Monday, 2 December 2013

हिंदुओं की आस्था को तोड़ने के कुकृत्यों की सूची (२००४ मई के बाद से)

 हिंदुओं की आस्था को तोड़ने के कुकृत्यों की सूची (२००४ मई के बाद से) 
हिन्दुओ को गाली दिलव!ती है और गुमराह कराती है....
1. हिन्दू नामो वाले इसाइयों से...
2. हिन्दू नामो वाले मुसलमानो से...
3. प्रसिद्धि पाए हुए हिन्दुओ को खरीदकर...
4. हिन्दुओ के समर्थको को ब्लैकमेल कर....

१. साध्वी उमा भारती- सन २००४ में सांप्रदायिकता भड़काने के आरोप में गिरफ़्तारी वारंट के पश्चात् मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा । 
२. शिरडी साईं बाबा संस्थान- खबरों के अनुसार सन २००४ में संस्थान का ५०० करोड़ रुपया कांग्रेस सरकार ने हड़प लिया । बाद में इसे मदरसा एवं चर्चों में वितरित किया गया । 
३. शंकराचार्य जयेन्द्र सरस्वतीजी – सन २००४ में हत्या के फर्जी आरोप में एक माह तक कारावास में रखा ।
४. स्वामी श्यामानंद (राजस्थान)—आश्रम की जमीन हड़पने के लिये पेय में नशीली वस्तु मिलाकर पिलाया था । तत्पश्चात खरीदी हुई लड़की के साथ नशे की हालत में अश्लील हरकतों की फिल्म बनाकर बदनाम किया । भक्तों ने उस महिला की ठौर पा कर उस से सच उगलवाया ।
५. माता अमृतानंदमयी (अम्मा)-रेड लाईट एरिया से संबंधित बताकर उनकी पावन छवि को कलंकित करने का पाप प्रयास किया गया था।
६. आचार्य सुधांशु महाराज- अर्थ संबंधित मिथ्या आरोप ।
७. रामसेतु पर लज्जास्पद आक्रमण- भगवान श्रीरामजी द्वारा निर्मित २ कि.मी.×४८ कि.मी.
का रामसेतु तोड़कर हिंदुओं की छाती पर ठोकर मारने का निर्ल्लज प्रयास सरकारी स्तर पर जारी रहा ।
८. पायलट बाबा, 
९. किरीटभाई, 
१०. डॉ. रामविलास वेदान्ती, 
११. स्वामी प्रज्ञानंद … आदि… आदि… उपरोक्त संतों पर २००७ मई में “ऑपरेशन माया” नामक
कार्यक्रम के तहत कमीशन खोरी का आरोप लगाकर आई बी एन 7 ने बदनाम किया था।
१२. श्री कृपालुजी महाराज-८५ वर्ष की उम्र में मई २००७ में यौन-कुकृत्य का सम्पूर्ण निराधार आरोप जो कि मिथ्या प्रमाणित हुआ था । 
१३. योगाचार्य रामदेवजी-आयुर्वेद दवा में केंचुआ तथा मनुष्य खोपड़ी का चूर्ण मिलाने का आरोप (२००५ में) । हाल ही में विदेशी बैंकों में अरबों रुपये अपने नाम से जमा कर रहे राष्ट्रद्रोही भ्रष्ट नेताओं के लिए फाँसी की सज़ा की मांग कर रहे अनशनकारियों पर हमला ।
रात के १२ बजे तम्बुओं में आग लगाकर लोगों को मारा पीटा गया । खरीदी हुई स्त्रियों से सुनियोजित ढंग से बचने का एक- मात्र विकल्प स्त्री लिबास में निकल जाने का रास्ता बताकर दुनियाँ के सामने हास्यास्पद बनाया । औरतों के बीच से निकलते हुए पूर्व नियोजित योजना के तहत पकड़ लिया तथा दुपट्टे से उनका गला कसने का घिनौना कुकृत्य पुलिस द्वारा किया गया । 
१४. सत्य साईं बाबा ९० वर्ष से भी अधिक उम्र वाले वृद्ध संत पर (कुछ वर्ष पहले) मिशनरियों ने
इंडिया टुडे पत्रिका के संपादक को खरीद कर समलैंगिकता का गन्दा आरोप लगाया था । फिर २००८-०९ में कम्प्युटराइज्ड छवियों से उनको पाखंडी करार देकर दिन-रात ‘स्टार’ तथा ‘इंडिया टीवी’ के जरिये
बदनाम किया । संत जब मृत्यु शय्या पर वेंटिलेटर में थे तब कांग्रेस सरकार के कर्मचारियों को उनके
कोषाध्यक्षता के लिये भेजा गया तथा मृत्यु के पश्चात्स ब कुछ नियंत्रण में ले लिया गया ।
१५. डेरा सच्चा सौदा के बाबा गुरमीत सिंह- सन २००८ में उन पर यौन शोषण का आरोप तथा केस चलाया गया था । वे निरपराध साबित हुए । 
