एक हिन्दू लड़की राधा एक मुस्लिम लड़के
से प्रेम करती हैं ,,माँ बाप ने बहुत
समझाया की बेटी निबाह
नहीं पायेगी ,,पर राधा ने
कहा कि"क्या फर्क है हिन्दू मुसलमान में"
उसके खून का रंग भी लाल मेरे खून का रंग भी लाल .... घर वालों व् समाज के प्रबल
विरोध के बाद भी मुस्लिम लड़के से प्रेम
विवाह रचाती है ,,,शादी के बाद सब
कुछ
बहुत अच्छा चल रहा था
हिन्दू लड़की का नाम भी बदला नहीं गया
सास ससुर बहुत अच्छे निकले ..बहुत प्यार
करते थे ...ससुराल में सबकी लाड़ली .....
लड़की के माँ बाप उससे संबंध तोड़ चुके
थे ...जब तब राधा अपने माँ बाप को याद
करती और खबर भिजवाती थी कि मुस्लिम
परिवार में मैं बहुत खुश हूँ कोई दिक्कत
नहीं है
फिर राधा के दो बच्चे हुए एक बेटा एक
बेटी ...दोप्यारे बच्चों की परवरिश अच्छे
से हुई बेटी बड़ी हुई शादी के लिए लड़का देखने
की बात हुई
तो पति और सास ससुर की बात सुन कर
सन्न रह गयी
पति और सास ससुर का निर्णय
था कि बिटिया की शादी उसकी बुआ के
बेटे से तय की जाएगी .....
राधा ने विरोध किया कि बुआ
का लड़का भाई होता है ,,पर दो टूक
कहा गया वो हिन्दुओं में है मुस्लिम में
नहीं राधा ने बेटी को कहा की बेटी तू
विरोध
कर इस बात
का ,,,तो बेटी बोली माँ फूफी के लड़के
जावेद से मैं प्यार करती हूँ
राधा ने एक तमाचा मारा अपनी बेटी के मुंह पर और बोली,,,,नालायक
वो तेरा भाई है तेरी बुआ
का बेटा है,,,,बिटिया बोली वो आपके
हिन्दू धर्म में होता है और मैं मुस्लिम हूँ
अब राधा के पैरों के नीचे की ज़मीन
निकल चुकी थी ,,,बाप की बात याद आई
बेटा निबाह नहीं पायेगी .....
उसी रात में राधा ने आत्म ह्त्या कर ली
क्यूंकि नमाज पढ़ना कबूल था,,बुर्का कबूल
था,,ईद .. रमजान कबूल था
पर अपनी बेटी की शादी उसकी बुआ के लड़के से कबूल नहीं कर पायी
बाप की बात आखिरी पल में भी याद आ
रही थी कि बेटी खून का रंग
सबका एकहोता है पर सोच अलग होती है
तू निबाह नहीं पायेगी ...........
(किसी धर्म का विरोध नहीं ,,सिर्फ अपने हिन्दूधर्म का प्रबल समर्थक )"
से प्रेम करती हैं ,,माँ बाप ने बहुत
समझाया की बेटी निबाह
नहीं पायेगी ,,पर राधा ने
कहा कि"क्या फर्क है हिन्दू मुसलमान में"
उसके खून का रंग भी लाल मेरे खून का रंग भी लाल .... घर वालों व् समाज के प्रबल
विरोध के बाद भी मुस्लिम लड़के से प्रेम
विवाह रचाती है ,,,शादी के बाद सब
कुछ
बहुत अच्छा चल रहा था
हिन्दू लड़की का नाम भी बदला नहीं गया
सास ससुर बहुत अच्छे निकले ..बहुत प्यार
करते थे ...ससुराल में सबकी लाड़ली .....
लड़की के माँ बाप उससे संबंध तोड़ चुके
थे ...जब तब राधा अपने माँ बाप को याद
करती और खबर भिजवाती थी कि मुस्लिम
परिवार में मैं बहुत खुश हूँ कोई दिक्कत
नहीं है
फिर राधा के दो बच्चे हुए एक बेटा एक
बेटी ...दोप्यारे बच्चों की परवरिश अच्छे
से हुई बेटी बड़ी हुई शादी के लिए लड़का देखने
की बात हुई
तो पति और सास ससुर की बात सुन कर
सन्न रह गयी
पति और सास ससुर का निर्णय
था कि बिटिया की शादी उसकी बुआ के
बेटे से तय की जाएगी .....
राधा ने विरोध किया कि बुआ
का लड़का भाई होता है ,,पर दो टूक
कहा गया वो हिन्दुओं में है मुस्लिम में
नहीं राधा ने बेटी को कहा की बेटी तू
विरोध
कर इस बात
का ,,,तो बेटी बोली माँ फूफी के लड़के
जावेद से मैं प्यार करती हूँ
राधा ने एक तमाचा मारा अपनी बेटी के मुंह पर और बोली,,,,नालायक
वो तेरा भाई है तेरी बुआ
का बेटा है,,,,बिटिया बोली वो आपके
हिन्दू धर्म में होता है और मैं मुस्लिम हूँ
अब राधा के पैरों के नीचे की ज़मीन
निकल चुकी थी ,,,बाप की बात याद आई
बेटा निबाह नहीं पायेगी .....
उसी रात में राधा ने आत्म ह्त्या कर ली
क्यूंकि नमाज पढ़ना कबूल था,,बुर्का कबूल
था,,ईद .. रमजान कबूल था
पर अपनी बेटी की शादी उसकी बुआ के लड़के से कबूल नहीं कर पायी
बाप की बात आखिरी पल में भी याद आ
रही थी कि बेटी खून का रंग
सबका एकहोता है पर सोच अलग होती है
तू निबाह नहीं पायेगी ...........
(किसी धर्म का विरोध नहीं ,,सिर्फ अपने हिन्दूधर्म का प्रबल समर्थक )"
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