Friday 29 March 2013

Hindu Rashtra


मित्रों वर्तमान समय में जो इतिहास की सरकारी पुस्तकें पढाई जाती हैं उनके अनुसार जब भारत पर मुसलामानों का आक्रमण हुआ तब यहाँ के राजा पतनशील अवस्था में थे जो उनकी पराजय का प्रमुख कारन था किन्तु यह बात कोरी बकवास है तत्कालीन हिन्दू राजाओं का चरित्र विदेशी आक्रमणकारी राजाओं से शतगुणित उत्तम था | पराजयों के कारन कुछ तत्कालीन परिस्थितियां , सैनिक एवं कूटनीतिक कमियां थी जिनकी चर्चा अन्य लेखों में करूँगा | यहाँ बस हिन्दू राजाओं के सम्बन्ध में कुछ विदेशी लेखकों के विचार प्रस्तुत करता हूँ -

"यदि यह सिद्ध हो जाये कि राजा ने मदिरापान किया है तो उसे राज्य छोड़ना पड़ता था और उसे शासन के योग्य नही समझा जाता था |"
-------------------------- मजरूल जहब , ग्रन्थ - अलमसूदी ९१४ ई
"हिन्दू राजा मदिरापान नहीं करते थे | देश में ऐसी मान्यता थी की जो राजा मदिरापान करता है वह वास्तव राजा नही है |"
-----------------------------सुलेमान , ग्रन्थ -सल्सिलातुत्तावारीक ८५१ ई

'भारत के हिन्दू राजा सीधे सरल तथा धार्मिक थे | वे वचन का पालन करने वाले थे जबकि मुसलमान हर तरह से दूसरों को धोखा देना मजाक समझते थे |"---------------------------------मनूची १६५३-१७०८ ई

जब मैं हिन्द के गुण बताऊंगा तो (आप विदेशी मुसलमान) विरोध करेंगे | जो खुरासानी, हिन्द के निवासी को मूर्ख समझता होगा वह पान को भी घास मानता होगा | आपको चाहिए की हिंदुस्तान को स्वर्ग समझें |
------------------------------------ अमीर खुसरो

यह तो कुछेक उदाहरन हैं जितने भी विदेशी विद्वान भारत आये हैं और मन से पूर्वाग्रह रहित तथा निष्पक्ष रहे हैं उन्होंने भारत और भारतीयों की भूरि भूरि प्रशंसा की है और मैं गर्व से कहता हूँ की वर्तमान समय में भी हिन्दुओं का चरित्र पूरे विश्व में सर्वश्रेष्ठ है |

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