चोर विदेश भाग जाए तो मोदी जी जिम्मेदार,
पकड़ लाया जाए तो बचाने को पूरी कांग्रेस तैयार
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हज़ारो रुपये का क्रिसमस ट्री और जोकरों वाला कपड़ा खरीदने से अच्छा है
किसी गरीब के लिए सर्दी में कम्बल और जैकेट खरीद कर दिया जाए।- Manish Tripathi
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सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहने वाले और राष्ट्र स्वाभिमान दल के संस्थापक दीपक शर्मा ने हिन्दुओं के आपसी बंटवारे को लेकर अपनी प्रतिक्रिया दी है, दीपक शर्मा ने कहा – छोटी छोटी बातो पे बंट जाते है, इसलिये हिन्दू 100 करोड़ होकर भी कट जाते है.,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
EVM में गड़बड़ नहीं है, ये नतीजों से साबित हुआ। राफेल में घोटाला नहीं था, ये अदालत ने साबित किया।तो अब अगले चुनाव मे मुददा क्या ..?
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मैं रोज इसलिए हिन्दुओं को जगाता हूँ क्यूकी मेरी नई पीढ़ी मुझसे ये ना पूछे जब देश बर्बाद हो रहा था तब आप झक मार रहे थे क्या..?
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राफेल डील में कोई गड़बड़ी नही : SC
काश ये फैसला 1महीने पहले दिया होतादेर से दिया गया न्याय... सबसे बड़ा अन्याय है,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
बुलंदशहर में गौ हत्या का नैरेटिव सेट करके मीडिया इतनी बड़ी घटना को छुपाना चाहती है
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21 साल मीलॉर्ड बनके कितने केस निपटाए होंगे
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घृणा होती है ऐसे लोगों से जो वोट कांग्रेस,SP,BSP,
AAP को देते हैं ..
और राममंदिर निर्माण क्यों नहीं हुआ ये #BJP से पूछते हैं.
EVM में गड़बड़ नहीं है, ये नतीजों से साबित हुआ। राफेल में घोटाला नहीं था, ये अदालत ने साबित किया।तो अब अगले चुनाव मे मुददा क्या ..?
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मैं रोज इसलिए हिन्दुओं को जगाता हूँ क्यूकी मेरी नई पीढ़ी मुझसे ये ना पूछे जब देश बर्बाद हो रहा था तब आप झक मार रहे थे क्या..?
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राफेल डील में कोई गड़बड़ी नही : SC
काश ये फैसला 1महीने पहले दिया होतादेर से दिया गया न्याय... सबसे बड़ा अन्याय है,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
बुलंदशहर में गौ हत्या का नैरेटिव सेट करके मीडिया इतनी बड़ी घटना को छुपाना चाहती है
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21 साल मीलॉर्ड बनके कितने केस निपटाए होंगे
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घृणा होती है ऐसे लोगों से जो वोट कांग्रेस,SP,BSP,
AAP को देते हैं ..
और राममंदिर निर्माण क्यों नहीं हुआ ये #BJP से पूछते हैं.
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राहुल गांधी सिर्फ हिन्दुओ को मूर्ख बना पाया..
तेलंगाना के मुस्लिमों और मिजोरम के ईसाइयों को नही.
-Pradeep Tamhankar
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नटवरलाल भी पानी मांग गया होगा नेशनल हेरॉल्ड घोटाले की थीम के आगे....बगैर चवन्नी खर्च किये, 5000 करोड़ की प्रॉपर्टी....गज़ब है रे-- अरून शुक्ला
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Kailashkumar Agarwal
18 घंटे
रायता देखो जिस जेफ कुरियन ने किरचन मिशेल का वकील होने का दावा किया था वो भूतपूर्व जज जोसफ कुरियन का बेटा ही है
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मोदी और योगी शुद्ध घी के समान हैं, जिसे हजम हुआ वो भक्त बन गए, नहीं हुआ वो कुत्ते बनकर भौं भौं कर रहे हैं
आप तीन राज्यों में बीजेपी की हार को चाहे जिस भी तरह से देखते हो ....हो सकता है आपको लगे कि इन 3 राज्यों में हिंदुत्व खतरे में आ गया है इन तीन राज्यों में अब इस्लामिक ताकतें मजबूत होंगी ईसाई मिशनरियों भी सोनिया गांधी के इशारे पर धर्म परिवर्तन में जुड़ेंगे
इन सब को रोकने के लिए इन तीनों राज्यों के बीजेपी कार्यकर्ताओं और जीते हुए विधायकों को सड़क और विधानसभा में अपनी आवाज उठानी चाहिए.. क्योंकि इन तीनों राज्यों में बीजेपी की भी अच्छी खासी सीटें आई हैं इसलिए बीजेपी जहां भी गलत हो रहा हो वहां ताकत के साथ आवाज उठाएं
एक शुभ संकेत यह भी मिल रहा है कि केंद्र सरकार अब अपनी योजनाओं में बदलाव करने जा रही है और बदलाव की शुरुआत भी हो चुकी है -Jitendra Pratap Singh
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कम क्षेत्र होने के बावजूद इतनी बड़ी आबादी का ही परिणाम है कि हम वास्तव में कीड़े मकोडों की जिन्दगी जी रहे हैं। अशिक्षा, बेरोजगारी, गरीबी, बीमारी, अपराध इस सबके पीछे भयंकर बढती आबादी ही है जबकि हम हिन्दू (सिख, जैन, बौद्ध) तो स्वंय ही एक बच्चे पर आकर टिक रहे हैं फिर भी देश जनसंख्या विस्फोट के मुहाने पर बैठा है। इसका कारण क्या है ?
इसका साफ कारण है इस्लाम की विस्तारवादी नीति, भारत पर फिर से कब्जा करने की नीयत से विशेष रणनीति के तहत अपनी आबादी बढाना ! जनसंख्या नियंत्रण कानून ही एकमात्र उपाय है
अभी मुस्लिम संख्या में हमसे कम हैं परन्तु वो सारा मंजर बड़ी पैनी दृष्टि से देख रहे हैं और अभी पूरी तरह खूंखार नहीं है, मारकाट पर उतने उतारू नहीं है कि कब्जा करने की नीयत से सम्पूर्ण भारत पर हमला कर दें।उन्हें पता है कि हम लोगों की जनसंख्या वृद्धि दर धीरे धीरे नीचे आती जा रही है और तमाम नसीहतों/कोशिशों के बावजूद अब बढनी संभव ही नहीं हो पा रही है
जबकि 5 वर्ष से कम आयु वर्ग के बच्चों मे मुस्लिम बच्चों का प्रतिशत लगभग 40% हो चुका है। जिस दिन वो संख्या में हमारे बराबर हो गये उस दिन या तो हम सबका धर्म परिवर्तन होगा और जो नही मानेंगे वो कत्ल कर दिये जायेंगे!
1947 में आजादी के समय वह केवल 24% थे, जब उन्होंने जबरन हमारे हलक में हाथ डालकर हमसे पाकिस्तान ले लिया था, आज का बॅगलादेश ले लिया था और आधा कश्मीर ले लिया था और बचे खुचे कश्मीर से 1990 में सभी हिन्दूओं को भगा दिया था और जो न भागे उनकी बहन बेटियों के साथ दुराचार करके मार दिया गया...!
