क्या आप को सरदार पटेल , हैदराबाद निजाम और MIM का किस्सा पता है ?/
जिसकी खबर सुन के नेहरु ने फ़ोन तोड़ दिया था | तथ्य जो कभी बताये नहीं गए -
1- हैदराबाद विलय के वक्त नेहरु भारत में नहीं थे |
2- हैदराबाद के निजाम और नेहरु ने समझौता किया था अगर उस समझौते पे ही रहा जाता तो आज देश के बीच में एक दूसरा पकिस्तान होता |
3 - मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन (MIM) के पास उस वक़्त २००००० रजाकार थे जो निजाम के लिए काम करते थे और हैदराबाद का विलय पकिस्तान में करवाना चाहते थे या स्वतंत्र रहना |
ह्म्म्म कल आप सब की तीव्र इच्छा थी हैदराबाद के निजाम ओसमान अली खान और लौह पुरुष सरदार बल्लभ भाई पटेल के बारे में जानने की |
ये तो आप सब जानते ही है की नेहरु में गयासुदीन गाजी नामक मुल्ले का मिलावटी खून था जिस वजह से देश विरोधी मुल्लो के प्रति उनका विशेष प्रेम था जो उनके खून से ही था |
बात तब की है जब १९४७ में भारत आजाद हो गया उसके बाद हैदराबाद की जनता भी भारत में विलय चाहती थी | पर उनके आन्दोलन को निजाम ने अपनी निजी सेना रजाकार के द्वारा दबाना शुरू कर दिया |
रजाकार एक निजी सेना (मिलिशिया) थी जो निजाम ओसमान अली खान के शासन को बनाए रखने तथा हैदराबाद को नवस्वतंत्र भारत में विलय का विरोध करने के लिए बनाई थी।
यह सेना कासिम रिजवी द्वारा निर्मित की गई थी।
रजाकारों ने यह भी कोशिश की कि निजाम अपनी रियासत को भारत के बजाय पाकिस्तान में मिला दे।
रजाकारों का सम्बन्ध 'मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन (MIM ) नामक राजनितिक दल से था।
नोट -ओवैसी भाई इसी MIM की विचारधारा को आगे बढ़ा रहे हैं और कांग्रेस की मुस्लिम परस्ती और देश विरोधी नीतियों की वजह से और पकिस्तान परस्त मुल्लो की वजह से ये आज तक हिन्दुस्तान में काम कर रही है |
चारो ओर भारतीय क्षेत्र से घिरे हैदराबाद राज्य की जनसंख्या लगभग 1करोड60लाख थी जिसमें से 85%हिंदु आबादी थी।
29नवंबर1947 को निजाम-नेहरू में एक वर्षीय समझौता हुआ कि हैदराबाद की यथा स्थिति वैसी ही रहेगी जैसी आजादी के पहले थी।
नोट - यहाँ आप देखते हैं की नेहरु कितने मुस्लिम परस्त थे की वो देश द्रोही से समझौता कर लेते हैं |
पर निजाम नें समझौते का उलंघन करते हुए राज्य में एक रजाकारी आतंकवादी संगठन को जुल्म और दमन के आदेश दे दिए और पाकिस्तान को 2 करोड़ रूपये का कर्ज भी दे दिया.
राज्य में हिंदु औरतों पर बलात्कार होने लगे उनकी आंखें नोच कर निकाली जाने लगी और नक्सली तैय्यार किए जाने लगे.
