Thursday, 3 April 2014

जब तक नागरिको के जीवन में राष्ट्रहित का भाव नहीं आएगा तब तक राष्ट्र की सुख समृद्धि संभव नहीं | सम्पूर्ण समाज, सम्पूर्ण राष्ट्र और उसका कण कण मेरा है, उसका दुःख दैन्य मेरे लिए बड़ी लज्जा की बात है, ऐसी भावना से ओतप्रोत वैचारिक मानसिक क्रांति की आज आवश्यकता है | ऐसा वैचारिक परिवर्तन लाने के लिए समाज के प्रत्येक घटक में अपनी भूमि, अपना समाज, अपनी परंपरा और अपने राष्ट्र के प्रति उत्कट प्रेम जागृत करना पड़ेगा | एक देश और एक समाज का पूर्ण एकात्मक भाव प्रत्येक व्यक्ति के ह्रदय में उत्पन्न करना होगा | भावना और विचारो में ऐसी सर्वागीण क्रांति लाने के लिए ही अपना संघ कार्यरत है |

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