हम विकास, भ्रष्टाचार, ग्लोबल वार्मिंग,पर्यावरण को मुख्य समस्या मान बैठे हैं वो एक सूत्री योजना पर काम कर रहे हैं संख्याबल में हमारे नजदीक आना।
मिलिट्री सैटेलाइट GSAT-7A का लॉन्च.अंतरिक्ष से बढ़ाएगी वायु सेना की ताक़त और मारक क्षमता
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न्यूयार्क के डा. कल्यू ने एक विचित्र तथ्य का उद्घाटन किया है कि पौधे मात्र विचारों को ग्रहण करने में ही नहीं मनुष्य के कृत्यों की गवाही देने में भी समर्थ हैं। एक प्रयोग में उन्होंने दो पौधों को पोलीग्राफ से जोड़ा। छह व्यक्तियों को कमरे में बुलाकर छह मिली हुई कागज की पर्चियाँ रखीं तथा उनमें से प्रत्येक को कहा कि एक पर्ची उठा लें तथा जैसा निर्देश पर्ची पर लिखा है उसका बिना बताये पालन करें। उन पर्चियों में से एक पर लिखा था कि अवसर देखकर चुपके से कमरे में रखे पौधों में से एक को नष्ट कर दें। यह जानकारी किसी को नहीं थी कि उक्त निर्देशों वाली पर्ची किसके पास है। जिस व्यक्ति को वह पर्ची मिली उसने चुपके से एक पौधे को नष्ट कर डाला।
एक सप्ताह बाद डा. ने उन छह व्यक्तियों को पुनः बुलाया तथा शेष एक पौधे के सामने से गुजारा। पाँच व्यक्ति पौधे के सामने से होकर निकल गये पर गैल्वेनोमीटर में कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई। छठे व्यक्ति के आते ही यंत्र की सुई तेजी से घूमने लगी तथा पोलीग्राफ पर तरंगें अंकित होने लगीं। डा. क्ल्यू ने उस व्यक्ति से पूछताछ की तो मालूम हुआ कि उसने ही एक पौधे को नष्ट कर डाला था। गैल्वेनोमीटर की सुई घूमने का यही कारण था।
एक दूसरे प्रयोग में उन्होंने ड्रेकेनामे सेंजियाना नामक पौधे की एक शाखा को पोलीग्राफ लाइटिरेक्टर के तार से जोड़ दिया। पौधे की जड़ में थोड़ा पानी डाला तथा गल्वेनोमीटर में हल्की विद्युत तरंगें छोड़ दी। गैल्वेनोमीटर की सुई में गति आरम्भ हो गयी। यह जानने के लिए पौधे के ऊपर सुखद प्रतिक्रिया हुई या यह मात्र एक संयोग था। उन्होंने पौधे की एक शाखा को जलाने का विचार किया। एकाएक उनकी दृष्टि पौधे से जुड़े गैल्वेनोमीटर पर पड़ी। वेक्स्टर यह देखकर विस्मित रह गये कि पौधे को जलाने का विचार आते ही गैल्वेनोमीटर की सुई विपरीत दिशा में नीचे ग्राफ पर ऊर्ध्ववक्र रेखा में तेजी से गति करने लगी। यह प्रतिक्रिया विचारों से हुई अथवा किन्हीं और कारणों से। यह परखने के लिए वेकस्टर ने माचिस की एक तीली जलायी तथा पौधे की ओर इस प्रकार बढ़ाया जैसे जलाने जा रहे हों, पर उनके मन में पौधे को जलाने का कोई विचार न था। जो पौधा पहले जलाये जाने के भय की प्रतिक्रिया गैल्वेनोमीटर में तेजी से दे रहा था विचार के उलटते ही शान्त पड़ गया। वेक्स्टर ने निष्कर्ष निकाला कि मन में चलने वाले विचारों को पौधा पकड़ने में पूर्णतया सक्षम है।
अतः सब पेड़ लगाओ,पेड़ बचाओ।,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
नौकरी छोड़खोल दी कंपनी, आज 100 करोड़ है टर्नओवर
झारखंड की ऑसम डेयरी का नाम न केवल देश में फैला हुआ है बल्कि अब वह विदेश में भी अपनी पहचान बनाने के लिए पूरी तरह से प्रयास कर रहा है। देश की बढ़ती हुई कारोबारी कंपनियों में इसका नाम शुमार है।
कम समय में इसने मेहनत कर जो मुकाम हासिल किया है वह काबिले तारीफ है लेकिन इसके पीछे की कहानी और भी ज्यादा दिलचस्प है। इससे निर्माण की कहानी सभी को कुछ नया करने की प्रेरणा देती है। सबका हौसला बढ़ाती है। आइए आपको बताते हैं इसकी कहानी के बारे में।
अभिषेक राज, अभिनव शाह, हर्ष ठक्कर और राकेश शर्मा नामक 4 दोस्तों ने मिलकर साल 2012 में इसकी शुरुआत की थी। चारों दोस्तों ने अपनी शानदार कॉरपोरेट जॉब्स छोड़कर इसे बनाने का फैसला किया था। सभी ने मिलकर अपनी आय एक जगह लगा दी और गायें खरीदी। शुरुआत में 40 गायें खरीदी गईं लेकिन परेशानी ने उनका पीछा नहीं छोड़ा।उनकी 26 गायें संक्रमण के कारण मर गईं और यह कारोबार के लिए एक बड़ा नुकसान था। हालांकि इसके बाद भी चारों ने हिम्मत नहीं हारी। उन्होंने एक बार फिर से कारोबार में निवेश किया और धीरे-धीरे गाड़ी पटरी पर लौटने लगी।मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक ऑसम डेयरी का टर्नओवर 5 साल के अंदर 100 करोड़ रुपये पर पहुंच गया।
झारखंड में ऑसम डेयरी आज 19 जिलों में चलती है और 140 डिस्ट्रिब्यूटर्स के साथ काम कर रही है। इसके अलावा 3000 से ज्यादा रीटेलर्स भी कंपनी के साथ जुड़े हैं। चार दोस्तों द्वारा शुरू की गई इस कंपनी में आज लगभग 270 लोग काम करते हैं और कंपनी की सक्सेस देखने लायक है।अभिषेक ने सबसे पहले डेयरी के बिजनेस के बारे में अपने दोस्तों से बात की थी। डेयरी शुरू करने से पहले वह लोग एक मल्टी नेशनल कंपनी में काम करते थे। उनका सालाना पैकेज लगभग 40 लाख रुपये के आसपास था लेकिन बढ़िया पैसे मिलने के बावजूद वह लोग अपनी नौकरी छोड़कर कारोबार में लग गए।कारोबार शुरू करने के लिए चारों दोस्तों ने अलग अलग 1 करोड़ रुपये लगाए।
शुरुआत में 1 एकड़ जमीन खरीदी गई। वहीं करीब 30 लाख रुपये डेयरी फार्म बनाने में खर्च हुए। कारोबार के लिए न सिर्फ पैसा खर्च किया गया बल्कि सही ट्रेनिंग भी हासिल की। अभिनव शाह एक महीने का डेयरी फार्मिंग कोर्स करने के लिए कानपुर गए। इससे उन्हें जानवरों की स्वच्छता और स्वास्थ्य के बारे में अच्छी जानकारी हासिल हुई। साल 2022 तक कंपनी ने 500 करोड़ का कारोबार करने टारगेट रखा है।
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राहुल गांधी सिर्फ हिन्दुओ को मूर्ख बना पाया..
