Friday, 30 May 2014

ज्वार ----

ज्वार ----

गेहूं की रोटी का बेहतर विकल्प है मोटे अनाज में ज्वार की रोटी। यह पोटेशियम और फास्फोरस के साथ ही कैल्शियम और आयरन से भरपूर है। यह वजन बढ़ने और हृदय विकार जैसे आर्टरीज में होने वाले ब्लॉकेज को रोकने में मददगार है।गर्मियों में ज्वार की रोटी , छाछ या कढी के साथ या साग के साथ सेवन करने से ठंडक देती है. तो हो जाए ज्वारी रोटी !!!!!!
ज्वार बहुत पौष्टिक होता है। इसमें बहुत ज्यादा फाइबर है। यह आटे की तरह लसलसा नहीं होता, जिससे यह डायबिटीज, आर्थराइटिस जैसी बीमारियों से बचाव में मदद देता है। यह हड्डियों और दांतों को भी मजबूत बनाता है।
ज्वार बवासीर और घावों में लाभदायक है। ज्वार की रोटी नित्य छाछ में भिगोकर खाएँ। शरीर बलवान होता है।
यह आटा गेहूं के आटे से कई गुना बेहतर होता है। ज्वार के आटे में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं। यह ग्लुटेन रहित और नॉन एलर्जिक होता है। यह फाइबर, फॉस्फोरस और आयरन का भंडार है। इसमें अल्कालाइन नहीं होता, जिससे यह आसानी से पच जाता है। ज्वार विटमिन बी कॉम्प्लेक्स का अच्छा स्त्रोत है। शाकाहारी लोगों के लिए ज्वार का आटा प्रोटीन का एक अच्छा स्रोत है। शोध बताते हैं कि यह कुछ खास प्रकार के कैंसर के खतरों को भी कम करता है। साथ ही यह हृदय और मधुमेह रोगियों के लिए आटे का अच्छा विकल्प है।

