एक नगर में चार भाई रहते थे,चारों ही अक्ल से अक्लमंद थे|चारों ही भाई अक्ल के मामले में एक सेबढ़कर एक | उनकी अक्ल के चर्चे आस-पासके गांवों व नगरों में फैले थे लोगउनकी अक्ल की तारीफ़ करते करते उन्हेंअक्ल बहादुर कहने लगे|एक भाई का नाम सौबुद्धि, दूजे का नाम हजार बुद्धि,तीसरे का नाम लाख बुद्धि, तो चौथेभाई का नाम करोड़ बुद्धि था|एक दिन चारों ने आपस में सलाह की कि -किसी बड़े राज्य की राजधानी में कमानेचलते है| दूसरे बड़े नगर में जाकरअपनी बुद्धि से कमायेंगतो अपनी बुद्धि की भी परीक्षा होगीऔर हमें भी पता चलेगा कि हम कितनेअक्लमंद है ? फिर वैसे भी घरबैठना तो निठल्लों का काम है चतुर व्यक्ति तो अपनीचतुराई व अक्ल सेही बड़े बड़े शहरों में जाकर धन कमाते है|और इस तरह चारों ने आपस में विचारविमर्श कर किसी बड़े शहर को जाने के
लिए घोड़े तैयार कर चल पड़े|
काफी रास्ता तय करने के बाद वे चलेजा रहे थे कि अचानक उनकी नजर रास्तेमें उनसे पहले गए किसी ऊंट के पैरों केनिशानों पर पड़ी|
"ये जो पैरों के निशान दिख रहे है वे ऊंट
के नहीं ऊँटनी के है |" सौ बुद्धि निशान
देख अपने भाइयों से बोला|
"तुमने बिल्कुल सही कहा| ये ऊँटनी के
ही पैरों के निशान है और ये
ऊँटनी बायीं आँख से कानी भी है |"
हजार बुद्धि ने आगे कहा|
लाख बुद्धि बोला- "तुम दोनों सही हो|
पर एक बात मैं बताऊँ? इस ऊँटनी परजो दो लोग सवार है उनमे एक मर्द व
दूसरी औरत है|
करोड़ बुद्धि कहने लगा- "तुम
तीनों का अंदाजा सही है| और ऊँटनी पर
जो औरत सवार है वह गर्भवती है|"
अब चारों भाइयों ने ऊंट के उन पैरों के
निशानों व आस-पास की जगहका निरिक्षण कर व देखकर
अपनी बुद्धि लगा अंदाजा तो लगालिया पर यहअंदाजा सही लगा या नहीं इसे जांचने केलिए आपस में चर्चा कर ऊंट के पैरों के
पीछे-पीछे अपने घोड़ों को ऐडलगा दौड़ा दिए| ताकि ऊंट सवारका पीछा कर उस तक पहुँचअपनी बुद्धि से लगाये अंदाजे की जाँच
कर सके|
थोड़ी ही देर में वे ऊंट सवार के आस-पासपहुँच गए| ऊंट सवार अपना पीछा करतेचार घुड़सवार देख घबरा गया कहीं डाकू या बदमाश नहीं हो, सो उसने भी अपनेऊंट को दौड़ा दिया| और ऊंट को दौड़ाता हुआ आगे एक नगर में प्रवेशकर गया| चारों भाई भी उसके पीछे पीछेही थे|
साथ उनके बारे में जानकारी देते हुए
कोतवाल ने उनके द्वारा ऊंट सवार
का पीछा करने वाली बात बताई|
राजा ने अपने राज्य में
कर्मचारियों की कमी के चलते अच्छे
लोगों की भर्ती की जरुरत भी बताई
पर साथ ही उनसे उस ऊंट सवार
का पीछा करने का कारण भी पुछा|
सबसे पहले सौ बुद्ध बोला-"महाराज !
जैसे हम चारों भाइयों ने उस ऊंट के
पैरों के निशान देखे अपनी अपनी अक्ल
लगाकर अंदाजा लगाया कि- ये पैर के
निशान ऊँटनी के होने चाहिए,
ऊँटनी बायीं आँख से
कानी होनी चाहिए, ऊँटनी पर
दो व्यक्ति सवार जिनमे एक मर्द
दूसरी औरत होनी चाहिए और वो सवार
स्त्री गर्भवती होनी चाहिए|"
इतना सुनने के बाद तो राजा भी आगे
सुनने को बड़ा उत्सुक हुआ| और उसने तुरंत
ऊंट सवार को बुलाकर पुछा- "तूं कहाँ से आ
रहा था और किसके साथ ?"
ऊंट सवार कहने लगा-" हे अन्नदाता ! मैं
तो अपनी गर्भवती घरवाली को लेने
अपनी ससुराल गया था वही से उसे लेकर
आ रहा था|"
राजा- "
अच्छा बता क्या तेरी ऊँटनी बायीं आँख
से काणी है?"
