Monday 1 October 2018

sochna padega


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जानिये और समझिये कि सबरीमला मंदिर क्यों सबकी आंखों में खटक रहा है।

,,,,,,,,,,,,,,box,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,ये महिला रेहाना फातिमा है जो सबरीमाला के मंदिर में महिलाओं के प्रवेश के विरोध में चल रहे आंदोलन में पुलिस के वेश पहन कर पहुंची है.

क्या रेहाना फातिमा स्वामी अय्यप्पा की भक्त है?

इस को पुलिस की वर्दी कौन पहना रहा है?

केरल के मुख्यमंत्री पी.विजयन क्या चाहते हैं?



केरल में सबरीमला के मशहूर स्वामी अयप्पा मंदिर में महिलाओं के प्रवेश के नाम पर चल रहे विवाद के बीच लगातार यह सवाल उठ रहा है कि आखिर इस मंदिर में ऐसा क्या है कि ईसाई और इस्लाम धर्मों को मानने वाले तथाकथित एक्टिविस्ट भी कम से कम एक बार यहां घुसने को बेताब हैं।
इस बात को समझने के लिये हमें केरल के इतिहास और यहां इस्लामी और राज्य में बीते 4-5 दशक से चल रही ईसाई धर्मांतरण की कोशिशों को भी समझना होगा।
मंदिर में प्रवेश पाने के पीछे नीयत धार्मिक नहीं, बल्कि यहां के लोगों की सदियों पुरानी धार्मिक आस्था को तोड़ना है, ताकि इस पूरे इलाके में बसे लाखों हिंदुओं को ईसाई और इस्लाम जैसे अब्राहमिक धर्मों में लाया जा सके।
केरल में चल रहे धर्मांतरण अभियानों में सबरीमला मंदिर बहुत बड़ी रुकावट बनकर खड़ा है।
पिछले कुछ समय से इसकी पवित्रता और इसे लेकर स्थानीय लोगों की आस्था को चोट पहुंचाने का काम चल रहा था।
लेकिन हर कोशिश नाकाम हो रही थी।
लेकिन आखिरकार महिलाओं के मुद्दे पर ईसाई मिशनरियों ने न सिर्फ सबरीमला के अयप्पा मंदिर बल्कि पूरे केरल में हिंदू धर्म के खात्मे के लिए सबसे बड़ी चाल चल दी है।
सबरीमला के इतिहास को समझिये...
1980 से पहले तक सबरीमला के स्वामी अयप्पा मंदिर के बारे में ज्यादा लोगों को नहीं पता था। केरल और कुछ आसपास के इलाकों में बसने वाले लोग यहां के भक्त थे।
70 और 80 के दशक का यही वो समय था जब केरल में ईसाई मिशनरियों ने सबसे मजबूती के साथ पैर जमाने शुरू कर दिये थे।
उन्होंने सबसे पहला निशाना गरीबों और अनुसूचित जाति के लोगों को बनाया।
इस दौरान बड़े पैमाने पर यहां लोगों को ईसाई बनाया गया। इसके बावजूद लोगों की मंदिर में आस्था बनी रही।
इसका बड़ा कारण यह था कि मंदिर में पूजा की एक तय विधि थी जिसके तहत दीक्षा आधारित व्रत रखना जरूरी था।
सबरीमला उन मंदिरों में से है जहां पूजा पर किसी जाति का विशेषाधिकार नहीं है किसी भी जाति का हिंदू पूरे विधि-विधान के साथ व्रत का पालन करके मंदिर में प्रवेश पा सकता है।
सबरीमला में स्वामी अयप्पा को जागृत देवता माना जाता है।
यहां पूजा में जाति विहीन व्यवस्था का नतीजा है कि इलाके के दलितों और आदिवासियों के बीच मंदिर को लेकर अटूट आस्था है।
मान्यता है कि मंदिर में पूरे विधि-विधान से पूजा करने वालों को मकर संक्रांति के दिन एक विशेष चंद्रमा के दर्शन होते हैं जो लोग व्रत को ठीक ढंग से नहीं पूरा करते उन्हें यह दर्शन नहीं होते।
