्त काल के मंदिर भवनों को गिराए जाने के दौरान मकानों के अंदर कैद या फिर जमीन के नीचे दबे ऐसे मंदिर सामने रहे हैं जो हजारों साल पहले गुम हो चुके थे। अद्भुत शिल्‍प कला और खूबसूरत नक्‍काशी वाले ये मंदिर चंद्रगुप्‍त काल से लेकर काशी विश्‍वनाथ मंदिर की स्‍थापना काल के समय के बताए जा रहे हैं। मणिकर्णिका घाट के किनारे दक्षिण भारतीय स्‍टाइल में रथ पर बना एक अद्भुत भगवान शिव का मंदिर मिला है जिसमें समुद्र मंथन को लेकर कई पौराणिक गाथाएं उकेरी गई हैं। वहीं, इस मंदिर के सामने दीवार से ढका भगवान शिव का एक और प्राचीन बड़ा मंदिर मिला है।

विश्‍वनाथ मंदिर की प्रतिमूर्ति वाला भी एक मंदिर मिला है। अब तक छोटे-बड़े 42 मंदिर मिल चुके हैं, जबकि आगे ध्‍वस्‍तीरकण में और मंदिर सामने आने का अनुमान है। संरक्षित किए जा रहे काशी विश्‍वनाथ मंदिर के मुख्‍य कार्यपालक अधिकारी विशाल सिंह की मानें तो कुछ मंदिर उतने ही पुराने हैं जितनी पुरानी काशी नगरी के होने का अनुमान इतिहासकार लगाते हैं। जिन मकानों में प्राचीन मंदिर मिल रहे हैं वहां ध्‍वस्‍तीकरण का काम रोककर विडियोफटॉग्रफी कराने के बाद सं‍रक्षित किया जा रहा है। इस काम में कंसल्टेंट कंपनी ने एक दर्जन विशेषज्ञों की टीम लगाई है, जो मंदिर प्रशासन के साथ मिलकर काम कर रही है।

होगी कार्बन डेटिंग
ध्‍वस्‍तीकरण में मिले मंदिरों के अध्‍ययन की जिम्‍मेदारी पुरातत्‍व विभाग को दिए जाने के साथ ही इनके स्‍थापना का वास्‍तविक काल पता लगाने के लिए कार्बन डेटिंग कराई जाएगी। कमिश्‍नर दीपक अग्रवाल ने बताया कि ध्‍वस्‍तीकरण का काम पूरा होने के बाद जितने भी मंदिर सामने आएंगे उनका संकुल बनाने की योजना है। मंदिरों का यह संकुल अपने आप में अनूठा और अलग छटा बिखेरेगा। मणिकर्णिका घाट स्थित सतुआ बाबा आश्रम के महंत संतोष दास का कहना है कि विश्‍वनाथ कॉरिडोर एरिया में करीब पांच हजार साल पुराने मंदिरों का मिलना किसी बड़ी खोज से कम नहीं है। इन मंदिरों के जरिए नई पीढ़ी के साथ दुनिया के लोग काशी की प्राचीनता को देख व समझ सकेंगे।
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यूपीः नशा देकर खतना किया, बोले- अब तुम मुसलमान, बंधक बनाकर पढ़वाई नमाज
भोजीपुरा के एक युवक ने थाना सिरौली में नशा देकर जबरन खतना कर देने के आरोप में तीन भाइयों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है। युवक के मुताबिक उसे बंधक बना लिया गया और कई दिनों तक नमाज पढ़ने और भैंसे का मांस खाने को मजबूर किया गया। रविवार को किसी तरह भागकर थाना सिरौली पहुंचा तो पुलिस ने भी उसे भगा दिया।
 घटना की भनक भाजपा नेताओं को लगी तो उन्होंने थाने पहुंचकर हंगामा शुरू कर दिया। इस बीच मामला प्रशासनिक अफसरों तक पहुंच गया। इसके बाद थाने में पीड़ित युवक की तहरीर पर एफआईआर दर्ज की गई। अफसरों के निर्देश पर एलआईयू ने भी मामले की जांच शुरू कर दी है।
भोजीपुरा के गांव बुझिया जनूबी में रहने वाले महेंद्र मौर्य के मुताबिक वह दिल्ली में एक ट्रक पर बतौर क्लीनर काम रहा था। कुछ समय पहले वह ट्रक के साथ बंगलूरू गया तो वहां उसकी मुलाकात सिरौली के मोहल्ला प्यास में रहने वाले फुरकान से हुई। एक ही जिले के होने की वजह से उनमें दोस्ती हो गई। ड्राइविंग सिखाने का झांसा देकर फुरकान उसे अपने साथ सिरौली ले आया।
महेंद्र का आरोप है कि कुछ दिन पहले फुरकान ने अपने भाई रिजवान और इरफान की मदद से उसे चाय में नशे की गोली देकर बेहोश कर दिया और फिर उसका खतना करा दिया। होश आया तो उसे बताया कि वह अब मुसलमान बन चुका है। उसने विरोध किया तो फुरकान और उसके भाइयों ने उसे बंधक बना लिया। कई दिन तक उसे डरा-धमकाकर जबरन नमाज पढ़वाई और भैंस का मांस खाने को भी मजबूर किया।
पीड़ित महेंद्र का कहना है कि रविवार को किसी तरह वह फुरकान के चंगुल से भाग निकला और थाना सिरौली पहुंचकर पुलिस को जानकारी दी। लेकिन पुलिस ने उसे थाने से भगा दिया। सोमवार को उसने एसडीएम कार्यालय जाकर शिकायत की तो मामला प्रशासनिक अफसरों तक पहुंचा। भाजपा नेताओं को भी मामले की भनक लगी तो नगर पालिका चेयरमैन संजीव सक्सेना, सिंचाई मंत्री धर्मपाल सिंह के प्रतिनिधि प्रभाकर शर्मा, युवा मोर्चा नगर अध्यक्ष राम गौतम, आशू सिंह समेत कई नेता कार्यकर्ताओं के साथ सीओ आलोक अग्रहरि से मिले। थाने में भी काफी देर हंगामा हुआ। इसके बाद सिरौली पुलिस ने महेंद्र की तहरीर पर एफआईआर दर्ज कर आरोपियों की तलाश में दबिश दी लेकिन वे फरार हो गए। सिरौली पुलिस ने महेंद्र मौर्य को मेडिकल के लिए भेजा है।
फैला तनाव, सिरौली में पीएसी तैनात
जबरन धर्म परिवर्तन करने का मामला सामने आने के बाद सिरौली में तनाव को देखते हुए पीएसी की तैनाती कर दी गई है। उधर, इंस्पेक्टर सिरौली रामअवतार सिंह ने बताया कि पीड़ित महेंद्र मौर्य ने पूछताछ में अलग-अलग तथ्य बताए हैं। उसकी बातचीत से लग रहा है कि उसका खतना सिरौली में नहीं बल्कि छह महीने पहले दिल्ली में किया गया था। फिलहाल उसे जांच के लिए भेजा गया है।
इस युवक को अपनी बहन से शादी कराने का झांसा दिया गया था। खतना हुआ कि नहीं, यह तो मेडिकल होने के बाद सामने आएगा। फिलहाल केस दर्ज करके आरोपियों की धरपकड़ की कार्रवाई शुरू कर दी गई है। - संसार सिंह, एसपी देहात
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आपको प्रशांत किशोर नाम याद हैं !! जरा दिमाग पर जोर डालिये और मात्र चार साल पहले 2014 अगस्त याद कीजिये जब कोंग्रेस ने प्रशांत किशोर को ठेका दिया था राहुलगांधी को राजनीति में चमकाने का !

प्रशांत ने 350 करोड़ में राहुलगांधी को राजनीति का सूरज बना देने का कॉन्ट्रेक्ट साइन किया था ।

अगस्त के आखिर में प्रशांत किशोर ने बाकायदा सोशल मीडिया पर एक विज्ञप्ति निकाली थी कि जो लोग सोशल मीडिया पर लिखने में एक्सपर्ट हैं वे उससे जुड़े ओर करीब 60 हजार लोगों की लिस्ट बनी थी । मुंबई में एक मीटिंग रखी गई और दूसरी बनारस में । लगभग पांच हजार लोगों को छांट कर एक आईटी सेल बनाई गई जो दिन रात कोंग्रेस को अपग्रेड करते थे !

दूसरा आपको "द वायर" याद हैं ! जिसने अमितशाह के बेटे पर 300% मुनाफा कमाने का आरोप लगाया था और रातों रात चर्चा में आई थी ??

हालांकि 'द वायर' ने बाद में केजरीवाल की तरह माफी भी मांगी और कोर्ट में जुर्माना भी भरा था, लेकिन द वायर को चर्चा में आना था सो वह आ गई ।

अब तीसरा हाल ही का -

"कैम्ब्रिज अनालिटिका" को याद कीजिये । हजार करोड़ लेकर कोंग्रेस से सरकार बनवाने का कॉन्ट्रेक्ट इसी कम्पनी ने लिया था । ये केम्ब्रिज अमेरिकी कम्पनी हैं, जिसने ट्रम्प का प्रचार किया था और कोंग्रेस ने इसी बेस पर इसे राहुल गांधी के लिये हजार करोड़ देकर यहां भारत मे एप्रोच किया !

