Thursday, 15 December 2011

गृह संसद और सामाजिक संसद सर्वत्र बनें ..


सहारा ,सुरक्षा और उचित मार्गदर्शन के आभाव से आज हर परिवार और समाजके लोग परेशान हैं ....विवाहों का टूटना ,नशे का बढना ,अत्याचार ,और उपेक्षा क़ी ओर ध्यान नही दिया जाना हमारे लिये  ,अनेक समस्याओं का कारण बना हुवा है ...
परिवार और समाज को हम समय नही दे रहे ...जबकि समस्याएँ यहीं से उपज रहीं हैं ...आत्म केन्द्रित व्यक्ति इन्हीं हालातों क़ी उपज हैं ...जीवन में तेज गति ,और सबकुछ स्वयम बटोर लेने क़ी भावना ,यहीं से बल पाती है ...मूल इच्छा पइसा बटोरने क़ी नही सम्मान पूर्वक और सुख पूर्वक जीने  क़ी है ...न तो कोई तनाव चाहता है ,नहीं यह चाहता है क़ी वह इनके चलते रोगों का शिकार बने ...
हमारे पास अभी भी समय है ...शिक्षा ,मार्गदर्शन ,संस्कार ,सुरक्षा और निश्चिंतता क़ी सुव्यवस्था करने वाले पारिवारिक  एवं सामाजिक तन्त्र का महत्व समझा जाय ...समझदार लोग इस कार्य को प्राथमिकता से करें ...यही हमारी एकता ,शक्ति ,सुरक्षा और उज्ज्वल भविष्य का आधार है ...यही हमारी संस्कृति का सारऔर हिंदुत्व क़ी पहिचान है ...इसी तन्त्र के महत्व को देख कर हमने ,ज्ञान दे वाले गुरु ,जन्म देने वाले माता पिता ही नही, सन्मार्ग दिखाने वाले पंचों कोभी परमेश्वर का दर्जा देकर उनका मान बढ़ाया है ...  
विवेक सुरंगे

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