जिसे एक बार इस चंद्रमा के दर्शन हो गए माना जाता है कि उसके पिछले सभी पाप धुल जाते हैं।
सबरीमला से आया सामाजिक बदलाव...
सबरीमला मंदिर की पूजा विधि देश के बाकी मंदिरों से काफी अलग और कठिन है।
यहां दो मुट्ठी चावल के साथ दीक्षा दी जाती है इस दौरान रुद्राक्ष जैसी एक माला पहननी होती है।
साधक को रोज मंत्रों का जाप करना होता है।
इस दौरान वो काले कपड़े पहनता है और जमीन पर सोता है।
जिस किसी को यह दीक्षा दी जाती है उसे स्वामी कहा जाता है।
यानी अगर कोई रिक्शावाला दीक्षा ले तो उसे रिक्शेवाला बुलाना पाप होगा इसके बजाय वो स्वामी कहलायेगा।
इस परंपरा ने एक तरह से सामाजिक क्रांति का रूप ले लिया।
मेहनतकश मजदूरी करने वाले और कमजोर तबकों के लाखों-करोड़ों लोगों ने मंदिर में दीक्षा ली और वो स्वामी कहलाये।
ऐसे लोगों का समाज में बहुत ऊंचा स्थान माना जाता है।
यानी यह मंदिर एक तरह से जाति-पाति को तोड़कर भगवान के हर साधक को वो उच्च स्थान देने का काम कर रहा था जो कोई दूसरी संवैधानिक व्यवस्था कभी नहीं कर सकती है।
ईसाई मिशनरियों के लिये मुश्किल
सबरीमला मंदिर में समाज के कमजोर तबकों की एंट्री और वहां से हो रहे सामाजिक बदलाव ने ईसाई मिशनरियों के कान खड़े कर दिये उन्होंने पाया कि जिन लोगों को उन्होंने धर्मांतरित करके ईसाई बना लिया वो भी स्वामी अयप्पा में आस्था रखते हैं और कई ने ईसाई धर्म को त्यागकर वापस सबरीमला मंदिर में ‘स्वामी’ के तौर पर दीक्षा ले ली।
यही कारण है कि ये मंदिर ईसाई मिशनरियों की आंखों में लंबे समय से खटक रहा था।
अमिताभ बच्चन, येशुदास जैसे कई बड़े लोगों ने भी स्वामी अयप्पा की दीक्षा ली हझ।
इन सभी ने भी मंदिर में रहकर दो मुट्ठी चावल के साथ दीक्षा ली है इस दौरान उन्होंने चप्पल पहनना मना होता था और उन्हें भी उन्हीं रास्तों से गुजरना होता था जहां उनके साथ कोई रिक्शेवाला, कोई जूते-चप्पल बनाने वाला स्वामी चल रहा होता था।
नतीजा यह हुआ कि ईसाई संगठनों ने सबरीमला मंदिर के आसपास चर्च में भी मकर संक्रांति के दिन फर्जी तौर पर ‘चंद्र दर्शन’ कार्यक्रम आयोजित कराए जाने लगे।
ईसाई धर्म के इस फर्जीवाड़े के बावजूद सबरीमला मंदिर की लोकप्रियता दिन दूनी रात चौगुनी बढ़ती रही थी।
नतीजा यह हुआ कि उन्होंने मंदिर में 10 से 50 साल तक की महिलाओं के प्रवेश पर लगी रोक को मुद्दा बनाकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाल दी।
यह याचिका कोर्ट में एक हिंदू नाम वाले कुछ ईसाइयों और एक मुसलमान की तरफ से डलवाई गई।
1980 में सबरीमला मंदिर के बागीचे में ईसाई मिशनरियों ने रातों रात एक क्रॉस गाड़ दिया था।
फिर उन्होंने इलाके में परचे बांट कर दावा किया कि यह 2000 साल पुराना सेंट थॉमस का क्रॉस है इसलिये यहां पर एक चर्च बनाया जाना चाहिये।
उस वक्त आरएसएस के नेता जे शिशुपालन ने इस क्रॉस को हटाने के लिए आंदोलन छेड़ा था और वो इसमें सफल भी हुये थे।
इस आंदोलन के बदले में राज्य सरकार ने उन्हें सरकारी नौकरी से निकाल दिया था।


