पूरे देश में देल्ही गैंग रैप के बाद दोषियो को फांसी देकर पीड़ित को न्याय दिलाने की माँग पुरजोर तरीके से उठाई जा रही है ,इस घटना के बाद होने वाले प्रदर्शन पर पुलिस द्वारा लाठी-चार्ज किया जाना आंसू गैस का प्रयोग देश में लोकतंत्र की स्थिति बयां करता है,भारतीय दंड संघिता 1860 का सबसे बड़ा दर्द ये है की जिस महिला/लड़की के साथ बलात्कार जैसा जघन्य अपराध होता है तब उसी महिला को सिध्ह करना पड़ता है की उसके साथ रेप हुआ है आरोपी को न्यायलय कुछ सिध्ह करने को नहीं कहता बल्कि कोर्ट में परिवार का अकेला कमाने वाला है इस तर्क पर कोर्ट सहानुभूति दिखाता है,पीड़ित महिला से पुलिस से लेकर न्यायलय तक ऐसे -2 सवाल किये जाते है की भले घर की लड़की उनका जवाब भी नहीं दे पाती और 3/4 मामलो में आरोपी बाइज्ज़त बरी हो जाते है अभी 2010 में सी आर पी सी में कुछ महत्वपूर्ण संसोधन हुए जैसे फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट का गठन कर 3 महीने में न्याय देना बयानों की ऑडियो विडियो रिकॉर्डिंग,व पीडिता का बयान थाने से अलग कही बंद कमरे में लेना आदि,पर दुर्भाग्य से पुलिस व अदालते मिल कर इसकी धज्जिया उड़ा रहे है क्यों की केस लम्बा खीचने का फायदा ये होता की सबूत मिटाए जाने में आसानी हो जाती है हमें पारिवारिक मूल्य व संस्कार संजोने के साथ अश्लील सिनेमा का बहिस्कार,शिक्षा में संस्कार व आदर्श जोड़ने के साथ-2 शराबखोरी पर रोक तथा ऐसे मामलो का निपटारा तय अवधी में हो नहीं तो सम्बंधित लोगो पर कड़ी कार्यवाही हो जैसे प्रावधान करने होंगे तब शायद ये सिलसिला थमे,आप मित्रो के सुझाव आमंत्रित है-----विनय दिवेदी !!!!
No comments:
Post a Comment