Monday 19 November 2018

jan-srijan




पीएम मोदी ने कहा ...
 आज देश के सामने दो पक्ष हैं, एक पक्ष सत्य और सुरक्षा का है, दूसरा पक्ष उन ताकतों का है जो किसी भी कीमत पर देश को कमजोर करना चाहते हैं
 कांग्रेस उन ताकतों के साथ खड़ी है जो हमारी सेनाओं को मजबूत नहीं होना देना चाहते हैं, ऐसे लोगों की कोशिशों को किन देशों से समर्थन मिल रहा है देश देख रहा है। भाषण यहां दिया जाता है और तालियां पाकिस्तान में बजती हैं।
 कांग्रेस ने वायुसेना को कभी मजबूत नहीं होने दिया। रक्षा सौदे के मामले में कांग्रेस का इतिहास क्वात्रोची मामा का रहा और कुछ दिन पहले एक और आरोपी मिशेल चाचा को लाया गया है और हमने देखा है कि कांग्रेस कैसे इनको बचाने के लिए अपना वकील अदालत में भेजी।
 2009 में भारतीय सेना ने 1 लाख 86 हजार बुलेट प्रूफ जैकेट की मांग की थी। 2009 से लेकर 2014 तक पांच साल बीत गए, लेकिन सेना के लिए बुलेटप्रूफ जैकेट नहीं खरीदी गई। पीएम मोदी ने कहा कि केंद्र में हमारी सरकार बनने के बाद 2016 में हमने सेना के लिए 50 हजार बुलेटप्रूफ जैकेट खरीदी। इस साल अप्रैल में पूरी 1 लाख 86 हजार बुलेट प्रूफ जैकेट का ऑर्डर दिया जा चुका है। ये जैकेट भारत की ही एक कंपनी बना रही है।

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भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित किया जाना चाहिए था: मेघालय हाईकोर्ट
शिलॉन्ग। मेघालय हाईकोर्ट ने प्रधानमंत्री, विधि मंत्री, गृह मंत्री और संसद से एक कानून लाने का अनुरोध किया है ताकि पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आने वाले हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी, ईसाई, खासी, जयंतिया और गारो लोगों को बिना किसी सवाल या दस्तावेजों के नागरिकता मिले.
 कोर्ट ने अपने फैसले में ये भी लिखा है कि विभाजन के समय भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित किया जाना चाहिए था लेकिन ये धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र बना रहा.
जस्टिस एसआर सेन ने डोमिसाइल सर्टिफिकेट से मना किये जाने पर अमन राणा नाम के एक शख्स द्वारा दायर एक याचिका का निपटारा करते हुए 37 पृष्ठ का फैसला दिया.
आदेश में कहा गया है कि तीनों पड़ोसी देशों में आज भी हिंदू, जैन, बौद्ध, ईसाई, पारसी, खासी, जयंतिया और गारो लोग प्रताड़ित होते हैं और उनके लिए कोई स्थान नहीं है. इन लोगों को किसी भी समय देश में आने दिया जाए और सरकार इनका पुनर्वास कर सकती है और नागरिक घोषित कर सकती है.
केंद्र के नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2016 में अफगानिस्तान, बांग्लादेश या पाकिस्तान के हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई लोग छह साल रहने के बाद भारतीय नागरिकता के हकदार हैं, लेकिन अदालती आदेश में इस विधेयक का जिक्र नहीं किया गया है.
 कोर्ट ने भारत के इतिहास को तीन पैराग्राफ में समेटा है.
 जस्टिस एसआर सेन ने लिखा, 'जैसा कि हम सभी जानते हैं कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा देश था और पाकिस्तान, बांग्लादेश तथा अफगानिस्तान का अस्तित्व नहीं था. ये सभी एक देश में थे और हिंदू सम्राज्य द्वारा शासित थे.'
कोर्ट ने आगे कहा, 'इसके बाद मुगल भारत आए और भारत के कई हिस्सों पर कब्जा किया और देश में शासन करना शुरु किया. इस दौरान भारी संख्या में धर्म परिवर्तन कराए गए. इसके बाद अंग्रेज ईस्ट इंडिया कंपनी के नाम पर आए और देश में शासन करने लगे.'