केरल में
 हिंदुओं पर सबसे बड़ा हमला
केरल के हिंदुओं के लिए यह इतना बड़ा मसला इसलिये है क्योंकि वो समझ रहे हैं कि इस पूरे विवाद की जड़ में नीयत क्या है।
राज्य में हिंदू धर्म को बचाने का उनके लिये यह आखिरी मौका है।
केरल में गैर-हिंदू आबादी तेज़ी के साथ बढ़ते हुए 35 फीसदी से भी अधिक हो चुकी है।
अगर सबरीमला की पुरानी परंपराओं को तोड़ दिया गया तो ईसाई मिशनरियां प्रचार करेंगी कि भगवान अयप्पा में कोई शक्ति नहीं है और वो अब अशुद्ध हो चुके हैं।
ऐसे में ‘चंद्र दर्शन’ कराने वाली उनकी नकली दुकानों में भीड़ बढ़ेगी।
नतीजा धर्मांतरण के रूप में सामने आएगा।
यह समझना बहुत मुश्किल नहीं है क्योंकि जिन तथाकथित महिला एक्टिविस्टों ने अब तक मंदिर में प्रवेश की कोशिश की है वो सभी ईसाई मिशनरियों की करीबी मानी जाती हैं।
जबकि जिन हिंदू महिलाओं की बराबरी के नाम पर यह अभियान चलाया जा रहा है वो खुद ही उन्हें रोकने के लिये मंदिर के बाहर दीवार बनकर खड़ी हैं।
सबरीमाला पर वामपंथियों की नौटंकी अब सीमाएं लांग रही है,
रिहाना फातिमा नामक मुस्लिम महिला आज जबरदस्ती सबरीमाला मन्दिर में प्रवेश करने की नौटंकी करने आई है तथा केरला पुलिस के ढाई सौ कमांडो उसे सुरक्षा प्रदान कर रहे हैं, और अयप्पा के भक्त उसके विरोध में खड़े हुए हैं,
यह रिहाना फातिमा एक घोर हिंदू विरोधी औरत है जो सोशल मीडिया पर हिंदू आस्था के प्रतीकों पर अश्लील पोस्ट डालने और अपनी स्वयं की अर्धनग्न फोटोज डालने के लिये बदनाम है,
इन क्रिस्लामो-कॉमियों ने हिंदुओं की आस्था को एक मजाक बनाकर रख दिया है, जिन लोगों को ना हिंदू धर्म में आस्था है, ना भगवान अयप्पा में, जो कि सदैव से हिंदू धर्म के विरोधी रहे हैं, और समय-समय पर सार्वजनिक रूप से सनातन मान्यताओं-परंपराओं पर कटाक्ष करते रहे हैं, उनका उपहास उड़ाते रहे हैं और उन पर अश्लील टिप्पणियां करते रहे हैं, आज वही सबरीमाला मंदिर में जबरदस्ती घुसने का प्रयास कर रहे हैं, यहां इनकी इच्छा दर्शन कि नहीं अपितु हिंदुओं के पवित्र स्थल को अपवित्र करने और हिंदुओं को नीचा दिखाने की है, यह नौटंकी अब उस स्तर पर पहुंच गई है जिसके दुष्परिणाम अत्यंत घातक भी हो सकते हैं, और संभवत ये क्रिस्लामो-कॉमी यही चाहते भी हैं,
कल्पना करिए कि मक्का मदीना में यदि इस प्रकार की नौटंकी होती, कोई भी गैर मुस्लिम वहां घुसने का प्रयास भी करता, तो सऊदी सरकार उसके संग क्या करती ?
उसी दिन उसका सर बीच सड़क पर धड़ से काट दिया जाता, या उसको जमीन में आधा गाड़ कर पत्थर मार-मार कर मार डाला गया होता, किंतु इन जिहादियों को भारत में जितनी आजादी मिली हुई है यह उसका दोहन कर रहे हैं
मैं तो भगवान अय्यप्पा के उन भक्तों को साधुवाद देता हूं जो केरल राज्य की पुलिस फोर्स, राज्य सरकार, और पूरे प्रशासन द्वारा सबरीमाला मंदिर की प्रतिष्ठा को आघात पहुंचाने के षड्यंत्र को विफल करने और सबरीमाला मंदिर की प्रतिष्ठा बचाने के लिए वीरता पूर्वक वहां खड़े होकर विरोध कर रहे हैं, किंतु ये भी सत्य है कि सहन करने की भी एक सीमा होती है, और यहां तो निरंतर ही न केवल उकसाया जा रहा है अपितु वामपंथी राज्य सरकार भी पूर्ण रूप से इस उकसावे के षड्यंत्र में सम्मिलित है।
(पोस्ट के संग रिहाना फातिमा द्वारा पोस्ट किए गए कुछ फोटो संलग्न कर रहा हूँ, जानता हूँ कि ये असभ्य व अश्लील फोटो हैं, पोस्ट करने योग्य भी नही हैं, किंतु यहां वास्तविकता समझाने हेतु ऐसा करना पड़ रहा है।)
🇮🇳Rohan Sharma🇮🇳
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हिन्दुस्तान और हिन्दुओ को चौतरफा खतरा
एक तरफ इस्लाम और दूसरी तरफ ईसाइयत तीसरी तरफ वामपंथी और चौथी ओर सेकुलर ।