सरदार पटेल निजाम के साथ लंबी लंबी झुठी चर्चाओं से उकता चुके थे अतः उन्होने नेहरू के सामने सीधा विकल्प रखे कि युद्ध के अलावा दुरा कोई चारा नही है। पर नेहरु इस पे चुप रहे |
कुछ समय बीता और नेहरु देश से बाहर गए सरदार पटेल गृह मंत्री तथा उप प्रधान मंत्री भी थे इसलिए उस उस वक़्त सरदार पटेल सेना के जनरलों को तैयार रहने का आदेश देते हुए विलय के कागजों के साथ हैदराबाद के निजाम के पास पहुचे और विलय पे हस्ताक्षर करने को कहा |
निजाम ने मना किया और नेहरु से हुए समझौते का जिक्र किया उन्होंने कहा की नेहरु देश में नहीं है तो वो ही प्रधान हैं |
उसी वक्त नेहरु भी वापस आ रहे थे अगर वो वापस भारत की जमीन पे पहोच जाते तो विलय न हो पाता इस को ध्यान में रखते हुए पटेल ने नेहरु के विमान को उतरने न देने का हुक्म दिया तब तक भारतीय वायु सेना के विमान निजाम के महल पे मंडरा रहे थे | बस आदेश की देरी को देखते हुए निजाम ने उसी वक़्त विलय पे हस्ताक्षर कर दिए | और रातो रात हैदराबाद का भारत में विलय हो गया |
उसके बाद नेहरु के विमान को उतरने दिया गया लौह पुरुष सरदार बल्लभ भाई पटेल ने नेहरु को फ़ोन किया और बस इतना ही कहा " हैदराबाद का भारत में विलय " ये सूनते ही नेहरु ने वो फ़ोन वही AYERPORT पे पटक दिया "
उसके बाद रजाकारो (MIM) ने सशस्त्र संघर्ष शुरू कर दिया जो 13 सितम्बर 1948 से 17 सितम्बर 1948 तक चला |
भारत के तत्कालीन गृहमंत्री एवं 'लौह पुरूष' सरदार वल्लभभाई पटेल द्वारा पुलिस कार्रवाई करने हेतु लिए गए साहसिक निर्णय ने निजाम को 17 सितम्बर, 1948 को आत्म-समर्पण करने और भारत संघ में सम्मिलित होने पर मजबूर कर दिया।
इस कार्यवाई को 'आपरेशन पोलो' नाम दिया गया था। इसलिए शेष भारत को अंग्रेजी शासन से स्वतंत्रता मिलने के बाद हैदराबाद की जनता को अपनी आजादी के लिए 13 महीने और 2 दिन संघर्ष करना पड़ा था।
यदि निजाम को उसके षड़यंत्र में सफल होने दिया जाता तो भारत का नक्शा वह नहीं होता जो आज है।
वो फ़ोन आज भी संग्रहालय की शोभा बढ़ा रहा है |
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मुगल सामराज्य की कुछ रोचक तथ्य
बाल विवाह हमारी संस्कुती नही है ये देन है मुसलमानो की.. करीब 900 साल पहले ये देश बहोत ही खुशहाल हुवा करता था इस देश मे कीसी बात की कोई कमी नही थी हिंदू राजाओ के शासक मे ये देश सोने की चिडीया कहलाती थी .और इसी चिडीया को लुटने अरब देश के लुटेरे आने लगे सोने चांदि के साथ साथ वो कुवारी लडकीयो कोभी लुट के लेजाते थे .उन दिनों औरतों का खूबसूरत होना खतरे से खाली न रहता। कारण, लुटेरे उनपर आंखें लगाए रहते थें। गांवों की कई सुन्दर, लडकिंयो की वो शिकार करते थे ये सिल सिला इतना बढ गया की वो लुटेरे लुटने तो आते थे पर जाते नही थे उन्होने भारत पर कब्जा जमाना चालु कीया और इसी अधर्म को रोकने के लीये हिंदू अपनी लडकीयो को छोटी उमर मे ही विवाह कर देते बाद मे इसने प्रथा का रुप लेलीया.
सती होना भी इसी उद्देश से जुडा है मुसलमान कुवारी लडकीयो को तो हवस का शिकार बनाते हि थे साथमे जो विधवा स्त्री है उसे भी वो नही बक्षते थे और इस तरहसे कीसीको लडकी होना याने उस व्यक्ती का दुर्भाग्य बन जाता था.
