Sunday, 6 January 2013

धन्य है हमारे पुर्वज जिन्होंने तुलसी को पूजने कहा।

दोस्तों , में अभी कुछ दिनों पहले मैंने भारत के बाहर एक हर्बल दवाई देखि। 
उसमे लिखा था की इसका मेन ingredient बासिल है। 
मेरी उत्सुकता बढ़ी। बाद में मैंने कई दवाइयों में बासिल का उपयोग देखा।। अभी पिछले दिनो मे प्रोजेक्ट के सिलसिले में साउदी अरब में था। वह मुझे एक दिन एक शॉप दिखी जो जड़ी बूटिया रखती थी .मैंने उत्सुकतावश उससे बासिल के बारे में पूछा। 
दोस्तों जानते है बासिल के पत्ते का साउदी अरब में क्या दाम था??

भारतीय मुद्रा में लगभग 45000 रुपये किलो।

जब मैंने उस दुकानदार से बासिल दिखाने को कहा तो मेरी आश्चर्य की सीमा न रही।
वो तुलसी के सूखे पत्ते थे।
दोस्तों तुलसी के पत्ते जी से अरब के लोग 45000 रुपये किलो खरीद कर खा रहे है। और हमारे घर में ये हर आँगन की शोभा है पर हम इसकी कीमत न पहचान सके।
धन्य है हमारे पुर्वज जिन्होंने तुलसी को पूजने कहा।
उस दिन मुझे इस पूजा का महत्व समझ आया।
:--सुदेश शर्मा भारतीय

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एक बूढा व्यक्ति था। उसकी दो बेटियां थीं। उनमें से एक का विवाह एक कुम्हार से हुआ और दूसरी का एक किसान के साथ।

एक बार पिता अपनी दोनों पुत्रियों से मिलने गया। पहली बेटी से हालचाल पूछा तो उसने कहा कि इस बार हमने बहुत परिश्रम किया है और बहुत सामान बनाया है। बस यदि वर्षा न आए तो हमारा कारोबार खूब चलेगा।

बेटी ने पिता से आग्रह किया कि वो भी प्रार्थना करे कि बारिश न हो।

फिर पिता दूसरी बेटी से मिला जिसका पति किसान था। उससे हालचाल पूछा तो उसने कहा कि इस बार बहुत परिश्रम किया है और बहुत फसल उगाई है परन्तु वर्षा नहीं हुई है। यदि अच्छी बरसात हो जाए तो खूब फसल होगी। उसने पिता से आग्रह किया कि वो प्रार्थना करे कि खूब बारिश हो।

एक बेटी का आग्रह था कि पिता वर्षा न होने की प्रार्थना करे और दूसरी का इसके विपरीत कि बरसात न हो। पिता बडी उलझन में पड गया। एक के लिए प्रार्थना करे तो दूसरी का नुक्सान। समाधान क्या हो ?

पिता ने बहुत सोचा और पुनः अपनी पुत्रियों से मिला। उसने बडी बेटी को समझाया कि यदि इस बार वर्षा नहीं हुई तो तुम अपने लाभ का आधा हिस्सा अपनी छोटी बहन को देना। और छोटी बेटी को मिलकर समझाया कि यदि इस बार खूब वर्षा हुई तो तुम अपने लाभ का आधा हिस्सा अपनी बडी बहन को देना।

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