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मैं प्रमुख मस्जिदों में जाकर गायत्री साधना और यज्ञ हवन करना चाहता हूं तथा प्रमुख ईसाई चर्च में जाकर भगवत गीता पर प्रवचन करना चाहता और भागवत कथा का भी आयोजन करना है ।
क्या माननीय सर्वोच्च न्यायालय में इसकी अनुमति मिलने की संभावना है ?
कृपा कर कोई माननीय अधिवक्ता बताएं तो मैं याचिका दायर करने की पहल करुं।
(संदर्भ:सबरीमाला प्रकरणमें भांति भांति की धर्म विरोधी परन्तु स्त्री देह धारिणी व्यक्तियों का प्रवेश)
रामेश्वर मिश्र पंकज
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केरल सरकार देश मे बड़े पैमाने पर धार्मिक दंगा करवाना चाहती हैं, मुस्लिम ऐक्टिवेस्ट महिला को सबरीमाला मन्दिर में प्रवेश कराने के लिए 200 पुलिसकर्मीओ की सुरक्षा दे रही हैं, मुस्लिम कबसे भगवान अयप्पा के भक्त हो गए?
यह हिन्दुओ को नीचा दिखाने की कोशिश हैं।
सबरीमाला जाने के लिये एक मुस्लिम महिला मरी जा रही है ,
मोहतरमा पहले मस्जिद मे तो जा के दिखा
Sanjay Dwivedy,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
कुर्सी मिले तो
देश को लूट डालो
न मिले ...
तो हिंदुओं में फूट डालो..//
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राफेल व S-400 दोनों की लागत 1लाख 2 हजार 4 सौ करोड़ कॉमनवेल्थ में छातो और कुर्सियों का किराय1लाख 76 हजार करोड़ फिर भी मोदी चोर है❓
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अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश, ईरान, इराक, मिस्र, सऊदी अरब, मलेशिया, कश्मीर ......ये पुराने ज़माने के कैराना ही है ....,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
आखिर कॉंग्रेस को क्यूँ ???
1. वंदे मातरम से थी दिक्कत
2. सोमनाथ मन्दिर का विरोध
3. BHU मे हिन्दू शब्द से एतराज़
4. हज के लिए सब्सिडी शुरू की
5. 26/11 के पीछे हिन्दुओं का नाम लगाना
6. मंदिर जाने वाले छेड़खानी करते हैं
7. राम सेतु पर हलफनामा
8. सेना मे फूट डालने की कोशिशSanjay Dwivedy
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आर्य समाज के नाम पर  खोले लव जिहाद के दुकान
 देश की राजधानी में चल रहा है गोरखधंधा। मुस्लिम लड़के नाम बदलकर हिंदू होने का दिखावा करते हैं और  लड़की को प्यार जाल में फंसाकर उनका जीवन बर्बाद कर देते हैं। ट्रूकॉलर पर भी नंबर मुस्लिमों के नाम, फिर भी कई हिंदू लड़कियाँ हो रही शिकार, तुरन्त शादी करवाई जाती,वकील सांठगांठ से मैरिज रजिस्ट्रार से उसी दिन सर्टिफिकेट भी बनवाता ग़ाज़ियाबाद में राकेश मार्ग पर,भी "आर्य मेर्रिज bureau" jiska twitter id @aryamarriage है ये भी यही करवा रहा..लव जिहाद का अड्डा बन चुके हैं 
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विवेक ने UrbanNaxals को नंगा कर दिया,
नाना ने कट्टर राष्ट्रवाद का साथ दिया,
उन्हें टारगेट करने के लिए तनुश्री दत्ता को लाया गया !
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ज्यादातर प्राचीन मंदिरों को इस्लामिक शासकों द्वारा ध्वस्त/खंडित किया गया है, चाहे खिलजी हो यक चाहे बाबर, और सिर्फ मंदिरों को ही नही बल्कि पुस्तकालयों को भी..और ये जानते हुए भी माननीय कोर्ट राम मंदिर पर अपना फैसला नही सुना रहा, ये सिर्फ हिन्दू धर्म की नही सच्चाई की हार है..
सुप्रीम कोर्ट जिसे हम न्याय का मंदिर कहते हैं,उसका भी वोट बैंक के लिए राजनीति करण हो गया है, न्याय के मंदिर में बैठे कुछ लोग भी राजनीतिक तबके से आते हैं,Sanjay Dwivedy
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अमेरिका को दूसरा झटका
रूस से S-400 डील करने के बाद अब
अमेरिकी प्रतिबंधों के बाद भी ईरान से तेल आयात जारी रखेगा भारत ...//
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एक नये समाज और एक नई व्यवस्था का जन्म हो रहा है जिसकी प्रसव पीड़ा बहुतों को हो रही है