'यह एक अविवादित तथ्य है कि विभाजन के समय लाखों की संख्या में हिंदू और सिख मारे गए, प्रताणित किए गए, रेप किया गया और उन्हें अपने पूर्वजों की संपत्ति छोड़ कर आना पड़ा.' 'पाकिस्तान ने खुद को इस्लामिक देश घोषित किया था. चूंकि भारत का विभाजन धर्म के आधार पर हुआ था इसलिए भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित किया जाना चाहिए था लेकिन इसने धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र बनाए रखा.'
एसआर सेन ने मोदी सरकार में विश्वास जताते हुए कहा कि वे भारत को इस्लामिक राष्ट्र नहीं बनने देंगे. उन्होंने लिखा, 'मैं ये स्पष्ट्र करता हूं कि किसी भी शख्स को भारत को इस्लामिक राष्ट्र बनाने की कोशिश नहीं करना चाहिए. मेरा विश्वास है कि केवल नरेंद्र मोदीजी की अगुवाई में यह सरकार इसकी गहराई को समझेगी
 उच्च न्यायालय में केंद्र की सहायक सॉलिसीटर जनरल ए. पॉल को  फैसले की प्रति प्रधानमंत्री, केंद्रीय गृह और विधि मंत्री को अवलोकन के लिए सौंपने और समुदायों के हितों की रक्षा के लिए कानून लाने को लेकर आवश्यक कदम उठाने को कहा है
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60 नदियों को जोड़कर बनेगी एक महानदी…
60 नदियों को जोड़ने का प्लान : योजना के पहले फेज को मोदी मंजूरी दे चुके हैं। प्लान के तहत गंगा समेत देश की 60 नदियों को जोड़ा जाएगा। सरकार को उम्मीद है कि ऐसा होने के बाद किसानों की मानसून पर निर्भरता कम हो जाएगी और लाखों हेक्टेयर जमीन पर सिंचाई हो सकेगी। बीते दो सालों से मानसून की स्थिति अच्छी नहीं रही है। भारत के कुछ हिस्सों समेत बांग्लादेश और नेपाल बाढ़ से खासे प्रभावित रहे हैं। इस प्रोजेक्ट का मकसद देश को बाढ़ और सूखे से निजात दिलाना है। नदियों को जोड़ने से हजारों मेगावॉट बिजली पैदा होगी। देश की बड़ी नदियों को आपस में जोड़ने के लिए सरकार 87 Billion dollars (करीब 5 लाख करोड़ रुपए) का प्रोजेक्ट शुरू करने जा रही है।
पहले फेज में क्या होगा?
: केन नदी पर एक डैम बनाया जाएगा। 22 किमी लंबी नहर के जरिए केन को बेतवा से जोड़ा जाएगा। केन-बेतवा मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के एक बड़े हिस्से को कवर करती हैं। बीजेपी नेता संजीव बालियान के मुताबिक, “हमें रिकॉर्ड वक्त में क्लीयरेंस मिल गया है। अंतिम दौर के क्लीयरेंस भी इस साल के अंत तक मिल जाएगा। केन-बेतवा लिंक सरकार की प्रायोरिटी में है।” सरकार पार-तापी को नर्मदा और दमन गंगा के साथ जोड़ने की तैयारी कर रही है। अफसरों का कहना है कि ज्यादा पानी वाली नदियों मसलन गंगा, गोदावरी और महानदी को दूसरी नदियों से जोड़ा जाएगा। इसके लिए इन नदियों पर डैम बनाए जाएंगे और नहरों द्वारा दूसरी नदियों को जोड़ा जाएगा।
