ये है 80 साल की बहादुर जगदीश कौर जिनकी गवाही ने कांग्रेस के दिग्गज नेता सज्जन कुमार को दिलाई आज उम्र कैद की सज़ा,जिसके पति और जवान बेटे को उन्हीं की आखों के सामने 1984 के सिख नरसंहार में जला दिया था. 8 करोड़ का आफर से लेकर जान से मारने तक कि धमकी के बीच इस महिला ने निडर होकर सज्जन के ख़िलाफ़ कोर्ट में गवाही दी।
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इस समाचार में भी हिंदुत्व शामिल है अगर समझने वाले के कपाल के अन्दर भूंसा ना भरा हो और दिमाग स्वस्थ अवस्था में हो तो
इन्डियन नेवी की नजरों से समंदर में अब कुछ बच नहीं सकेगा.
समंदर को सुरक्षित बनाने की दिशा में इंडियन नेवी एक कदम और आगे बढ़ी है। अब समंदर में कोई जहाज नेवी की नजरों से बच नहीं सकेगा।आतंकी कसाब के समंदर के रास्ते भारत में घुसने के बाद समंदर को सुरक्षित बनाने की कोशिश अब एक ऐसे मुकाम तक पहुंच रही है जहां आर्टिफिशियल इंटेलिजिंस और बिग डेटा अनैलेसिस के जरिए समंदर में हर हरकत पर रियल टाइम नजर रहेगी। इंडियन नेवी के नेटवर्क के साथ ही 66 और देशों से भी पल पल की जानकारी मिलेगी। राजधानी से कुछ दूरी पर बने इन्फर्मेश मैनेजमेंट ऐंड ऐनालिटिक सेंटर (आईमेक) में लगी स्क्रीन समंदर में हो रही हर हरकत दिखाएंगी।
पाकिस्तानी आतंकवादी कसाब के समंदर के रास्ते भारत में घुसने और अटैक के बाद समुद्री सीमाओं को सुरक्षित बनाने की दिशा में तेजी से काम शुरू हुआ। इंडियन नेवी के द्वारा 7600 किलोमीटर की समुद्री सीमाओं में 46 कोस्टल रेडार स्टेशन लग गए हैं और 42 तैयार हो रहे हैं। जमीन और स्पेस बेस्ड 89 ऑटोमेटिक आइडेंटिफिकेशन सिस्टम भारतीय समंदर पर चौकसी कर रहे हैं। इनकी पल पल की निगरानी बॉम्बे, कोच्चि, विशाखापटनम और पोर्टब्लेयर में बने चार जॉइंट ऑपरेशन सेंटर में हो रही है। साथ ही राजधानी से कुछ दूरी पर गुड़गांव में बने आईमेक में इन सभी जगहों से आ रही फीड को मॉनिटर किया जा रहा है।
नेवी के अनुसार हर जहाज का अपना नंबर होता है, वह किस देश का है, उसमें कौन कैप्टन है, क्रू क्या है, क्या सामान आ रहा है, कहां से आ रहा है कहां जा रहा है यह सब जानकारी होती है। आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस और बिग डेटा अनैलिसिस के जरिए चंद सेकंड में पता चल जाएगा कि आज हमारे समंदर में कितने जहाज होने हैं और क्या कोई अतिरिक्त गतिविधि समंदर में दिख रही है। ऐसी किसी भी आहट पर तुरंत अलर्ट हो कर ऐक्शन लिया जा सकता है। किसी दूसरे देश से अगर हमारी तरफ कोई ऐसा जहाज आ रहा है जो संदिग्ध है तो इसका पता भी तुरंत चल जाएगा।
भारत ने अब तक 36 देशों के साथ इस संबंध में अग्रीमेंट कर लिया है कि उनका डेटा हमें रियल टाइम मिलता रहेगा। इसके साथ ही 30 देशों के ग्रुप के साथ एक मल्टीलेटरल अग्रीमेंट भी हुआ है। 13 देशों के साथ यह शुरू भी हो गया है और डेटा मिलने भी लगा है। शुक्रवार से यानी 21 दिसंबर से गुड़गांव का आईमेक, इंटरनैशनल इन्फर्मेशन फ्यूजन सेंटर की तरह काम करने लगेगा। तब वहां स्क्रीन पर भारतीय समंदर पर चल रही गतिविधि के साथ ही उन देशों के जिम्मे वाले समंदर की जानकारी भी मिलेगी, जिनसे समझौता हो गया है। -
पवन अवस्थी
19 खरब 50 अरब 40 करोड़ का सालाना व्यापार बस हम सब को बीमार बनाने के लिऐ हो रहा है। नहीं विश्वास हो रहा ना तो ये लेख ध्यान से पढ़णा:-
बौद्धिक लड़ाई ना एक दिन में लड़ी जाती और ना जीती जाती, इस के लिए तो सैकड़ों साल लगते हैं और पीढियाँ की पीढियाँ खप जाती हैं। एक बौद्धिक लड़ाई है जैविक कृषि बनाम रसायनिक कृषि और अंत में विजय जैविक खेती की ही होनी है कंपनियां चाहे जो मर्जी कर लें।
बुद्धि का विकास शिक्षा से ही होता है और वो शिक्षा ही गलत दे दी जाए तो कोई कहाँ जा कर रोए।
आप सभी गेहूँ व चावल तो खाते ही होंगे। आज इन दो फसलों के बारे में ही बात करुंगा। जब देश में कृषि विश्व विद्यालय नहीं थे तो जैविक कृषि ही होती थी, जब देश में वन विभाग नहीं थे तो जंगलों में अनेक प्रकार के देशी पेड़ पौधे थे, जब देश में पशुपालन विभाग नहीं था तो उत्तम नश्ल की गाय, अन्य पशु व विभिन्न प्रकार के पक्षी थे।
खैर आज बस गेहूँ और चावल।
गेहुं का बीज आज हमें बाजार में मिलता है,यह गेहूँ का बीज किसान को करीब 1000/- ₹ में 50 किलो प्रति एकड़ बोने के लिए दिया जाता है। फिर बुआई के समय सुपर फास्फेट नामक जहर की 50 किलो की बोरी करीब 400/- ₹ कि थमा दी जाती है। गेहूँ के अंकुरित होते ही यूरिया की एक बोरी 350/- की तथा दूसरी सिंचाई के वक्त एक बोरी यूरिया और डालवा दी जाती है। 500 से 1000/- ₹ के खरपतवार व कीटनाशक डलवाया जाता है। जब गेहूँ पक जाता है तो सल्फास नामक जहर उस को सुरक्षित रखने के नाम पर डलवाया जाता है।
कहने का मतलब है की किसान को पूरी तरह ठग कर उस को जहर युक्त बीज देने से लेकर गेहू।
जहर युक्त बीज देने से लेकर गेहूँ को सुरक्षित रखने के उपाय तक कंपनी किसान से करीब तीन हजार रुपए प्रति एकड़ का जहर बेच जाती है।
अब चावल की बात करते हैं। चावल की 10 किलो की जहर से उपचारित पंजीरी प्रति एकड़ 400 से 500/- किसान को दी जाती है। पौध रोपण के साथ ही 3000/- की तीन बोरी डीएपी की डलवाई जाती हैं। बाद में एक बोरी यूरिया, एक से दो 500/- ₹ के खरपतवार नाशी जहर तथा तीन 1500/- ₹ के कीटनाशक जहर के छिडकाव करवाए जाते हैं। चावल कि फसल में भी कंपनी करीब 6000/- ₹ के जहर प्रति एकड़ डलवाने में सफल हो जाती है।
सिर्फ गेहूँ व चावल में जहर डलवाने के नाम पर कंपनी 9000/- ₹ प्रति एकड़ का सामान बेच जाती है।
भारत में 3946 लाख एकड़ कृषि भूमी है जिसमे से 2156 लाख सिंचित भूमी पर गेहूँ व चावल कि खेती होती है। 215600000 x 9000 = 1950400000000/- ₹ प्रति वर्ष किसान को बेवकूफ बनाकर आप को जहर युक्त खाना कंपनी तैयार करवाती हैं ताकि आप बीमार हों अगर आप बीमार नहीं हुए तो अंग्रेजी दवाई कैसे बिकेंगी?????