तेलंगाना के मुस्लिमों और मिजोरम के ईसाइयों को नही.
-Pradeep Tamhankar
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नटवरलाल भी पानी मांग गया होगा नेशनल हेरॉल्ड घोटाले की थीम के आगे....बगैर चवन्नी खर्च किये, 5000 करोड़ की प्रॉपर्टी....गज़ब है रे-- अरून शुक्ला
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Kailashkumar Agarwal
18 घंटे
रायता देखो जिस जेफ कुरियन ने किरचन मिशेल का वकील होने का दावा किया था वो भूतपूर्व जज जोसफ कुरियन का बेटा ही है
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मोदी और योगी शुद्ध घी के समान हैं, जिसे हजम हुआ वो भक्त बन गए, नहीं हुआ वो कुत्ते बनकर भौं भौं कर रहे हैं
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जब अमितशाह को जेल भेजा गया तब बदले की राजनीति नहीं थी लेकिन जब रॉबर्ट वाड्रा के दफ़्तर पर ईडी के रेड हुई तो बदले की राजनीति हो गयी
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फारुख अब्दुल्ला का विवादित बयान, भगवान राम आकर बेरोजगारी नहीं दूर करेंगे,
साले सुअर की तरह बच्चे पैदा करोगे तो रोजगार कहाँ मिलेगाBanty Jha
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हिजड़ा वो नई जो लिपस्टिक लगा कर ताली ठोकता है
हिजड़ा वो है जिसके सामने पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगे और वो ताली ठोकता है-- Sanjay Singhaniya
वहां मुस्लिम कुली से उसको प्यार हो जाता है""
लड़की का बाप कहता है 'ये रिश्ता हुआ तो प्रलय आ जायेगा ""
लड़की कहती है फिर तो मैं प्रार्थना करती हूं कि प्रलय आये बादल फट जाता है""
पूरा केदारनाथ डूब जाता है और वो मुस्लिम कुली दूसरे किसी मदद करने की बजाय सिर्फ हीरोइन को बचाता है ""
और लड़की के बाप को दिव्य ज्ञान प्राप्त होता है
कि प्रेम में जाती धर्म नहीं होता और हमारा देश गंगा जमुनी तहजीब वाला देश है जैसे दिल्ली के अंकित सक्सेना को ज्ञान प्राप्त हुआ था""
वो अपनी लड़की का निकाह उस कुली से करवा देता है ""
ये कहानी है फ़िल्म केदारनाथ की ""
फ़िल्म से एक सीख और मिलती है कि
हिन्दुओ ने अपनी लड़की का निकाह मुसलमानो से नहीं कराया तो प्रलय आएगा""
बॉलीवुड वाले भांड क्या गुल खिला सकते हैं समझ से बाहर है""
केदारनाथ त्रासदी में करीब एक लाख लोग मारे गए कइयों के तो शव भी नहीं मिले आज तक
पूरा देश खून के आंसू रोया था, जैसे अपना कोई सगा वाला मरा हो ""
इतनी भयानक घटना पर फ़िल्म भी बनाई
तो उसमें भी लव जिहाद का जहर घोल दिया""
केदारनाथ पर फ़िल्म ही बनानी थी तो सेना ने अपनी जान पर खेलकर कैसे लोगों की जान बचाई ये बताते ""
सेना का पराक्रम बताने की बजाय एक मुस्लिम कुली को महान बता दिया""
ये वो फिल्मकार हैं जो पैसों की खातिर अपनी बहन बीवी बेटी भी सुला देंगे किसी के भी साथ।""
क्या फिल्म का नाम केदारनाथ रखकर भी ऐसी घटिया फिल्म बनायीं जा सकती है"
ऐसी फिल्में बना रहे हैं सिर्फ हिन्दूओं को ठेस पहुंचाने के लिए कुछ भी करना पड़ा कर रहे हैं और हम हींदू अपने ही देश में अपनी मझाक उडते फील्म मै बडी शान से जाते हैं देखने" "
अगर असली हिन्दू हो और अपने संस्कारों को बचा बाचाना चाहते हो तो बहिष्कार करो ऐसी बाहियात फिल्म का..
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जिस कौम को अपने असली शुभचिंतक की जानकारी ना हो और जिसे अपने दुश्मनों की पहचान ना हो उसका सर्व विनाश स्वयं ईश्वर भी नही रोक सकता ......ऐसी कौम अपने दुश्मनों के हाथो भीषण रूप से उत्पीडित होकर या तो गुलाम बनती है या उसका सर्व विनाश ही होता है ...पवन अवस्थी
जिन्हे BJP पसंद नही उन्हे कांग्रेस की जीत का जश्न मनाने का हक है, पर पाक किस बात की खुशी मना रहा है यह पूछना हर भारतीय का हक है..? - सुरेश परमार
जब अमितशाह को जेल भेजा गया तब बदले की राजनीति नहीं थी लेकिन जब रॉबर्ट वाड्रा के दफ़्तर पर ईडी के रेड हुई तो बदले की राजनीति हो गयी
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फारुख अब्दुल्ला का विवादित बयान, भगवान राम आकर बेरोजगारी नहीं दूर करेंगे,
साले सुअर की तरह बच्चे पैदा करोगे तो रोजगार कहाँ मिलेगाBanty Jha
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हिजड़ा वो नई जो लिपस्टिक लगा कर ताली ठोकता है
हिजड़ा वो है जिसके सामने पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगे और वो ताली ठोकता है-- Sanjay Singhaniya
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एक लड़की केदारनाथ दर्शन करने जाती है"" वहां मुस्लिम कुली से उसको प्यार हो जाता है""
लड़की का बाप कहता है 'ये रिश्ता हुआ तो प्रलय आ जायेगा ""
लड़की कहती है फिर तो मैं प्रार्थना करती हूं कि प्रलय आये बादल फट जाता है""
पूरा केदारनाथ डूब जाता है और वो मुस्लिम कुली दूसरे किसी मदद करने की बजाय सिर्फ हीरोइन को बचाता है ""
और लड़की के बाप को दिव्य ज्ञान प्राप्त होता है
कि प्रेम में जाती धर्म नहीं होता और हमारा देश गंगा जमुनी तहजीब वाला देश है जैसे दिल्ली के अंकित सक्सेना को ज्ञान प्राप्त हुआ था""
वो अपनी लड़की का निकाह उस कुली से करवा देता है ""
ये कहानी है फ़िल्म केदारनाथ की ""
फ़िल्म से एक सीख और मिलती है कि
हिन्दुओ ने अपनी लड़की का निकाह मुसलमानो से नहीं कराया तो प्रलय आएगा""
बॉलीवुड वाले भांड क्या गुल खिला सकते हैं समझ से बाहर है""
केदारनाथ त्रासदी में करीब एक लाख लोग मारे गए कइयों के तो शव भी नहीं मिले आज तक
पूरा देश खून के आंसू रोया था, जैसे अपना कोई सगा वाला मरा हो ""
इतनी भयानक घटना पर फ़िल्म भी बनाई
तो उसमें भी लव जिहाद का जहर घोल दिया""
केदारनाथ पर फ़िल्म ही बनानी थी तो सेना ने अपनी जान पर खेलकर कैसे लोगों की जान बचाई ये बताते ""
सेना का पराक्रम बताने की बजाय एक मुस्लिम कुली को महान बता दिया""
ये वो फिल्मकार हैं जो पैसों की खातिर अपनी बहन बीवी बेटी भी सुला देंगे किसी के भी साथ।""
क्या फिल्म का नाम केदारनाथ रखकर भी ऐसी घटिया फिल्म बनायीं जा सकती है"
ऐसी फिल्में बना रहे हैं सिर्फ हिन्दूओं को ठेस पहुंचाने के लिए कुछ भी करना पड़ा कर रहे हैं और हम हींदू अपने ही देश में अपनी मझाक उडते फील्म मै बडी शान से जाते हैं देखने" "
अगर असली हिन्दू हो और अपने संस्कारों को बचा बाचाना चाहते हो तो बहिष्कार करो ऐसी बाहियात फिल्म का..