भारत की सारी बड़ी नदियों को आपस में जोड़ने का प्रस्ताव पहली बार इंजीनियर सर आर्थर कॉटन ने 1858 में दिया था। कॉटन इससे पहले कावेरी, कृष्णा और गोदावरी पर कई डैम और प्रोजेक्ट बना चुके थे। लेकिन तब के संसाधनों के बूते से बाहर होने के चलते यह योजना आगे नहीं बढ़ सकी। 1970 में तब इरिगेशन मिनिस्टर रहे केएल राव ने एक नेशनल वॉटर ग्रिड बनाने का प्रस्ताव दिया। राव का कहना था कि गंगा और ब्रह्मपुत्र जैसी नदियों में ज्यादा पानी रहता है जबकि मध्य और दक्षिण भारत के इलाकों में पानी की कमी रहती है। लिहाजा उत्तर भारत का अतिरिक्त पानी मध्य और दक्षिण भारत तक पहुंचाया जाए।
2002 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने नदी जोड़ परियोजना के बारे में प्रपोजल रखा गया। केंद्र ने नदियों को आपस में जोड़ने की व्यावहारिकता परखने के लिए एक कार्यदल का गठन किया। इसमें भी परियोजना को दो भागों में बांटने की सिफारिश की गई. पहले हिस्से में दक्षिण भारतीय नदियां शामिल थीं जिन्हें जोड़कर 16 कड़ियों की एक ग्रिड बनाई जानी थी। हिमालयी हिस्से के तहत गंगा, ब्रह्मपुत्र और इनकी सहायक नदियों के पानी को इकट्ठा करने की योजना बनाई गई। 2004 में यूपीए सरकार आने के बाद मामला ठंडे बस्ते में चला गया

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सीरिया व इराकी घुसपैठियों के बोझ से दबा फ्रांस गृहयुद्ध के कगार पर.. सड़को पर दिख रहे नकाबपोश जो हमला कर रहे पुलिस पर और जला रहे हैं घर
कुछ समय पहले यही देश दुनिया के बेहद खूबसूरत पर्यटक स्थलों के साथ अपनी ठाठ बाट व अमीरी के लिए जाना जाता था .. चाहे तालिबान के खिलाफ अफगानिस्तान में युद्ध हो या इराक में isis के विरुद्ध .. इस देश की बात की धमक अन्तराष्ट्रीय स्तर पर बहुत मायने रखती थी .. लेकिन अब वही फ्रांस इस स्तर पर आ गया है जहां सड़को पर गरीबी और महंगाई के चलते उतर गए हैं लोग और भिड़ गए हैं अपने ही देश की पुलिस व सुरक्षा बल से..
ये वही फ्रांस है जो एक के बाद एक आतंकी हमलों से जूझता रहा है . ये हमला सिर्फ फ्रांस के व्यक्तियों पर नही बल्कि उसकी अर्थव्यवस्था पर भी था जो मुख्य रूप से पर्यटन हुआ करती थी .. आतंकी हमलों से वही पर्यटन कारोबार की रीढ़ टूट गयी है और अब वही फ्रांस अग्रसर है गृहयुद्ध की तरफ ..अब तक मिली जानकारी के अनुसार प्रदर्शनकारियों के कुछ समूह सेंट्रल पैरिस की सड़कों पर हथियार लेकर घूम रहे हैं। इन लोगों ने कई वाहनों और बिल्डिंगों को आग के हवाले कर दिया है। इसे पिछले एक दशक का सबसे खतरनाक दंगा माना जा रहा है। इस दंगे में उन तमाम घुसपैठियों के शामिल होने का अंदेशा जताया जा रहा है जो इराक सीरिया के युद्ध के दौरान फ्रांस में दया की मांग करते हुए घुस गए थे.. सूत्रों के अनुसार बिल्डिंगों में लूटपाट को वही अंजाम दे रहे हैं ..