मुघलोने जब भारत पर कबजा कीया तो उन्हे भारत की वैभवशाली सभ्यता देख नफरत होने लगी और उसे भ्रष्ट- नष्ट करने हेतु हर मुमकीन कोशीश की जाने लगी उन्होने सबसे पहले तक्षशिला के प्राचिन हिंदू साहीत्य तथा अनमोल पुस्तको को अग्नी मे स्वाहा: कर दिया. इस वजह से हम हमारे सनातन धर्म के ग्यान से वंचित होगये ये इतनी बडी चोट है की इसकी भरपाई होना असंभव है हम हिंदू धर्म के बारे मे जितना जानते है वो मात्र 10% हि है
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जिसकी खबर सुन के नेहरु ने फ़ोन तोड़ दिया था | तथ्य जो कभी बताये नहीं गए -
1- हैदराबाद विलय के वक्त नेहरु भारत में नहीं थे |
2- हैदराबाद के निजाम और नेहरु ने समझौता किया था अगर उस समझौते पे ही रहा जाता तो आज देश के बीच में एक दूसरा पकिस्तान होता |
3 - मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन (MIM) के पास उस वक़्त २००००० रजाकार थे जो निजाम के लिए काम करते थे और हैदराबाद का विलय पकिस्तान में करवाना चाहते थे या स्वतंत्र रहना |
ह्म्म्म कल आप सब की तीव्र इच्छा थी हैदराबाद के निजाम ओसमान अली खान और लौह पुरुष सरदार बल्लभ भाई पटेल के बारे में जानने की |
ये तो आप सब जानते ही है की नेहरु में गयासुदीन गाजी नामक मुल्ले का मिलावटी खून था जिस वजह से देश विरोधी मुल्लो के प्रति उनका विशेष प्रेम था जो उनके खून से ही था |
बात तब की है जब १९४७ में भारत आजाद हो गया उसके बाद हैदराबाद की जनता भी भारत में विलय चाहती थी | पर उनके आन्दोलन को निजाम ने अपनी निजी सेना रजाकार के द्वारा दबाना शुरू कर दिया |
रजाकार एक निजी सेना (मिलिशिया) थी जो निजाम ओसमान अली खान के शासन को बनाए रखने तथा हैदराबाद को नवस्वतंत्र भारत में विलय का विरोध करने के लिए बनाई थी।
यह सेना कासिम रिजवी द्वारा निर्मित की गई थी।
रजाकारों ने यह भी कोशिश की कि निजाम अपनी रियासत को भारत के बजाय पाकिस्तान में मिला दे।
रजाकारों का सम्बन्ध 'मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन (MIM ) नामक राजनितिक दल से था।
नोट -ओवैसी भाई इसी MIM की विचारधारा को आगे बढ़ा रहे हैं और कांग्रेस की मुस्लिम परस्ती और देश विरोधी नीतियों की वजह से और पकिस्तान परस्त मुल्लो की वजह से ये आज तक हिन्दुस्तान में काम कर रही है |
चारो ओर भारतीय क्षेत्र से घिरे हैदराबाद राज्य की जनसंख्या लगभग 1करोड60लाख थी जिसमें से 85%हिंदु आबादी थी।
29नवंबर1947 को निजाम-नेहरू में एक वर्षीय समझौता हुआ कि हैदराबाद की यथा स्थिति वैसी ही रहेगी जैसी आजादी के पहले थी।
नोट - यहाँ आप देखते हैं की नेहरु कितने मुस्लिम परस्त थे की वो देश द्रोही से समझौता कर लेते हैं |
पर निजाम नें समझौते का उलंघन करते हुए राज्य में एक रजाकारी आतंकवादी संगठन को जुल्म और दमन के आदेश दे दिए और पाकिस्तान को 2 करोड़ रूपये का कर्ज भी दे दिया.
राज्य में हिंदु औरतों पर बलात्कार होने लगे उनकी आंखें नोच कर निकाली जाने लगी और नक्सली तैय्यार किए जाने लगे.