लिए घोड़े तैयार कर चल पड़े|
काफी रास्ता तय करने के बाद वे चलेजा रहे थे कि अचानक उनकी नजर रास्तेमें उनसे पहले गए किसी ऊंट के पैरों केनिशानों पर पड़ी|
"ये जो पैरों के निशान दिख रहे है वे ऊंट
के नहीं ऊँटनी के है |" सौ बुद्धि निशान
देख अपने भाइयों से बोला|
"तुमने बिल्कुल सही कहा| ये ऊँटनी के
ही पैरों के निशान है और ये
ऊँटनी बायीं आँख से कानी भी है |"
हजार बुद्धि ने आगे कहा|
लाख बुद्धि बोला- "तुम दोनों सही हो|
पर एक बात मैं बताऊँ? इस ऊँटनी परजो दो लोग सवार है उनमे एक मर्द व
दूसरी औरत है|
करोड़ बुद्धि कहने लगा- "तुम
तीनों का अंदाजा सही है| और ऊँटनी पर
जो औरत सवार है वह गर्भवती है|"
अब चारों भाइयों ने ऊंट के उन पैरों के
निशानों व आस-पास की जगहका निरिक्षण कर व देखकर
अपनी बुद्धि लगा अंदाजा तो लगालिया पर यहअंदाजा सही लगा या नहीं इसे जांचने केलिए आपस में चर्चा कर ऊंट के पैरों के
पीछे-पीछे अपने घोड़ों को ऐडलगा दौड़ा दिए| ताकि ऊंट सवारका पीछा कर उस तक पहुँचअपनी बुद्धि से लगाये अंदाजे की जाँच
कर सके|
थोड़ी ही देर में वे ऊंट सवार के आस-पासपहुँच गए| ऊंट सवार अपना पीछा करतेचार घुड़सवार देख घबरा गया कहीं डाकू या बदमाश नहीं हो, सो उसने भी अपनेऊंट को दौड़ा दिया| और ऊंट को दौड़ाता हुआ आगे एक नगर में प्रवेशकर गया| चारों भाई भी उसके पीछे पीछेही थे|
नगर में जाते ही ऊंट सवार ने नगर कोतवाल से शिकायत की - " मेरे पीछे चार घुड़सवार पड़े है कृपया मेरी व मेरी पत्नी की उनसे रक्षा करें|"
पीछे आते चारों भाइयों को नगर कोतवाल ने रोक पूछताछ शुरू कर दी कि कही कोई दस्यु तो नहीं| पूछताछ में चारों भाइयों ने बताया कि वे तो नौकरी तलाशने घर से निकले है यदि इस नगर में कही कोई रोजगार मिल जाए तो यही कर लेंगे|
पीछे आते चारों भाइयों को नगर कोतवाल ने रोक पूछताछ शुरू कर दी कि कही कोई दस्यु तो नहीं| पूछताछ में चारों भाइयों ने बताया कि वे तो नौकरी तलाशने घर से निकले है यदि इस नगर में कही कोई रोजगार मिल जाए तो यही कर लेंगे|
कोतवाल ने चारों के हावभाव व उनका व्यक्तित्व देख सोचा ऐसे व्यक्ति तो अपने राज्य केराजा के काम के हो सकते है सो वह उन
चारों भाइयों को राजा के पास ले आया,साथ उनके बारे में जानकारी देते हुए
कोतवाल ने उनके द्वारा ऊंट सवार
का पीछा करने वाली बात बताई|
राजा ने अपने राज्य में
कर्मचारियों की कमी के चलते अच्छे
लोगों की भर्ती की जरुरत भी बताई
पर साथ ही उनसे उस ऊंट सवार
का पीछा करने का कारण भी पुछा|
सबसे पहले सौ बुद्ध बोला-"महाराज !
जैसे हम चारों भाइयों ने उस ऊंट के
पैरों के निशान देखे अपनी अपनी अक्ल
लगाकर अंदाजा लगाया कि- ये पैर के
निशान ऊँटनी के होने चाहिए,
ऊँटनी बायीं आँख से
कानी होनी चाहिए, ऊँटनी पर
दो व्यक्ति सवार जिनमे एक मर्द
दूसरी औरत होनी चाहिए और वो सवार
स्त्री गर्भवती होनी चाहिए|"
इतना सुनने के बाद तो राजा भी आगे
सुनने को बड़ा उत्सुक हुआ| और उसने तुरंत
ऊंट सवार को बुलाकर पुछा- "तूं कहाँ से आ
रहा था और किसके साथ ?"
ऊंट सवार कहने लगा-" हे अन्नदाता ! मैं
तो अपनी गर्भवती घरवाली को लेने
अपनी ससुराल गया था वही से उसे लेकर
आ रहा था|"
राजा- "
अच्छा बता क्या तेरी ऊँटनी बायीं आँख
से काणी है?"
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