और कुछ को अभी होनी शेष है
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सबक
तमिलनाडु के तिरूनेलवेली में 14 सित. को ईस्लामियों ने गणेश प्रतिमा नष्ट कर दी , गांव के तमाम हिन्दुओं ने मुसलमानों की दुकानों से सामान लेना बन्द कर दिया , भूखे मरने लगे तो 30 सितंबर को हाथ जोड़ते हुए हिन्दुओं के पास आये और माफी मांगी।
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आगामी लोकसभा चुनाव भारत के इतिहास का सबसे प्रचंड और खतरनाक किस्म का लोकसभा चुनाव होगा ....इसमें देश के आतंरिक और बाह्य दुश्मन ऐसी ऐसी साजिशे और चाल चलेंगे कि...बड़े से बड़े देश चिंतंक और देश प्रेमी , प्राचीन किस्म के राष्ट्रवादी , यहाँ तक की संघ और अन्य हिन्दू संगठनो के सदस्यों का कपाल चटकने लगेगा ,
जातिवाद उतंड होने लगेगा .आर्थिक हितो पर खतरा दिखने लगेगा ...लेकिन इस महासमर में जो लोग देश के आतंरिक और बाह्य दुशमनो के चाल और चरित्र से पूरी गहराई और गंभीरता से परिचित होगे सिर्फ ऐसे ही लोग अडिग रहेगे ...आगामी लोकसभा चुनाव से पहले देश में बहुत खतरनाक माहौल होगा ...बड़े बड़े लोगो की निष्ठाए जर्जर होकर कापने लगेगी ...#पवन_अवस्थी.......................................
FAKE NEWS का अंबार है, Headline पढ़ कर तांडव करने से बचें,