फ्रांस में पिछले एक दशक की सबसे भयंकर गृह अशांति की स्थिति बनी हुई है . तेजी से बढ़ी एक वर्ग की आबादी व ऊपर से घुसपैठियों का बोझ झेल रहे फ्रांस में महंगाई और पेट्रोल के दाम बढ़ने से नाराज नकाब पहने प्रदर्शनकारियों ने वाहनों और बिल्डिंगों में आग लगाई.. इतना ही नही , हर प्रयास के बाद असफल रही फ्रांस की सरकार इस बेहद विकट स्थिति में आपातकाल लागू करने पर विचार कर रही है .. मीडिया कोयह जानकारी फ्रांस सरकार के प्रवक्ता बेंजमिन ग्रीवोक्स ने दी. यूरोप 1 रेडियो से बातचीत में सरकार के प्रवक्ता ने कहा, ‘हमें कुछ ऐसी कार्रवाई करनी होगी, ताकि ऐसी हरकत फिर न हों।’इस प्रदर्शन को ‘येलो वेस्ट’ का नाम भी दिया गया है। प्रदर्शनकारी पीले रंग की वेस्ट पहनकर प्रदर्शन कर रहे हैं। यह प्रदर्शन शनिवार को उस समय उग्र हो गया, जब इनमें से कुछ लोगों ने वाहनों और बिल्डिंगों में आग लगानी शुरू कर दी।
फ्रांस की राजधानी पेरिस में प्रदर्शन कर रहे 288 लोगों को गिरफ्तार किया गया, जबकि लगभग 100 लोग घायल हो गए। इसी मुद्दे पर फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों प्रधानमंत्री और आंतरिक मामलों के मंत्री के साथ रविवार शाम को मीटिंग करने वाले हैं। इस मीटिंग में दंगाइयों से निपटने का रास्ता निकालने पर चर्चा होगी। परेशानी इस बात की है कि इन प्रदर्शनकारियों का कोई चेहरा नहीं है, जिससे सरकार बात कर सके। वो सभी ठीक उसी प्रकार से नकाब में हैं जैसे ISIS के आतंकी नकाब में हुआ करते हैं..
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सर्वोच्च न्यायालय कि भूमिका को देखते हुए ऐसा लगता है कि “justice delayed is justice denied” वाक्य को पाठ्यक्रम से हटा देना चाहिए. जिसका अर्थ होता है “न्याय में विलंब अन्याय है”
सरसंघचालक जी राम मंदिर निर्माण के लिए नागपुर में विश्व हिन्दू परिषद द्वारा आयोजित हुंकार सभा में संबोधित कर रहे थे.
राम मंदिर निर्माण के लिए सदन में कानून पारित करवाने हेतू सरकार पर दबाब बनाने के लिए ईश्वरराव देशमुख महाविद्यालय में हुंकार सभा का आयोजन किया गया था. जिसमें ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती, साध्वी ऋतंभरा, देवनाथ पीठाधीश्वर जितेंद्रनाथ महाराज और विश्व हिन्दू परिषद के कार्याध्यक्ष अलोक कुमार प्रमुख रूप से उपस्थित थे.
मोहन भागवत जी ने कहा कि राम मंदिर से जुड़े पहले आंदोलन में उन्होंने 1987 में हिस्सा लिया था. इस घटना को पूरे 30 वर्ष बीत चुके हैं. इसके बाद भी मंदिर नहीं बना और इस प्रकार से हुंकार सभा आयोजित करनी पड़ रही है. यह देश और समाज के सामने सबसे बड़ी विडंबना है. देश जब गुलाम था तो भारतीय लोक अपने मन से कोई फैसला नहीं कर पाते थे. लेकिन आजादी के बाद सरदार वल्लभबाई पटेल के नेतृत्व में सोमनाथ मंदिर का निर्माण हुआ. राम मंदिर का मसला भी ठीक उसी तरह का है. बाबर एक आक्रांता था. उसका देश के मुस्लिम समुदाय से कोई संबंध नहीं था. इस बाबर के सेनापती ने तलवार के दम पर राम मंदिर को ध्वस्त कर वहां ढाचा खड़ा करने का प्रयास किया था. इसलिए बाबर और बाबरी का देश के मुसलमानों से संबंध जोड़ना अनुचित है.