अब प्रशांत किशोर ने कोंग्रेस का साथ छोड़ दिया हैं लेकिन जाते जाते आईटी सेल दे गया ।

उसकी बनाई आईटी सेल के हर व्यक्ति को बीस हजार से लेकर योग्यता अनुसार लाख से ऊपर तक महीने की तनख्वाह दी जाती हैं । प्रशिक्षण देकर लाइव डिबेट के लिये तैयार किया जाता हैं । हर विषय को कैसे हैंडल करना हैं इसपर बाकायदा किताबे छपी हुई हैं ।

और ये सब लोग रात दिन अपनी तनख्वाह बढ़ाने के चक्कर मे सोशल मीडिया पर लगे हुए हैं जो आज भी जारी हैं और हर महीनें कोंग्रेस सेंकडो करोड़ पानी की तरह इनपर बहा रही है ।

अब 'द वायर' जैसी हजारों वेवसाईट और ब्लॉग धड़ल्ले से चल रहे हैं जिनका काम सिर्फ न्यूज लिंक क्रिएट करना हैं और वही न्यूज बनानी हैं जो आईटी सेल चाहती हैं

केम्ब्रिज ने इनसे दो कदम आगे बढ़कर वो फार्मूला आजमाया जो ये गोरे शुरू से आजमाते हैं ।

केम्ब्रिज ने 2014 के वोट प्रतिशत और किस जगह से कितने आये, किस जाति से कितने आये इसकी डिटेल निकाली । और इन वोटों को तोड़ने की उसने बाकायदा आधिकारिक घोषणा की की वह इस हिंदुत्व की एकता को ही तोड़ देंगे -- 'न रहेगा बांस न बजेगी बांसुरी'

प्रशांत किशोर से लेकर केंब्रिज के बीच और भी बहुत प्रयास हुए हैं

अब इस गेम को समझिये की कहाँ से आते हैं वो फोटोशॉप जो नफरत फैलाते हैं ? कैसे गलत न्यूज रातों रात वायरल हो जाती हैं ? कैसे मोदी के बयान को तोड़कर उसे गलत सिद्ध करने के लिये तुरन्त लिंक न्यूज फैल जाते हैं ? कैसे अखबार की एडिट कटिंग तुरन्त मिल जाती हैं ?

लेकिन बात यहीं तक नही हैं, ये मोदी विरोध के चक्कर मे कब देश का विरोध करने लगे इन्हें भी नही पता !

कब जातिवाद के चक्कर मे धर्म को गालियां देने लगे इन्हें भी नही पता हैं ! मोदी विरोध के फेर में ये भारत को ही गालियां देने लगे हैं ।

आईटी सेल के हर व्यक्ति को मोदी विरोध का पैसा मिलता हैं जो जितना ज्यादा प्रभावी ढंग से विरोध करेगा उतना ही ज्यादा पैसा मिलेगा ।

लेकिन इसका ये मतलब तो नही की हमारी अक्ल घास चर रही हैं !

केवल चार साल में इनका फैलाया जहर इस हद तक फैल गया कि दिमाग मे एक दूसरे के लिये सिर्फ नफरत को जगह हैं बाकी ब्लेंक !

याद रखिये 'अंध विरोध की काट अंधभक्त होना ही हैं' हमारे आपके जैसे अंधभक्तो ने प्रशांतकिशोर, द वायर और केम्ब्रिज जैसो को घुटनों पर ला दिया हैं, और आगे भी कोई देशविरोधी होंगे तो उन्हें भी लाएंगे ।

क्योकि हमारा अभी ब्रेनवाश नही हुआ हैं ।

संदीप_मिश्रा
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मोदी को हराने के लिए किस तरह बेटिंग की गई .. एक एक स्टेप पढें :

यूपी चुनाव से पहले किसी को नहीं लगता था की मोदी हार नही सकता है । यूपी चुनाव के बाद सारी पार्टियों को लगने लगा मोदी को एकेले हराना अब मुश्किल है जनता मोदी जी की तरफ खींचती जा रही है आहिस्ता आहिस्ता ।

मोदी को रोकने के लिए हार्दिक पटेल जिग्नेश मेवनी अल्पेश ठाकोर जैसे लोगो को पहले गुजरात में पैदा किया गया .. जाती के नाम पर और ताज्जुब देखो यह तीनों आपस में एक दूसरे के विरोधी है जैसे कि मान लो पटेलों को आरक्षण देना हो तो sc,st और ओबीसी को जो आरक्षण मिलता है उसमे में से कम कर के ही की दिया जा सकता है जो कि यह दोनों नहीं होने देगे अब सोचने वाली बात यह जब पटेलों को आरक्षण मिल नहीं सकता तो यह सब किया क्यू जा रहा है इसका सीधा अर्थ है बीजेपी से पटेलों का मोहभंग करना दूसरा एसटीएससी और ओबीसी समाज को यह बताना बीजेपी आपके आरक्षण को घटा कर पटेलों को दे सकती है एक तरह से डर पैदा करना जो कांग्रेस चाहती थी वह यह तीनों ने बहुत हद तक कर दिखाया जो गुजरात चुनाव में नजर भी आया
और इसका असर बहुत हद तक दूसरे राज्यो में भी हुआ ओबीसी एसटीएससी समाज में


अब आते है st,sc act पर जो कई सालो से सुप्रीम कॉर्ट में विचाराधीन पड़ा था अचानक सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा फैसला दे दिया जो कि सरकार के लिए ना तो उगलते बन रहा था ना निगलते सुप्रीम कोर्ट के साथ खड़े होते तो दलित समाज पूरे देश में आग लगाने के लिए बैठा था और दलितों के कंधे पर सत्ता के लालची नेता जो कांग्रेस सपा बसपा और वामपंथ के (सवर्ण नेता) बंदूक चला रहे थे पूरे देश में हमने और आपने देखा भी है दलित संगठनों को धन दिया जा रहा था विश्वास दिलाया जा रहा था हम आपके साथ है आप सभी पूरे देश में आग लगाओ सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ और दलितों ने कर के भी दिखाया महाराष्ट्र के भीमा कोरेगाव में उसके बाद पूरे महाराष्ट्र में,
सरकार मजबूर हो गई सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटने पर और जैसे ही सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटा सवर्ण जातियों में नाराजगी पैदा हो गई फिर जो लोग दलित संगठनों को धन और विश्वाश दिला रहे थे वहीं सभी सवर्ण जातियों को विश्वास दिलाने लगे, आप सब खुलकर विरोध करो मोदी का हम आपके साथ है
यानी का पट भी विपक्ष की और चित भी विपक्ष की और वहीं हुआ

और इस आग में घी डालने का काम एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट ने किया राम मंदिर पर तुरंत सुनवाई से इनकार कर के

अब सरकार या तो कानून को माने या फिर कानून का अनादर करते हुए राम मंदिर पर अध्यादेश लाए
विरोध दोनों का होगा और जम कर होगा

यही विपक्ष चाहता है, जो सुप्रीम कोर्ट ने st sc act, और राममंदिर जैसे अति संवेदनशील मुद्दे पर किया इसका सीधा फायदा विपक्ष को होता हुआ दिखा

अब सोचने वाली बात यह है जिस देश का सुप्रीम कोर्ट विपक्ष के लिए बैटिंग करे सिर्फ एक ईमानदार पीएम को हराने के लिए उस देश का भला इतनी जल्दी कैसे हो सकता है राम मंदिर तो दूर की बात है

और मेरा खुद का मानना है तीनों राज्य में बीजेपी ना तो हारी है ना ही विकास हारा है ना ही विचारधारा हारी जो भी सिटे बीजेपी ने जीती है आपने काम की वजह से और जो हारी है वह मूर्खो की वजह से
तीनों राज्य में यही तीन मुद्दे बीजेपी की हार के कारण बने

Monday 19 November 2018

jan-srijan




पीएम मोदी ने कहा ...
 आज देश के सामने दो पक्ष हैं, एक पक्ष सत्य और सुरक्षा का है, दूसरा पक्ष उन ताकतों का है जो किसी भी कीमत पर देश को कमजोर करना चाहते हैं
 कांग्रेस उन ताकतों के साथ खड़ी है जो हमारी सेनाओं को मजबूत नहीं होना देना चाहते हैं, ऐसे लोगों की कोशिशों को किन देशों से समर्थन मिल रहा है देश देख रहा है। भाषण यहां दिया जाता है और तालियां पाकिस्तान में बजती हैं।
 कांग्रेस ने वायुसेना को कभी मजबूत नहीं होने दिया। रक्षा सौदे के मामले में कांग्रेस का इतिहास क्वात्रोची मामा का रहा और कुछ दिन पहले एक और आरोपी मिशेल चाचा को लाया गया है और हमने देखा है कि कांग्रेस कैसे इनको बचाने के लिए अपना वकील अदालत में भेजी।
 2009 में भारतीय सेना ने 1 लाख 86 हजार बुलेट प्रूफ जैकेट की मांग की थी। 2009 से लेकर 2014 तक पांच साल बीत गए, लेकिन सेना के लिए बुलेटप्रूफ जैकेट नहीं खरीदी गई। पीएम मोदी ने कहा कि केंद्र में हमारी सरकार बनने के बाद 2016 में हमने सेना के लिए 50 हजार बुलेटप्रूफ जैकेट खरीदी। इस साल अप्रैल में पूरी 1 लाख 86 हजार बुलेट प्रूफ जैकेट का ऑर्डर दिया जा चुका है। ये जैकेट भारत की ही एक कंपनी बना रही है।