कितने किसान स्त्री पुरूष यह कीटनाशक, खरपतवार नाशक व सल्फास पी खा कर मरे हैं इस का आकडा आप को कहीं नहीं मिलेगा क्यों कि ज्यादातर परिवार इस की जानकारी थानों में नहीं देते।
किसान भाईयो नीम धतूरा और आक में अब भी वही गुण हैं। गोबर, गौमुत्र व लस्सी आप के घर से ही निकलता है। उस की ताकत पहचानों। उस से ही खाद व कीटनाशक तैयार करो। खुद के बीज बनाओ। इन कंपनियों के दुष्चक्र को हमें ही तोड़णा होगा।
अंत में अपने शहरी मित्रो से अपील करना चाहूंगा कि फैमिली डॉक्टर के साथ साथ एक फैमिली फार्मर भी रख लो।
जैसा खाए अन्न वैसा होगा मन।
विश्व मृदा स्वास्थ दिवस पे तो कम से कम धरणी माता पे तरस खाओ, उसकी मृदा अनादी काल से हमारा भरन और पोषण कर रही हैं. धरणी माता हैं वो कोई डायन नही।- Uday Otari
अगुस्टा वेस्टलैंड हेलिकॉप्टर घोटाला मामले में भारत को बड़ी कामयाबी हाथ लगी है। 3,600 करोड़ रुपये के इस VVIP चॉपर सौदे के कथित बिचौलिए और ब्रिटिश नागरिक क्रिश्चियन मिशेल को भारत ले आया गया है। यह ऑपरेशन राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के नेतृत्व में चलाया गया। भारत की जांच एजेंसियां मिशेल को मंगलवार को दुबई इंटरनैशनल एयरपोर्ट ले गईं थीं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक वहां से उन्हें भारत लाया गया। अगस्ता वेस्टलैंड घोटाले में ‘प्रथम फैमिली’ को 200 करोड़ घूस देने का जब होगा भारतीय अदालत में खुलासा तो मिट जाएगी कांग्रेस!
सीबीआई ने बताया कि ऑपरेशन की जिम्मेदारी अंतरिम सीबीआई निदेशक एम नागेश्वर राव और जॉइंट डायरेक्टर साई मनोहर के नेतृत्व वाली टीम को दी गई थी। नवंबर में कसेशन कोर्ट ने निचली अदालत के आदेश को बरकरार रखते हुए मिशेल के प्रत्यर्पण का रास्ता साफ कर दिया था। खलीज टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक 54 वर्षीय मिशेल को दुबई एयरपोर्ट ले जाया गया है और वहां भारत लाया जाएगा। भारत ने 2017 में खाड़ी देशों से उनके प्रत्यर्पण की मांग की थी। सीबीआई और ईडी इस मामले में उनपर आपराधिक मामले के तहत जांच कर रहे थे।
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मेवात में हिन्दू युवक की #लाश का माँस खाते पकड़े गए रोहिंग्या मुसलमान ,
सरकार नहीं चेती तो हो सकता है बहुत बड़ा बवाल..
आप लोगों में से भी कुछ लोग पिछले वर्ष बहुत व्यथित हो रहे थे तो मैने धैर्य रखने को कहा था । लीजिए , क़ब्ज़ा गुरूओं से मुक्त मंदिरों का भव्य स्वरूप की एक झलक देखिए ।Raj Shekher Tiwari
भगवान को धंधा बनाकर, भक्तों को डराकर मंदिरों पर कब्ज़ा करने में तो इन पंडे पुजारिओं व मंदिर मालिकों ने तो मुग़लिया लोगों को भी पीछे छोड़ दिया। सच में मोदी बड़ा ही निर्मोही है। इसी लिए ये लोग पिनपिनाय है व भ्रामक प्रचार कर मोदी को धर्म विरोधी बता रहें हैं
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विश्वनाथ कॉरिडोर में मिले मंदिरों से सामने आया 5,000 साल पुराना इतिहास!प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रॉजेक्ट विश्वनाथ कॉरिडोर के तहत चल रहे ध्वस्तीकरण में कई ऐसे पुराने मंदिर सामने आ रहे हैं जिनका इतिहास 5 हजार साल से भी पुराना है। इनमें से कई मंदिर चंद्रगुप्त काल के बताए जा रहे हैं।धर्म नगरी काशी को सबसे प्राचीनतम और जीवंत नगरी यूं ही नहीं कहा जाता है। यहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रॉजेक्ट विश्वनाथ कॉरिडोर के तहत चल रहे ध्वस्तीकरण में कई ऐसे मंदिर सामने आए हैं, जिनके पांच हजार साल पुराना होने का दावा किया जा रहा है। इनमें से कई मंदिर और अवशेष चंद्रगुप्त काल के होने से साबित होता है कि काशी उस काल में भी जीवंत नगरी रही है। काशी विश्वनाथ मंदिर विस्तारीकरण योजना के तहत मणिकर्णिका और ललिता घाट से मंदिर तक 40-40 फीट के दो कॉरिडोर बनाने का काम इन दिनों जोर शोर से चल रहा है। कॉरिडोर के लिए पुरानी काशी यानी पक्का महाल के अब तक खरीदे गए करीब 175 भवनों को ध्वस्त करने के लिए करीब तीन हजार मजदूर लगाए गए हैं। मिल रहे हैं चंद्रगुप्त काल के मंदिर भवनों को गिराए जाने के दौरान मकानों के अंदर कैद या फिर जमीन के नीचे दबे ऐसे मंदिर सामने रहे हैं जो हजारों साल पहले गुम हो चुके थे। अद्भुत शिल्प कला और खूबसूरत नक्काशी वाले ये मंदिर चंद्रगुप्त काल से लेकर काशी विश्वनाथ मंदिर की स्थापना काल के समय के बताए जा रहे हैं। मणिकर्णिका घाट के किनारे दक्षिण भारतीय स्टाइल में रथ पर बना एक अद्भुत भगवान शिव का मंदिर मिला है जिसमें समुद्र मंथन को लेकर कई पौराणिक गाथाएं उकेरी गई हैं। वहीं, इस मंदिर के सामने दीवार से ढका भगवान शिव का एक और प्राचीन बड़ा मंदिर मिला है।
विश्वनाथ मंदिर की प्रतिमूर्ति वाला भी एक मंदिर मिला है। अब तक छोटे-बड़े 42 मंदिर मिल चुके हैं, जबकि आगे ध्वस्तीरकण में और मंदिर सामने आने का अनुमान है। संरक्षित किए जा रहे काशी विश्वनाथ मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी विशाल सिंह की मानें तो कुछ मंदिर उतने ही पुराने हैं जितनी पुरानी काशी नगरी के होने का अनुमान इतिहासकार लगाते हैं। जिन मकानों में प्राचीन मंदिर मिल रहे हैं वहां ध्वस्तीकरण का काम रोककर विडियोफटॉग्रफी कराने के बाद संरक्षित किया जा रहा है। इस काम में कंसल्टेंट कंपनी ने एक दर्जन विशेषज्ञों की टीम लगाई है, जो मंदिर प्रशासन के साथ मिलकर काम कर रही है।