उन्होंने कहा कि राम जन्मभूमि पर पुरातत्त्व विभाग द्वारा की गई खुदाई में मंदिर के अवशेष प्राप्त हुए हैं. जिसे कानूनी तौर पर पुख्ता सबूत माना जाता है. समाज केवल कानून के अक्षरों से नहीं चलता, जनता और न्याय व्यवस्था को एक-दूसरे को समझने की आवश्यकता है. देश की सर्वोच्च अदालत ने साफ कर दिया है कि यह मामला उनकी वरियता का नहीं है. इस निर्णय को बार-बार टाला जा रहा है. इस मामले में रोड़ा अटकाने वालों के पास कोई तथ्य नहीं है. इसलिए वह इसे लंबा खींचना चाहते हैं. लेकिन अब देश के हिन्दुओं को राम मंदिर के लिए लड़ना नहीं अड़ना है. अयोध्या में मंदिर निर्माण के लिए 1980 से जो प्रयासरत हैं, उन्हीं के हाथों मंदिर खड़ा करवाना है.
अयोध्या में मंदिर निर्माण हेतु सरसंघचालक ने धैर्य, दृष्टी, दक्षता और मती के अनुसार आचरण चार बते बताईं. जिस प्रकार हनुमान ने धैर्य, दृष्टी, दक्षता और बुद्धियुक्त व्यवहार से समुद्र पर राज करने वाली सिंहीका राक्षसी को समाप्त किया था. हनुमान के उन्हीं गुणों को आचरण में उतारते हुए हमें पूरे देश में जनजागरण करना होगा, जिससे जनता जागृत हो और सरकार पर दबाव बनाए कि वह जल्द से जल्द राम मंदिर निर्माण का मार्ग बनाए.
मैं ये धैर्य रखने के लिए नहीं कह रहा हूं कि आप निर्णय की प्रतीक्षा करो. एक साल पहले मैंने ही कहा था धैर्य रखो. अब मैं कहता हूं कि अब धैर्य का काम नहीं, अब तो हमको जनजागरण करना पड़ेगा. अब तो हमको कानून की मांग करनी है. हां, ये नारा अच्छा है, लेकिन जहां देना वहीं देना, ये धैर्य रखना है. अपनी उत्कटता को व्यक्त कैसे करना उसके लिये धैर्यपूर्वक सतत् प्रयास करते हुए, मेरे मन की इच्छा है, समस्त साक्षात्कारी संतों की इच्छा है, सामान्यजनों की इच्छा है, और इसके पहले जिनकी नहीं थी उऩकी भी इच्छा है कि अब जल्दी-जल्दी भव्य राम मंदिर बने. अब ये इस आंदोलन का हमारा निर्णायक चरण हो और ऐसा जोर हम लगाएं कि भव्य राम मंदिर का निर्माण शुरू होने के बाद ही जागरण का काम रुके. उसके बाद कारसेवकों को वहां जाना पड़ेगा, इतना आह्वान में करता हूं.
मोदी जी, भागवत जी की इच्छा को आज्ञा मानें – साध्वी ऋतंभरा दीदी
साध्वी ऋतंभरा जी ने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर बने यह पूरे देश की इच्छा है. यदि न्यायालय द्वारा इसमें विलंब हो रहा है तो संसद में कानून बनाना चाहिए. सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने यही इच्छा व्यक्त की है. भारतीय सभ्यता में बड़ों की इच्छा को आज्ञा माना जाता है. इसलिए मोदी जी सरसंघचालक की इच्छा को आज्ञा समझ के संसद में राम मंदिर के लिए कानून बनाएं. रैली में उपस्थित 60 हजार रामभक्तों को संबोधित करते हुए ऋतंभरा दीदी ने कहा कि, देश में अब करोड़ों हिन्दुओं की आस्था से अधिक समलिंगी लोगों के मुद्दे अधिक प्रभावशाली हो गए हैं. इसलिए समलिंगियों के मामले में फैसला आ जाता है, लेकिन राममंदिर का मामला वहीं उलझा रहता है. देश में कुछ लोगों को लगता है कि वह नित नए हथकंडों से राम जन्मभूमि के मामले को उलझा देंगे. लेकिन वह ध्यान रखें कि यदि उनके पास हथकंडे हैं तो संतो के पास आस्था, त्याग और बलिदानों के डंडे हैं. हमारी सभ्यता प्राचीन काल से शक, हुण, मुगल सभी को स्वीकारते आई है. इतना ही नहीं हमने धर्म के आधार पर हुए देश के दुर्भाग्यपूर्ण विभाजन को भी स्वीकार किया है. अब बड़ा दिल करने की बारी दूसरे पक्ष की है. यदि प्रधानमंत्री इस मामले में संसद में कानून बनाते हैं तो वह कालजयी हो जाएंगे. कई बार ऐसा होता है कि बच्चा जब तक रोता नहीं मां उसे दूध नहीं पिलाती. शायद सरकार भी इसी इंतजार में बैठी हो. इसलिए देश के सभी हिन्दुओं को आपसी भेदभाव को भुला कर सरकार पर दबाव बनाना चाहिए. राम मंदिर का मुस्लिमों से ज्यादा हिन्दू विरोध करते हैं. अब समय आ गया है कि हम संयुक्त रूप से अपनी मांग सरकार के सामने रखें. न्यायालय ने तो भूमिका साफ कर दी है. इसलिए संसद में कानून बनाने के लिए हमें सरकार पर दबाव बनाना होगा.