१६. साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर- सन २००८-२००९ में हैदराबाद तथा मालेगाँव मस्जिद में बम ब्लास्ट का झूठा आरोप लगाकर जेल में डाल दिया । अमानुषिक अकथनीय अत्याचार करके विषैले इंजेक्शन आदि देकर लकवा का मरीज बना दिया गया। क्यों सिर्फ इसलिए कि वे धर्मांतरण के काम में वाधक बनती थीं…
१७. स्वामी नित्यानंदजी- दक्षिण भारत के इस संत को Computerised sex scandal के तहत बदनाम किया गया । आज भी कई पातकी प्रेस वाले उन्हें ‘सेक्स-गुरु’ नाम से संबोधित करते
हैं । 
१८. संत आशारामजी बापू- २००८ में अमदाबाद एवं छिन्दवाड़ा गुरुकुलों के २-२ बच्चों की संदिग्ध मृत्यु, गुरुपूर्णिमा में बडोदरा तथा अमदाबादसे ख़रीदे हुए गुंडों को लाकर दंगा, २००९ में भक्तों की रैली में अपने गुण्डों को भर्ती करके पुलिस पर आक्रमण तथा बौखलाई पुलिस द्वारा निरपराध साधकों एवं
आश्रम पर आक्रमण करवाने का राजनैतिक कुप्रयास। कुछ चैनलों द्वारा दिन-रात बकते रहना सीमा पार कर गया था । हर दिन कुछ ना कुछ नया आरोप एवं आश्रमों में तोड़-फोड, सत्संग रुकवाना आदि चालू रहा। 
१९. स्वामी लक्ष्मणानंद सरस्वती- २००८ जन्माष्टमी की पावन रात को ४ अनुयायियों के साथ ईसाई
माओवादियों द्वारा अत्यंत अमानुषिक ढंग से हत्या । वे पिछले करीब ५० वर्षों से धर्मान्तरित लोगों का घरवापसी कार्य में लगे थे । उन्हें गोली मारकर कुल्हाड़े से काट डाला था । हत्यारे अभी भी निरंकुश हैं । 
२०. श्रीश्री रविशंकर जी- प्रवचन कार्यक्रम में गोलियों से आक्रमण किया गया था। 
२१. डॉ. राजीव दीक्षित- संत-राजनैतिक दल का Prime Minister designate के रूप में इन संस्कृति प्रेमी, ज्ञान पूर्ण मस्तिष्क संपन्न संत स्वभाव वाले महान व्यक्ति को लक्षणतः धीमा जहर देकर हत्या की गई । 
२२. पद्मनाभ मंदिर- जमीन से निकला सोना अधिकारिकरूप से हिंदू धर्मार्थ कार्य में लगना चाहिए, परन्तु कांग्रेस सरकार ने इसे हड़प लिया ।
२३- स्वामी असीमानंद- धर्मान्तरित हिंदुओं को घरवापसी सेवा में रत थे । उनके गुप्तांग में बिजली के शाट लगाये गये तथा मुँह में गौ-माँस घुसाया गया था।
२४. शिवाजी एवं चंद्रगुप्त मौर्य सीरियल पर रोक-राष्ट्रीय एकता तथा हिंदू जागरण की शिक्षा देने वाली वीर रसपूर्ण गाथाओं का सन २०११ में टीवी पर प्रसारण करने से कांग्रेस सरकार ने रोक लगा दिया, ताकि हिंदू लोग सोये रहें ।
२५. बाबा रामदेवजी के आयुर्वेदाचार्य तथा प्रमुख सहयोगी की गिरफ़्तारी- बाल कृष्णजी को मात्र पासपोर्ट में साधारण भूल को लेकर जेल में डाल दिया गया था। 
२६. कांग्रेस शासित महाराष्ट्र में अंधश्रद्धा उन्मूलन कानून पारित- इस कानून के तहत पूजा पाठ पर रोक लगा दिया जायेगा । हिंदू लोग कीतर्न नहीं कर सकते, श्रीहनुमान चालीसा पाठ नहीं कर सकते, संतों के योग सामर्थ्य का वखान नहीं कर सकते, सिंदूर, चावल आदि पूजा में नहीं रख सकते । धार्मिक
कार्यक्रमों में स्पीकर का उपयोग नहीं कर सकते ।
२७. NCERT Syllabus से भगवान श्रीराम एवं हिन्दू शास्त्र-पुराण से सम्बंधित नैतिक कथाओं को हटाया जाना ।
२८. गौ-वध पर सब्सिडी दे कर देश में गौ- हत्या को प्रोत्साहित करना।
२९. पक्षपातिता- मुसलमानों को हज यात्रा में आर्थिक मदद, परन्तु कैलाश- मानसरोवर यात्रा में हिन्दूओं से कर वसूली।
३०. हिन्दु प्रमुख धर्म संस्थानों की आय को अपने कब्जे में ले लिया गया है । जैसे तिरुपति बालाजी,
वैष्णो देवी मंदिर, शिरडी के मंदिर, जगन्नाथ पुरी का मंदिर आदि ।
31. स्वामी नारायण संप्रदाय के प्रमुख स्वामी के खिलाफ हाल ही में झूठा चारित्रिक आरोप । 