किसी News को कम से कम 3 बार क्रॉस वेरीफाई अवश्य करें, स्पष्ट है Congress और Opposition ने लुट्येन इकोसिस्टम और बिकाऊ मीडिया के सहारे झूँठ, अफवाहों, अधूरी व भ्रामक खबरें चला चला कर Modi को हटाने की ठानी है, Cambridge Analytica का सहारा लिया जा रहा है ! बहोत से मोदी विरोधी, राष्ट्रवाद और हिंदुत्व का चोला ओढ़े भी बैठे हैं ! सावधान रहें, 2019 एक युद्ध है इसे याद रखियेगा, Modi के लिए हम भले ही इम्पोर्टेन्ट न हों पर हमारे लिए और देश के लिए Modi निश्चित रूप से इम्पोर्टेन्ट है !

Sanjeev Tripathi


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गजवा-ए-हिन्द..?
काफिर (मूर्तिपूजक, गैर-इस्लामी) को जीतने के लिए किये जाने वाले युद्ध को 'गजवा' कहते हैं और जो इस युद्ध में विजयी रहता है उसे 'गाजी' कहते हैं।
गजवा-ए-हिन्द का मतलब है कि भारत में सभी गैर-मुस्लिमों पर इस्लामिक शरिया लागू करना जिसके लिए या तो इनको मार कर खत्म करना या इनको इस्लाम स्वीकार कराना या उन्हें तब तक जिन्दा रखना जब तक ये अपनी कमाई का एक हिस्सा 'जजिया कर' के रूप में इस्लामिक सरकार को देते रहें।
गजवा-ए-हिन्द के 7 चरण हैं-
1. 'अल-तकिया' - यह वह अवस्था है जब मुस्लिम कमजोर या कम संख्या में होते हैं। इस स्थिति में काफिरों से झूठ बोलना और उन्हें धोखा देना जायज माना जाता है।
2. काफिरों के मन में भय पैदा करना।
3. हथियारों का जखीरा इकठ्ठा करना।
4. काफिरों की ताकत की थाह लेना।
5. ठिकाने या शिविर बनाना - इसके लिए बस्ती और मस्जिद का इस्तेमाल किया जाता है, जहाँ पर लोगों को इकट्ठा करना और हथियार रखना शामिल है। गतिविधि वाले शिविरों और क्षेत्रों में किसी न किसी बहाने से सभी काफिरों को भगाना भी इसमें शामिल है, ताकि संवेदनशील सूचनायें लीक न हो जायें।
6. सरकारी सुरक्षा-तंत्र को कमजोर करना।
7. व्यापक दंगे - 'गजवा-ए-हिन्द' का अंतिम पड़ाव जिसमें कम समय में अधिक से अधिक काफिरों या गैर-मुस्लिम मर्दो को मौत के घाट उतारना होता है। इस काम के लिए जेहादियों को मरने पर जन्नत में 72 युवा-सुन्दर हूरें मिलने का और जीतने पर जवान काफिर महिलाओं के साथ बलात्कार करने का लालच दिया जाता है।

ऐसा में नही, खुद इस मुल्क के मुसलमान कहते भी है और मदरसों में अपनी कौम वालों को पढ़ाते भी है..!
सेक्युलरों कभी मुस्लिम बहुल इलाकों में कुछ वक्त गुजारकर तो देखो..!
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नेहरु ने क्यों किया था बैन इस गीत को :
संभल के रहना अपने घर में छुपे हुए गद्दारों से

फिल्म : तलाक (1958)
गायक : मन्ना डे

54 वर्ष पूर्व (1958) महान राष्ट्रभक्त कवि प्रदीप ने खरे शब्दों में सीधी चेतावनी देते हुए इस अमर गीत की रचना की थी. तत्कालीन नेहरु सरकार को यह चेतावनी रास नहीं आयी थी. अतः गीत पर प्रतिबंध लगा दिया गया था.
1965 में पाक के नापाक हमले से आँखें खुली तो गीत से भी प्रतिबन्ध हटा था. सुनिए और सोचिये की आज भी कितना प्रासंगिक है यह गीत.
बिगुल बज रहा आजादी का, गगन गूंजता नारों से
मिला रही है आज हिंद की मिट्टी नजर सितारों से
एक बात कहनी है लेकिन, आज देश के प्यारो से
जनता से, नेताओ से, फौजों की खड़ी कतारों से
कहनी है इक बात हमें इस देश के पहरोदारों से
संभल के रहना अपने घर में छुपे हुए गद्दारों से
झांक रहे हैं अपने दुश्मन अपनी ही दीवारों से
संभल के रहना अपने घर में छुपे हुए गद्दारों से
ए भारत माता के बेटों, सुनो समय की बोली को
फैलाती जो फूट यहाँ पर, दूर करो उस टोली को
कभी न जलने देना फिर से, भेद भाव की होली को
जो गांधी को चीर गयी थी, याद करो उस गोली को
सारी बस्ती जल जाती है, मुट्ठी भर अंगारों से
संभल के रहना अपने घर में छुपे हुए गद्दारों से
जागो तुमको बापू की जागीर की रक्षा करनी है
जागो लाखों लोगों की तक़दीर की रक्षा करनी है
अभी बनी है जो उस तस्वीर की रक्षा करनी है
होशियार तुमको अपने, कश्मीर की रक्षा करनी है
आती है आवाज यही, मंदिर मस्जिद गुरुद्वारों से
संभल के रहना अपने घर में छुपे हुए गद्दारों से
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देश के हिन्दुओं ने "धर्मो रक्षति रक्षितः" का असली मतलब समझ लिया है अर्थात "तुम धर्म की रक्षा करो धर्म तुम्हारी रक्षा करेगा"...इसलिए हिन्दू अपने धर्म और संस्कृति को बचाने के लिए #केरल की सड़कों पर अपना विरोध व्यक्त कर रहें हैं

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