Monday, 27 June 2011

इसाई मिशनरियों से सबक लेना होगा ....


हिन्दू बाबाओं और मठों के विरुद्ध ही हमेशा लिखा बोला जाता है .क्योंकि हिन्दू धर्म आजादी देता है .विरोधियों को मौत के घाट  नहीं उतारता..हमारे शंकराचार्यों को जेल मेभी डाल दिया जाए .हिन्दू उग्र प्रतिक्रिया नहीं देता है सत्ता के सौदागर  इसी बात का फायदा उठाते आए हैं .भारत का विशाल हिन्दू समाज अपने आचार्यों, मंदिरों को अपनी कमाई का एक अंश दान  में  देता है ,कई लोग तो अपने आराध्य को अपने बिजनेस में पार्टनर बना लेते हैं और ईमानदारी से वह धन मंदिरों में जमा करते हैं ..सब कुछ देश के कानून के हिसाब से होने पर भी प्रगतिशीलता का ढोंग करने वाले बड़े लोग इस आय पर संदेह का घेरा खींच देते हैं .चोरों को सब चोर ही नजर आते हैं ..अब  यह तो होता ही है .
 गलती इन बडबोले और तथाकथित विद्वान लोंगों की कम और धर्म पीठों की ही ज्यादा है .दर असल धन का संग्रह है ही बुरी बात .लक्ष्मी तो नारायण की होती है अर्थात जनता जनार्दन की होती है, उसे जनता की सेवा में ही लगना चाहिए ..आजादी के बाद से अबतक इसाई मिशनरियां इस देश में पूरी तरह से एक समानांतर  शासन व्यवस्था चला रही हैं अरबों खरबों का धन विदेशों सेतो आता ही है .देशमें भी अर्जित किया जा रहा है . केरल,पूर्वांचल के राज्यों, वनवासी क्षेत्रों औरयहाँ तक की देश के सभी नगरों की गन्दी बस्तियों में धर्म बदल कर लोगों  को इसाई बनाने के लिए  दस हजार रूपए प्रतिमाह तक खर्चा करके इसाई वोटों के ब्लोक बनाए जा रहे हैं ..पूर्वांचल के राज्यों में तो इनकी अनुमति के बिना  सरकारें बनती ही नहीं ..हर जगह धर्मांतरण विरोधी कानूनों का विरोध इसी लिए  होता है ......यह सब लिखने का मतलब यह की वो लोग तो धन बल से नया  इसाई राष्ट्र बनानेमें लगे हैं ..सोचकर देखो यह कितनी बड़ी बात है ..और हिन्दुओं का धन मठों से बाहर ही नहीं आरहा  है ..  

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