सरदार पटेल निजाम के साथ लंबी लंबी झुठी चर्चाओं से उकता चुके थे अतः उन्होने नेहरू के सामने सीधा विकल्प रखे कि युद्ध के अलावा दुरा कोई चारा नही है। पर नेहरु इस पे चुप रहे |
कुछ समय बीता और नेहरु देश से बाहर गए सरदार पटेल गृह मंत्री तथा उप प्रधान मंत्री भी थे इसलिए उस उस वक़्त सरदार पटेल सेना के जनरलों को तैयार रहने का आदेश देते हुए विलय के कागजों के साथ हैदराबाद के निजाम के पास पहुचे और विलय पे हस्ताक्षर करने को कहा |
निजाम ने मना किया और नेहरु से हुए समझौते का जिक्र किया उन्होंने कहा की नेहरु देश में नहीं है तो वो ही प्रधान हैं |
उसी वक्त नेहरु भी वापस आ रहे थे अगर वो वापस भारत की जमीन पे पहोच जाते तो विलय न हो पाता इस को ध्यान में रखते हुए पटेल ने नेहरु के विमान को उतरने न देने का हुक्म दिया तब तक भारतीय वायु सेना के विमान निजाम के महल पे मंडरा रहे थे | बस आदेश की देरी को देखते हुए निजाम ने उसी वक़्त विलय पे हस्ताक्षर कर दिए | और रातो रात हैदराबाद का भारत में विलय हो गया |
उसके बाद नेहरु के विमान को उतरने दिया गया लौह पुरुष सरदार बल्लभ भाई पटेल ने नेहरु को फ़ोन किया और बस इतना ही कहा " हैदराबाद का भारत में विलय " ये सूनते ही नेहरु ने वो फ़ोन वही AYERPORT पे पटक दिया "
उसके बाद रजाकारो (MIM) ने सशस्त्र संघर्ष शुरू कर दिया जो 13 सितम्बर 1948 से 17 सितम्बर 1948 तक चला |
भारत के तत्कालीन गृहमंत्री एवं 'लौह पुरूष' सरदार वल्लभभाई पटेल द्वारा पुलिस कार्रवाई करने हेतु लिए गए साहसिक निर्णय ने निजाम को 17 सितम्बर, 1948 को आत्म-समर्पण करने और भारत संघ में सम्मिलित होने पर मजबूर कर दिया।
इस कार्यवाई को 'आपरेशन पोलो' नाम दिया गया था। इसलिए शेष भारत को अंग्रेजी शासन से स्वतंत्रता मिलने के बाद हैदराबाद की जनता को अपनी आजादी के लिए 13 महीने और 2 दिन संघर्ष करना पड़ा था।
यदि निजाम को उसके षड़यंत्र में सफल होने दिया जाता तो भारत का नक्शा वह नहीं होता जो आज है।
वो फ़ोन आज भी संग्रहालय की शोभा बढ़ा रहा है |
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मुगल सामराज्य की कुछ रोचक तथ्य
बाल विवाह हमारी संस्कुती नही है ये देन है मुसलमानो की.. करीब 900 साल पहले ये देश बहोत ही खुशहाल हुवा करता था इस देश मे कीसी बात की कोई कमी नही थी हिंदू राजाओ के शासक मे ये देश सोने की चिडीया कहलाती थी .और इसी चिडीया को लुटने अरब देश के लुटेरे आने लगे सोने चांदि के साथ साथ वो कुवारी लडकीयो कोभी लुट के लेजाते थे .उन दिनों औरतों का खूबसूरत होना खतरे से खाली न रहता। कारण, लुटेरे उनपर आंखें लगाए रहते थें। गांवों की कई सुन्दर, लडकिंयो की वो शिकार करते थे ये सिल सिला इतना बढ गया की वो लुटेरे लुटने तो आते थे पर जाते नही थे उन्होने भारत पर कब्जा जमाना चालु कीया और इसी अधर्म को रोकने के लीये हिंदू अपनी लडकीयो को छोटी उमर मे ही विवाह कर देते बाद मे इसने प्रथा का रुप लेलीया.
सती होना भी इसी उद्देश से जुडा है मुसलमान कुवारी लडकीयो को तो हवस का शिकार बनाते हि थे साथमे जो विधवा स्त्री है उसे भी वो नही बक्षते थे और इस तरहसे कीसीको लडकी होना याने उस व्यक्ती का दुर्भाग्य बन जाता था.
मुघलोने जब भारत पर कबजा कीया तो उन्हे भारत की वैभवशाली सभ्यता देख नफरत होने लगी और उसे भ्रष्ट- नष्ट करने हेतु हर मुमकीन कोशीश की जाने लगी उन्होने सबसे पहले तक्षशिला के प्राचिन हिंदू साहीत्य तथा अनमोल पुस्तको को अग्नी मे स्वाहा: कर दिया. इस वजह से हम हमारे सनातन धर्म के ग्यान से वंचित होगये ये इतनी बडी चोट है की इसकी भरपाई होना असंभव है हम हिंदू धर्म के बारे मे जितना जानते है वो मात्र 10% हि है
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