Wednesday, 2 January 2019

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Train-18 पर फिदा हुई दुनिया. अनेक देशों ने इसके खरीदने में दिखाई दिलचस्पी. रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने शुक्रवार को कहा कि पेरू, इंडोनेशिया, सिंगापुर, मलेशिया और पश्चिमी एशिया के कुछ देशों ने भारत की अत्याधुनिक ट्रेन 18 का आयात करने में अपनी रुचि दिखाई है. हालांकि अभी इस महत्वाकांक्षी परियोजना की कमर्शियल शुरूआत नहीं हुई है. ट्रायल के दौरान ट्रेन 18 की अधिकतम गति 180 किलोमीटर प्रति घंटा तक तक रही है. इसका सफर वाराणसी से दिल्ली के बीच शुरू होगा.

रेलवे बोर्ड के सदस्य (रॉलिंग स्टॉक) राजेश अग्रवाल ने कहा, "कई देशों ने इस ट्रेन सेट में रुचि दिखायी है और हमें गर्व है कि स्वदेशी रूप से तैयार एक उत्पाद में इतनी रुचि दिखायी जा रही है. दुनिया भर में रोलिंग स्टॉक बाजार लगभग 200 अरब डॉलर का है और हम इसमें एक महत्वपूर्ण हिस्सेदारी चाहते हैं. अब, उद्देश्य इस ट्रेन को सफलतापूर्वक चलाना है। बताया गया कि अभी ट्रेन 18 जैसे मानक वाली ट्रेनों की कीमत दुनिया भर में करीब 250 करोड़ रुपये है जबकि इंटीग्रल कोच फैक्ट्री, चेन्नई द्वारा तैयार इस भारतीय संस्करण की लागत लगभग 100 करोड़ रुपये है.

बताया जा रहा है कि भारत सेमी-हाई स्पीड क्लब में शामिल होने वाला नवीनतम सदस्य है और वह फरवरी में अंतर्राष्ट्रीय हाई स्पीड रेल एसोसिएशन सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है. रेलवे को उम्मीद है कि इस आयोजन में वह ट्रेन 18 के जरिए अपनी विनिर्माण क्षमताओं को पेश कर सकता है.
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इसराइल के बाद..
भारत दुनिया का दूसरा ऐसा देश बनेगा जिसकी नागरिकता
दुनिया में जन्मे सभी हिन्दुओं को सीधे मिलेगी।
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चीन की चालबाजी पर नजर रखने की है तैयारी, सरकार ने सीमा पर की है ये प्लानिंग.....
सरकार चीन से लगती सीमा पर 44 सामरिक मार्गों के निर्माण के साथ पाकिस्तान से सटे पंजाब एवं राजस्थान में करीब 2100 किलोमीटर की मुख्य एवं संपर्क सड़कों का निर्माण करेगी. केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (सीपीडब्ल्यूडी) की इस महीने जारी वार्षिक रिपोर्ट (2018-19) के अनुसार एजेंसी को भारत-चीन सीमा पर 44 “सामरिक रूप से महत्त्वपूर्ण” सड़कों के निर्माण के लिए कहा गया है ताकि संघर्ष की स्थिति में सेना को तुरंत जुटाने में आसानी हो.
भारत एवं चीन के बीच करीब 4,000 किलोमीटर की वास्तविक नियंत्रण रेखा जम्मू-कश्मीर से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक के इलाकों से गुजरती है.
भारत-चीन सीमा पर सामरिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण इन 44 सड़कों का निर्माण करीब 21,000 करोड़ रुपये की लागत से किया जाएगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सुरक्षा संबंधी मामलों पर मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीएस) से विस्तृत परियोजना रिपोर्ट पर मंजूरी लेने की प्रक्रिया चल रही है.,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