होगी कार्बन डेटिंग
ध्वस्तीकरण में मिले मंदिरों के अध्ययन की जिम्मेदारी पुरातत्व विभाग को दिए जाने के साथ ही इनके स्थापना का वास्तविक काल पता लगाने के लिए कार्बन डेटिंग कराई जाएगी। कमिश्नर दीपक अग्रवाल ने बताया कि ध्वस्तीकरण का काम पूरा होने के बाद जितने भी मंदिर सामने आएंगे उनका संकुल बनाने की योजना है। मंदिरों का यह संकुल अपने आप में अनूठा और अलग छटा बिखेरेगा। मणिकर्णिका घाट स्थित सतुआ बाबा आश्रम के महंत संतोष दास का कहना है कि विश्वनाथ कॉरिडोर एरिया में करीब पांच हजार साल पुराने मंदिरों का मिलना किसी बड़ी खोज से कम नहीं है। इन मंदिरों के जरिए नई पीढ़ी के साथ दुनिया के लोग काशी की प्राचीनता को देख व समझ सकेंगे।
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यूपीः नशा देकर खतना किया, बोले- अब तुम मुसलमान, बंधक बनाकर पढ़वाई नमाज
भोजीपुरा के एक युवक ने थाना सिरौली में नशा देकर जबरन खतना कर देने के आरोप में तीन भाइयों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है। युवक के मुताबिक उसे बंधक बना लिया गया और कई दिनों तक नमाज पढ़ने और भैंसे का मांस खाने को मजबूर किया गया। रविवार को किसी तरह भागकर थाना सिरौली पहुंचा तो पुलिस ने भी उसे भगा दिया।
घटना की भनक भाजपा नेताओं को लगी तो उन्होंने थाने पहुंचकर हंगामा शुरू कर दिया। इस बीच मामला प्रशासनिक अफसरों तक पहुंच गया। इसके बाद थाने में पीड़ित युवक की तहरीर पर एफआईआर दर्ज की गई। अफसरों के निर्देश पर एलआईयू ने भी मामले की जांच शुरू कर दी है।
भोजीपुरा के गांव बुझिया जनूबी में रहने वाले महेंद्र मौर्य के मुताबिक वह दिल्ली में एक ट्रक पर बतौर क्लीनर काम रहा था। कुछ समय पहले वह ट्रक के साथ बंगलूरू गया तो वहां उसकी मुलाकात सिरौली के मोहल्ला प्यास में रहने वाले फुरकान से हुई। एक ही जिले के होने की वजह से उनमें दोस्ती हो गई। ड्राइविंग सिखाने का झांसा देकर फुरकान उसे अपने साथ सिरौली ले आया।
महेंद्र का आरोप है कि कुछ दिन पहले फुरकान ने अपने भाई रिजवान और इरफान की मदद से उसे चाय में नशे की गोली देकर बेहोश कर दिया और फिर उसका खतना करा दिया। होश आया तो उसे बताया कि वह अब मुसलमान बन चुका है। उसने विरोध किया तो फुरकान और उसके भाइयों ने उसे बंधक बना लिया। कई दिन तक उसे डरा-धमकाकर जबरन नमाज पढ़वाई और भैंस का मांस खाने को भी मजबूर किया।
पीड़ित महेंद्र का कहना है कि रविवार को किसी तरह वह फुरकान के चंगुल से भाग निकला और थाना सिरौली पहुंचकर पुलिस को जानकारी दी। लेकिन पुलिस ने उसे थाने से भगा दिया। सोमवार को उसने एसडीएम कार्यालय जाकर शिकायत की तो मामला प्रशासनिक अफसरों तक पहुंचा। भाजपा नेताओं को भी मामले की भनक लगी तो नगर पालिका चेयरमैन संजीव सक्सेना, सिंचाई मंत्री धर्मपाल सिंह के प्रतिनिधि प्रभाकर शर्मा, युवा मोर्चा नगर अध्यक्ष राम गौतम, आशू सिंह समेत कई नेता कार्यकर्ताओं के साथ सीओ आलोक अग्रहरि से मिले। थाने में भी काफी देर हंगामा हुआ। इसके बाद सिरौली पुलिस ने महेंद्र की तहरीर पर एफआईआर दर्ज कर आरोपियों की तलाश में दबिश दी लेकिन वे फरार हो गए। सिरौली पुलिस ने महेंद्र मौर्य को मेडिकल के लिए भेजा है।
फैला तनाव, सिरौली में पीएसी तैनात
जबरन धर्म परिवर्तन करने का मामला सामने आने के बाद सिरौली में तनाव को देखते हुए पीएसी की तैनाती कर दी गई है। उधर, इंस्पेक्टर सिरौली रामअवतार सिंह ने बताया कि पीड़ित महेंद्र मौर्य ने पूछताछ में अलग-अलग तथ्य बताए हैं। उसकी बातचीत से लग रहा है कि उसका खतना सिरौली में नहीं बल्कि छह महीने पहले दिल्ली में किया गया था। फिलहाल उसे जांच के लिए भेजा गया है।
इस युवक को अपनी बहन से शादी कराने का झांसा दिया गया था। खतना हुआ कि नहीं, यह तो मेडिकल होने के बाद सामने आएगा। फिलहाल केस दर्ज करके आरोपियों की धरपकड़ की कार्रवाई शुरू कर दी गई है। - संसार सिंह, एसपी देहात
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आपको प्रशांत किशोर नाम याद हैं !! जरा दिमाग पर जोर डालिये और मात्र चार साल पहले 2014 अगस्त याद कीजिये जब कोंग्रेस ने प्रशांत किशोर को ठेका दिया था राहुलगांधी को राजनीति में चमकाने का !
प्रशांत ने 350 करोड़ में राहुलगांधी को राजनीति का सूरज बना देने का कॉन्ट्रेक्ट साइन किया था ।
अगस्त के आखिर में प्रशांत किशोर ने बाकायदा सोशल मीडिया पर एक विज्ञप्ति निकाली थी कि जो लोग सोशल मीडिया पर लिखने में एक्सपर्ट हैं वे उससे जुड़े ओर करीब 60 हजार लोगों की लिस्ट बनी थी । मुंबई में एक मीटिंग रखी गई और दूसरी बनारस में । लगभग पांच हजार लोगों को छांट कर एक आईटी सेल बनाई गई जो दिन रात कोंग्रेस को अपग्रेड करते थे !
दूसरा आपको "द वायर" याद हैं ! जिसने अमितशाह के बेटे पर 300% मुनाफा कमाने का आरोप लगाया था और रातों रात चर्चा में आई थी ??
हालांकि 'द वायर' ने बाद में केजरीवाल की तरह माफी भी मांगी और कोर्ट में जुर्माना भी भरा था, लेकिन द वायर को चर्चा में आना था सो वह आ गई ।
अब तीसरा हाल ही का -
"कैम्ब्रिज अनालिटिका" को याद कीजिये । हजार करोड़ लेकर कोंग्रेस से सरकार बनवाने का कॉन्ट्रेक्ट इसी कम्पनी ने लिया था । ये केम्ब्रिज अमेरिकी कम्पनी हैं, जिसने ट्रम्प का प्रचार किया था और कोंग्रेस ने इसी बेस पर इसे राहुल गांधी के लिये हजार करोड़ देकर यहां भारत मे एप्रोच किया !