ऋतंभरा दीदी ने कांग्रेस नेता सीपी जोशी की आलोचना की. उन्होंने कहा कि अपने बयान से हिन्दुओं को जाति, पंथ, संप्रदायों में विभाजित करने वाले सी.पी. जोशी कैंची की तरह हैं, जो केवल काटना जानती है. दूसरी ओर संत समाज सुई-धागा है जो सिलाई से पूरे हिन्दू समाज को जोड़े रखता है.
सरकार फायदे में रहेगी – शंकराचार्य
ज्योतिषपीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती जी ने कहा कि अयोध्या में मंदिर के प्रमाण मिलने के बाद भी सर्वोच्च न्यायालय ने टायटल सूट को पार्टीशन सूट में तब्दील कर दिया है. यह देश के हिन्दुओं की जनभावना का अनादर है. इस मामले में जल्द फैसला होना चाहिए. यदि ऐसा नहीं होता तो सरकार का यह कर्तव्य है कि वह संसद में कानून बनाए. इसी में सरकार का हित होगा. राज्य सभा में बहुमत की मुश्किल पेश आ रही हो तो प्रधानमंत्री संसद का संयुक्त अधिवेशन बुला कर कानून पारित करें. यदि उसके बाद भी कोई रोड़ा अटकाता है तो वह बेनकाब हो जाएगा. ऐसा हुआ तो उसका फायदा भी सरकार को मिलेगा और सरकार फिर से सत्ता में आएगी. इस अवसर पर शंकराचार्य ने इलाहबाद और फैजाबाद के नामांतरण की प्रशंसा करते हुए दिल्ली का नाम बदल कर इंद्रप्रस्थ रखने की मांग की
संसद में अध्यादेश लाना संभव – आलोक कुमार
विहिप के कार्याध्यक्ष अलोक कुमार जी ने कहा कि अयोध्या मामले में किसी भी प्रकार की कोई कानूनी जटिलता नहीं है. इस मामले में सुन्नी वक्फ बोर्ड की याचिका खारिज हो चुकी है. लेकिन राम जन्मभूमि का तीन हिस्सों में विभाजन किया गया है. जमीन के विभाजन का यह मसला सर्वोच्च न्यायालय के सामने विचाराधीन है. लेकिन सर्वोच्च न्यायालय इस मामले में जल्दी फैसला नहीं करना चाहता. इसलिए सरकार कानून से इस मामले का निपटारा कर सकती है. इससे पहले भी, एससी -एसटी एक्ट, शहाबानो जैसे मामले सरकार ने कानून से निपटाए हैं. इसलिए राम जन्मभूमि मामले में भी सरकार अध्यादेश पारित कर जनभावना का आदर करे.
