डॉ शर्ले टेलिस के मार्ग दर्शन में पतंजलि योग पीठ में प्राणायाम पर कई अनुसंधान हुए . इसके लाभ इस प्रकार है ----
(१) -कपाल भाति प्राणायाम से ४१ % केलोरी ज़्यादा जलती है . इसके साथ बाह्य प्राणायाम करने से ये ५६ % तक ज़्यादा हो जाता है .
(२) -हाय बी पी होने पर कापाल भाति एक मिन. में ६० बार ही करना चाहिए . ऐसा ५ मिन . कर १ मिन .आराम करे .
(३) -कपाल भाति के नाम से अर्थ निकलता है कपाल अर्थात ब्रेन . इससे ब्रेन को रक्त आपूर्ति बढती है और बच्चों और ६० वर्ष से ऊपर के बुजुर्गों की स्मरण शक्ति बढती है .
(४) -ये रक्त संचारण सेरीब्रल एरिया में नहीं बढ़ता ; इसलिए इससे स्ट्रोक्स होने की संभावना नहीं है.
(५) -अनुलोम विलोम से बीपी नोर्मल हो जाता है .
(६) -आनुलोम विलोम से ब्रेन के दोनों हिस्सों में समन्वय होता है . इससे मन और बुद्धि संतुलन में आ जाते है .व्यक्ति भावना और असलियत में संतुलन करना आसान पाता है .
(७) - सूर्य भेदी प्राणायाम बच्चों और नोर्मल बीपी वाले युवाओं के लिए केलोरी बर्न करने के लिए अच्छा है .
(८) -चन्द्र भेदी प्राणायाम अच्छी नींद और एन्क्जायटी के लिए अच्छा है .
(९)- २ महीनों तक उज्जायी प्राणायाम करने से खर्राटों और स्लीप एप्निया ठीक हो जाता है .
(१०) -बाह्य प्राणायाम से पेट की चर्बी समाप्त होती है जो डायबीटिज़ , हार्ट डिसीज़ और केंसर तक पैदा करती है .
(११) -उद्गीत और भ्रामरी प्राणायाम से १० दिनों में स्ट्रेस लेवल कम होता है . इसलिए ये ऑटो इम्यून डिसीज़ , मल्टिपल स्क्लेरोसिस , और रह्युमेंटोइड अर्थराइटिस को ठीक करता है .डिप्रेशन को भी ठीक करता है .
(१२) - उद्गीत और भ्रामरी रेडियेशन और कीमो थेरपी के साइड इफेक्ट्स को कम से कम करते है .
(१३) -भस्त्रिका अस्थमा और मस्कुलर डिस्ट्रोफी को ठीक करता है .
(१४) -केंसर सेल हर व्यक्ति में बनते रहते है . अगर इम्यून सिस्टम कमज़ोर पड़ जाए ; तभी ये बढ़ते है . प्राणायाम से ऑक्सीजन लेवल बढ़ता है जिसमे केंसर सेल बढ़ नहीं सकते .
इसलिए प्राणायाम करते रहे और स्वस्थ रहें मुस्कुराते रहे : ))))
(१) -कपाल भाति प्राणायाम से ४१ % केलोरी ज़्यादा जलती है . इसके साथ बाह्य प्राणायाम करने से ये ५६ % तक ज़्यादा हो जाता है .
(२) -हाय बी पी होने पर कापाल भाति एक मिन. में ६० बार ही करना चाहिए . ऐसा ५ मिन . कर १ मिन .आराम करे .
(३) -कपाल भाति के नाम से अर्थ निकलता है कपाल अर्थात ब्रेन . इससे ब्रेन को रक्त आपूर्ति बढती है और बच्चों और ६० वर्ष से ऊपर के बुजुर्गों की स्मरण शक्ति बढती है .
(४) -ये रक्त संचारण सेरीब्रल एरिया में नहीं बढ़ता ; इसलिए इससे स्ट्रोक्स होने की संभावना नहीं है.
(५) -अनुलोम विलोम से बीपी नोर्मल हो जाता है .
(६) -आनुलोम विलोम से ब्रेन के दोनों हिस्सों में समन्वय होता है . इससे मन और बुद्धि संतुलन में आ जाते है .व्यक्ति भावना और असलियत में संतुलन करना आसान पाता है .
(७) - सूर्य भेदी प्राणायाम बच्चों और नोर्मल बीपी वाले युवाओं के लिए केलोरी बर्न करने के लिए अच्छा है .
(८) -चन्द्र भेदी प्राणायाम अच्छी नींद और एन्क्जायटी के लिए अच्छा है .
(९)- २ महीनों तक उज्जायी प्राणायाम करने से खर्राटों और स्लीप एप्निया ठीक हो जाता है .
(१०) -बाह्य प्राणायाम से पेट की चर्बी समाप्त होती है जो डायबीटिज़ , हार्ट डिसीज़ और केंसर तक पैदा करती है .
(११) -उद्गीत और भ्रामरी प्राणायाम से १० दिनों में स्ट्रेस लेवल कम होता है . इसलिए ये ऑटो इम्यून डिसीज़ , मल्टिपल स्क्लेरोसिस , और रह्युमेंटोइड अर्थराइटिस को ठीक करता है .डिप्रेशन को भी ठीक करता है .
(१२) - उद्गीत और भ्रामरी रेडियेशन और कीमो थेरपी के साइड इफेक्ट्स को कम से कम करते है .
(१३) -भस्त्रिका अस्थमा और मस्कुलर डिस्ट्रोफी को ठीक करता है .
(१४) -केंसर सेल हर व्यक्ति में बनते रहते है . अगर इम्यून सिस्टम कमज़ोर पड़ जाए ; तभी ये बढ़ते है . प्राणायाम से ऑक्सीजन लेवल बढ़ता है जिसमे केंसर सेल बढ़ नहीं सकते .
इसलिए प्राणायाम करते रहे और स्वस्थ रहें मुस्कुराते रहे : ))))
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