अब प्रशांत किशोर ने कोंग्रेस का साथ छोड़ दिया हैं लेकिन जाते जाते आईटी सेल दे गया ।
उसकी बनाई आईटी सेल के हर व्यक्ति को बीस हजार से लेकर योग्यता अनुसार लाख से ऊपर तक महीने की तनख्वाह दी जाती हैं । प्रशिक्षण देकर लाइव डिबेट के लिये तैयार किया जाता हैं । हर विषय को कैसे हैंडल करना हैं इसपर बाकायदा किताबे छपी हुई हैं ।
और ये सब लोग रात दिन अपनी तनख्वाह बढ़ाने के चक्कर मे सोशल मीडिया पर लगे हुए हैं जो आज भी जारी हैं और हर महीनें कोंग्रेस सेंकडो करोड़ पानी की तरह इनपर बहा रही है ।
अब 'द वायर' जैसी हजारों वेवसाईट और ब्लॉग धड़ल्ले से चल रहे हैं जिनका काम सिर्फ न्यूज लिंक क्रिएट करना हैं और वही न्यूज बनानी हैं जो आईटी सेल चाहती हैं
केम्ब्रिज ने इनसे दो कदम आगे बढ़कर वो फार्मूला आजमाया जो ये गोरे शुरू से आजमाते हैं ।
केम्ब्रिज ने 2014 के वोट प्रतिशत और किस जगह से कितने आये, किस जाति से कितने आये इसकी डिटेल निकाली । और इन वोटों को तोड़ने की उसने बाकायदा आधिकारिक घोषणा की की वह इस हिंदुत्व की एकता को ही तोड़ देंगे -- 'न रहेगा बांस न बजेगी बांसुरी'
प्रशांत किशोर से लेकर केंब्रिज के बीच और भी बहुत प्रयास हुए हैं
अब इस गेम को समझिये की कहाँ से आते हैं वो फोटोशॉप जो नफरत फैलाते हैं ? कैसे गलत न्यूज रातों रात वायरल हो जाती हैं ? कैसे मोदी के बयान को तोड़कर उसे गलत सिद्ध करने के लिये तुरन्त लिंक न्यूज फैल जाते हैं ? कैसे अखबार की एडिट कटिंग तुरन्त मिल जाती हैं ?
लेकिन बात यहीं तक नही हैं, ये मोदी विरोध के चक्कर मे कब देश का विरोध करने लगे इन्हें भी नही पता !
कब जातिवाद के चक्कर मे धर्म को गालियां देने लगे इन्हें भी नही पता हैं ! मोदी विरोध के फेर में ये भारत को ही गालियां देने लगे हैं ।
आईटी सेल के हर व्यक्ति को मोदी विरोध का पैसा मिलता हैं जो जितना ज्यादा प्रभावी ढंग से विरोध करेगा उतना ही ज्यादा पैसा मिलेगा ।
लेकिन इसका ये मतलब तो नही की हमारी अक्ल घास चर रही हैं !
केवल चार साल में इनका फैलाया जहर इस हद तक फैल गया कि दिमाग मे एक दूसरे के लिये सिर्फ नफरत को जगह हैं बाकी ब्लेंक !
याद रखिये 'अंध विरोध की काट अंधभक्त होना ही हैं' हमारे आपके जैसे अंधभक्तो ने प्रशांतकिशोर, द वायर और केम्ब्रिज जैसो को घुटनों पर ला दिया हैं, और आगे भी कोई देशविरोधी होंगे तो उन्हें भी लाएंगे ।
क्योकि हमारा अभी ब्रेनवाश नही हुआ हैं ।
संदीप_मिश्रा
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मोदी को हराने के लिए किस तरह बेटिंग की गई .. एक एक स्टेप पढें :
यूपी चुनाव से पहले किसी को नहीं लगता था की मोदी हार नही सकता है । यूपी चुनाव के बाद सारी पार्टियों को लगने लगा मोदी को एकेले हराना अब मुश्किल है जनता मोदी जी की तरफ खींचती जा रही है आहिस्ता आहिस्ता ।
मोदी को रोकने के लिए हार्दिक पटेल जिग्नेश मेवनी अल्पेश ठाकोर जैसे लोगो को पहले गुजरात में पैदा किया गया .. जाती के नाम पर और ताज्जुब देखो यह तीनों आपस में एक दूसरे के विरोधी है जैसे कि मान लो पटेलों को आरक्षण देना हो तो sc,st और ओबीसी को जो आरक्षण मिलता है उसमे में से कम कर के ही की दिया जा सकता है जो कि यह दोनों नहीं होने देगे अब सोचने वाली बात यह जब पटेलों को आरक्षण मिल नहीं सकता तो यह सब किया क्यू जा रहा है इसका सीधा अर्थ है बीजेपी से पटेलों का मोहभंग करना दूसरा एसटीएससी और ओबीसी समाज को यह बताना बीजेपी आपके आरक्षण को घटा कर पटेलों को दे सकती है एक तरह से डर पैदा करना जो कांग्रेस चाहती थी वह यह तीनों ने बहुत हद तक कर दिखाया जो गुजरात चुनाव में नजर भी आया
और इसका असर बहुत हद तक दूसरे राज्यो में भी हुआ ओबीसी एसटीएससी समाज में
अब आते है st,sc act पर जो कई सालो से सुप्रीम कॉर्ट में विचाराधीन पड़ा था अचानक सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा फैसला दे दिया जो कि सरकार के लिए ना तो उगलते बन रहा था ना निगलते सुप्रीम कोर्ट के साथ खड़े होते तो दलित समाज पूरे देश में आग लगाने के लिए बैठा था और दलितों के कंधे पर सत्ता के लालची नेता जो कांग्रेस सपा बसपा और वामपंथ के (सवर्ण नेता) बंदूक चला रहे थे पूरे देश में हमने और आपने देखा भी है दलित संगठनों को धन दिया जा रहा था विश्वास दिलाया जा रहा था हम आपके साथ है आप सभी पूरे देश में आग लगाओ सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ और दलितों ने कर के भी दिखाया महाराष्ट्र के भीमा कोरेगाव में उसके बाद पूरे महाराष्ट्र में,
सरकार मजबूर हो गई सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटने पर और जैसे ही सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटा सवर्ण जातियों में नाराजगी पैदा हो गई फिर जो लोग दलित संगठनों को धन और विश्वाश दिला रहे थे वहीं सभी सवर्ण जातियों को विश्वास दिलाने लगे, आप सब खुलकर विरोध करो मोदी का हम आपके साथ है
यानी का पट भी विपक्ष की और चित भी विपक्ष की और वहीं हुआ
और इस आग में घी डालने का काम एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट ने किया राम मंदिर पर तुरंत सुनवाई से इनकार कर के
अब सरकार या तो कानून को माने या फिर कानून का अनादर करते हुए राम मंदिर पर अध्यादेश लाए
विरोध दोनों का होगा और जम कर होगा
यही विपक्ष चाहता है, जो सुप्रीम कोर्ट ने st sc act, और राममंदिर जैसे अति संवेदनशील मुद्दे पर किया इसका सीधा फायदा विपक्ष को होता हुआ दिखा
अब सोचने वाली बात यह है जिस देश का सुप्रीम कोर्ट विपक्ष के लिए बैटिंग करे सिर्फ एक ईमानदार पीएम को हराने के लिए उस देश का भला इतनी जल्दी कैसे हो सकता है राम मंदिर तो दूर की बात है
और मेरा खुद का मानना है तीनों राज्य में बीजेपी ना तो हारी है ना ही विकास हारा है ना ही विचारधारा हारी जो भी सिटे बीजेपी ने जीती है आपने काम की वजह से और जो हारी है वह मूर्खो की वजह से
तीनों राज्य में यही तीन मुद्दे बीजेपी की हार के कारण बने
patr vishesh =========
इस समाचार में भी हिंदुत्व शामिल है अगर समझने वाले के कपाल के अन्दर भूंसा ना भरा हो और दिमाग स्वस्थ अवस्था में हो तो
इन्डियन नेवी की नजरों से समंदर में अब कुछ बच नहीं सकेगा.
