Tuesday 16 June 2020

जो कहते हैं कि वैदिक विज्ञान से आजतक एक सूई भी नहीं बनाई गई है.
जबकि, हमारा शुरू से ही ये कहना है कि... हमारी सनातन संस्कृति और रस्मो-रिवाज हमेशा से ज्ञान-विज्ञान से समृद्ध रही है, आज भी है, और हमेशा ही रहेगी.
यह एक गर्भ प्रतिमा कुंडादम वडक्कुनाथ स्वामी मंदिर (कोयंबटूर से लगभग 70 किमी) की एक दीवार पर खुदी हुई है.
यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है एवं तमिलनाडु के धर्मपुरम में स्थित है और हजारों साल पुरानी मानी जाती है.
आप एक सहज कल्पना कीजिए कि... अल्ट्रा-साउंड की खोज से लगभग हजार साल पहले ही उस समय के लोगों को यह जानकारी कैसे मिली होगी... जो, आज भी बिना अल्ट्रा साउंड के देख पाना संभव नहीं है.
इस मंदिर की अन्य दीवारों पर... हर महीने अजन्मे बच्चे की स्थिति की एक मूर्ति उकेरी गयी है.
जिसमें.... Fertilization process से लेकर भ्रूण के 1 महीने से लेकर 9 महीने तक की आकृति है .(फ़ोटो संलग्न)
मतलब कि Electron Microscope से लेकर अल्ट्रा-साउंड तक से देखे जाने वाली आकृति... आज से हजारों साल पहले ही हमारे मंदिरों के दीवारों पर उकेर दी गई थी.
परंतु.... वैज्ञानिक दृष्टिकोण से इतनी उन्नत सभ्यता होने के बावजूद भी हमें साँप पकड़ने वाला देश और अनपढ़ देश कहा गया... हमारे टेक्स्ट बुक लिखने वाले वामपंथी इतिहासकारों द्वारा.
सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि.... तेजोमहालिया से लेकर लालकिला, आगरा के किला एवं हमारे ध्रुव स्तंभ (कुतुबमीनार) को आक्रांताओं द्वारा बनवाया हुआ बता दिया गया.
शायद, वे ये साबित करना चाहते थे कि... जिस अरब और रेगिस्तान से वे आक्रांता हमारे देश आये थे.... वे कबीलाई लोग... अपने मूल देश में तो एक शौचालय तक नहीं बनवा पाने वाले लोगों ने...
लेकिन, हिंदुस्तान में कदम रखते ही... उनकी रचनात्मकता जाग गई और हिंदुस्तान में उन्होंने ऐतिहासिक धरोहरों की लाइन लगा दी.
खैर.... मंदिर की रचनात्मकता और मंदिर की दीवारों पर उकेरी गई ये अनमोल जानकारियाँ....
हमारे हिंदू सनातन धर्म को दुनिया का सबसे पुराना, पहला और अंतिम वैज्ञानिक धर्म साबित करने के लिए काफी है.
क्योंकि... धर्म होता केवल एक ही है ...बाकि, सब व्यक्तिगत बनाए मत होते हैं और सनातन से निकली शाखा केवल पंथ ही कहलाती हैं.
हमारे सनातन धर्म ने दुनिया को विज्ञान दिया... उसे चीजों को समझने की दृष्टि दी, जीने की कला दी, साहित्य दिया, संस्कृति दी, विमान का विज्ञान दिया, चिकित्सा विज्ञान एवं अर्थशास्त्र दिया.
इसका कारण ये है कि.... हमारा सनातन धर्म लाखों, करोड़ो वर्षों से वैज्ञानिक अनुसंधान कर रहा है और हमारे ऋषि-मुनियों ने विज्ञान की नींव रखी है.
हमारे सनातन ऋषियों ने तपस्या कर अपनी हड्डियों को पिघलाने के बाद, विज्ञान और दर्शन को दुनिया के लिए दृश्यमान बना दिया है.
और... पूरी दुनिया कभी भी सनातन ऋषियों के ऋण से मुक्त नहीं होगी.
इसीलिए... हमें अपने पूर्वजों एवं खुद पर गर्व होना चाहिए कि हम ऐसे महान सनातन धर्म का एक हिस्सा हैं जो वैज्ञानिकता से परिपूर्ण है.

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