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भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित किया जाना चाहिए था: मेघालय हाईकोर्ट
शिलॉन्ग। मेघालय हाईकोर्ट ने प्रधानमंत्री, विधि मंत्री, गृह मंत्री और संसद से एक कानून लाने का अनुरोध किया है ताकि पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आने वाले हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी, ईसाई, खासी, जयंतिया और गारो लोगों को बिना किसी सवाल या दस्तावेजों के नागरिकता मिले.
 कोर्ट ने अपने फैसले में ये भी लिखा है कि विभाजन के समय भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित किया जाना चाहिए था लेकिन ये धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र बना रहा.
जस्टिस एसआर सेन ने डोमिसाइल सर्टिफिकेट से मना किये जाने पर अमन राणा नाम के एक शख्स द्वारा दायर एक याचिका का निपटारा करते हुए 37 पृष्ठ का फैसला दिया.
आदेश में कहा गया है कि तीनों पड़ोसी देशों में आज भी हिंदू, जैन, बौद्ध, ईसाई, पारसी, खासी, जयंतिया और गारो लोग प्रताड़ित होते हैं और उनके लिए कोई स्थान नहीं है. इन लोगों को किसी भी समय देश में आने दिया जाए और सरकार इनका पुनर्वास कर सकती है और नागरिक घोषित कर सकती है.
केंद्र के नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2016 में अफगानिस्तान, बांग्लादेश या पाकिस्तान के हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई लोग छह साल रहने के बाद भारतीय नागरिकता के हकदार हैं, लेकिन अदालती आदेश में इस विधेयक का जिक्र नहीं किया गया है.
 कोर्ट ने भारत के इतिहास को तीन पैराग्राफ में समेटा है.
 जस्टिस एसआर सेन ने लिखा, 'जैसा कि हम सभी जानते हैं कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा देश था और पाकिस्तान, बांग्लादेश तथा अफगानिस्तान का अस्तित्व नहीं था. ये सभी एक देश में थे और हिंदू सम्राज्य द्वारा शासित थे.'
कोर्ट ने आगे कहा, 'इसके बाद मुगल भारत आए और भारत के कई हिस्सों पर कब्जा किया और देश में शासन करना शुरु किया. इस दौरान भारी संख्या में धर्म परिवर्तन कराए गए. इसके बाद अंग्रेज ईस्ट इंडिया कंपनी के नाम पर आए और देश में शासन करने लगे.'
'यह एक अविवादित तथ्य है कि विभाजन के समय लाखों की संख्या में हिंदू और सिख मारे गए, प्रताणित किए गए, रेप किया गया और उन्हें अपने पूर्वजों की संपत्ति छोड़ कर आना पड़ा.' 'पाकिस्तान ने खुद को इस्लामिक देश घोषित किया था. चूंकि भारत का विभाजन धर्म के आधार पर हुआ था इसलिए भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित किया जाना चाहिए था लेकिन इसने धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र बनाए रखा.'
एसआर सेन ने मोदी सरकार में विश्वास जताते हुए कहा कि वे भारत को इस्लामिक राष्ट्र नहीं बनने देंगे. उन्होंने लिखा, 'मैं ये स्पष्ट्र करता हूं कि किसी भी शख्स को भारत को इस्लामिक राष्ट्र बनाने की कोशिश नहीं करना चाहिए. मेरा विश्वास है कि केवल नरेंद्र मोदीजी की अगुवाई में यह सरकार इसकी गहराई को समझेगी
 उच्च न्यायालय में केंद्र की सहायक सॉलिसीटर जनरल ए. पॉल को  फैसले की प्रति प्रधानमंत्री, केंद्रीय गृह और विधि मंत्री को अवलोकन के लिए सौंपने और समुदायों के हितों की रक्षा के लिए कानून लाने को लेकर आवश्यक कदम उठाने को कहा है
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60 नदियों को जोड़कर बनेगी एक महानदी…
60 नदियों को जोड़ने का प्लान : योजना के पहले फेज को मोदी मंजूरी दे चुके हैं। प्लान के तहत गंगा समेत देश की 60 नदियों को जोड़ा जाएगा। सरकार को उम्मीद है कि ऐसा होने के बाद किसानों की मानसून पर निर्भरता कम हो जाएगी और लाखों हेक्टेयर जमीन पर सिंचाई हो सकेगी। बीते दो सालों से मानसून की स्थिति अच्छी नहीं रही है। भारत के कुछ हिस्सों समेत बांग्लादेश और नेपाल बाढ़ से खासे प्रभावित रहे हैं। इस प्रोजेक्ट का मकसद देश को बाढ़ और सूखे से निजात दिलाना है। नदियों को जोड़ने से हजारों मेगावॉट बिजली पैदा होगी। देश की बड़ी नदियों को आपस में जोड़ने के लिए सरकार 87 Billion dollars (करीब 5 लाख करोड़ रुपए) का प्रोजेक्ट शुरू करने जा रही है।
पहले फेज में क्या होगा?
: केन नदी पर एक डैम बनाया जाएगा। 22 किमी लंबी नहर के जरिए केन को बेतवा से जोड़ा जाएगा। केन-बेतवा मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के एक बड़े हिस्से को कवर करती हैं। बीजेपी नेता संजीव बालियान के मुताबिक, “हमें रिकॉर्ड वक्त में क्लीयरेंस मिल गया है। अंतिम दौर के क्लीयरेंस भी इस साल के अंत तक मिल जाएगा। केन-बेतवा लिंक सरकार की प्रायोरिटी में है।” सरकार पार-तापी को नर्मदा और दमन गंगा के साथ जोड़ने की तैयारी कर रही है। अफसरों का कहना है कि ज्यादा पानी वाली नदियों मसलन गंगा, गोदावरी और महानदी को दूसरी नदियों से जोड़ा जाएगा। इसके लिए इन नदियों पर डैम बनाए जाएंगे और नहरों द्वारा दूसरी नदियों को जोड़ा जाएगा।
भारत की सारी बड़ी नदियों को आपस में जोड़ने का प्रस्ताव पहली बार इंजीनियर सर आर्थर कॉटन ने 1858 में दिया था। कॉटन इससे पहले कावेरी, कृष्णा और गोदावरी पर कई डैम और प्रोजेक्ट बना चुके थे। लेकिन तब के संसाधनों के बूते से बाहर होने के चलते यह योजना आगे नहीं बढ़ सकी। 1970 में तब इरिगेशन मिनिस्टर रहे केएल राव ने एक नेशनल वॉटर ग्रिड बनाने का प्रस्ताव दिया। राव का कहना था कि गंगा और ब्रह्मपुत्र जैसी नदियों में ज्यादा पानी रहता है जबकि मध्य और दक्षिण भारत के इलाकों में पानी की कमी रहती है। लिहाजा उत्तर भारत का अतिरिक्त पानी मध्य और दक्षिण भारत तक पहुंचाया जाए।
2002 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने नदी जोड़ परियोजना के बारे में प्रपोजल रखा गया। केंद्र ने नदियों को आपस में जोड़ने की व्यावहारिकता परखने के लिए एक कार्यदल का गठन किया। इसमें भी परियोजना को दो भागों में बांटने की सिफारिश की गई. पहले हिस्से में दक्षिण भारतीय नदियां शामिल थीं जिन्हें जोड़कर 16 कड़ियों की एक ग्रिड बनाई जानी थी। हिमालयी हिस्से के तहत गंगा, ब्रह्मपुत्र और इनकी सहायक नदियों के पानी को इकट्ठा करने की योजना बनाई गई। 2004 में यूपीए सरकार आने के बाद मामला ठंडे बस्ते में चला गया

