Tuesday, 12 February 2013

→वीरवंसज अंकित ठाकुर (मराठा)

‘लव जिहाद’की दाहकता बतानेवाली एक उच्च विद्याविभूषित
युवतीका आत्मकथन !
‘मैं मानसशास्त्र विषयमें पदव्युत्तर (एम्.ए.) शिक्षा लेनेके उपरांत
एक निजी प्रतिष्ठानमें नौकरी करती थी ।
वहां नौकरी करनेवाला एक मुसलमान युवक मुझे अपने प्रेमजालमें
फांसनेका प्रयत्न करता था । एक दिन उस मुसलमानने मुझे अपने
घर बुलाया । वहांसे लौटते समय मेरा रूमाल उसके घरपर छूट
गया । कुछ दिन पश्चात् मेरे घर आए एक ज्योतिषीने कहा, ‘उस
रूमालपर मुसलमानने जादू-टोना किया है ।’ एक बार दिल्ली और
आंध्रप्रदेश जाकर मुंबई लौटनेपर उस मुसलमानने मुझे एक
सोनेका हार और लोलक (लॉकेट) उपहारमें दिया । मुझे भी वह
लेनेकी दुर्बुद्धि हो गई । उसने मेरे सामने विवाहका प्रस्ताव
रखा । मैंने तुरंत उसका स्वर्णालंकार लौटाकर विवाह
करना अस्वीकार कर दिया ।
एक दिन उसने मुझे आग्रहपूर्वक एक टैक्सीमें बिठाया और एक
स्थानपर ले गया । वहां उसने दाढी बनानेकी पत्तीसे (ब्लेडसे)
अपनी कलाईकी नस काटकर पुनः विवाहका प्रस्ताव रखा । रक्त
देखकर मैं डर गई और रोने लगी । उसने मुझे कहा, ‘मुझसे प्रेम
करती हो, इसलिए तुम्हें रोना आ रहा है ।’ वह सतत एक माहतक
मेरे पीछे पडकर भयादोहनके (इमोशनल ब्लैकमेलके)
द्वारा प्रेमकी याचना करता रहा । एक दिन वह मुझे भगाकर ले
गया और बलपूर्वक विवाह किया । मेरी मांको यह पता चलनेपर
उसे गंभीर आघात पहुंचा और मस्तिष्कमें विकार (ब्रेन हैमरेज)
होकर उसकी मृत्यु हो गई । उस समय मुझे बहुत पश्चाताप हुआ ।
किंतु अब पश्चाताप करनेसे कोई लाभ नहीं था । विवाहके पश्चात्
तो मुझपर यातनाओंकी शृंखला ही आरंभ हो गई । इस बीच मुझे
एक बेटा भी हुआ । मुझपर और मेरे बच्चेपर जो अत्याचार हुए,
उसका वर्णन शब्दोंमें करना असंभव है । मुझे
भद्दी गालियां दी जाना, दिनचर्याका अभिन्न अंग था । उसने
मेरी मांके वर्षश्राद्धपर भी मुझे नहीं जाने
दिया तथा मेरी बहनों और अन्य संबंधियोंसे संपर्वâ तोडनेके लिए
बाध्य किया । उस मुसलमानका घर ‘छोटे पाकिस्तान’समान
मुसलमानबहुल क्षेत्रमें था । इसलिए मैं इन अत्याचारोंके विषयमें
किसीसे कुछ कह भी नहीं पाती थी । निरंतर ८ वर्षोंतक मैं यह
अत्याचार सहती रही । कदाचित् उसमें भी जादू-टोना रहा हो ।
मध्यकी अवधिमें उसने अन्य महिलाओं से शारीरिक संबंध रखा,
तब मैंने उसके विरोधमें पुलिस थानेमें परिवाद (शिकायत)
लिखवाया । इसलिए उसने मुझे घरसे निकालकर अगले ही माह
दूसरा विवाह कर लिया । तत्पश्चात् ‘विश्व हिंदु
परिषद’की सहायतासे मैंने पुनः हिंदु धर्ममें प्रवेश किया ।
मेरी समस्त हिंदु युवतियोंसे एक ही विनती है कि वे मेरी भांति भूल
न करें !’ – ‘लव जिहाद’की बलि चढी एक हिंदु युवती, मुंबई.

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