70 सालों बाद अब देश को मिलेगा वॉर मेमोरियल
राजनीतिक और प्रशासकीय उदासीनता का शिकार नेशनल वॉर मेमोरियल अब बनकर तैयार हो गया है। ये वॉर मेमोरियल आजादी के बाद से विभिन्न युद्धों और ऑपरेशनों में शहीद होने वाले 22600 से अधिक सैनिकों के सम्मान में बनाया गया है। रक्षा अधिकारियों का कहना है कि पीएम नरेंद्र मोदी 25 जनवरी को आलीशान राजपथ पर इंडिया गेट परिसर से सटे इस विश्वस्तरीय NWM का उद्घाटन करेंगे।दुनिया के प्रमुख देशों में भारत शायद अकेला था जिसके पास वॉर मेमोरियल नहीं था। अधिकारियों के मुताबिक, NWM सैन्य बलों की लंबे अर्से से लंबित भावुक मांग को पूरा करेगा, जिसमें उन्होंने सालों तक इसे दिल्ली से बाहर कहीं शिफ्ट किए जाने का सफलतापूर्वक विरोध किया। बता दें कि प्रथम विश्वयुद्ध में शहीद हुए 84000 भारतीय जवानों की याद में ब्रिटिशों ने इंडिया गेट बनवाया था। बाद में 1971 के युद्ध में शहीद हुए 3843 जवानों के सम्मान में अमर जवान ज्योति बनाई गई। NWM को बनाने पर 176 करोड़ का खर्च आया है। केंद्र सरकार ने अक्टूबर 2015 में इसके लिए ये धनराशि स्वीकृत की थी। 15 अगस्त 2018 को इसके उद्घाटन का लक्ष्य तैयार किया गया था लेकिन डेडलाइन मिस हो गई।अमर चक्र, वीर चक्र, त्याग चक्र और रक्षा चक्र के साथ इसमें हमेशा जलती लौ के साथ एक 15 मीटर लंबा स्तंभ बना है। इसपर भित्ति चित्र, ग्रैफिक पैनल, शहीदों के नाम और 21 परमवीर चक्र विजेताओं की मूर्ति बनाई गई।,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
तिब्बत में चीन के सैटलाइट ट्रैकिंग सेंटर के जबाब में भूटान में भारत बनाएगा अपना सैटलाइट ट्रैकिंग सेंटर...

चीन को काउंटर करने के लिए भारत ने एक बड़ा रणनीतिक कदम उठाया है। पड़ोसी मुल्क भूटान में भारत एक सैटलाइट ट्रैकिंग ऐंड डेटा रिसेप्शन सेंटर स्थापित कर रहा है। यह कोई आम सेंटर नहीं बल्कि क्षेत्र में चीन द्वारा स्थापित ऐसी ही एक फैसेलिटी के मुकाबले भारत का रणनीतिक जवाब है।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (ISRO) का भूटान में ग्राउंड स्टेशन स्ट्रैटिजिक असेट के तौर पर देश की ताकत को दोगुना बढ़ा देगा। सबसे खास बात इसकी भारत और चीन के बीच की लोकेशन है।'


चीन ने भारत से लगती सीमा यानी वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) से 125 किमी की दूरी पर तिब्बत के नगारी में एक आधुनिक सैटलाइट ट्रैकिंग सेंटर और खगोलीय वेधशाला स्थापित कर रखी है। तिब्बत में यह फसिलटी इतनी अडवांस्ड है कि भारतीय सैटलाइटों को ट्रैक करने के साथ ही यह उन्हें 'ब्लाइंड' (यानी ऐसा कर दे जिससे कुछ भी दिखाई न दे) भी कर सकती है।

अब ISRO का भूटान में ग्राउंड स्टेशन न केवल हिमालयी देश को साउथ एशिया सैटलाइट का लाभ पहुंचाने के लिए स्थापित किया गया है बल्कि तिब्बत में चीन के स्टेशन के मुकाबले संतुलन साधने के लिए भारत का जवाब भी है। डोकलाम गतिरोध के मद्देनजर भारत की यह रणनीति महत्वपूर्ण है, जब भारत, भूटान और चीन के ट्राइ-जंक्शन पर चीनी सैनिकों ने सड़क बनाने की कोशिश की थी। भारतीय सैनिकों ने इसका विरोध किया और 72 दिनों तक डोकलाम में चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी के सामने डटे रहे। इस दौरान भूटान भारत के साथ दृढ़ता से खड़ा रहा।

PM मोदी ने मीडिया को दी अहम जानकारी
पिछले शुक्रवार को PM-स्तर की वार्ता के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भूटान में इसरो के ग्राउंड स्टेशन का काम जल्द ही पूरा हो जाएगा। भूटान के नए पीएम लोतेय शेरिंग के साथ मुलाकात के बाद पीएम मोदी ने एक बयान में कहा, 'स्पेस साइंस हमारे सहयोग (भूटान के साथ) का नया आयाम है। इस प्रॉजेक्ट के पूरा होने के साथ ही भूटान को मौसम की जानकारी, टेलि-मेडिसिन और आपदा राहत से जुड़ी तमाम जानकारियां मिलने लगेंगी।'

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