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सीरिया व इराकी घुसपैठियों के बोझ से दबा फ्रांस गृहयुद्ध के कगार पर.. सड़को पर दिख रहे नकाबपोश जो हमला कर रहे पुलिस पर और जला रहे हैं घर
कुछ समय पहले यही देश दुनिया के बेहद खूबसूरत पर्यटक स्थलों के साथ अपनी ठाठ बाट व अमीरी के लिए जाना जाता था .. चाहे तालिबान के खिलाफ अफगानिस्तान में युद्ध हो या इराक में isis के विरुद्ध .. इस देश की बात की धमक अन्तराष्ट्रीय स्तर पर बहुत मायने रखती थी .. लेकिन अब वही फ्रांस इस स्तर पर आ गया है जहां सड़को पर गरीबी और महंगाई के चलते उतर गए हैं लोग और भिड़ गए हैं अपने ही देश की पुलिस व सुरक्षा बल से..
ये वही फ्रांस है जो एक के बाद एक आतंकी हमलों से जूझता रहा है . ये हमला सिर्फ फ्रांस के व्यक्तियों पर नही बल्कि उसकी अर्थव्यवस्था पर भी था जो मुख्य रूप से पर्यटन हुआ करती थी .. आतंकी हमलों से वही पर्यटन कारोबार की रीढ़ टूट गयी है और अब वही फ्रांस अग्रसर है गृहयुद्ध की तरफ ..अब तक मिली जानकारी के अनुसार प्रदर्शनकारियों के कुछ समूह सेंट्रल पैरिस की सड़कों पर हथियार लेकर घूम रहे हैं। इन लोगों ने कई वाहनों और बिल्डिंगों को आग के हवाले कर दिया है। इसे पिछले एक दशक का सबसे खतरनाक दंगा माना जा रहा है। इस दंगे में उन तमाम घुसपैठियों के शामिल होने का अंदेशा जताया जा रहा है जो इराक सीरिया के युद्ध के दौरान फ्रांस में दया की मांग करते हुए घुस गए थे.. सूत्रों के अनुसार बिल्डिंगों में लूटपाट को वही अंजाम दे रहे हैं ..
फ्रांस में पिछले एक दशक की सबसे भयंकर गृह अशांति की स्थिति बनी हुई है . तेजी से बढ़ी एक वर्ग की आबादी व ऊपर से घुसपैठियों का बोझ झेल रहे फ्रांस में महंगाई और पेट्रोल के दाम बढ़ने से नाराज नकाब पहने प्रदर्शनकारियों ने वाहनों और बिल्डिंगों में आग लगाई.. इतना ही नही , हर प्रयास के बाद असफल रही फ्रांस की सरकार इस बेहद विकट स्थिति में आपातकाल लागू करने पर विचार कर रही है .. मीडिया कोयह जानकारी फ्रांस सरकार के प्रवक्ता बेंजमिन ग्रीवोक्स ने दी. यूरोप 1 रेडियो से बातचीत में सरकार के प्रवक्ता ने कहा, ‘हमें कुछ ऐसी कार्रवाई करनी होगी, ताकि ऐसी हरकत फिर न हों।’इस प्रदर्शन को ‘येलो वेस्ट’ का नाम भी दिया गया है। प्रदर्शनकारी पीले रंग की वेस्ट पहनकर प्रदर्शन कर रहे हैं। यह प्रदर्शन शनिवार को उस समय उग्र हो गया, जब इनमें से कुछ लोगों ने वाहनों और बिल्डिंगों में आग लगानी शुरू कर दी।
फ्रांस की राजधानी पेरिस में प्रदर्शन कर रहे 288 लोगों को गिरफ्तार किया गया, जबकि लगभग 100 लोग घायल हो गए। इसी मुद्दे पर फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों प्रधानमंत्री और आंतरिक मामलों के मंत्री के साथ रविवार शाम को मीटिंग करने वाले हैं। इस मीटिंग में दंगाइयों से निपटने का रास्ता निकालने पर चर्चा होगी। परेशानी इस बात की है कि इन प्रदर्शनकारियों का कोई चेहरा नहीं है, जिससे सरकार बात कर सके। वो सभी ठीक उसी प्रकार से नकाब में हैं जैसे ISIS के आतंकी नकाब में हुआ करते हैं..
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सर्वोच्च न्यायालय कि भूमिका को देखते हुए ऐसा लगता है कि “justice delayed is justice denied” वाक्य को पाठ्यक्रम से हटा देना चाहिए. जिसका अर्थ होता है “न्याय में विलंब अन्याय है”
सरसंघचालक जी राम मंदिर निर्माण के लिए नागपुर में विश्व हिन्दू परिषद द्वारा आयोजित हुंकार सभा में संबोधित कर रहे थे.
राम मंदिर निर्माण के लिए सदन में कानून पारित करवाने हेतू सरकार पर दबाब बनाने के लिए ईश्वरराव देशमुख महाविद्यालय में हुंकार सभा का आयोजन किया गया था. जिसमें ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती, साध्वी ऋतंभरा, देवनाथ पीठाधीश्वर जितेंद्रनाथ महाराज और विश्व हिन्दू परिषद के कार्याध्यक्ष अलोक कुमार प्रमुख रूप से उपस्थित थे.
मोहन भागवत जी ने कहा कि राम मंदिर से जुड़े पहले आंदोलन में उन्होंने 1987 में हिस्सा लिया था. इस घटना को पूरे 30 वर्ष बीत चुके हैं. इसके बाद भी मंदिर नहीं बना और इस प्रकार से हुंकार सभा आयोजित करनी पड़ रही है. यह देश और समाज के सामने सबसे बड़ी विडंबना है. देश जब गुलाम था तो भारतीय लोक अपने मन से कोई फैसला नहीं कर पाते थे. लेकिन आजादी के बाद सरदार वल्लभबाई पटेल के नेतृत्व में सोमनाथ मंदिर का निर्माण हुआ. राम मंदिर का मसला भी ठीक उसी तरह का है. बाबर एक आक्रांता था. उसका देश के मुस्लिम समुदाय से कोई संबंध नहीं था. इस बाबर के सेनापती ने तलवार के दम पर राम मंदिर को ध्वस्त कर वहां ढाचा खड़ा करने का प्रयास किया था. इसलिए बाबर और बाबरी का देश के मुसलमानों से संबंध जोड़ना अनुचित है.
उन्होंने कहा कि राम जन्मभूमि पर पुरातत्त्व विभाग द्वारा की गई खुदाई में मंदिर के अवशेष प्राप्त हुए हैं. जिसे कानूनी तौर पर पुख्ता सबूत माना जाता है. समाज केवल कानून के अक्षरों से नहीं चलता, जनता और न्याय व्यवस्था को एक-दूसरे को समझने की आवश्यकता है. देश की सर्वोच्च अदालत ने साफ कर दिया है कि यह मामला उनकी वरियता का नहीं है. इस निर्णय को बार-बार टाला जा रहा है. इस मामले में रोड़ा अटकाने वालों के पास कोई तथ्य नहीं है. इसलिए वह इसे लंबा खींचना चाहते हैं. लेकिन अब देश के हिन्दुओं को राम मंदिर के लिए लड़ना नहीं अड़ना है. अयोध्या में मंदिर निर्माण के लिए 1980 से जो प्रयासरत हैं, उन्हीं के हाथों मंदिर खड़ा करवाना है.
अयोध्या में मंदिर निर्माण हेतु सरसंघचालक ने धैर्य, दृष्टी, दक्षता और मती के अनुसार आचरण चार बते बताईं. जिस प्रकार हनुमान ने धैर्य, दृष्टी, दक्षता और बुद्धियुक्त व्यवहार से समुद्र पर राज करने वाली सिंहीका राक्षसी को समाप्त किया था. हनुमान के उन्हीं गुणों को आचरण में उतारते हुए हमें पूरे देश में जनजागरण करना होगा, जिससे जनता जागृत हो और सरकार पर दबाव बनाए कि वह जल्द से जल्द राम मंदिर निर्माण का मार्ग बनाए.
मैं ये धैर्य रखने के लिए नहीं कह रहा हूं कि आप निर्णय की प्रतीक्षा करो. एक साल पहले मैंने ही कहा था धैर्य रखो. अब मैं कहता हूं कि अब धैर्य का काम नहीं, अब तो हमको जनजागरण करना पड़ेगा. अब तो हमको कानून की मांग करनी है. हां, ये नारा अच्छा है, लेकिन जहां देना वहीं देना, ये धैर्य रखना है. अपनी उत्कटता को व्यक्त कैसे करना उसके लिये धैर्यपूर्वक सतत् प्रयास करते हुए, मेरे मन की इच्छा है, समस्त साक्षात्कारी संतों की इच्छा है, सामान्यजनों की इच्छा है, और इसके पहले जिनकी नहीं थी उऩकी भी इच्छा है कि अब जल्दी-जल्दी भव्य राम मंदिर बने. अब ये इस आंदोलन का हमारा निर्णायक चरण हो और ऐसा जोर हम लगाएं कि भव्य राम मंदिर का निर्माण शुरू होने के बाद ही जागरण का काम रुके. उसके बाद कारसेवकों को वहां जाना पड़ेगा, इतना आह्वान में करता हूं.
मोदी जी, भागवत जी की इच्छा को आज्ञा मानें – साध्वी ऋतंभरा दीदी
साध्वी ऋतंभरा जी ने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर बने यह पूरे देश की इच्छा है. यदि न्यायालय द्वारा इसमें विलंब हो रहा है तो संसद में कानून बनाना चाहिए. सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने यही इच्छा व्यक्त की है. भारतीय सभ्यता में बड़ों की इच्छा को आज्ञा माना जाता है. इसलिए मोदी जी सरसंघचालक की इच्छा को आज्ञा समझ के संसद में राम मंदिर के लिए कानून बनाएं. रैली में उपस्थित 60 हजार रामभक्तों को संबोधित करते हुए ऋतंभरा दीदी ने कहा कि, देश में अब करोड़ों हिन्दुओं की आस्था से अधिक समलिंगी लोगों के मुद्दे अधिक प्रभावशाली हो गए हैं. इसलिए समलिंगियों के मामले में फैसला आ जाता है, लेकिन राममंदिर का मामला वहीं उलझा रहता है. देश में कुछ लोगों को लगता है कि वह नित नए हथकंडों से राम जन्मभूमि के मामले को उलझा देंगे. लेकिन वह ध्यान रखें कि यदि उनके पास हथकंडे हैं तो संतो के पास आस्था, त्याग और बलिदानों के डंडे हैं. हमारी सभ्यता प्राचीन काल से शक, हुण, मुगल सभी को स्वीकारते आई है. इतना ही नहीं हमने धर्म के आधार पर हुए देश के दुर्भाग्यपूर्ण विभाजन को भी स्वीकार किया है. अब बड़ा दिल करने की बारी दूसरे पक्ष की है. यदि प्रधानमंत्री इस मामले में संसद में कानून बनाते हैं तो वह कालजयी हो जाएंगे. कई बार ऐसा होता है कि बच्चा जब तक रोता नहीं मां उसे दूध नहीं पिलाती. शायद सरकार भी इसी इंतजार में बैठी हो. इसलिए देश के सभी हिन्दुओं को आपसी भेदभाव को भुला कर सरकार पर दबाव बनाना चाहिए. राम मंदिर का मुस्लिमों से ज्यादा हिन्दू विरोध करते हैं. अब समय आ गया है कि हम संयुक्त रूप से अपनी मांग सरकार के सामने रखें. न्यायालय ने तो भूमिका साफ कर दी है. इसलिए संसद में कानून बनाने के लिए हमें सरकार पर दबाव बनाना होगा.
ऋतंभरा दीदी ने कांग्रेस नेता सीपी जोशी की आलोचना की. उन्होंने कहा कि अपने बयान से हिन्दुओं को जाति, पंथ, संप्रदायों में विभाजित करने वाले सी.पी. जोशी कैंची की तरह हैं, जो केवल काटना जानती है. दूसरी ओर संत समाज सुई-धागा है जो सिलाई से पूरे हिन्दू समाज को जोड़े रखता है.
सरकार फायदे में रहेगी – शंकराचार्य
ज्योतिषपीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती जी ने कहा कि अयोध्या में मंदिर के प्रमाण मिलने के बाद भी सर्वोच्च न्यायालय ने टायटल सूट को पार्टीशन सूट में तब्दील कर दिया है. यह देश के हिन्दुओं की जनभावना का अनादर है. इस मामले में जल्द फैसला होना चाहिए. यदि ऐसा नहीं होता तो सरकार का यह कर्तव्य है कि वह संसद में कानून बनाए. इसी में सरकार का हित होगा. राज्य सभा में बहुमत की मुश्किल पेश आ रही हो तो प्रधानमंत्री संसद का संयुक्त अधिवेशन बुला कर कानून पारित करें. यदि उसके बाद भी कोई रोड़ा अटकाता है तो वह बेनकाब हो जाएगा. ऐसा हुआ तो उसका फायदा भी सरकार को मिलेगा और सरकार फिर से सत्ता में आएगी. इस अवसर पर शंकराचार्य ने इलाहबाद और फैजाबाद के नामांतरण की प्रशंसा करते हुए दिल्ली का नाम बदल कर इंद्रप्रस्थ रखने की मांग की
संसद में अध्यादेश लाना संभव – आलोक कुमार
विहिप के कार्याध्यक्ष अलोक कुमार जी ने कहा कि अयोध्या मामले में किसी भी प्रकार की कोई कानूनी जटिलता नहीं है. इस मामले में सुन्नी वक्फ बोर्ड की याचिका खारिज हो चुकी है. लेकिन राम जन्मभूमि का तीन हिस्सों में विभाजन किया गया है. जमीन के विभाजन का यह मसला सर्वोच्च न्यायालय के सामने विचाराधीन है. लेकिन सर्वोच्च न्यायालय इस मामले में जल्दी फैसला नहीं करना चाहता. इसलिए सरकार कानून से इस मामले का निपटारा कर सकती है. इससे पहले भी, एससी -एसटी एक्ट, शहाबानो जैसे मामले सरकार ने कानून से निपटाए हैं. इसलिए राम जन्मभूमि मामले में भी सरकार अध्यादेश पारित कर जनभावना का आदर करे.
कड़ा संघर्ष होगा – जितेंद्रनाथ महाराज
देवनाथ पीठाधीश्वर जितेंद्रनाथ महाराज ने कहा कि एक ओर सर्वोच्च न्यायालय समलैंगिकता, महिलाओं के विवाहबाह्य संबंध, पटाखे और शबरीमला जैसे कई गैर जरूरी मामलों का निपटारा करते आया है. वहीं करोड़ों हिन्दुओं की आस्था से जुड़े राम मंदिर के विषय को बार बार टाला जा रहा है. इसलिए अब याचना नहीं रण होगा, संघर्ष बड़ा कड़ा होगा. उन्होंने हिन्दू समाज को सरकार पर कानून बनाने के लिए दबाव डालने का आवाहन किया.