............................................................................................................................................
सहजन -
दक्षिण भारत में साल भर फली देने वाले पेड़ होते है. इसे सांबर में डाला जाता है . वहीँ उत्तर भारत में यह साल में एक बार ही फली देता है. सर्दियां जाने के बाद इसके फूलों की भी सब्जी बना कर खाई जाती है. फिर इसकी नर्म फलियों की सब्जी बनाई जाती है. इसके बाद इसके पेड़ों की छटाई कर दी जाती है.
- आयुर्वेद में ३०० रोगों का सहजन से उपचार बताया गया है। इसकी फली, हरी पत्तियों व सूखी पत्तियों में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, कैल्शियम, पोटेशियम, आयरन, मैग्नीशियम, विटामिन-ए, सी और बी कॉम्पलैक्स प्रचुर मात्रा में पाया जाता है।
- इसके फूल उदर रोगों व कफ रोगों में, इसकी फली वात व उदरशूल में, पत्ती नेत्ररोग, मोच, शियाटिका,गठिया आदि में उपयोगी है|
- जड़ दमा, जलोधर, पथरी,प्लीहा रोग आदि के लिए उपयोगी है तथा छाल का उपयोग शियाटिका ,गठिया, यकृत आदि रोगों के लिए श्रेयष्कर है|
- सहजन के विभिन्न अंगों के रस को मधुर,वातघ्न,रुचिकारक, वेदनाशक,पाचक आदि गुणों के रूप में जाना जाता है|
- सहजन के छाल में शहद मिलाकर पीने से वात, व कफ रोग शांत हो जाते है| इसकी पत्ती का काढ़ा बनाकर पीने से गठिया,शियाटिका ,पक्षाघात,वायु विकार में शीघ्र लाभ पहुंचता है| शियाटिका के तीव्र वेग में इसकी जड़ का काढ़ा तीव्र गति से चमत्कारी प्रभाव दिखता है,
- मोच इत्यादि आने पर सहजन की पत्ती की लुगदी बनाकर सरसों तेल डालकर आंच पर पकाएं तथा मोच के स्थान पर लगाने से शीघ्र ही लाभ मिलने लगता है |
- सहजन को अस्सी प्रकार के दर्द व बहत्तर प्रकार के वायु विकारों का शमन करने वाला बताया गया है|
- इसकी सब्जी खाने से पुराने गठिया , जोड़ों के दर्द, वायु संचय , वात रोगों में लाभ होता है.
- सहजन के ताज़े पत्तों का रस कान में डालने से दर्द ठीक हो जाता है.
- सहजन की सब्जी खाने से गुर्दे और मूत्राशय की पथरी कटकर निकल जाती है.
- इसकी जड़ की छाल का काढा सेंधा नमक और हिंग डालकर पिने से पित्ताशय की पथरी में लाभ होता है.
- इसके पत्तों का रस बच्चों के पेट के किडें निकालता है और उलटी दस्त भी रोकता है.
- इसका रस सुबह शाम पीने से उच्च रक्तचाप में लाभ होता है.
- इसकी पत्तियों के रस के सेवन से मोटापा धीरे धीरे कम होने लगता है.
- इसकी छाल के काढ़े से कुल्ला करने पर दांतों के कीड़ें नष्ट होते है और दर्द में आराम मिलता है.
- इसके कोमल पत्तों का साग खाने से कब्ज दूर होती है.
- इसकी जड़ का काढे को सेंधा नमक और हिंग के साथ पिने से मिर्गी के दौरों में लाभ होता है.
- इसकी पत्तियों को पीसकर लगाने से घाव और सुजन ठीक होते है.
- सर दर्द में इसके पत्तों को पीसकर गर्म कर सिर में लेप लगाए या इसके बीज घीसकर सूंघे.
- इसमें दूध की तुलना में ४ गुना कैलशियम और दुगना प्रोटीन पाया जाता है।
- सहजन के बीज से पानी को काफी हद तक शुद्ध करके पेयजल के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। इसके बीज को चूर्ण के रूप में पीस कर पानी में मिलाया जाता है। पानी में घुल कर यह एक प्रभावी नेचुरल क्लैरीफिकेशन एजेंट बन जाता है। यह न सिर्फ पानी को बैक्टीरिया रहित बनाता है बल्कि यह पानी की सांद्रता को भी बढ़ाता है जिससे जीवविज्ञान के नजरिए से मानवीय उपभोग के लिए अधिक योग्य बन जाता है।
- कैन्सर व पेट आदि शरीर के आभ्यान्तर में उत्पन्न गांठ, फोड़ा आदि में सहजन की जड़ का अजवाइन, हींग और सौंठ के साथ काढ़ा बनाकर पीने का प्रचलन है। यह भी पाया गया है कि यह काढ़ा साइटिका (पैरों में दर्द), जोड़ो में दर्द, लकवा, दमा, सूजन, पथरी आदि में लाभकारी है।
- सहजन के गोंद को जोड़ों के दर्द और शहद को दमा आदि रोगों में लाभदायक माना जाता है।
- आज भी ग्रामीणों की ऐसी मान्यता है कि सहजन के प्रयोग से विषाणु जनित रोग चेचक के होने का खतरा टल जाता है।
- सहजन में हाई मात्रा में ओलिक एसिड होता है जो कि एक प्रकार का मोनोसैच्युरेटेड फैट है और यह शरीर के लिये अति आवश्यक है।
- सहजन में विटामिन सी की मात्रा बहुत होती है। विटामिन सी शीर के कई रोगों से लड़ता है, खासतौर पर सर्दी जुखाम से। अगर सर्दी की वजह से नाक कान बंद हो चुके हैं तो, आप सहजन को पानी में उबाल कर उस पानी का भाप लें। इससे जकड़न कम होगी।
- इसमें कैल्शियम की मात्रा अधिक होती है जिससे हड्डियां मजबूत बनती है। इसके अलावा इसमें आइरन, मैग्नीशियम और सीलियम होता है।
- इसका जूस गर्भवती को देने की सलाह दी जाती है। इससे डिलवरी में होने वाली समस्या से राहत मिलती है और डिलवरी के बाद भी मां को तकलीफ कम होती है।
- सहजन में विटामिन ए होता है जो कि पुराने समय से ही सौंदर्य के लिये प्रयोग किया आता जा रहा है। इस हरी सब्जी को अक्सर खाने से बुढापा दूर रहता है। इससे आंखों की रौशनी भी अच्छी होती है।
- आप सहजन को सूप के रूप में पी सकते हैं, इससे शरीर का रक्त साफ होता है। पिंपल जैसी समस्याएं तभी सही होंगी जब खून अंदर से साफ होगा।

No comments:

Post a Comment