Friday, 17 June 2011

सामाजिक ,पारिवारिक चेतना का लोप सबसे बड़ा नुकसान ...

नवभारत राजधानी  
 १८जून ,पृष्ठ ६पर ,गरियाबंद क्षेत्र की श्रीमती जोह्तारिनबाई का ह्रदय विदारक समाचार पढ़ा ..
ह्रदय विहीन सरकारें जन सेवा नहीं कर सकती .. सद्य प्रसव माता का कृषकाय पड़ा शरीर हमारी व्यवस्था को धिक्कार रहा है ... प्रगति और आधुनिकता के नाम पर हमसे छल किया जा रहा है ....इस नकलची दौड़ में हमारा सबसे बड़ा नुकसान यह हुवा  है की हम अपनी पारिवारिक और सामाजिक चेतना खोते जा रहे हैं .यह क्षति अपूरणीय है ..

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