अंग्रेजो ने वर्ष 1939 में एक बद्रीनाथ-केदारनाथ-अधिनियम बनाया. राज्य सरकार के नियंत्रण में बद्रीनाथ-केदारनाथ आज भी है और वर्तमान समय में श्रीनगर, उत्तराखंड से कांग्रेस के विधायक श्री गणेश गोडियाल इस समय बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर कमेटी के अध्यक्ष है. इसका अर्थ यह हुआ कि जो भी भेंट / चढावा बद्रीनाथ-केदारनाथ मे समाज-द्वारा चढाया जाता है वो सब सरकारी खजाने में जाता है. इस समय उत्तराखंड में आयी प्रकृतिक विपदा के चलते तबाह हुए वहाँ के गाँवों और स्थानीय निवासियों को पुनर्स्थापित करने हेतु खर्च होने वाले धन से भी अधिक धन उत्तराखंड सरकार के पास है क्योंकि आज़ादी के बाद से लेकर अबतक मन्दिर मे चढने वाला चाढावों का आंकलन हमारे-आपके लिये अकल्पनीय है. भारत में मन्दिर की कल्पना ही समाज-कल्याण आधारित है. ऐसे में मेरा आपसे यह अनुरोध है कि आज़ादी के बाद से लेकर अबतक मन्दिर मे चढने वाला चाढावों का उपयोग इस प्रकृतिक विपदा के चलते तबाह हुए वहाँ के गाँवों और स्थानीय निवासियों को पुनर्स्थापित करने हेतु उत्तराखंड सरकार के नाम एक पत्र लिखें....राजीव गुप्ता
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