क्या है हमारी बेचैनी का राज ?.....
.जिसकी योजना से हमारा जन्म हुआ है ,जिस उद्देश्य क़ी पूर्ती केलिए हमारा जन्म हुआ है ...उस कारण में छिपा है यह रहस्य .
.यह भाषण बाजी का नही ..आत्म साक्षात्कार का विषय है ...हम अपने प्रिय संस्कारों के अनुसार ही जी रहे हैं ..हमारी चाह्त और अस्वीकृति वहीं से उपजती है .
.यहीं हम क्रिया -प्रतिक्रिया में उलझे रहते हैं ..मन क़ी अनुकूलता हमें हसाती है ,और प्रतिकूलता दर्द का अहसास देती है
जिन्दगी कविता है ..वह खूबसूरत भी है और कल्याणकारी भी ,पर तभी ,जब उसका व्याकरण और प्रस्तुतीकरण भी सही हो ....--.विवेक
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