समंदर को सुरक्षित बनाने की दिशा में इंडियन नेवी एक कदम और आगे बढ़ी है। अब समंदर में कोई जहाज नेवी की नजरों से बच नहीं सकेगा।आतंकी कसाब के समंदर के रास्ते भारत में घुसने के बाद समंदर को सुरक्षित बनाने की कोशिश अब एक ऐसे मुकाम तक पहुंच रही है जहां आर्टिफिशियल इंटेलिजिंस और बिग डेटा अनैलेसिस के जरिए समंदर में हर हरकत पर रियल टाइम नजर रहेगी। इंडियन नेवी के नेटवर्क के साथ ही 66 और देशों से भी पल पल की जानकारी मिलेगी। राजधानी से कुछ दूरी पर बने इन्फर्मेश मैनेजमेंट ऐंड ऐनालिटिक सेंटर (आईमेक) में लगी स्क्रीन समंदर में हो रही हर हरकत दिखाएंगी।
पाकिस्तानी आतंकवादी कसाब के समंदर के रास्ते भारत में घुसने और अटैक के बाद समुद्री सीमाओं को सुरक्षित बनाने की दिशा में तेजी से काम शुरू हुआ। इंडियन नेवी के द्वारा 7600 किलोमीटर की समुद्री सीमाओं में 46 कोस्टल रेडार स्टेशन लग गए हैं और 42 तैयार हो रहे हैं। जमीन और स्पेस बेस्ड 89 ऑटोमेटिक आइडेंटिफिकेशन सिस्टम भारतीय समंदर पर चौकसी कर रहे हैं। इनकी पल पल की निगरानी बॉम्बे, कोच्चि, विशाखापटनम और पोर्टब्लेयर में बने चार जॉइंट ऑपरेशन सेंटर में हो रही है। साथ ही राजधानी से कुछ दूरी पर गुड़गांव में बने आईमेक में इन सभी जगहों से आ रही फीड को मॉनिटर किया जा रहा है।
नेवी के अनुसार हर जहाज का अपना नंबर होता है, वह किस देश का है, उसमें कौन कैप्टन है, क्रू क्या है, क्या सामान आ रहा है, कहां से आ रहा है कहां जा रहा है यह सब जानकारी होती है। आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस और बिग डेटा अनैलिसिस के जरिए चंद सेकंड में पता चल जाएगा कि आज हमारे समंदर में कितने जहाज होने हैं और क्या कोई अतिरिक्त गतिविधि समंदर में दिख रही है। ऐसी किसी भी आहट पर तुरंत अलर्ट हो कर ऐक्शन लिया जा सकता है। किसी दूसरे देश से अगर हमारी तरफ कोई ऐसा जहाज आ रहा है जो संदिग्ध है तो इसका पता भी तुरंत चल जाएगा।
भारत ने अब तक 36 देशों के साथ इस संबंध में अग्रीमेंट कर लिया है कि उनका डेटा हमें रियल टाइम मिलता रहेगा। इसके साथ ही 30 देशों के ग्रुप के साथ एक मल्टीलेटरल अग्रीमेंट भी हुआ है। 13 देशों के साथ यह शुरू भी हो गया है और डेटा मिलने भी लगा है। शुक्रवार से यानी 21 दिसंबर से गुड़गांव का आईमेक, इंटरनैशनल इन्फर्मेशन फ्यूजन सेंटर की तरह काम करने लगेगा। तब वहां स्क्रीन पर भारतीय समंदर पर चल रही गतिविधि के साथ ही उन देशों के जिम्मे वाले समंदर की जानकारी भी मिलेगी, जिनसे समझौता हो गया है। -
पवन अवस्थी
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19 खरब 50 अरब 40 करोड़ का सालाना व्यापार बस हम सब को बीमार बनाने के लिऐ हो रहा है। नहीं विश्वास हो रहा ना तो ये लेख ध्यान से पढ़णा:-
बौद्धिक लड़ाई ना एक दिन में लड़ी जाती और ना जीती जाती, इस के लिए तो सैकड़ों साल लगते हैं और पीढियाँ की पीढियाँ खप जाती हैं। एक बौद्धिक लड़ाई है जैविक कृषि बनाम रसायनिक कृषि और अंत में विजय जैविक खेती की ही होनी है कंपनियां चाहे जो मर्जी कर लें।
बुद्धि का विकास शिक्षा से ही होता है और वो शिक्षा ही गलत दे दी जाए तो कोई कहाँ जा कर रोए।
आप सभी गेहूँ व चावल तो खाते ही होंगे। आज इन दो फसलों के बारे में ही बात करुंगा। जब देश में कृषि विश्व विद्यालय नहीं थे तो जैविक कृषि ही होती थी, जब देश में वन विभाग नहीं थे तो जंगलों में अनेक प्रकार के देशी पेड़ पौधे थे, जब देश में पशुपालन विभाग नहीं था तो उत्तम नश्ल की गाय, अन्य पशु व विभिन्न प्रकार के पक्षी थे।
खैर आज बस गेहूँ और चावल।
गेहुं का बीज आज हमें बाजार में मिलता है,यह गेहूँ का बीज किसान को करीब 1000/- ₹ में 50 किलो प्रति एकड़ बोने के लिए दिया जाता है। फिर बुआई के समय सुपर फास्फेट नामक जहर की 50 किलो की बोरी करीब 400/- ₹ कि थमा दी जाती है। गेहूँ के अंकुरित होते ही यूरिया की एक बोरी 350/- की तथा दूसरी सिंचाई के वक्त एक बोरी यूरिया और डालवा दी जाती है। 500 से 1000/- ₹ के खरपतवार व कीटनाशक डलवाया जाता है। जब गेहूँ पक जाता है तो सल्फास नामक जहर उस को सुरक्षित रखने के नाम पर डलवाया जाता है।
कहने का मतलब है की किसान को पूरी तरह ठग कर उस को जहर युक्त बीज देने से लेकर गेहू।
जहर युक्त बीज देने से लेकर गेहूँ को सुरक्षित रखने के उपाय तक कंपनी किसान से करीब तीन हजार रुपए प्रति एकड़ का जहर बेच जाती है।
अब चावल की बात करते हैं। चावल की 10 किलो की जहर से उपचारित पंजीरी प्रति एकड़ 400 से 500/- किसान को दी जाती है। पौध रोपण के साथ ही 3000/- की तीन बोरी डीएपी की डलवाई जाती हैं। बाद में एक बोरी यूरिया, एक से दो 500/- ₹ के खरपतवार नाशी जहर तथा तीन 1500/- ₹ के कीटनाशक जहर के छिडकाव करवाए जाते हैं। चावल कि फसल में भी कंपनी करीब 6000/- ₹ के जहर प्रति एकड़ डलवाने में सफल हो जाती है।
सिर्फ गेहूँ व चावल में जहर डलवाने के नाम पर कंपनी 9000/- ₹ प्रति एकड़ का सामान बेच जाती है।
भारत में 3946 लाख एकड़ कृषि भूमी है जिसमे से 2156 लाख सिंचित भूमी पर गेहूँ व चावल कि खेती होती है। 215600000 x 9000 = 1950400000000/- ₹ प्रति वर्ष किसान को बेवकूफ बनाकर आप को जहर युक्त खाना कंपनी तैयार करवाती हैं ताकि आप बीमार हों अगर आप बीमार नहीं हुए तो अंग्रेजी दवाई कैसे बिकेंगी?????