कड़ा संघर्ष होगा – जितेंद्रनाथ महाराज
देवनाथ पीठाधीश्वर जितेंद्रनाथ महाराज ने कहा कि एक ओर सर्वोच्च न्यायालय समलैंगिकता, महिलाओं के विवाहबाह्य संबंध, पटाखे और शबरीमला जैसे कई गैर जरूरी मामलों का निपटारा करते आया है. वहीं करोड़ों हिन्दुओं की आस्था से जुड़े राम मंदिर के विषय को बार बार टाला जा रहा है. इसलिए अब याचना नहीं रण होगा, संघर्ष बड़ा कड़ा होगा. उन्होंने हिन्दू समाज को सरकार पर कानून बनाने के लिए दबाव डालने का आवाहन किया.







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पिछले कुछ दिनों हफ्तों में दुनिया में क्या कुछ हो गया ....... आपने ध्यान दिया ?
सबसे पहले तो अमृतसर में आतंकी हमला हुआ जिसमे 3 मासूम मारे गए और 20 से ज़्यादा घायल हुए ।
हमले में जो Hand Granade इस्तेमाल हुआ वो पाकिस्तान की एक Ordinance Factory में बना है ।
इससे पहले इसी 9 नवंबर को रूस में एक अफगान peace Summit हुआ जिसे रूस ने आयोजित किया और जिसमे अफगानिस्तान , अफगान तालिबान, भारत,चीन, पाकिस्तान, ईरान और 5 देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया ...इस Peace Summit को अमेरिका की सहमति थी और रूस में अमरीकी राजदूत ने इसमे एक Observer के रूप में शिरक़त की ..........
सबसे महत्वपूर्ण Development ये हुई कि  राज्यपाल  ने जम्मू काश्मीर की विधानसभा भंग कर दी ..अमृतसर आतंकी हमले की प्रारंभिक जांच में इस आशंका की पुष्टि हुई है कि हमलावरों के तार पाकिस्तान की ISI और काश्मीरी Militant Groups से जुड़े हुए हैं .........
उधर बलोचिस्तान में पाकिस्तान की हालत बहुत नाज़ुक है ...पिछले हफ्ते बलोचिस्तान के विभिन्न शहरों में पाकिस्तान विरोधी उग्र प्रदर्शन हुए हैं ।
रूस में हुए Peace Summit में पाकिस्तानी delegate ने ये आरोप लगाया है कि अफगानिस्तान साढ़े तीन लाख बलूच विद्रोहियों को हथियार और ट्रेनिंग दे के तैयार कर रहा है । ध्यान रहे कि अफगानिस्तान से लगती पाकिस्तान -- बलोचिस्तान सीमा एक खुला border है जिसमे एक ही ethnicity की जनसंख्या दोनों तरफ रहती है और खुलेआम आती जाती है ..इसी porus border का लाभ उठा के अफगानिस्तान बलूच विद्रोहियों को हथियारों से लैस कर रहा है .ये सब जानते हैं की अफगानिस्तान के पीछे किसका हाथ है ...... उधर अफगान तालिबान पुनः सशक्त और संगठित हो रहे हैं । उनके पास न नए रंगरूटों की कमी है और न Funds की ......... दुनिया भर में पैदा होने वाली कुल अफीम का 90% उत्पादन अफगानिस्तान में होता है और ये पूरा Trade तालिबान के नियंत्रण में है । उधर पाकिस्तान में चलने वाले मदरसों से पढ़े तालिब ही उनके रंगरूट होते हैं । पाकिस्तान नही चाहता कि अफगानिस्तान में शांति स्थापित हो , क्योंकि वहां शांति होते ही Action बलूचिस्तान में shift हो जाएगा । आज पाकिस्तान का रोम रोम कर्ज़ में डूबा है और वो दीवालिया होने की कगार पे है । अगर बलोचिस्तान में हालात बिगड़े तो उसे अपनी फौज काश्मीर से हटा के बलूचिस्तान पे लगानी पड़ेगी ........ इससे उसकी पकड़ काश्मीर में ढीली पड़ेगी और इतनी औकात उसकी है नही कि वो बलूच insurgency को Deal कर सके । इसलिए उसने Focus भारत में पंजाब पे shift कर दिया है ।
वो पंजाब में कश्मीर के रास्ते घुसने की फ़िराक़ में है ।
कश्मीर में महबूबा , Congress की मिलीभगत से फिर सरकार बनाने के मंसूबे पाल रही थी जो कल मोदी जी ने JK विधानसभा भंग कर ध्वस्त कर दिए ।
पंजाब में खालिस्तानी / पाकिस्तानी आतंकवाद से लड़ने के लिए जम्मू काश्मीर पे Hold होना बहुत ज़रूरी है ।
वैश्विक geo polity में इस रीजन का महत्व बहुत ज़्यादा बढ़ गया है । इस समय दुनिया के सबसे बड़े दो Key Player चीन और भारत इन दोनों के तार बलोचिस्तान से जुड़े हैं । चीन बलोचिस्तान में CPEC बना के फँस गया है । इस पूरी GeoPolitical उठापटक की थोड़ी बहुत आंच तो पंजाब तक आनी लाज़मी है । मोदी -- अजीत डोभाल की बहुत बड़ी भूमिका है इस पूरी GeoPolitical युद्ध में ।
ऐसे में कांग्रेस यदि अजीत डोभाल पे हमलावर है तो बात समझने की है ।
शुक्र है कि इस युद्ध में हमारे सेनापति मोदी हैं ..
