Wednesday 29 June 2011

गुप चुप एक और विस्फोट कीं तैयारी...

केंद्र सरकार गुप चुप ढंग से एक और विवादास्पद विधेयक लाने जा रही है . प्रिवेंशन ऑफ़ कम्युनल वायलेंस बिल २०११ ...
इस विधेयक में कुल ९ अध्याय और १३८ धाराएं हैं .यह विधेयक देश की जनता को दो वर्गों में बाँट रहा है ..पहले वर्ग में धार्मिक और भाषाई अल्पसंख्यक, अनुसूचित जाति और जनजातियों को रखा गया है तथा दुसरे वर्ग में शेष अन्य समुदाय को रखा गया है .. इसके बाद, साम्प्रदायिक दंगा , लैंगिक अपराध , विद्वेषपूर्ण प्रचार , इत्यादि  को परिभाषित किया गया है.
इस विधेयक के अनुसार यदि किसी दंगे में, पहले वर्ग के सदस्य के जानमाल को किसी भी प्रकार की क्षति होती है तो  यह  साम्प्रदायिक और उद्देश्य पूर्ण हिंसा माना गया है और दुसरे वर्ग के साथ यदि यही हिंसा होती है  तो यह साम्प्रदायिक हिंसा नही मानी जाएगी ..(कंडिका ३)
यदि कोई हिन्दू (सामान्य वर्ग )का व्यक्ति उपर्युक्त ढंग से शिकार बनता है तो उसे ..पीड़ित नहीं माना जाएगा .यदि दुसरे वर्ग की कोई महिला किसी अल्पसंख्यक के हवस का शिकार बनती है तो यह कानून उसे बलात्कार नहीं मानेगा लेकिन ..कंडिका ७ के अनुसार यदि अल्पसंख्यक वर्ग की महिला के साथ कोई दूसरे वर्ग का व्यक्ति ऐसा ही दुराचार करता है तो उसे लैंगिक अपराध का दोषी माना जाएगा ...अर्थात यदि इमराना के साथ उसका स्वसुर बलात्कार करता है ,तो इस मसौदे के अनुसार वह बलात्कार नहीं माना जाएगा ....
इस मसौदे के अनुसार गवाह की भी नई परिभाषा रची गई है ...अल्पसंख्यक वर्ग के साथ हुई घटना की केवल जानकारी रखने वाला भी गवाह है .जबकि बहुसंख्यक वर्ग को यही सुविधा नहीं है ..
कंडिका ८ के अनुसार ..आप बाइबिल , कुरान, अल्पसंख्यकों की मांगों आदि पर कोई टिका टिप्पणी नहीं कर सकता.. उदाहरण  के तौर पर ..यदि किसी राम लीला कमेटी के किसी सदस्य द्वारा किसी अल्पसंख्यक पर छींटा कशी की जाती है या व्यापर में उस से कोई झगडा हो जाता है ..तो पूरी रामलीला कमेटी पर मुकदमा चलाया जाएगा ..
किसी अल्पसंख्यक को आपने उसके मांगने पर किराये पर घर नहीं दिया , अथवा पैसे उधार नहीं दिए  तो भी आप अपराधिक कानून के शिकार होंगे ..यही कानून शिया सुन्नी झगड़े पर या ईसाई मुस्लिम झगडे पर लागू नहीं होगा.. इस वर्ग में अनुसूचित जाति जनजातियों को इसलिए रखा गया है ताकि मिशनरियों द्वारा इनके सुनियोजित धर्म परिवर्तन  तथा मुस्लिम जेहादी संगठनों द्वारा मँगाए गए पेट्रो  डॉलर के उपयोग पर अब आप आपत्ति  नहीं उठा सकें ..यदि आप ऐसा करेंगे तो आप पर आपराधिक मुकदमा चलेगा .. ऐसा हर आरोपी स्वतः ही अपराधी बन जाएगा ...उसे साबित करना होगा की वह अपराधी नहीं है ...
कानून के क्षेत्र में इस जालसाजी की सूत्रधार हैं सोनिया गाँधी की अध्यक्षता वाली.. राष्ट्रिय सलाहकार समिति, जिसने यह विधेयक तैयार किया है ..संविधानेत्तर इस संस्था में तीस्ता सेतलवाड,हर्ष मंदर,ज़ोन दयाल ,जैसे लोग हैं जो विदेशी पैसे एवं प्रभाव के आरोपों में चमकते तारे की तरह सबको दिखाई पड रहे हैं ...

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