कितने किसान स्त्री पुरूष यह कीटनाशक, खरपतवार नाशक व सल्फास पी खा कर मरे हैं इस का आकडा आप को कहीं नहीं मिलेगा क्यों कि ज्यादातर परिवार इस की जानकारी थानों में नहीं देते।
किसान भाईयो नीम धतूरा और आक में अब भी वही गुण हैं। गोबर, गौमुत्र व लस्सी आप के घर से ही निकलता है। उस की ताकत पहचानों। उस से ही खाद व कीटनाशक तैयार करो। खुद के बीज बनाओ। इन कंपनियों के दुष्चक्र को हमें ही तोड़णा होगा।
अंत में अपने शहरी मित्रो से अपील करना चाहूंगा कि फैमिली डॉक्टर के साथ साथ एक फैमिली फार्मर भी रख लो।
जैसा खाए अन्न वैसा होगा मन।
विश्व मृदा स्वास्थ दिवस पे तो कम से कम धरणी माता पे तरस खाओ, उसकी मृदा अनादी काल से हमारा भरन और पोषण कर रही हैं. धरणी माता हैं वो कोई डायन नही।- Uday Otari
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आपरेशन NSA अजीत डोभाल के नेतृत्व में चलाया गया।अगुस्टा वेस्टलैंड हेलिकॉप्टर घोटाला मामले में भारत को बड़ी कामयाबी हाथ लगी है। 3,600 करोड़ रुपये के इस VVIP चॉपर सौदे के कथित बिचौलिए और ब्रिटिश नागरिक क्रिश्चियन मिशेल को भारत ले आया गया है। यह ऑपरेशन राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के नेतृत्व में चलाया गया। भारत की जांच एजेंसियां मिशेल को मंगलवार को दुबई इंटरनैशनल एयरपोर्ट ले गईं थीं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक वहां से उन्हें भारत लाया गया। अगस्ता वेस्टलैंड घोटाले में ‘प्रथम फैमिली’ को 200 करोड़ घूस देने का जब होगा भारतीय अदालत में खुलासा तो मिट जाएगी कांग्रेस!
सीबीआई ने बताया कि ऑपरेशन की जिम्मेदारी अंतरिम सीबीआई निदेशक एम नागेश्वर राव और जॉइंट डायरेक्टर साई मनोहर के नेतृत्व वाली टीम को दी गई थी। नवंबर में कसेशन कोर्ट ने निचली अदालत के आदेश को बरकरार रखते हुए मिशेल के प्रत्यर्पण का रास्ता साफ कर दिया था। खलीज टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक 54 वर्षीय मिशेल को दुबई एयरपोर्ट ले जाया गया है और वहां भारत लाया जाएगा। भारत ने 2017 में खाड़ी देशों से उनके प्रत्यर्पण की मांग की थी। सीबीआई और ईडी इस मामले में उनपर आपराधिक मामले के तहत जांच कर रहे थे।
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मेवात में हिन्दू युवक की #लाश का माँस खाते पकड़े गए रोहिंग्या मुसलमान ,
सरकार नहीं चेती तो हो सकता है बहुत बड़ा बवाल..
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आप लोगो को याद होगा पिछले वर्ष कामी वामी आपियों और नोटियों ने ख़ूब हल्ला मचाया था जब काशी में अतिक्रमण हटाए जा रहे थे । मेरे तो सैकड़ों परिजन बनारस में हैं और हर मुहल्ले में हैं तो मैने पता किया की क्या हो रहा है तो मुझे बताया गया की चिंता न करें , कार्यवाही क़ब्ज़ा गुरू लोगो के ख़िलाफ़ हो रही है इसलिए ये सब पिनपिनाए हुए है । सैकड़ों मंदिर , और कुछ तो कदाचित हज़ारों वर्ष से अधिक पुराने है , बाहर आ चुके हैं । उन सबको पुन: सम्मानित स्वरूप दिया जा रहा है और काशी की पुरानी गरिमा लौटेगी ऐसा मेरा विश्वास है ।
भगवान को धंधा बनाकर, भक्तों को डराकर मंदिरों पर कब्ज़ा करने में तो इन पंडे पुजारिओं व मंदिर मालिकों ने तो मुग़लिया लोगों को भी पीछे छोड़ दिया। सच में मोदी बड़ा ही निर्मोही है। इसी लिए ये लोग पिनपिनाय है व भ्रामक प्रचार कर मोदी को धर्म विरोधी बता रहें हैं
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विश्वनाथ कॉरिडोर में मिले मंदिरों से सामने आया 5,000 साल पुराना इतिहास!प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रॉजेक्ट विश्वनाथ कॉरिडोर के तहत चल रहे ध्वस्तीकरण में कई ऐसे पुराने मंदिर सामने आ रहे हैं जिनका इतिहास 5 हजार साल से भी पुराना है। इनमें से कई मंदिर चंद्रगुप्त काल के बताए जा रहे हैं।धर्म नगरी काशी को सबसे प्राचीनतम और जीवंत नगरी यूं ही नहीं कहा जाता है। यहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रॉजेक्ट विश्वनाथ कॉरिडोर के तहत चल रहे ध्वस्तीकरण में कई ऐसे मंदिर सामने आए हैं, जिनके पांच हजार साल पुराना होने का दावा किया जा रहा है। इनमें से कई मंदिर और अवशेष चंद्रगुप्त काल के होने से साबित होता है कि काशी उस काल में भी जीवंत नगरी रही है। काशी विश्वनाथ मंदिर विस्तारीकरण योजना के तहत मणिकर्णिका और ललिता घाट से मंदिर तक 40-40 फीट के दो कॉरिडोर बनाने का काम इन दिनों जोर शोर से चल रहा है। कॉरिडोर के लिए पुरानी काशी यानी पक्का महाल के अब तक खरीदे गए करीब 175 भवनों को ध्वस्त करने के लिए करीब तीन हजार मजदूर लगाए गए हैं। मिल रहे हैं चंद्रगुप्त काल के मंदिर भवनों को गिराए जाने के दौरान मकानों के अंदर कैद या फिर जमीन के नीचे दबे ऐसे मंदिर सामने रहे हैं जो हजारों साल पहले गुम हो चुके थे। अद्भुत शिल्प कला और खूबसूरत नक्काशी वाले ये मंदिर चंद्रगुप्त काल से लेकर काशी विश्वनाथ मंदिर की स्थापना काल के समय के बताए जा रहे हैं। मणिकर्णिका घाट के किनारे दक्षिण भारतीय स्टाइल में रथ पर बना एक अद्भुत भगवान शिव का मंदिर मिला है जिसमें समुद्र मंथन को लेकर कई पौराणिक गाथाएं उकेरी गई हैं। वहीं, इस मंदिर के सामने दीवार से ढका भगवान शिव का एक और प्राचीन बड़ा मंदिर मिला है।
विश्वनाथ मंदिर की प्रतिमूर्ति वाला भी एक मंदिर मिला है। अब तक छोटे-बड़े 42 मंदिर मिल चुके हैं, जबकि आगे ध्वस्तीरकण में और मंदिर सामने आने का अनुमान है। संरक्षित किए जा रहे काशी विश्वनाथ मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी विशाल सिंह की मानें तो कुछ मंदिर उतने ही पुराने हैं जितनी पुरानी काशी नगरी के होने का अनुमान इतिहासकार लगाते हैं। जिन मकानों में प्राचीन मंदिर मिल रहे हैं वहां ध्वस्तीकरण का काम रोककर विडियोफटॉग्रफी कराने के बाद संरक्षित किया जा रहा है। इस काम में कंसल्टेंट कंपनी ने एक दर्जन विशेषज्ञों की टीम लगाई है, जो मंदिर प्रशासन के साथ मिलकर काम कर रही है।