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पिछले कुछ दिनों हफ्तों में दुनिया में क्या कुछ हो गया ....... आपने ध्यान दिया ?
सबसे पहले तो अमृतसर में आतंकी हमला हुआ जिसमे 3 मासूम मारे गए और 20 से ज़्यादा घायल हुए ।
हमले में जो Hand Granade इस्तेमाल हुआ वो पाकिस्तान की एक Ordinance Factory में बना है ।
इससे पहले इसी 9 नवंबर को रूस में एक अफगान peace Summit हुआ जिसे रूस ने आयोजित किया और जिसमे अफगानिस्तान , अफगान तालिबान, भारत,चीन, पाकिस्तान, ईरान और 5 देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया ...इस Peace Summit को अमेरिका की सहमति थी और रूस में अमरीकी राजदूत ने इसमे एक Observer के रूप में शिरक़त की ..........
सबसे महत्वपूर्ण Development ये हुई कि  राज्यपाल  ने जम्मू काश्मीर की विधानसभा भंग कर दी ..अमृतसर आतंकी हमले की प्रारंभिक जांच में इस आशंका की पुष्टि हुई है कि हमलावरों के तार पाकिस्तान की ISI और काश्मीरी Militant Groups से जुड़े हुए हैं .........
उधर बलोचिस्तान में पाकिस्तान की हालत बहुत नाज़ुक है ...पिछले हफ्ते बलोचिस्तान के विभिन्न शहरों में पाकिस्तान विरोधी उग्र प्रदर्शन हुए हैं ।
रूस में हुए Peace Summit में पाकिस्तानी delegate ने ये आरोप लगाया है कि अफगानिस्तान साढ़े तीन लाख बलूच विद्रोहियों को हथियार और ट्रेनिंग दे के तैयार कर रहा है । ध्यान रहे कि अफगानिस्तान से लगती पाकिस्तान -- बलोचिस्तान सीमा एक खुला border है जिसमे एक ही ethnicity की जनसंख्या दोनों तरफ रहती है और खुलेआम आती जाती है ..इसी porus border का लाभ उठा के अफगानिस्तान बलूच विद्रोहियों को हथियारों से लैस कर रहा है .ये सब जानते हैं की अफगानिस्तान के पीछे किसका हाथ है ...... उधर अफगान तालिबान पुनः सशक्त और संगठित हो रहे हैं । उनके पास न नए रंगरूटों की कमी है और न Funds की ......... दुनिया भर में पैदा होने वाली कुल अफीम का 90% उत्पादन अफगानिस्तान में होता है और ये पूरा Trade तालिबान के नियंत्रण में है । उधर पाकिस्तान में चलने वाले मदरसों से पढ़े तालिब ही उनके रंगरूट होते हैं । पाकिस्तान नही चाहता कि अफगानिस्तान में शांति स्थापित हो , क्योंकि वहां शांति होते ही Action बलूचिस्तान में shift हो जाएगा । आज पाकिस्तान का रोम रोम कर्ज़ में डूबा है और वो दीवालिया होने की कगार पे है । अगर बलोचिस्तान में हालात बिगड़े तो उसे अपनी फौज काश्मीर से हटा के बलूचिस्तान पे लगानी पड़ेगी ........ इससे उसकी पकड़ काश्मीर में ढीली पड़ेगी और इतनी औकात उसकी है नही कि वो बलूच insurgency को Deal कर सके । इसलिए उसने Focus भारत में पंजाब पे shift कर दिया है ।
वो पंजाब में कश्मीर के रास्ते घुसने की फ़िराक़ में है ।
कश्मीर में महबूबा , Congress की मिलीभगत से फिर सरकार बनाने के मंसूबे पाल रही थी जो कल मोदी जी ने JK विधानसभा भंग कर ध्वस्त कर दिए ।
पंजाब में खालिस्तानी / पाकिस्तानी आतंकवाद से लड़ने के लिए जम्मू काश्मीर पे Hold होना बहुत ज़रूरी है ।
वैश्विक geo polity में इस रीजन का महत्व बहुत ज़्यादा बढ़ गया है । इस समय दुनिया के सबसे बड़े दो Key Player चीन और भारत इन दोनों के तार बलोचिस्तान से जुड़े हैं । चीन बलोचिस्तान में CPEC बना के फँस गया है । इस पूरी GeoPolitical उठापटक की थोड़ी बहुत आंच तो पंजाब तक आनी लाज़मी है । मोदी -- अजीत डोभाल की बहुत बड़ी भूमिका है इस पूरी GeoPolitical युद्ध में ।
ऐसे में कांग्रेस यदि अजीत डोभाल पे हमलावर है तो बात समझने की है ।
शुक्र है कि इस युद्ध में हमारे सेनापति मोदी हैं ..
Ajit Singh
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अब पब्लिक रेटिंग के आधार पर तय होगा
अधिकारियों का प्रमोशन ..//

= जिस अधिकारी और कर्मचारियों की ग्रेडिंग बेहतर होगी, उन्हें बेहतर प्रमोशन मिल सकेगा
= किसी प्रॉडक्ट की तरह इन कर्मचारियों की भी ग्रेडिंग करने का पूरा सिस्टम बनाया गया है
= पीएमओ के निर्देश पर डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनेल ऐंड ट्रेनिंग ने इस प्रस्ताव को मान लिया है
इसका फॉरमैट तैयार कर लिया गया है 1 अप्रैल 2019 से नई व्यवस्था लागू की जा सकती है
           नई दिल्ली अगले साल से सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों के प्रमोशन में सबसे अहम भूमिका पब्लिक फीडबैक की रहेगी। जिस अधिकारी और कर्मचारियों की ग्रेडिंग बेहतर होगी, उन्हें बेहतर प्रमोशन मिल सकेगा। किसी प्रॉडक्ट की तरह इन कर्मचारियों की भी ग्रेडिंग करने का पूरा सिस्टम बनाया गया है। इस दिशा में पिछले दिनों सरकार को एक प्रस्ताव मिला था।
सूत्रों के अनुसार पीएमओ के निर्देश पर डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनेल ऐंड ट्रेनिंग (DoPT) ने इस प्रस्ताव को मान लिया है और 1 अप्रैल 2019 से नई व्यवस्था लागू की जा सकती है। नई व्यवस्था के तहत सरकारी कामकाज के दौरान आम लोगों का अनुभव किस तरह होता है और वे बाबू और कर्मचारियों को किस तरह की ग्रेडिंग देंगे, इसे पब्लिक डोमेन में रखा जाएगा। आम लोगों की ओर से मिली ग्रेडिंग इन अधिकारियों के प्रमोशन से लेकर वेतन वृद्धि तक तय करेगी। पीएमओ के निर्देश पर इसका फॉरमैट तैयार किया गया।

सातवें वेतन आयोग ने दिया था सुझाव
नए फॉरमैट में अधिकारी के कामकाज को ग्रेड और अंक देने की व्यवस्था है। इसे उस अधिकारी और कर्मचारी के रेकॉर्ड में दर्ज किया जाएगा। इसका मतलब कि अब केंद्र सरकार के दफ्तरों में फाइव स्टार या वन स्टार अधिकारी या कर्मचारी के बारे में लोग पहले ही जान सकेंगे। दरअसल, सातवें वेतन आयोग में इनके कामकाज की समीक्षा को और बेहतर करने के कई सुझाव दिए गए थे। जिन मंत्रालयों और विभागों का अधिकतर वास्ता सीधे आम लोगों से पड़ता है, वहां अब प्रमोशन और बेहतर अप्रेजल के लिए 80 फीसदी वजन पब्लिक फीडबैक को दिया जाएगा।