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जिस कौम को अपने असली शुभचिंतक की जानकारी ना हो और जिसे अपने दुश्मनों की पहचान ना हो उसका सर्व विनाश स्वयं ईश्वर भी नही रोक सकता ......ऐसी कौम अपने दुश्मनों के हाथो भीषण रूप से उत्पीडित होकर या तो गुलाम बनती है या उसका सर्व विनाश ही होता है ...पवन अवस्थी
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जिन्हे BJP पसंद नही उन्हे कांग्रेस की जीत का जश्न मनाने का हक है, पर पाक किस बात की खुशी मना रहा है यह पूछना हर भारतीय का हक है..? - सुरेश परमार
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3 राज्यो में मुख्यमंत्री सिर्फ पंप्पू चुने
पर उसके अनुसार...तानाशाह मोदी है...Manish Soni
पर उसके अनुसार...तानाशाह मोदी है...Manish Soni
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जहां भी गलत हो रहा हो वहां ताकत के साथ आवाज उठाएं बीजेपी आप तीन राज्यों में बीजेपी की हार को चाहे जिस भी तरह से देखते हो ....हो सकता है आपको लगे कि इन 3 राज्यों में हिंदुत्व खतरे में आ गया है इन तीन राज्यों में अब इस्लामिक ताकतें मजबूत होंगी ईसाई मिशनरियों भी सोनिया गांधी के इशारे पर धर्म परिवर्तन में जुड़ेंगे
इन सब को रोकने के लिए इन तीनों राज्यों के बीजेपी कार्यकर्ताओं और जीते हुए विधायकों को सड़क और विधानसभा में अपनी आवाज उठानी चाहिए.. क्योंकि इन तीनों राज्यों में बीजेपी की भी अच्छी खासी सीटें आई हैं इसलिए बीजेपी जहां भी गलत हो रहा हो वहां ताकत के साथ आवाज उठाएं
एक शुभ संकेत यह भी मिल रहा है कि केंद्र सरकार अब अपनी योजनाओं में बदलाव करने जा रही है और बदलाव की शुरुआत भी हो चुकी है -Jitendra Pratap Singh
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वाजपेई जी भारत के सबसे सफल प्रधानमंत्री थे, जनता ने उनके शासन की कद्र नहीं की...//
2004 में जब वाजपेयी ने मनमोहन सिंह को सत्ता सौंपी तब अर्थव्यवस्था बहुत मजबूत थी। जीडीपी ग्रोथ रेट 8 फीसदी से अधिक था, महंगाई दर 4 फीसदी से कम थी और विदेशी मुद्रा भंडार अपने उच्चतम स्तर पर था, लेकिन कमबख्त जनता को विकास से क्या लेना था, वाजपेई को सत्ता से हटा दिया।
बाद के १० साल में
तथाकथित बड़े अर्थशास्त्री मनमोहन सिंह के शासन में महंगाई दर ११% पहुंच गयी, जीडीपी हांफने लगी और विदेशी मुद्रा भंडार का क्षरण हुआ, देश से १२ लाख करोड़ लूटा गया और अमीरों को ३२ लाख करोड़ का ऐसा लोन दिया गया, जो बाद में NPA हो गया। देश की अर्थव्यवस्था बदहाल हो गयी,..... कांग्रेसी लूट-तंत्र के कारण...
२०१४ में नरेंद्र मोदी आए
महंगाई दर ३% पर ले आए, विदेशी मुद्रा भंडार में भारत आजतक की सबसे मजबूत स्थिति में है, जीडीपी दर ७ के पार है। भारत दुनिया की पांचवीं अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है, लेकिन तब भी गारंटी नहीं कि २०१४ में मोदी जीत ही जाएं।
आप अभी ही देखिए
कांग्रेस के शासन में मप्र बिमारू राज्य था, शिवराज के १३ साल के शासन ने इसे देश का सबसे बड़ा कृषि ग्रोथ राज्य बना दिया। लेकिन फिर से मुफ्तखोरों ने कांग्रेस को मौका दे दिया। कृषि लोन माफी के झूठ का परिणाम देखिए, इस विसंगति के कारण कांग्रेस आने के बाद दो किसान आत्महत्या कर चुके हैं। इसके बावजूद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी यही लोन माफी वाला झुनझुना और झूठ २०१४ में बेचकर सत्ता प्राप्ति की कोशिश में जुटे हैं।
यदि अभी भी आंख नहीं खुली तो आप सब तय मानिए, आप पिछड़ने के लिए ही पैदा हुए हैं। देश को केंद्र में रखकर सोचिए। भाजपा की हर सरकार के केंद्र में देश होता है, और कांग्रेस के केंद्र में व्यक्ति। देश रहेगा, तभी व्यक्ति बचेगा। कुछ लोगों का व्यक्तिगत हित इस सरकार में नहीं सधा है, इसलिए वो इसे हटाने के लिए फेक न्यूज के व्यापार में उतरे हुए हैं, जिसमें कांग्रेस के साथ काफी बड़ी संख्या में तथाकथित राष्ट्रवादी और हिंदूवादी भी कदमताल कर रहे हैं। आंखें खोलिए। देश बचाना है।
योगी आदित्यनाथ ने ऐलान किया है कि प्रयागराज में अकबर के किले के अंदर स्थित सरस्वती कूप लोगों के दर्शन के लिए खोला जाएगा...//
वहाँ पर एक सरस्वती प्रतिमा स्थापित की जाएगी। उनकी प्रतिमा के साथ भारद्वाज ऋषि की प्रतिमा भी लगेगी। सरस्वती कूप 435 वर्षों से अकबर किले में बंद है और अब यह चार शताब्दी के बाद खोला जाएगा.
■1932 में उठी थी अक्षयवट खोलने की माँग -
अकबर के किले में सरस्वती कूप के साथ ही अक्षयवट भी है। इसे खोले जाने की माँग 1932 में पहली बार महामना मदन मोहन मालवीय ने उठाई थी। उसके बाद से लगातार कई बार यह माँग उठती रही।
अकबर के किले में सरस्वती कूप के साथ ही अक्षयवट भी है। इसे खोले जाने की माँग 1932 में पहली बार महामना मदन मोहन मालवीय ने उठाई थी। उसके बाद से लगातार कई बार यह माँग उठती रही।
प्रयागराज में 15 जनवरी से कुंभ का आरंभ हो रहा है। कुंभ की तैयारियों के बीच सीएम योगी ने यह बड़ा ऐलान लखनऊ में आयोजित युवा कुंभ में किया है। युवा कुंभ के दौरान उन्होंने कहा कि कुंभ के पहले यहाँ सरस्वती की मूर्ति स्थापित हो जाएगी और कुंभ में आने वाले लोग यहाँ आकर दर्शन कर सकेंगे.