Ajit Singh
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अब पब्लिक रेटिंग के आधार पर तय होगा
अधिकारियों का प्रमोशन ..//

= जिस अधिकारी और कर्मचारियों की ग्रेडिंग बेहतर होगी, उन्हें बेहतर प्रमोशन मिल सकेगा
= किसी प्रॉडक्ट की तरह इन कर्मचारियों की भी ग्रेडिंग करने का पूरा सिस्टम बनाया गया है
= पीएमओ के निर्देश पर डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनेल ऐंड ट्रेनिंग ने इस प्रस्ताव को मान लिया है
इसका फॉरमैट तैयार कर लिया गया है 1 अप्रैल 2019 से नई व्यवस्था लागू की जा सकती है
           नई दिल्ली अगले साल से सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों के प्रमोशन में सबसे अहम भूमिका पब्लिक फीडबैक की रहेगी। जिस अधिकारी और कर्मचारियों की ग्रेडिंग बेहतर होगी, उन्हें बेहतर प्रमोशन मिल सकेगा। किसी प्रॉडक्ट की तरह इन कर्मचारियों की भी ग्रेडिंग करने का पूरा सिस्टम बनाया गया है। इस दिशा में पिछले दिनों सरकार को एक प्रस्ताव मिला था।
सूत्रों के अनुसार पीएमओ के निर्देश पर डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनेल ऐंड ट्रेनिंग (DoPT) ने इस प्रस्ताव को मान लिया है और 1 अप्रैल 2019 से नई व्यवस्था लागू की जा सकती है। नई व्यवस्था के तहत सरकारी कामकाज के दौरान आम लोगों का अनुभव किस तरह होता है और वे बाबू और कर्मचारियों को किस तरह की ग्रेडिंग देंगे, इसे पब्लिक डोमेन में रखा जाएगा। आम लोगों की ओर से मिली ग्रेडिंग इन अधिकारियों के प्रमोशन से लेकर वेतन वृद्धि तक तय करेगी। पीएमओ के निर्देश पर इसका फॉरमैट तैयार किया गया।

सातवें वेतन आयोग ने दिया था सुझाव
नए फॉरमैट में अधिकारी के कामकाज को ग्रेड और अंक देने की व्यवस्था है। इसे उस अधिकारी और कर्मचारी के रेकॉर्ड में दर्ज किया जाएगा। इसका मतलब कि अब केंद्र सरकार के दफ्तरों में फाइव स्टार या वन स्टार अधिकारी या कर्मचारी के बारे में लोग पहले ही जान सकेंगे। दरअसल, सातवें वेतन आयोग में इनके कामकाज की समीक्षा को और बेहतर करने के कई सुझाव दिए गए थे। जिन मंत्रालयों और विभागों का अधिकतर वास्ता सीधे आम लोगों से पड़ता है, वहां अब प्रमोशन और बेहतर अप्रेजल के लिए 80 फीसदी वजन पब्लिक फीडबैक को दिया जाएगा।





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