Friday 16 November 2018

*🅾 क्रांतीसूर्य - बिरसा मुंडा 🅾*_
एक अधूरा सपना
(अबुआ: दिशोम रे अबुआ: राज)
१४१ वा जयंती स्मरण
_जन्म_ : 15 नवंबर 1875
_शहीद_ : *9 जून 1900*
_माता_ : सुगना मुंडा
_पिता_ : करमी हातू मुंडा
_गाँव_ : मेंराँची का उलीहातू गाँव
_जन्मस्थल_ : खूँटी झारखंड
_मृत्युस्थल_ : राँची झारखंड
_आन्दोलन_ : भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम
_उनकी उपाधी_ : १.क्रांतीसूर्य
२.धरतीआबा
३.भगवान
_उनकी स्मृति_ : १.बिरसा मुंडा केन्द्रीय कारागार राँची
२.बिरसा मुंडा हवाई-अड्डा राँची
_उनका विद्रोह_ : १.संथाल विद्रोह
२.कोल विद्रोह
३.गोंड विद्रोह
४.खासी विद्रोह
५.मानगढ का विद्रोह
_*आदिवासी जननायक*_
_बिरसा मुंडा 19वीं सदी के एक प्रमुख आदिवासी जननायक थे। उनके नेतृत्व में मुंडा आदिवासियों ने 19वीं सदी के आखिरी वर्षों में मुंडाओं के महान आन्दोलन उलगुलान को अंजाम दिया। बिरसा को मुंडा समाज के लोग भगवान के रूप में पूजते हैं।_
_*आरंभिक जीवन*_
_सुगना मुंडा और करमी हातू के पुत्र बिरसा मुंडा का जन्म १५ नवम्बर १८७५ को झारखंड प्रदेश मेंराँची के उलीहातू गाँव में हुआ था। साल्गा गाँव में प्रारम्भिक पढाई के बाद वे चाईबासा इंग्लिश मिडिल स्कूल में पढ़ने आये। इनका मन हमेशा अपने समाज की ब्रिटिश शासकों द्वारा की गयी बुरी दशा पर सोचता रहता था। उन्होंने मुंडा लोगों को अंग्रेजों से मुक्ति पाने के लिये अपना नेतृत्व प्रदान किया। कॉलेज स्कुली वाद-विवाद में हमेशा प्रखरता के साथ आदिवासियों की जल, जंगल और जमीन पर हक की वकालत करते थे। उन्हीं दिनों एक पादरी डॉ. नोट्रेट ने लोगों को लालच दिया कि अगर वह ईसाई बनें और उनके अनुदेशों का पालन करते रहें तो वे मुंडा सरदारों की छीनी हुई भूमि को वापस करा देंगे. लेकिन 1886-87 में मुंडा सरदारों ने जब भूमि वापसी का आंदोलन किया तो इस आंदोलन को न केवल दबा दिया गया बल्की ईसाई मिशनरियों द्वारा इसकी भर्त्सना की गई जिससे बिरसा मुंडा को गहरा आघात लगा। उनकी बगावत को देखते हुए उन्हें विद्यालय से निकाल दिया गया। फलत: 1890 में बिरसा तथा उसके पिता चाईबासा से वापस आ गए। 1886 से 1890 तक बिरसा का चाईबासा मिशन के साथ रहना उनके व्यक्तित्व का निर्माण काल था। यही वह दौर था जिसने बिरसा मुंडा के अंदर बदले और स्वाभिमान की ज्वाला पैदा कर दी. बिरसा मुंडा पर संथाल विद्रोह, चुआर आंदोलन, कोल विद्रोह का भी व्यापक प्रभाव पड़ा. अपनी जाति की दुर्दशा, सामाजिक, सांस्कृतिक एवं धार्मिक अस्मिता को खतरे में देख उनके मन में क्रांति की भावना जाग उठी. उन्होंने मन ही मन यह संकल्प लिया कि मुंडाओं का शासन वापस लाएंगे तथा अपने लोगों में जागृति पैदा करेंगे. १८९४ में मानसून के छोटानागपुर में असफल होने के कारण भयंकर अकाल और महामारी फैली हुई थी। बिरसा ने पूरे मनोयोग से अपने लोगों की सेवा की।_
_*बिरसाइत धर्म की स्थापना*_
_गांधी से पहले गांधी की अवधारणा के तत्व के उभार के पीछे भी बिरसा का समाज एवं पड़ोस के सूक्ष्म अवलोकन एवं उसे नयी अंतर्दृष्टि देने का तत्व ही था। तभी तो उन्होंने गांधी के समान समस्याओं को देखा-सुना, फिर चिंतन-मनन किया। उनका मुंडा समाज को पुनर्गठित करने का प्रयास अंग्रेजी हुकूमत के लिए विकराल चुनौती बना। उन्होंने नए बिरसाइत धर्म की स्थापना की तथा लोगों को नई सोच दी, जिसका आधार सात्विकता, आध्यात्मिकता, परस्पर सहयोग, एकता व बंधुता था। उन्होंने 'गोरो वापस जाओ' का नारा दिया एवं परंपरागत लोकतंत्र की स्थापना पर बल दिया, ताकि शोषणमुक्त 'आदिम साम्यवाद' की स्थापना हो सके। उन्होंने कहा था- 'महारानी राज' जाएगा एवं 'अबुआ राज' आएगा. बिरसा के द्वारा स्थापित बिरसाइत पंथ आज भी कायम है। खूंटी जिला मुख्यालय से पांच किलोमीटर दूर जंगल के बीच बिरसाइतों का गांव है अनिगड़ा। कभी इस गांव में बिरसाइतों की काफी संख्या थी। अब ये नाममात्र के रह गए हैं। ये अपनी गरीबी से अधिक सरकारी उपेक्षा से दुखी हैं। ज्ञातव्य है कि यदि अंग्रेजों ने शोषण किया तो आजाद भारत की सरकार ने भी इनके साथ कम धोखा नहीं किया है। आजादी के बाद भी मुंडाओं को लगान-सूद से मुक्ति नहीं मिली तथा जल, जंगल, जमीन पर अधिकार नहीं मिला। 'अबुआ दिशुम' का सपना अभी तक पूरा नहीं हुआ है।_
_*मुंडा विद्रोह का नेतृत्व*_
_1 अक्टूबर 1894 को नौजवान नेता के रूप में सभी मुंडाओं को एकत्र कर इन्होंने अंग्रेजों से लगान माफी के लिये आन्दोलन किया। 1895 में उन्हें गिरफ़्तार कर लिया गया और हजारीबाग केन्द्रीय कारागार में दो साल के कारावास की सजा दी गयी। लेकिन बिरसा और उसके शिष्यों ने क्षेत्र की अकाल पीड़ित जनता की सहायता करने की ठान रखी थी और अपने जीवन काल में ही एक महापुरुष का दर्जा पाया। उन्हें उस इलाके के लोग "धरती बाबा" के नाम से पुकारा और पूजा जाता था। उनके प्रभाव की वृद्धि के बाद पूरे इलाके के मुंडाओं में संगठित होने की चेतना जागी।_
_*विद्रोह में भागीदारी*_
_बिरसा मुण्डा का राँची स्थित स्टेच्यू 1897 से 1900 के बीच मुंडाओं और अंग्रेज सिपाहियों के बीच युद्ध होते रहे और बिरसा और उसके चाहने वाले लोगों ने अंग्रेजों की नाक में दम कर रखा था। अगस्त 1897 में बिरसा और उसके चार सौ सिपाहियों ने तीर कमानों से लैस होकर खूँटी थाने पर धावा बोला। 1898 में तांगा नदी के किनारे मुंडाओं की भिड़ंत अंग्रेज सेनाओं से हुई जिसमें पहले तो अंग्रेजी सेना हार गयी लेकिन बाद में इसके बदले उस इलाके के बहुत से आदिवासी नेताओं की गिरफ़्तारियाँ हुईं।_
_*संथाल विद्रोह*_
_राम दयाल मुंडा के अनुसार ब्रिटिश शासन को रेलवे के लिए संथाल क्षेत्र चाहिए था। इसके अलावा उन्हें राजस्व का भी लोभ था। जंगलों को साफ कर खेत बनाने पर जोर दिया जा रहा था। ऐसा करने के लिए प्रोत्साहन भी दिया जा रहा था। आदिवासियों के लिए पहाड़ी क्षेत्र में जो भी भूमि थी, फल फूल थे, वे उसी के लिए लड़ाई लड़ रहे थे। राम दयाल मुंडा का मानना है कि मैदानी भारत एक तरह से समर्पण करता गया वहीं पहाड़ों में विरोध होता रहा। अंग्रेज आमने सामने की लड़ाई में भले ही शक्तिशाली थे मगर गुरिल्ला युद्ध के लिए वे तैयार नहीं थे और न ही उनकी सेना में ऐसे युद्ध के लिए कोई इकाई थी। बहरहाल वे किसी प्रकार आंदोलन को कुचलने में सफल रहे। वर्ष १८५५ में बंगाल के मुर्शिदाबाद तथा बिहार के भागलपुर जिलों में स्थानीय जमीनदार, महाजन और अंग्रेज कर्मचारियों के अन्याय अत्याचार के शिकार संथाली जनता ने एकबद्ध होकर उनके विरुद्ध विद्रोह का बिगुल फूँक दिया था। इसे संथाल विद्रोह या संथाल हुल कहते हैं। संताली भाषा में 'हूल' शब्द का शाब्दिक अर्थ है 'विद्रोह'। यह उनके विरुद्ध प्रथम सशस्त्र जनसंग्राम था। सिधु, कानु और चाँद इस आन्दोलन का नेतृत्व करने वाले प्रमुख नेता थे। १८५२ में लॉर्ड कार्नवालिस द्वारा आरम्भ किए गए स्थाई बन्दोबस्त के कारण जनता के ऊपर बढ़े हुए अत्याचार इस विद्रोह का एक प्रमुख कारण था।_
_*ईसाई मिशनरियों के धर्मान्तरण का विरोध*_