मुख्यमंत्री ने पूछा कि मुगल शासक अकबर ने वहाँ किला बनवाया था .तो क्या इसलिए लोग वहाँ पूजा अर्चना नहीं कर सकते हैं?
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जनसंख्या विस्फोट से देश गृहयुद्ध की ओरकम क्षेत्र होने के बावजूद इतनी बड़ी आबादी का ही परिणाम है कि हम वास्तव में कीड़े मकोडों की जिन्दगी जी रहे हैं। अशिक्षा, बेरोजगारी, गरीबी, बीमारी, अपराध इस सबके पीछे भयंकर बढती आबादी ही है जबकि हम हिन्दू (सिख, जैन, बौद्ध) तो स्वंय ही एक बच्चे पर आकर टिक रहे हैं फिर भी देश जनसंख्या विस्फोट के मुहाने पर बैठा है। इसका कारण क्या है ?
इसका साफ कारण है इस्लाम की विस्तारवादी नीति, भारत पर फिर से कब्जा करने की नीयत से विशेष रणनीति के तहत अपनी आबादी बढाना ! जनसंख्या नियंत्रण कानून ही एकमात्र उपाय है
अभी मुस्लिम संख्या में हमसे कम हैं परन्तु वो सारा मंजर बड़ी पैनी दृष्टि से देख रहे हैं और अभी पूरी तरह खूंखार नहीं है, मारकाट पर उतने उतारू नहीं है कि कब्जा करने की नीयत से सम्पूर्ण भारत पर हमला कर दें।उन्हें पता है कि हम लोगों की जनसंख्या वृद्धि दर धीरे धीरे नीचे आती जा रही है और तमाम नसीहतों/कोशिशों के बावजूद अब बढनी संभव ही नहीं हो पा रही है
जबकि 5 वर्ष से कम आयु वर्ग के बच्चों मे मुस्लिम बच्चों का प्रतिशत लगभग 40% हो चुका है। जिस दिन वो संख्या में हमारे बराबर हो गये उस दिन या तो हम सबका धर्म परिवर्तन होगा और जो नही मानेंगे वो कत्ल कर दिये जायेंगे!
1947 में आजादी के समय वह केवल 24% थे, जब उन्होंने जबरन हमारे हलक में हाथ डालकर हमसे पाकिस्तान ले लिया था, आज का बॅगलादेश ले लिया था और आधा कश्मीर ले लिया था और बचे खुचे कश्मीर से 1990 में सभी हिन्दूओं को भगा दिया था और जो न भागे उनकी बहन बेटियों के साथ दुराचार करके मार दिया गया...!
हम विकास, भ्रष्टाचार, ग्लोबल वार्मिंग,पर्यावरण को मुख्य समस्या मान बैठे हैं वो एक सूत्री योजना पर काम कर रहे हैं संख्याबल में हमारे नजदीक आना।
सख्त जनसंख्या नियंत्रण कानून ही एकमात्र उपाय है।और कोई रास्ता है ही नहीं उनको या उनकी संख्या को नियंत्रित करने का
मिथिलेश नाथ त्रिपाठी द्वाराभारत रक्षा मंच
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मोदी ने हिंद महासागर में बसाए
भारत के दो ‘सीक्रेट आइलैंड’
ये एक ऐसी खबर है जिसके बारे में हमारे देश में ज्यादातर लोगों को पता नहीं है। दरअसल यह भारत का एक सीक्रेट मिशन है, जिसने चीन और पाकिस्तान जैसे दुश्मन देशों की नींद उड़ा रखी है।
भारत की समुद्री सीमा से दूर हिंद महासागर में 2 फौजी अड्डे स्थापित किए जा चुके हैं। मतलब यह कि भारतीय सेना ने इन आइलैंड पर अपना मिलिट्री बेस बनाया है। दुनिया के नक्शे में इन दोनों द्वीपों की लोकेशन इतनी जबर्दस्त है कि चीन और पाकिस्तान परेशान हैं।
इनके नाम हैं- अगालेगा और अजंप्शन आइलैंड। इन द्वीपों पर भारतीय सेना आधुनिक हथियारों और साजो-सामान के साथ मौजूद है। बेहद खुफिया तरीके से यहां भारतीय सेना खुद को मजबूत बनाने में जुटी है।
अगालेगा आइलैंड पर तो भारत ने बाकायदा एयरपोर्ट भी बनाया है। जबकि अज़ंप्शन आइलैंड पर आने जाने के लिए हवाई पट्टी बनाई गई है। इन दोनों आइलैंड्स को भारत को सौंपे जाने पर चीन और यहां तक कि भारत के वामपंथी पत्रकारों ने बहुत अड़ंगेबाजी की।
इस सैनिक समझौते के खिलाफ कई झूठी खबरें उड़वाई गईं। आज इन दोनों द्वीपों पर क्या चल रहा है इसका बाकी दुनिया सिर्फ अंदाजा लगा सकती है। क्योंकि यहां भारतीय सेना के अलावा किसी को जाने की छूट नहीं है।
नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री पद संभालने के फौरन बाद जिन देशों की यात्रा की थी, उनमें मॉरीशस और सेशेल्स भी थे। सरकार ने औपचारिक तौर पर बताया कि ये दौरा दोनों देशों के आपसी रिश्ते सुधारने और काले धन पर बातचीत के लिए है। लेकिन असली मकसद कुछ और ही था।
इस यात्रा में मोदी ने सेशल्स और मॉरीशस को इस बात के लिए मना लिया कि वो अपने 1-1 द्वीप भारत को लीज़ पर देंगे। इसी दौरे में शुरुआती समझौते पर दस्तखत भी कर लिए गए।
अगालेगा आइलैंड मॉरीशस में पड़ता है, जबकि अजंप्शन द्वीप सेशेल्स देश का हिस्सा है। हिंद महासागर में ये वो लोकेशन थी जिसके महत्व की चीन को भी कल्पना नहीं थी। डील पर दस्तखत होने के कुछ दिन बाद जब मामला मीडिया में आया तो भारत में चीन के लिए प्रोपेगेंडा करने वाले पत्रकार बौखला गए...
यही वो समय था जब मीडिया ने पीएम मोदी की विदेश यात्राओं की खिल्ली उड़ानी शुरू कर दी। क्योंकि उन्हें लग गया था कि पीएम मोदी इन यात्राओं के जरिए कुछ ऐसा कर रहे हैं जो वो नहीं चाहते कि मीडिया को पता चले।
इन दोनों द्वीपों के लिए की गई संधियों को रद्द कराने के लिए वहां के विपक्षी दलों के जरिए भी दबाव बनाए गए। इन्हीं का नतीजा था कि अज़ंप्शन आइलैंड के लिए आखिरी समझौते पर दस्तखत जनवरी 2018 में हो सका।
= अगालेगा आइलैंड मॉरीशस के मुख्य द्वीप से 1100 किलोमीटर दूर उत्तर यानी भारत की तरफ है। ये सिर्फ 70 वर्ग किलोमीटर दायरे में है....