32. संत आशारामजी बापू तथा उनके सुपुत्र श्री नारायण साईं, सुपुत्री भारती देवी जी एवं धर्मपत्नी श्री लक्ष्मी देवी जी पर निर्लज्ज तरीकों से सुनियोजित आरोपों की बौछार तथा संत आशारामजी बापू को घिनौने षड़यंत्र के तहत बिना सुनवाई के कारावास।
संत श्री आशाराम जी बापू ऐसे महान संत हैं जिन्होंने नि:स्वार्थ भाव से विगत ५० वर्षों से भी अधिक समय से देश के करोडों- करोड़ों लोगों का जीवनोत्थान किया है । ईश्वर भक्ति, शांति, स्वास्थ्य, अध्यात्म ज्ञान, संयम-सच्चरित्रत ा आदि सुसंस्कार, नशामुक्त, शाकाहारी जीवन, राष्ट्रभक्ति, मातृ-पितृ भक्ति, पर्यावरण सुरक्षा,आयुर्वेद चिकित्सा, गरीबों की सहायता, देश में प्राकृतिक आपदाओं में
पीडितों की सेवा, गुरुकुल शिक्षा पद्धति का पुनरुत्थान, नारी-उत्थान, गौ- सेवा आदि भगीरथ कार्य किये हैं, ऐसी महान विभूति के प्रति देशकी सरकार का यह राक्षसी रवैया अत्यंत दुःखप्रद है।
क्या अपने देश में सत्य, न्याय और मानवीयता रही नहीं ? निकृष्ट राजनैतिक लक्ष्य सिद्ध करने के लिये ऐसे महान संत को अकारण और केवल सुनियोजित षड़यंत्र के तहत कारावास में डाला गया है,
वो भी बिना प्रमाण तथा न्यायिक बहस के ! ७२ वर्षीय एक वयोज्येष्ठ निरपराध संत को पूर्व आयोजित अपमानजनक, अमानवीय तरीके से बंदी बनाया गया ।
जो व्यवहार पुलिस उग्रवादियों के साथ भी नहीं करती वैसा किया गया संत आशारामजी बापू के साथ ।
हवाई जहाज सुबह का था, तो भी पूरी रात एक अस्वस्थ वृद्ध संत को हवाई अड्डे के वेईटिंग प्लेस में कुर्सी पर ही बैठे-बैठे रात गुजारनेको मजबूर किया गया । कहाँ गई इंसानियत !!
संत आशारामजी बापू का उपकार जन समाज कभी चुका नहीं सकता- पिछले हजारों वर्षों में ऐसे कोई संत पूरे विश्व में नहीं हुए जिन्होंने मात्र ५० साल की अवधि में लाखों-लाखों लोगों के जीवन में धार्मिक क्रांति लायी हों, इतने व्यापक पैमाने पर समाज में वैदिक ज्ञान एवं परम्पराओं को पुन: जागृत कर सुख-शांति का मार्ग दिखाया हो।
४०० से भी अधिक आश्रम (साधकों के लिए उन्ही के द्वारा बनाया गया साधना- स्थली तथा धार्मिक कार्यकर्म हेतु केंद्र), १४00 से अधिक योग वेदांत सेवा समिति, १७००० से अधिक बाल संस्कार केंद्र
तथा करीब ४० गुरुकुल संत आशारामजी बापू के दिन रात के प्रयास का फल है। टेरेसा नाम की ईसाई
महिला जो कि सेवा की आड में भारत में धर्मान्तरण करती थी तथा कारण पूछने पर उत्तर देती थी कि” Those who will be baptized they will be saved & the others shall perish”,
उस महिला को भारतरत्न से अलंकृत किया जाता है, किन्तु संत आशारामजी बापू जैसे धर्ममूर्ति जिन्होंने समाज को कितना कुछ दिया है, एक हिंदू बहुल- राष्ट्र में उन्हें अपमान और कारावास
दिया जाता है !!! संत आशारामजी बापू का व्यापक प्रभाव इतना चुभता है इन्हें! थोड़ा सा विवेक इस्तेमाल करने से सत्य समझ में आ सकता है।
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एक जंगल था। उसमें हर तरह के जानवर रहते थे।
एक दिन जंगल के राजा का चुनाव हुआ।
जानवरों ने शेर को छोड़कर एक बन्दर को राजा बना दिया।
एक दिन शेर बकरी के बच्चे को उठा के ले गया।
बकरी बन्दर राजा के पास गई और अपने बच्चे को छुड़ाने की मदद मांगी।
बन्दर शेर की गुफा के पास गया और गुफा में बच्चे को देखा। पर अन्दर जाने की हिम्मत नहीं हुई।
बन्दर राजा गुफा के पेड़ो पर उछाल लगाता रहा.
कई दिन ऐसे ही उछाल कूद में गुजर गए।
तब एक दिन बकरी ने जाके पूछा .." राजा जी मेरा बच्चा कब लाओगे.. ?"

बन्दर राजा तिलमिलाते हुए बोले "हमारी भागदौड़ में कोई कमी हो तो बताओ "।

moral of the story........शेर चुनो



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