_बिरसा मुंडा की गणना महान देशभक्तों में की जाती है. उन्होंने वनवासियों और आदिवासियों को एकजुट कर उन्हें अंग्रेजी शासन के खिलाफ संघर्ष करने के लिए तैयार किया. इसके अतिरिक्त उन्होंने भारतीय आदिवासी संस्कृति की रक्षा करने के लिए धर्मान्तरण करने वाले ईसाई मिशनरियों का विरोध किया. ईसाई धर्म स्वीकार करने वाले आदिवसियो को उन्होंने अपनी सभ्यता एवं संस्कृति की जानकारी दी और अंग्रेजों के षडयन्त्र के प्रति सचेत किया._
_*अंग्रेजों द्वारा गिरफ़्तारी*_
_जनवरी 1900 डोमबाड़ी पहाड़ी पर एक और संघर्ष हुआ था जिसमें बहुत से औरतें और बच्चे मारे गये थे। उस जगह बिरसा अपनी जनसभा को सम्बोधित कर रहे थे। 3 फरवरी 1900 को सेंतरा के पश्चिम जंगल में बने शिविर से बिरसा को गिरफ्तार कर उन्हें तत्काल रांची कारागार में बंद कर दिया गया। बिरसा के साथ अन्य 482 आंदोलनकारियों को गिरफ्तार किया गया। उनके खिलाफ 15 आरोप दर्ज किए गए। शेष अन्य गिरफ्तार लोगों में सिर्फ 98 के खिलाफ आरोप सिध्द हो पाया। बिरसा के विश्वासी गया मुंडा और उनके पुत्र सानरे मुंडा को फांसी दी गई। गया मुंडा की पत्नी मांकी को दो वर्ष के सश्रम कारावास की सजा दी गई।_
_*अन्तिम साँस*_
_मुकदमे की सुनवाई के शुरुआती दौर में उन्होंने जेल में भोजन करने के प्रति अनिच्छा जाहिर की। अदालत में तबियत खराब होने की वजह से जेल वापस भेज दिया गया। 1 जून को जेल अस्पताल के चिकित्सक ने सूचना दी कि बिरसा को हैजा हो गया है और उनके जीवित रहने की संभावना नहीं है। 9 जून 1900 की सुबह सूचना दी गई कि बिरसा नहीं रहे यही उनकी अंतिम सांस रही। इस तरह एक क्रातिकारी जीवन का अंत हो गया। बिरसा के संघर्ष के परिणामस्वरूप छोटा नागपुर काश्तकारी अधिनियम 1908 बना। जल, जंगल और जमीन पर पारंपरिक अधिकार की रक्षा के लिए शुरु हुए आंदोलन एक के बाद एक श्रृंखला में गतिमान रहे तथा इसकी परिणति अलग झारखंड राय के रूप में हुई। आजादी के बाद औद्योगिकीकरण के दौर ने उस सामाजिक-आर्थिक व्यवस्था को ध्वस्त कर दिया जिसकी स्थापना के लिए बिरसा का उलगुलान था। आज भी बिहार, उड़ीसा, झारखंड, छत्तीसगढ और पश्चिम बंगाल के आदिवासी इलाकों में बिरसा मुण्डा को भगवान की तरह पूजा जाता है. अपने पच्चीस साल के छोटे जीवन में ही उन्होंने जो क्रांति पैदा की वह अतुलनीय है. बिरसा मुंडा धर्मान्तरण, शोषण और अन्याय के विरुद्ध सशस्त्र क्रांति का संचालन करने वाले महान सेनानायक थे._
_*बिरसा मुण्डा की समाधी*_
_बिरसा मुण्डा की समाधि राँची में कोकर के निकट डिस्टिलरी पुल के पास स्थित है। वहीं उनका स्टेच्यू भी लगा है। उनकी स्मृति में रांची में बिरसा मुण्डा केन्द्रीय कारागार तथा बिरसा मुंडा हवाई-अड्डा भी है। राम दयाल मुंडा के अनुसार बिरसा के देहांत के बाद काफी असर हुआ और रैयतों के हित में कानून बनने की प्रक्रिया शुरू हुई। बाद में छोटानागपुर टेनेंसी कानून बना। झारखंड में काफी बड़ी संख्या में लोगों का बिरसा के साथ भावनात्मक लगाव है और उनके जन्मदिवस 15 नवंबर के मौके पर झारखंड राज्य का गठन हुआ। उनके अनुसार बिरसा ने जिन मुद्दों को लेकर संघर्ष किया, उसकी प्रासंगिकता अब भी बरकरार है।_
_*अधुरा सपना - अबुआ: दिशोम*_
''अबुआ: दिशोम रे अबुआ: राज"
(अर्थात हमारे देश में हमारा शासन)
_का नारा देकर भारत वर्ष के छोटा नागपुर क्षेत्र के आदिवासी नेता भगवान बिरसा मुंडा ने अंग्रेजों की हुकुमत के सामने कभी घुटने नहीं टेके, सर नहीं झुकाया बल्कि जल, जंगल और जमीन के हक के लिए अंग्रेजों के खिलाफ 'उलगुलान' अर्थात क्रांति का आह्वान किया।
[11/15, 9:56 AM] Kaniram Ji: _*🅾 क्रांतीसूर्य - बिरसा मुंडा 🅾*_
एक अधूरा सपना
(अबुआ: दिशोम रे अबुआ: राज)
१४१ वा जयंती स्मरण
_जन्म_ : 15 नवंबर 1875
_शहीद_ : *9 जून 1900*
_माता_ : सुगना मुंडा
_पिता_ : करमी हातू मुंडा
_गाँव_ : मेंराँची का उलीहातू गाँव
_जन्मस्थल_ : खूँटी झारखंड
_मृत्युस्थल_ : राँची झारखंड
_आन्दोलन_ : भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम
_उनकी उपाधी_ : १.क्रांतीसूर्य
२.धरतीआबा
३.भगवान
_उनकी स्मृति_ : १.बिरसा मुंडा केन्द्रीय कारागार राँची
२.बिरसा मुंडा हवाई-अड्डा राँची
_उनका विद्रोह_ : १.संथाल विद्रोह
२.कोल विद्रोह
३.गोंड विद्रोह
४.खासी विद्रोह
५.मानगढ का विद्रोह
_*आदिवासी जननायक*_
_बिरसा मुंडा 19वीं सदी के एक प्रमुख आदिवासी जननायक थे। उनके नेतृत्व में मुंडा आदिवासियों ने 19वीं सदी के आखिरी वर्षों में मुंडाओं के महान आन्दोलन उलगुलान को अंजाम दिया। बिरसा को मुंडा समाज के लोग भगवान के रूप में पूजते हैं।_
_*आरंभिक जीवन*_
_सुगना मुंडा और करमी हातू के पुत्र बिरसा मुंडा का जन्म १५ नवम्बर १८७५ को झारखंड प्रदेश मेंराँची के उलीहातू गाँव में हुआ था। साल्गा गाँव में प्रारम्भिक पढाई के बाद वे चाईबासा इंग्लिश मिडिल स्कूल में पढ़ने आये। इनका मन हमेशा अपने समाज की ब्रिटिश शासकों द्वारा की गयी बुरी दशा पर सोचता रहता था। उन्होंने मुंडा लोगों को अंग्रेजों से मुक्ति पाने के लिये अपना नेतृत्व प्रदान किया। कॉलेज स्कुली वाद-विवाद में हमेशा प्रखरता के साथ आदिवासियों की जल, जंगल और जमीन पर हक की वकालत करते थे। उन्हीं दिनों एक पादरी डॉ. नोट्रेट ने लोगों को लालच दिया कि अगर वह ईसाई बनें और उनके अनुदेशों का पालन करते रहें तो वे मुंडा सरदारों की छीनी हुई भूमि को वापस करा देंगे. लेकिन 1886-87 में मुंडा सरदारों ने जब भूमि वापसी का आंदोलन किया तो इस आंदोलन को न केवल दबा दिया गया बल्की ईसाई मिशनरियों द्वारा इसकी भर्त्सना की गई जिससे बिरसा मुंडा को गहरा आघात लगा। उनकी बगावत को देखते हुए उन्हें विद्यालय से निकाल दिया गया। फलत: 1890 में बिरसा तथा उसके पिता चाईबासा से वापस आ गए। 1886 से 1890 तक बिरसा का चाईबासा मिशन के साथ रहना उनके व्यक्तित्व का निर्माण काल था। यही वह दौर था जिसने बिरसा मुंडा के अंदर बदले और स्वाभिमान की ज्वाला पैदा कर दी. बिरसा मुंडा पर संथाल विद्रोह, चुआर आंदोलन, कोल विद्रोह का भी व्यापक प्रभाव पड़ा. अपनी जाति की दुर्दशा, सामाजिक, सांस्कृतिक एवं धार्मिक अस्मिता को खतरे में देख उनके मन में क्रांति की भावना जाग उठी. उन्होंने मन ही मन यह संकल्प लिया कि मुंडाओं का शासन वापस लाएंगे तथा अपने लोगों में जागृति पैदा करेंगे. १८९४ में मानसून के छोटानागपुर में असफल होने के कारण भयंकर अकाल और महामारी फैली हुई थी। बिरसा ने पूरे मनोयोग से अपने लोगों की सेवा की।_
_*बिरसाइत धर्म की स्थापना*_
