Tuesday 21 February 2012

अब इनका कुछ तो करना पड़ेगा ...


नेताओं ने जीवन के हर छेत्र में अपने-अपने लोग पाल रखे हैं ,ताकि उनकी लूट निर्बाध रूप से जारी रह सके .इसी लिये सारे नाटकों के बाद भी देश में लूट तन्त्र जारी है .प्रचार किया जाता है क़ी यदि जनता शत प्रतिशत वोट देगी तो लोकतंत्र बच जाएगा .सारी गडबड इसलिए है क्योंकि जनता वोट नही देती ..हाँ जनता सब ठीक कर दे पर उसे सच पता तो चले क़ी गडबड है कहाँ ...?
ये सरकार अपने कर्तव्य निष्ठ सेनाध्यक्ष को महीनों से बदनाम किये जा रही है ,सिर्फ इसीलिए क़ी लिपिकीय त्रुटी क़ी वजह से उनकी जन्म तारिख दो जगह अलग -अलग लिखी दिख रही है .इसी प्रकार देश के सर्वाधिक सम्मानित वैज्ञानिक ,इसरो प्रमुख तथा भारतीय चन्द्रयान मिशन के प्रमुख करता धर्ता कोभी भ्रष्टाचार के आरोंप लगा कर ब्लेक लिस्टेड कर दिया गया है ..उनके चरित्र को सरेआम बट्टा लगाने से भी ये नेता नही चूक रहे .जिस रक्षा डील को भ्रष्ट कहा जा रहा है उसे इनके अलावा केंद्र के पांच-पांच मंत्री और मंत्रालयों ने अपनी स्वीकृति दी है तब यह डील फाइनल हुई है.. फिर भी इन वैज्ञानिकों को ही बदनाम किया जा रहा है ..
सच तो यही है क़ी सत्ता पर बैठे लोगों नेही सारी व्यवस्था को भ्रष्ट कर रखा है.. आज इन्हों ने ही भ्रष्ट व्यक्तियों के निर्माण का पूरा तन्त्र विकसित कर रखा है.. समाज का ब्राह्मण ( विद्वान )वर्ग एवं छत्रीय ( रक्षक ) वर्गभी पूरी तरह से  इसी भ्रष्ट व्यवस्था में काम करता दिख रहा है.. श्रेष्ठ मनुष्यों के निर्माण कर सकने में समर्थ हमारी संस्कृति (हिन्दू संस्कृति )पर भी लगातार गलत आरोंप लगाकर उसके कार्यकर्ताओं को जेलों में सडाया जा रहा है .सिर्फ मुस्लिम और ईसाई, थोक में मिलने वाले  वोटरों को हथिया कर दुबारा तिबारा सत्ता पर काबिज होने केलिए ...भगवान राम, गाय और महात्मा गाँधी का प्रभाव तो देश से मिटाया ही जा चुका है.. हालत तो यह बन गये हैं क़ी देश के अनेक बड़े बड़े सांस्कृतिक सन्गठन भी अब खुद को हिन्दू सन्गठन कहने से कतराते हैं ..
आज कानून बना बना कर देश को लूटा जा रहा है .ईस्ट इण्डिया कम्पनी के और हमारे आज के शासन  में कोई फर्क नही रह गया है . .देश का सेनापति झूठा ,देश के वैज्ञानिक झूठे ,राम कृष्ण ,गीता सब काल्पनिक ,भरतीय हिन्दू संस्कृति साम्प्रदायिक ,प्रतिबन्ध के योग्य ...और तो और इनका कहना है क़ी हमें कृषि और व्यापार करना भी नही आता ...बस हर जगह सिर्फ विदेशी ज्ञान विदेशी तकनीक ,विदेशी विशेषज्ञ  ही इन्हें चाहिए,विदेशी धन और विदेशी सहभागिता ही इन्हें चाहिए यह सब हम भारतीयों के मुख पर कालिख पोतना ही तो है .क्या इस व्यवस्था का समाधान सिर्फ यही है क़ी लोग १०० प्रतिशत वोट दें .ये लोग पूरे समाज को मक्कार ,आलसी ,अकर्मण्य और कायर बना रहे हैं ताकि इनकी सत्ता चलती रहे बस ..
यह अब नही हो सकेगा... अब इनका कुछ तो करना पड़ेगा ...

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