= सेशल्स का अज़ंप्शन आइलैंड वहां के 115 द्वीपों में से एक है। ये सिर्फ 11 वर्ग किमी की जमीन है, जो कि मेडागास्कर के उत्तर में हिंद महासागर में है।
= सेशल्स का अज़ंप्शन आइलैंड वहां के 115 द्वीपों में से एक है। ये सिर्फ 11 वर्ग किमी की जमीन है, जो कि मेडागास्कर के उत्तर में हिंद महासागर में है।
भारत अरब देशों से कच्चा तेल खरीदता है। ये तेल हिंद महासागर के रास्ते ही आता है। कच्चा तेल जिस रूट से आता है वो उन जगहों से काफी करीब है जहां पर चीन बीते कुछ साल में अपना दबदबा बना चुका है। वो इन जगहों पर बैठे-बैठे जब चाहे भारत की तेल की सप्लाई लाइन काट सकता है।
भारत को समंदर में एक ऐसी लोकेशन की जरूरत थी...
जहां से वो न सिर्फ अपने जहाजों को सुरक्षा दे सके, बल्कि जरूरत पड़ने पर चीन की सप्लाई लाइन पर भी वार कर सके। ये वो रणनीति थी जिसकी कल्पना चीन भी नहीं कर सका था। उसे भरोसा था कि भारत की सरकारें हिंद महासागर पर कब्जे की चीन की रणनीति को कभी समझ नहीं पाएंगी।
चीन के रणनीतिकार अपने इस प्लान को ‘स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स’ (मोतियों की माला) कहते हैं। ये वो रणनीति है जिससे उसने एक तरफ भारत को दबोच लिया था साथ ही अमेरिका के लिए भी मुश्किल हालात पैदा कर दिए थे।
जहां से वो न सिर्फ अपने जहाजों को सुरक्षा दे सके, बल्कि जरूरत पड़ने पर चीन की सप्लाई लाइन पर भी वार कर सके। ये वो रणनीति थी जिसकी कल्पना चीन भी नहीं कर सका था। उसे भरोसा था कि भारत की सरकारें हिंद महासागर पर कब्जे की चीन की रणनीति को कभी समझ नहीं पाएंगी।
चीन के रणनीतिकार अपने इस प्लान को ‘स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स’ (मोतियों की माला) कहते हैं। ये वो रणनीति है जिससे उसने एक तरफ भारत को दबोच लिया था साथ ही अमेरिका के लिए भी मुश्किल हालात पैदा कर दिए थे।
पीएम मोदी ने इस खतरे को भांपते हुए चीन के जवाब में ‘स्ट्रिंग ऑफ फ्लावर्स’ (फूलों की माला) नाम से रणनीति बनाई। इसी के तहत सबसे पहले अज़म्प्शन और अगलेगा आइलैंड को लीज़ पर लिया गया।
ये दोनों द्वीप आज चीन की आंखों में किरकिरी बने हुए हैं। क्योंकि वहां से भारत ने पूरे हिंद महासागर पर घेरा बना लिया है। फिलहाल इन द्वीपों पर बुनियादी ढांचा विकसित करने का काम तेजी से चल रहा है। दोनों द्वीपों पर कुछ लोग रहते भी थे, जिन्हें भारतीय सेना ने ही दूसरी जगहों पर घर बनाकर बसा दिया है। अब इन दोनों द्वीपों पर भारतीयों के अलावा किसी को जाने की इजाज़त नहीं है।
इस पूरे रीजन के समुद्र पर निगरानी
पिछले दिनों अमेरिका ने भारत को 22 गार्जियन ड्रोन देने पर रजामंदी जताई है, इन ड्रोन से इस पूरे रीजन के समुद्र पर निगरानी की जाएगी। अमेरिका भी चाहता है कि हिंद महासागर के इस इलाके में चीन को बहुत ताकतवर न होने दिया जाए। लिहाजा वो भारत के साथ सहयोग कर रहा है
भारत से दूर दुनिया भर में मिलिट्री बेस बनाने का आइडिया पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का था। उनकी सरकार के वक्त इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू भी किया गया था। लेकिन इसी दौरान 2004 में वो चुनाव हार गए। इसके बाद आई मनमोहन सरकार ने इस पूरे प्रोजेक्ट को ठंडे बस्ते में डाल दिया।
10 साल तक इस पर एक भी काम आगे नहीं बढ़ा। 2014 में जब नरेंद्र मोदी की सरकार बनी तो उन्होंने सबसे पहले जो फाइलें क्लियर कीं, उनमें से एक इसके बारे में भी थी। वाजपेयी की सोच थी कि दुनिया में ताकतवर मुल्क बनना है तो कुछ ऐसा करना होगा जिससे कोई दुश्मन आंख उठाकर देखने की भी हिम्मत न करे।
अमेरिका, रूस, ब्रिटेन जैसे देशों ने पूरी दुनिया में ऐसे द्वीपों पर मिलिट्री बेस बना रखे हैं। वाजपेयी के वक्त ही ताजिकिस्तान के फारखोर में भारत ने अपना पहला एयरफोर्स बेस स्थापित किया था। लेकिन हिंद महासागर पर दबदबे का उनका सपना अधूरा रह गया।
अगालेगा और अज़ंप्शन आइलैंड पर फिलहाल सिर्फ भारतीय सेना को जाने की छूट है। दोनों जगहों पर जा चुके नौसेना के एक जवान ने बताया था कि ये दोनों द्वीप बेहद खूबसूरत हैं। चारों तरफ नीले समुद्र से घिरे इन द्वीपों पर अब तक बहुत कम आबादी रही है। सेना की कोशिश है कि यहां की कुदरती खूबसूरती को बनाए रखते हुए यहां के बुनियादी ढांचे का विकास किया जाए।
मिलिट्री सैटेलाइट GSAT-7A का लॉन्च.अंतरिक्ष से बढ़ाएगी वायु सेना की ताक़त और मारक क्षमता
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कांग्रेसी यह मानते हैं कि जब तक सेना सरकार के साथ है,
वे सत्ता नही पा सकते अतः सदा सेना को ही गाली देते रहते हैं
वे सत्ता नही पा सकते अतः सदा सेना को ही गाली देते रहते हैं
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बथुआ अमृततुल्य ओषधि हैं और इसकी सहज उपलब्धता हमारे लिए किसी वरदान से कम नही हैं....साथ ही आदरणीय Praveen Sharmaजी भी बथुआ को बड़ा पसंद करते है, उनके आदेश पर यह पोस्ट पुनः प्रस्तुत कर रहा हूँ.....।
बथुआ को बाथरो,क्षारपत्र,यवशाक, चिल्लीशाक, वेतोशाक आदि नामों से जाना जाता हैं... इसका वैज्ञानिक नाम Chenopodium album हैं... बथुआ एक अति गुणकारी साग है,,सर्दियों में इसकी सब्जी हर घर मे बनती हैं, सब्जी में यदि थोड़ी से छाछ या दही मिला ले तो फिर स्वाद का आनंद ही कुछ और होता हैं,इसके पराठे भी बड़े स्वादिष्ट लगते है.....।
बथुआ रबी की फसल का पौधा है. अक्सर ये गेहूं,चना,आलू की फसल के साथ खर-पतवार के रूप में उगता है...इसे गरीबो का साग भी कहा जाता है.…प्राचीनकाल से इसे सब्ज़ी के रूप में प्रयोग किया जा रहा है.....इसकी पत्तियों को दाल के साथ,या अकेला ही,या फिर आलू के साथ मिलाकर सब्ज़ी के रूप में प्रयोग किया जाता है....