_गांधी से पहले गांधी की अवधारणा के तत्व के उभार के पीछे भी बिरसा का समाज एवं पड़ोस के सूक्ष्म अवलोकन एवं उसे नयी अंतर्दृष्टि देने का तत्व ही था। तभी तो उन्होंने गांधी के समान समस्याओं को देखा-सुना, फिर चिंतन-मनन किया। उनका मुंडा समाज को पुनर्गठित करने का प्रयास अंग्रेजी हुकूमत के लिए विकराल चुनौती बना। उन्होंने नए बिरसाइत धर्म की स्थापना की तथा लोगों को नई सोच दी, जिसका आधार सात्विकता, आध्यात्मिकता, परस्पर सहयोग, एकता व बंधुता था। उन्होंने 'गोरो वापस जाओ' का नारा दिया एवं परंपरागत लोकतंत्र की स्थापना पर बल दिया, ताकि शोषणमुक्त 'आदिम साम्यवाद' की स्थापना हो सके। उन्होंने कहा था- 'महारानी राज' जाएगा एवं 'अबुआ राज' आएगा. बिरसा के द्वारा स्थापित बिरसाइत पंथ आज भी कायम है। खूंटी जिला मुख्यालय से पांच किलोमीटर दूर जंगल के बीच बिरसाइतों का गांव है अनिगड़ा। कभी इस गांव में बिरसाइतों की काफी संख्या थी। अब ये नाममात्र के रह गए हैं। ये अपनी गरीबी से अधिक सरकारी उपेक्षा से दुखी हैं। ज्ञातव्य है कि यदि अंग्रेजों ने शोषण किया तो आजाद भारत की सरकार ने भी इनके साथ कम धोखा नहीं किया है। आजादी के बाद भी मुंडाओं को लगान-सूद से मुक्ति नहीं मिली तथा जल, जंगल, जमीन पर अधिकार नहीं मिला। 'अबुआ दिशुम' का सपना अभी तक पूरा नहीं हुआ है।_
_*मुंडा विद्रोह का नेतृत्व*_
_1 अक्टूबर 1894 को नौजवान नेता के रूप में सभी मुंडाओं को एकत्र कर इन्होंने अंग्रेजों से लगान माफी के लिये आन्दोलन किया। 1895 में उन्हें गिरफ़्तार कर लिया गया और हजारीबाग केन्द्रीय कारागार में दो साल के कारावास की सजा दी गयी। लेकिन बिरसा और उसके शिष्यों ने क्षेत्र की अकाल पीड़ित जनता की सहायता करने की ठान रखी थी और अपने जीवन काल में ही एक महापुरुष का दर्जा पाया। उन्हें उस इलाके के लोग "धरती बाबा" के नाम से पुकारा और पूजा जाता था। उनके प्रभाव की वृद्धि के बाद पूरे इलाके के मुंडाओं में संगठित होने की चेतना जागी।_
_*विद्रोह में भागीदारी*_
_बिरसा मुण्डा का राँची स्थित स्टेच्यू 1897 से 1900 के बीच मुंडाओं और अंग्रेज सिपाहियों के बीच युद्ध होते रहे और बिरसा और उसके चाहने वाले लोगों ने अंग्रेजों की नाक में दम कर रखा था। अगस्त 1897 में बिरसा और उसके चार सौ सिपाहियों ने तीर कमानों से लैस होकर खूँटी थाने पर धावा बोला। 1898 में तांगा नदी के किनारे मुंडाओं की भिड़ंत अंग्रेज सेनाओं से हुई जिसमें पहले तो अंग्रेजी सेना हार गयी लेकिन बाद में इसके बदले उस इलाके के बहुत से आदिवासी नेताओं की गिरफ़्तारियाँ हुईं।_
_*संथाल विद्रोह*_
_राम दयाल मुंडा के अनुसार ब्रिटिश शासन को रेलवे के लिए संथाल क्षेत्र चाहिए था। इसके अलावा उन्हें राजस्व का भी लोभ था। जंगलों को साफ कर खेत बनाने पर जोर दिया जा रहा था। ऐसा करने के लिए प्रोत्साहन भी दिया जा रहा था। आदिवासियों के लिए पहाड़ी क्षेत्र में जो भी भूमि थी, फल फूल थे, वे उसी के लिए लड़ाई लड़ रहे थे। राम दयाल मुंडा का मानना है कि मैदानी भारत एक तरह से समर्पण करता गया वहीं पहाड़ों में विरोध होता रहा। अंग्रेज आमने सामने की लड़ाई में भले ही शक्तिशाली थे मगर गुरिल्ला युद्ध के लिए वे तैयार नहीं थे और न ही उनकी सेना में ऐसे युद्ध के लिए कोई इकाई थी। बहरहाल वे किसी प्रकार आंदोलन को कुचलने में सफल रहे। वर्ष १८५५ में बंगाल के मुर्शिदाबाद तथा बिहार के भागलपुर जिलों में स्थानीय जमीनदार, महाजन और अंग्रेज कर्मचारियों के अन्याय अत्याचार के शिकार संथाली जनता ने एकबद्ध होकर उनके विरुद्ध विद्रोह का बिगुल फूँक दिया था। इसे संथाल विद्रोह या संथाल हुल कहते हैं। संताली भाषा में 'हूल' शब्द का शाब्दिक अर्थ है 'विद्रोह'। यह उनके विरुद्ध प्रथम सशस्त्र जनसंग्राम था। सिधु, कानु और चाँद इस आन्दोलन का नेतृत्व करने वाले प्रमुख नेता थे। १८५२ में लॉर्ड कार्नवालिस द्वारा आरम्भ किए गए स्थाई बन्दोबस्त के कारण जनता के ऊपर बढ़े हुए अत्याचार इस विद्रोह का एक प्रमुख कारण था।_
_*ईसाई मिशनरियों के धर्मान्तरण का विरोध*_
_बिरसा मुंडा की गणना महान देशभक्तों में की जाती है. उन्होंने वनवासियों और आदिवासियों को एकजुट कर उन्हें अंग्रेजी शासन के खिलाफ संघर्ष करने के लिए तैयार किया. इसके अतिरिक्त उन्होंने भारतीय आदिवासी संस्कृति की रक्षा करने के लिए धर्मान्तरण करने वाले ईसाई मिशनरियों का विरोध किया. ईसाई धर्म स्वीकार करने वाले आदिवसियो को उन्होंने अपनी सभ्यता एवं संस्कृति की जानकारी दी और अंग्रेजों के षडयन्त्र के प्रति सचेत किया._
_*अंग्रेजों द्वारा गिरफ़्तारी*_
_जनवरी 1900 डोमबाड़ी पहाड़ी पर एक और संघर्ष हुआ था जिसमें बहुत से औरतें और बच्चे मारे गये थे। उस जगह बिरसा अपनी जनसभा को सम्बोधित कर रहे थे। 3 फरवरी 1900 को सेंतरा के पश्चिम जंगल में बने शिविर से बिरसा को गिरफ्तार कर उन्हें तत्काल रांची कारागार में बंद कर दिया गया। बिरसा के साथ अन्य 482 आंदोलनकारियों को गिरफ्तार किया गया। उनके खिलाफ 15 आरोप दर्ज किए गए। शेष अन्य गिरफ्तार लोगों में सिर्फ 98 के खिलाफ आरोप सिध्द हो पाया। बिरसा के विश्वासी गया मुंडा और उनके पुत्र सानरे मुंडा को फांसी दी गई। गया मुंडा की पत्नी मांकी को दो वर्ष के सश्रम कारावास की सजा दी गई।_
_*अन्तिम साँस*_
_मुकदमे की सुनवाई के शुरुआती दौर में उन्होंने जेल में भोजन करने के प्रति अनिच्छा जाहिर की। अदालत में तबियत खराब होने की वजह से जेल वापस भेज दिया गया। 1 जून को जेल अस्पताल के चिकित्सक ने सूचना दी कि बिरसा को हैजा हो गया है और उनके जीवित रहने की संभावना नहीं है। 9 जून 1900 की सुबह सूचना दी गई कि बिरसा नहीं रहे यही उनकी अंतिम सांस रही। इस तरह एक क्रातिकारी जीवन का अंत हो गया। बिरसा के संघर्ष के परिणामस्वरूप छोटा नागपुर काश्तकारी अधिनियम 1908 बना। जल, जंगल और जमीन पर पारंपरिक अधिकार की रक्षा के लिए शुरु हुए आंदोलन एक के बाद एक श्रृंखला में गतिमान रहे तथा इसकी परिणति अलग झारखंड राय के रूप में हुई। आजादी के बाद औद्योगिकीकरण के दौर ने उस सामाजिक-आर्थिक व्यवस्था को ध्वस्त कर दिया जिसकी स्थापना के लिए बिरसा का उलगुलान था। आज भी बिहार, उड़ीसा, झारखंड, छत्तीसगढ और पश्चिम बंगाल के आदिवासी इलाकों में बिरसा मुण्डा को भगवान की तरह पूजा जाता है. अपने पच्चीस साल के छोटे जीवन में ही उन्होंने जो क्रांति पैदा की वह अतुलनीय है. बिरसा मुंडा धर्मान्तरण, शोषण और अन्याय के विरुद्ध सशस्त्र क्रांति का संचालन करने वाले महान सेनानायक थे._
_*बिरसा मुण्डा की समाधी*_
_बिरसा मुण्डा की समाधि राँची में कोकर के निकट डिस्टिलरी पुल के पास स्थित है। वहीं उनका स्टेच्यू भी लगा है। उनकी स्मृति में रांची में बिरसा मुण्डा केन्द्रीय कारागार तथा बिरसा मुंडा हवाई-अड्डा भी है। राम दयाल मुंडा के अनुसार बिरसा के देहांत के बाद काफी असर हुआ और रैयतों के हित में कानून बनने की प्रक्रिया शुरू हुई। बाद में छोटानागपुर टेनेंसी कानून बना। झारखंड में काफी बड़ी संख्या में लोगों का बिरसा के साथ भावनात्मक लगाव है और उनके जन्मदिवस 15 नवंबर के मौके पर झारखंड राज्य का गठन हुआ। उनके अनुसार बिरसा ने जिन मुद्दों को लेकर संघर्ष किया, उसकी प्रासंगिकता अब भी बरकरार है।_
_*अधुरा सपना - अबुआ: दिशोम*_
''अबुआ: दिशोम रे अबुआ: राज"
(अर्थात हमारे देश में हमारा शासन)
_का नारा देकर भारत वर्ष के छोटा नागपुर क्षेत्र के आदिवासी नेता भगवान बिरसा मुंडा ने अंग्रेजों की हुकुमत के सामने कभी घुटने नहीं टेके, सर नहीं झुकाया बल्कि जल, जंगल और जमीन के हक के लिए अंग्रेजों के खिलाफ 'उलगुलान' अर्थात क्रांति का आह्वान किया।