होगी कार्बन डेटिंग
ध्वस्तीकरण में मिले मंदिरों के अध्ययन की जिम्मेदारी पुरातत्व विभाग को दिए जाने के साथ ही इनके स्थापना का वास्तविक काल पता लगाने के लिए कार्बन डेटिंग कराई जाएगी। कमिश्नर दीपक अग्रवाल ने बताया कि ध्वस्तीकरण का काम पूरा होने के बाद जितने भी मंदिर सामने आएंगे उनका संकुल बनाने की योजना है। मंदिरों का यह संकुल अपने आप में अनूठा और अलग छटा बिखेरेगा। मणिकर्णिका घाट स्थित सतुआ बाबा आश्रम के महंत संतोष दास का कहना है कि विश्वनाथ कॉरिडोर एरिया में करीब पांच हजार साल पुराने मंदिरों का मिलना किसी बड़ी खोज से कम नहीं है। इन मंदिरों के जरिए नई पीढ़ी के साथ दुनिया के लोग काशी की प्राचीनता को देख व समझ सकेंगे।
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यूपीः नशा देकर खतना किया, बोले- अब तुम मुसलमान, बंधक बनाकर पढ़वाई नमाज
भोजीपुरा के एक युवक ने थाना सिरौली में नशा देकर जबरन खतना कर देने के आरोप में तीन भाइयों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है। युवक के मुताबिक उसे बंधक बना लिया गया और कई दिनों तक नमाज पढ़ने और भैंसे का मांस खाने को मजबूर किया गया। रविवार को किसी तरह भागकर थाना सिरौली पहुंचा तो पुलिस ने भी उसे भगा दिया।
घटना की भनक भाजपा नेताओं को लगी तो उन्होंने थाने पहुंचकर हंगामा शुरू कर दिया। इस बीच मामला प्रशासनिक अफसरों तक पहुंच गया। इसके बाद थाने में पीड़ित युवक की तहरीर पर एफआईआर दर्ज की गई। अफसरों के निर्देश पर एलआईयू ने भी मामले की जांच शुरू कर दी है।
भोजीपुरा के गांव बुझिया जनूबी में रहने वाले महेंद्र मौर्य के मुताबिक वह दिल्ली में एक ट्रक पर बतौर क्लीनर काम रहा था। कुछ समय पहले वह ट्रक के साथ बंगलूरू गया तो वहां उसकी मुलाकात सिरौली के मोहल्ला प्यास में रहने वाले फुरकान से हुई। एक ही जिले के होने की वजह से उनमें दोस्ती हो गई। ड्राइविंग सिखाने का झांसा देकर फुरकान उसे अपने साथ सिरौली ले आया।
महेंद्र का आरोप है कि कुछ दिन पहले फुरकान ने अपने भाई रिजवान और इरफान की मदद से उसे चाय में नशे की गोली देकर बेहोश कर दिया और फिर उसका खतना करा दिया। होश आया तो उसे बताया कि वह अब मुसलमान बन चुका है। उसने विरोध किया तो फुरकान और उसके भाइयों ने उसे बंधक बना लिया। कई दिन तक उसे डरा-धमकाकर जबरन नमाज पढ़वाई और भैंस का मांस खाने को भी मजबूर किया।
पीड़ित महेंद्र का कहना है कि रविवार को किसी तरह वह फुरकान के चंगुल से भाग निकला और थाना सिरौली पहुंचकर पुलिस को जानकारी दी। लेकिन पुलिस ने उसे थाने से भगा दिया। सोमवार को उसने एसडीएम कार्यालय जाकर शिकायत की तो मामला प्रशासनिक अफसरों तक पहुंचा। भाजपा नेताओं को भी मामले की भनक लगी तो नगर पालिका चेयरमैन संजीव सक्सेना, सिंचाई मंत्री धर्मपाल सिंह के प्रतिनिधि प्रभाकर शर्मा, युवा मोर्चा नगर अध्यक्ष राम गौतम, आशू सिंह समेत कई नेता कार्यकर्ताओं के साथ सीओ आलोक अग्रहरि से मिले। थाने में भी काफी देर हंगामा हुआ। इसके बाद सिरौली पुलिस ने महेंद्र की तहरीर पर एफआईआर दर्ज कर आरोपियों की तलाश में दबिश दी लेकिन वे फरार हो गए। सिरौली पुलिस ने महेंद्र मौर्य को मेडिकल के लिए भेजा है।
फैला तनाव, सिरौली में पीएसी तैनात
जबरन धर्म परिवर्तन करने का मामला सामने आने के बाद सिरौली में तनाव को देखते हुए पीएसी की तैनाती कर दी गई है। उधर, इंस्पेक्टर सिरौली रामअवतार सिंह ने बताया कि पीड़ित महेंद्र मौर्य ने पूछताछ में अलग-अलग तथ्य बताए हैं। उसकी बातचीत से लग रहा है कि उसका खतना सिरौली में नहीं बल्कि छह महीने पहले दिल्ली में किया गया था। फिलहाल उसे जांच के लिए भेजा गया है।
इस युवक को अपनी बहन से शादी कराने का झांसा दिया गया था। खतना हुआ कि नहीं, यह तो मेडिकल होने के बाद सामने आएगा। फिलहाल केस दर्ज करके आरोपियों की धरपकड़ की कार्रवाई शुरू कर दी गई है। - संसार सिंह, एसपी देहात
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आपको प्रशांत किशोर नाम याद हैं !! जरा दिमाग पर जोर डालिये और मात्र चार साल पहले 2014 अगस्त याद कीजिये जब कोंग्रेस ने प्रशांत किशोर को ठेका दिया था राहुलगांधी को राजनीति में चमकाने का !
प्रशांत ने 350 करोड़ में राहुलगांधी को राजनीति का सूरज बना देने का कॉन्ट्रेक्ट साइन किया था ।
अगस्त के आखिर में प्रशांत किशोर ने बाकायदा सोशल मीडिया पर एक विज्ञप्ति निकाली थी कि जो लोग सोशल मीडिया पर लिखने में एक्सपर्ट हैं वे उससे जुड़े ओर करीब 60 हजार लोगों की लिस्ट बनी थी । मुंबई में एक मीटिंग रखी गई और दूसरी बनारस में । लगभग पांच हजार लोगों को छांट कर एक आईटी सेल बनाई गई जो दिन रात कोंग्रेस को अपग्रेड करते थे !
दूसरा आपको "द वायर" याद हैं ! जिसने अमितशाह के बेटे पर 300% मुनाफा कमाने का आरोप लगाया था और रातों रात चर्चा में आई थी ??
हालांकि 'द वायर' ने बाद में केजरीवाल की तरह माफी भी मांगी और कोर्ट में जुर्माना भी भरा था, लेकिन द वायर को चर्चा में आना था सो वह आ गई ।
अब तीसरा हाल ही का -
"कैम्ब्रिज अनालिटिका" को याद कीजिये । हजार करोड़ लेकर कोंग्रेस से सरकार बनवाने का कॉन्ट्रेक्ट इसी कम्पनी ने लिया था । ये केम्ब्रिज अमेरिकी कम्पनी हैं, जिसने ट्रम्प का प्रचार किया था और कोंग्रेस ने इसी बेस पर इसे राहुल गांधी के लिये हजार करोड़ देकर यहां भारत मे एप्रोच किया !