बथुआ का स्वाभाव गर्म है, ये सर्दियों में शरीर को गर्म रखता है. नज़ला ज़ुकाम और खांसी से बचता है.....दाल के साथ सब्ज़ी बनाने पर ये दालों की खुश्की काम कर देता है. ....इससे दाल ज़्यादा पाचक बन जाती है और नुकसान नहीं करती......।
इसमें रेचक गुण है, ये पेट को ढीला करता है.....बथुए में पाए जाने वाले आवश्यक मिनरल विशेषकर लोहा नया खून बनाने में मदद करता है.....बथुए की सब्ज़ी एक सम्पूर्ण भोजन है....इसके रेशे आंतो की सफाई कर देते हैं. जिन लोगों को पुराने कब्ज़ की समस्या है वह अगर बथुए का नियमित इस्तेमाल करें तो कब्ज़ की समस्या से छुटकारा मिल सकता है.....।
बथुआ का सेवन पथरी से निजात दिलाता हैं इसमें क्षार की मात्रा अधिक होती हैं....।
इसके काले बीज प्रोटीन,फास्फोरस,कैल्शियम और पोटेशियम से प्रचुर होते है... ।
बथुआ साग ब्लड सर्कुलेशन को बढाता है. जिनका ब्लड प्रेशर कम रहता है उनके लिए अच्छी दवा है....सर्दियों में इसका नियमित इस्तेमाल हार्ट-अटैक के खतरे से बचाता है....
जो लोग ल्यूकोडर्मा या सफ़ेद दाग की समस्या से परेशान हैं उनके लिए बथुआ एक गुणकारी ओषधि है.
आयुर्वेद में इसे त्रिदोषनाशक बताया गया है ...बालों के प्राकृतिक रंग के लिए यह आंवले की तरह गुणकारी है ....इसे खाने से दाँतों की समस्या भी दूर होती है और पायरिया में आराम मिलता है तथा मुंह की बदबू कम होती है.....
बथुआ का साग चर्म रोग नाशक और कृमिनाशक होता है...नीम की पत्तियों के साथ इसकी पत्तियाँ खाने से रक्त शुद्ध होता है तथा पीलिया में गिलोय के साथ इसका रस सम मात्रा में लाभ पहुंचाता है. मासिक अनियमितता में इसके बीज और सोंठ का चूर्ण गर्म पानी के साथ लाभ देता है... प्रसव के उपरांत संक्रमण में 15 दिनों तक बथुआ,अजवायन ,गुड़ और दसमूल का सेवन लाभकारी होता है ...एनीमिया में इसके जूस के आश्चर्यजनक लाभ है ,किन्तु गर्भावस्था में इसके बीजों का सेवन हानिकारक हो सकता है...
बथुआ की एक और प्रजाति Chenopodium giganteuam जिसके डंठल लाल गुलाबी होते है,जिसे बड़ा बथुआ कहा जाता हैं ..हिमालय के क्षेत्रों में यह अधिक पाया जाता है और इसका पौधा 8 फिट तक लंबा होने से इसे ट्री स्पिनाच भी कहते है...।
बथुआ का स्वाभाव गर्म है, ये सर्दियों में शरीर को गर्म रखता है. नज़ला ज़ुकाम और खांसी से बचता है.....दाल के साथ सब्ज़ी बनाने पर ये दालों की खुश्की काम कर देता है. ....इससे दाल ज़्यादा पाचक बन जाती है और नुकसान नहीं करती......।
इसमें रेचक गुण है, ये पेट को ढीला करता है.....बथुए में पाए जाने वाले आवश्यक मिनरल विशेषकर लोहा नया खून बनाने में मदद करता है.....बथुए की सब्ज़ी एक सम्पूर्ण भोजन है....इसके रेशे आंतो की सफाई कर देते हैं. जिन लोगों को पुराने कब्ज़ की समस्या है वह अगर बथुए का नियमित इस्तेमाल करें तो कब्ज़ की समस्या से छुटकारा मिल सकता है.....।
बथुआ का सेवन पथरी से निजात दिलाता हैं इसमें क्षार की मात्रा अधिक होती हैं....।
इसके काले बीज प्रोटीन,फास्फोरस,कैल्शियम और पोटेशियम से प्रचुर होते है... ।
बथुआ साग ब्लड सर्कुलेशन को बढाता है. जिनका ब्लड प्रेशर कम रहता है उनके लिए अच्छी दवा है....सर्दियों में इसका नियमित इस्तेमाल हार्ट-अटैक के खतरे से बचाता है....
जो लोग ल्यूकोडर्मा या सफ़ेद दाग की समस्या से परेशान हैं उनके लिए बथुआ एक गुणकारी ओषधि है.
आयुर्वेद में इसे त्रिदोषनाशक बताया गया है ...बालों के प्राकृतिक रंग के लिए यह आंवले की तरह गुणकारी है ....इसे खाने से दाँतों की समस्या भी दूर होती है और पायरिया में आराम मिलता है तथा मुंह की बदबू कम होती है.....
बथुआ का साग चर्म रोग नाशक और कृमिनाशक होता है...नीम की पत्तियों के साथ इसकी पत्तियाँ खाने से रक्त शुद्ध होता है तथा पीलिया में गिलोय के साथ इसका रस सम मात्रा में लाभ पहुंचाता है. मासिक अनियमितता में इसके बीज और सोंठ का चूर्ण गर्म पानी के साथ लाभ देता है... प्रसव के उपरांत संक्रमण में 15 दिनों तक बथुआ,अजवायन ,गुड़ और दसमूल का सेवन लाभकारी होता है ...एनीमिया में इसके जूस के आश्चर्यजनक लाभ है ,किन्तु गर्भावस्था में इसके बीजों का सेवन हानिकारक हो सकता है...
बथुआ की एक और प्रजाति Chenopodium giganteuam जिसके डंठल लाल गुलाबी होते है,जिसे बड़ा बथुआ कहा जाता हैं ..हिमालय के क्षेत्रों में यह अधिक पाया जाता है और इसका पौधा 8 फिट तक लंबा होने से इसे ट्री स्पिनाच भी कहते है...।
#बथुआ का प्रोटीन चार्ट देखे तो इसके शाक में दैनिक आवश्यकता का 96%विटामिन सी, 73%विटामिन ए,37%B2,37%मैगनीज,31%कैल्शियम,21%B6,14%B1,10%फास्फोरस ,मैग्नीशियम और पोटेशियम,9%आयरन और 8% B3 और B9 और् 5%जिंक होता है तथा प्रति 100 ग्राम 4.2ग्राम प्रोटीन और 4 ग्राम डाइटरी फाइबर होता है ।पोषक तत्वों की ऐसी संतुलित मात्रा बहुत ही कम शब्जियों में होती है .... यह सेहत की दृष्टि से बहुत ही पौष्टिक है... ।
तो मित्रो इस सर्दी में आप भी अधिक से अधिक बथुआ साग का उपयोग कीजिये...वैसे आपके क्षेत्र में इसे किस नाम से जाना जाता हैं..!!!!
