एक छोटे से भारतीय गांव के सभी तेरह भैंसों का निधन हो गया जब वे बीटी कपास के पौधों पर एक दिन के लिए चराई किया।
आंध्र प्रदेश में एक छोटे से अध्ययन ने बताया कि सभी छह भेड़ जो कि बीटी कपास के पौधों पर चराई किया था एक महीने के भीतर सबकी मृत्यु हो गई, जबकि तीन भेड़ जिनको प्राकृतिक कपास के पौधा खिलाया गया उसमे कोई प्रतिकूल लक्षण दिखाई नही दिया।
जब वे पशुधन को फसल के बाद बीटी कपास के पौधों पर चरने के लिए छोड़े तो हजारों भेड़, बकरी और भैंस की मृत्यु हो गई। कई अन्य बीमार हो गया। एक गांव जहां सात से आठ साल तक वे अपने भैंस बिना किसी घटना के प्राकृतिक कपास के पौधों पर चराते थे लेकिन लेकिन 3 जनवरी, 2008 को, वे उनके 13 भैंस बीटी कपास के पौधों पर पहली बार के लिए चराया। सिर्फ एक दिन चराने के बाद सबका निधन हो गया। गांव ने भी 26 बकरियों और भेड़ों को खो दिया।
हमारे किसानों को अधिक क्षति से बचाने के लिए हम सबको जिम्मेदारी लेनी चाहिए। इस के लिए हम एक साथ बैठ के चिंतन करना है, कुछ ठोस समाधान के साथ निष्कर्ष निकालना है उसके बाद योजना बनाके सप्ताहांत में नजदीकी गांव के किसानों से मिलना है। हमे उन्हें उनके पारम्परिक फसल के बीज को बचाने और जैविक खेती को चुनने के लिए प्रेरित करना होगा।राजीव दीक्षित Rajiv Dixit
***जैविक खेती के बारे में अधिक जानकारी के लिए राजीव दीक्षित जी की “विषमुक्त खेती” और "पारंपरिक कृषि के लाभ" वीडियो देखिये: http://www.youtube.com/ watch?v=Onp9YZ8_GXM
http://www.youtube.com/ watch?v=mHyck7HiCOc
अथवा,
***सुभाष पालेकर की जैविक खेती पर किताबें पढिये “Zero-budget Natural Farming” हिंदी और अंग्रेजी में उपलब्ध
आंध्र प्रदेश में एक छोटे से अध्ययन ने बताया कि सभी छह भेड़ जो कि बीटी कपास के पौधों पर चराई किया था एक महीने के भीतर सबकी मृत्यु हो गई, जबकि तीन भेड़ जिनको प्राकृतिक कपास के पौधा खिलाया गया उसमे कोई प्रतिकूल लक्षण दिखाई नही दिया।
जब वे पशुधन को फसल के बाद बीटी कपास के पौधों पर चरने के लिए छोड़े तो हजारों भेड़, बकरी और भैंस की मृत्यु हो गई। कई अन्य बीमार हो गया। एक गांव जहां सात से आठ साल तक वे अपने भैंस बिना किसी घटना के प्राकृतिक कपास के पौधों पर चराते थे लेकिन लेकिन 3 जनवरी, 2008 को, वे उनके 13 भैंस बीटी कपास के पौधों पर पहली बार के लिए चराया। सिर्फ एक दिन चराने के बाद सबका निधन हो गया। गांव ने भी 26 बकरियों और भेड़ों को खो दिया।
हमारे किसानों को अधिक क्षति से बचाने के लिए हम सबको जिम्मेदारी लेनी चाहिए। इस के लिए हम एक साथ बैठ के चिंतन करना है, कुछ ठोस समाधान के साथ निष्कर्ष निकालना है उसके बाद योजना बनाके सप्ताहांत में नजदीकी गांव के किसानों से मिलना है। हमे उन्हें उनके पारम्परिक फसल के बीज को बचाने और जैविक खेती को चुनने के लिए प्रेरित करना होगा।राजीव दीक्षित Rajiv Dixit
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