अब प्रशांत किशोर ने कोंग्रेस का साथ छोड़ दिया हैं लेकिन जाते जाते आईटी सेल दे गया ।
उसकी बनाई आईटी सेल के हर व्यक्ति को बीस हजार से लेकर योग्यता अनुसार लाख से ऊपर तक महीने की तनख्वाह दी जाती हैं । प्रशिक्षण देकर लाइव डिबेट के लिये तैयार किया जाता हैं । हर विषय को कैसे हैंडल करना हैं इसपर बाकायदा किताबे छपी हुई हैं ।
और ये सब लोग रात दिन अपनी तनख्वाह बढ़ाने के चक्कर मे सोशल मीडिया पर लगे हुए हैं जो आज भी जारी हैं और हर महीनें कोंग्रेस सेंकडो करोड़ पानी की तरह इनपर बहा रही है ।
अब 'द वायर' जैसी हजारों वेवसाईट और ब्लॉग धड़ल्ले से चल रहे हैं जिनका काम सिर्फ न्यूज लिंक क्रिएट करना हैं और वही न्यूज बनानी हैं जो आईटी सेल चाहती हैं
केम्ब्रिज ने इनसे दो कदम आगे बढ़कर वो फार्मूला आजमाया जो ये गोरे शुरू से आजमाते हैं ।
केम्ब्रिज ने 2014 के वोट प्रतिशत और किस जगह से कितने आये, किस जाति से कितने आये इसकी डिटेल निकाली । और इन वोटों को तोड़ने की उसने बाकायदा आधिकारिक घोषणा की की वह इस हिंदुत्व की एकता को ही तोड़ देंगे -- 'न रहेगा बांस न बजेगी बांसुरी'
प्रशांत किशोर से लेकर केंब्रिज के बीच और भी बहुत प्रयास हुए हैं
अब इस गेम को समझिये की कहाँ से आते हैं वो फोटोशॉप जो नफरत फैलाते हैं ? कैसे गलत न्यूज रातों रात वायरल हो जाती हैं ? कैसे मोदी के बयान को तोड़कर उसे गलत सिद्ध करने के लिये तुरन्त लिंक न्यूज फैल जाते हैं ? कैसे अखबार की एडिट कटिंग तुरन्त मिल जाती हैं ?
लेकिन बात यहीं तक नही हैं, ये मोदी विरोध के चक्कर मे कब देश का विरोध करने लगे इन्हें भी नही पता !
कब जातिवाद के चक्कर मे धर्म को गालियां देने लगे इन्हें भी नही पता हैं ! मोदी विरोध के फेर में ये भारत को ही गालियां देने लगे हैं ।
आईटी सेल के हर व्यक्ति को मोदी विरोध का पैसा मिलता हैं जो जितना ज्यादा प्रभावी ढंग से विरोध करेगा उतना ही ज्यादा पैसा मिलेगा ।
लेकिन इसका ये मतलब तो नही की हमारी अक्ल घास चर रही हैं !
केवल चार साल में इनका फैलाया जहर इस हद तक फैल गया कि दिमाग मे एक दूसरे के लिये सिर्फ नफरत को जगह हैं बाकी ब्लेंक !
याद रखिये 'अंध विरोध की काट अंधभक्त होना ही हैं' हमारे आपके जैसे अंधभक्तो ने प्रशांतकिशोर, द वायर और केम्ब्रिज जैसो को घुटनों पर ला दिया हैं, और आगे भी कोई देशविरोधी होंगे तो उन्हें भी लाएंगे ।
क्योकि हमारा अभी ब्रेनवाश नही हुआ हैं ।
संदीप_मिश्रा
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मोदी को हराने के लिए किस तरह बेटिंग की गई .. एक एक स्टेप पढें :
यूपी चुनाव से पहले किसी को नहीं लगता था की मोदी हार नही सकता है । यूपी चुनाव के बाद सारी पार्टियों को लगने लगा मोदी को एकेले हराना अब मुश्किल है जनता मोदी जी की तरफ खींचती जा रही है आहिस्ता आहिस्ता ।
मोदी को रोकने के लिए हार्दिक पटेल जिग्नेश मेवनी अल्पेश ठाकोर जैसे लोगो को पहले गुजरात में पैदा किया गया .. जाती के नाम पर और ताज्जुब देखो यह तीनों आपस में एक दूसरे के विरोधी है जैसे कि मान लो पटेलों को आरक्षण देना हो तो sc,st और ओबीसी को जो आरक्षण मिलता है उसमे में से कम कर के ही की दिया जा सकता है जो कि यह दोनों नहीं होने देगे अब सोचने वाली बात यह जब पटेलों को आरक्षण मिल नहीं सकता तो यह सब किया क्यू जा रहा है इसका सीधा अर्थ है बीजेपी से पटेलों का मोहभंग करना दूसरा एसटीएससी और ओबीसी समाज को यह बताना बीजेपी आपके आरक्षण को घटा कर पटेलों को दे सकती है एक तरह से डर पैदा करना जो कांग्रेस चाहती थी वह यह तीनों ने बहुत हद तक कर दिखाया जो गुजरात चुनाव में नजर भी आया
और इसका असर बहुत हद तक दूसरे राज्यो में भी हुआ ओबीसी एसटीएससी समाज में
अब आते है st,sc act पर जो कई सालो से सुप्रीम कॉर्ट में विचाराधीन पड़ा था अचानक सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा फैसला दे दिया जो कि सरकार के लिए ना तो उगलते बन रहा था ना निगलते सुप्रीम कोर्ट के साथ खड़े होते तो दलित समाज पूरे देश में आग लगाने के लिए बैठा था और दलितों के कंधे पर सत्ता के लालची नेता जो कांग्रेस सपा बसपा और वामपंथ के (सवर्ण नेता) बंदूक चला रहे थे पूरे देश में हमने और आपने देखा भी है दलित संगठनों को धन दिया जा रहा था विश्वास दिलाया जा रहा था हम आपके साथ है आप सभी पूरे देश में आग लगाओ सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ और दलितों ने कर के भी दिखाया महाराष्ट्र के भीमा कोरेगाव में उसके बाद पूरे महाराष्ट्र में,
सरकार मजबूर हो गई सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटने पर और जैसे ही सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटा सवर्ण जातियों में नाराजगी पैदा हो गई फिर जो लोग दलित संगठनों को धन और विश्वाश दिला रहे थे वहीं सभी सवर्ण जातियों को विश्वास दिलाने लगे, आप सब खुलकर विरोध करो मोदी का हम आपके साथ है
यानी का पट भी विपक्ष की और चित भी विपक्ष की और वहीं हुआ
और इस आग में घी डालने का काम एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट ने किया राम मंदिर पर तुरंत सुनवाई से इनकार कर के
अब सरकार या तो कानून को माने या फिर कानून का अनादर करते हुए राम मंदिर पर अध्यादेश लाए
विरोध दोनों का होगा और जम कर होगा
यही विपक्ष चाहता है, जो सुप्रीम कोर्ट ने st sc act, और राममंदिर जैसे अति संवेदनशील मुद्दे पर किया इसका सीधा फायदा विपक्ष को होता हुआ दिखा
अब सोचने वाली बात यह है जिस देश का सुप्रीम कोर्ट विपक्ष के लिए बैटिंग करे सिर्फ एक ईमानदार पीएम को हराने के लिए उस देश का भला इतनी जल्दी कैसे हो सकता है राम मंदिर तो दूर की बात है
और मेरा खुद का मानना है तीनों राज्य में बीजेपी ना तो हारी है ना ही विकास हारा है ना ही विचारधारा हारी जो भी सिटे बीजेपी ने जीती है आपने काम की वजह से और जो हारी है वह मूर्खो की वजह से
तीनों राज्य में यही तीन मुद्दे बीजेपी की हार के कारण बने
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