बथुआ के बारे में यह बहुत कम है इससे जुड़ी ओर भी कोई जानकारी हो तो अवश्य साझा करें.. ।।
नंदकिशोर प्रजापति कानवन9893777768
नंदकिशोर प्रजापति कानवन9893777768
न्यूयार्क के डा. कल्यू ने एक विचित्र तथ्य का उद्घाटन किया है कि पौधे मात्र विचारों को ग्रहण करने में ही नहीं मनुष्य के कृत्यों की गवाही देने में भी समर्थ हैं। एक प्रयोग में उन्होंने दो पौधों को पोलीग्राफ से जोड़ा। छह व्यक्तियों को कमरे में बुलाकर छह मिली हुई कागज की पर्चियाँ रखीं तथा उनमें से प्रत्येक को कहा कि एक पर्ची उठा लें तथा जैसा निर्देश पर्ची पर लिखा है उसका बिना बताये पालन करें। उन पर्चियों में से एक पर लिखा था कि अवसर देखकर चुपके से कमरे में रखे पौधों में से एक को नष्ट कर दें। यह जानकारी किसी को नहीं थी कि उक्त निर्देशों वाली पर्ची किसके पास है। जिस व्यक्ति को वह पर्ची मिली उसने चुपके से एक पौधे को नष्ट कर डाला।
एक सप्ताह बाद डा. ने उन छह व्यक्तियों को पुनः बुलाया तथा शेष एक पौधे के सामने से गुजारा। पाँच व्यक्ति पौधे के सामने से होकर निकल गये पर गैल्वेनोमीटर में कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई। छठे व्यक्ति के आते ही यंत्र की सुई तेजी से घूमने लगी तथा पोलीग्राफ पर तरंगें अंकित होने लगीं। डा. क्ल्यू ने उस व्यक्ति से पूछताछ की तो मालूम हुआ कि उसने ही एक पौधे को नष्ट कर डाला था। गैल्वेनोमीटर की सुई घूमने का यही कारण था।
एक दूसरे प्रयोग में उन्होंने ड्रेकेनामे सेंजियाना नामक पौधे की एक शाखा को पोलीग्राफ लाइटिरेक्टर के तार से जोड़ दिया। पौधे की जड़ में थोड़ा पानी डाला तथा गल्वेनोमीटर में हल्की विद्युत तरंगें छोड़ दी। गैल्वेनोमीटर की सुई में गति आरम्भ हो गयी। यह जानने के लिए पौधे के ऊपर सुखद प्रतिक्रिया हुई या यह मात्र एक संयोग था। उन्होंने पौधे की एक शाखा को जलाने का विचार किया। एकाएक उनकी दृष्टि पौधे से जुड़े गैल्वेनोमीटर पर पड़ी। वेक्स्टर यह देखकर विस्मित रह गये कि पौधे को जलाने का विचार आते ही गैल्वेनोमीटर की सुई विपरीत दिशा में नीचे ग्राफ पर ऊर्ध्ववक्र रेखा में तेजी से गति करने लगी। यह प्रतिक्रिया विचारों से हुई अथवा किन्हीं और कारणों से। यह परखने के लिए वेकस्टर ने माचिस की एक तीली जलायी तथा पौधे की ओर इस प्रकार बढ़ाया जैसे जलाने जा रहे हों, पर उनके मन में पौधे को जलाने का कोई विचार न था। जो पौधा पहले जलाये जाने के भय की प्रतिक्रिया गैल्वेनोमीटर में तेजी से दे रहा था विचार के उलटते ही शान्त पड़ गया। वेक्स्टर ने निष्कर्ष निकाला कि मन में चलने वाले विचारों को पौधा पकड़ने में पूर्णतया सक्षम है।
अतः सब पेड़ लगाओ,पेड़ बचाओ।,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
नौकरी छोड़खोल दी कंपनी, आज 100 करोड़ है टर्नओवर
झारखंड की ऑसम डेयरी का नाम न केवल देश में फैला हुआ है बल्कि अब वह विदेश में भी अपनी पहचान बनाने के लिए पूरी तरह से प्रयास कर रहा है। देश की बढ़ती हुई कारोबारी कंपनियों में इसका नाम शुमार है।
कम समय में इसने मेहनत कर जो मुकाम हासिल किया है वह काबिले तारीफ है लेकिन इसके पीछे की कहानी और भी ज्यादा दिलचस्प है। इससे निर्माण की कहानी सभी को कुछ नया करने की प्रेरणा देती है। सबका हौसला बढ़ाती है। आइए आपको बताते हैं इसकी कहानी के बारे में।
अभिषेक राज, अभिनव शाह, हर्ष ठक्कर और राकेश शर्मा नामक 4 दोस्तों ने मिलकर साल 2012 में इसकी शुरुआत की थी। चारों दोस्तों ने अपनी शानदार कॉरपोरेट जॉब्स छोड़कर इसे बनाने का फैसला किया था। सभी ने मिलकर अपनी आय एक जगह लगा दी और गायें खरीदी। शुरुआत में 40 गायें खरीदी गईं लेकिन परेशानी ने उनका पीछा नहीं छोड़ा।उनकी 26 गायें संक्रमण के कारण मर गईं और यह कारोबार के लिए एक बड़ा नुकसान था। हालांकि इसके बाद भी चारों ने हिम्मत नहीं हारी। उन्होंने एक बार फिर से कारोबार में निवेश किया और धीरे-धीरे गाड़ी पटरी पर लौटने लगी।मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक ऑसम डेयरी का टर्नओवर 5 साल के अंदर 100 करोड़ रुपये पर पहुंच गया।
झारखंड में ऑसम डेयरी आज 19 जिलों में चलती है और 140 डिस्ट्रिब्यूटर्स के साथ काम कर रही है। इसके अलावा 3000 से ज्यादा रीटेलर्स भी कंपनी के साथ जुड़े हैं। चार दोस्तों द्वारा शुरू की गई इस कंपनी में आज लगभग 270 लोग काम करते हैं और कंपनी की सक्सेस देखने लायक है।अभिषेक ने सबसे पहले डेयरी के बिजनेस के बारे में अपने दोस्तों से बात की थी। डेयरी शुरू करने से पहले वह लोग एक मल्टी नेशनल कंपनी में काम करते थे। उनका सालाना पैकेज लगभग 40 लाख रुपये के आसपास था लेकिन बढ़िया पैसे मिलने के बावजूद वह लोग अपनी नौकरी छोड़कर कारोबार में लग गए।कारोबार शुरू करने के लिए चारों दोस्तों ने अलग अलग 1 करोड़ रुपये लगाए।
शुरुआत में 1 एकड़ जमीन खरीदी गई। वहीं करीब 30 लाख रुपये डेयरी फार्म बनाने में खर्च हुए। कारोबार के लिए न सिर्फ पैसा खर्च किया गया बल्कि सही ट्रेनिंग भी हासिल की। अभिनव शाह एक महीने का डेयरी फार्मिंग कोर्स करने के लिए कानपुर गए। इससे उन्हें जानवरों की स्वच्छता और स्वास्थ्य के बारे में अच्छी जानकारी हासिल हुई। साल 2022 तक कंपनी ने 500 करोड़ का कारोबार करने टारगेट रखा है।
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