कैसी आजादी ??
कहते है कि आज के दिन हमारा खुद का सविधान लागू हुआ आजादी के बाद, पर सत्य ये है कि हमारा सविधान सिर्फ़ एक कापी पेस्ट है हूबहु वो ही जो अंग्रेजो ने भारत पर लागू किया था, अंग्रेजो का एक बड़ा चालाकी भरा कदम ये था के भारत में कुछ भी करो कानून के नाम पर करो, भारत को लूटना है तो कानून बना कर लूटो, बर्बाद करना है तो कानून बना कर बर्बाद करो जिसे Rule of Law कहा जाता है जिसमे कुल 34,735 कानून थे | दुर्भाग्य से ये सब कानून आज़ादी के बाद उनके सविधान से उठा कर हमारे नए सविधान में डाल दिए गये और ये आज भी चल रहा है इसे बदला नही गया जैसे का तैसा इन कानूनो को भारतीय सविधान में रखा गया है
चाहे Indian Police Act, Indian Civil Services Act (अब इसका नाम है Indian Civil Administrative Act), Indian Penal Code (Ireland में भी IPC चलता है और Ireland में जहाँ "I" का मतलब Irish है वही भारत के IPC में "I" का मतलब Indian है बाकि सब के सब कंटेंट एक ही है, कौमा और फुल स्टॉप का भी अंतर नहीं है) Indian Citizenship Act, Indian Advocates Act, Indian Education Act, Land Acquisition Act, Criminal Procedure Act, Indian Evidence Act, Indian Income Tax Act, Indian Forest Act, Indian Agricultural Price Commission Act सब के सब आज भी वैसे ही चल रहे हैं बिना फुल स्टॉप और कौमा बदले हुए |
श्री राजीव भाई बताते है भारत का संविधान २६ जनवरी १९५० में तैयार हुआ और इसके लिए संविधान सभा का निर्माण किया गया था जिसमे २९६ सदस्य थे जिन्होंने ११ महीने और १८ दिन काम करके संविधान तैयार किया | लेकिन ११ महीने १८ दिन में काम कुल १६६ घंटे हुआ और उसमे संविधान तैयार हो गया |
भारत का संविधान दुनिया का सबसे बड़ा संविधान है , इतना बड़ा लिखित संविधान दुनिया के किसी देश के पास नही है |
राजीव भाई के मन में एक बात आती थी कि मात्र ११ महीने १८ दिन में इतना बड़ा संविधान हमने कैसे बना लिया ? इसको बनाने में तोह जादा समय लगना चाहिए था ! बहुत खोजने के बाद उनको पता चला के संविधान में हमने कुछ खास नही बनाया , अंग्रेजो ने एक कानून बनके भारत में चोर हुआ था उसीको हमने भारत का संविधान बना लिया | १९३५ में अंग्रेजो ने एक कानून लाया था जिसका नाम था Government of India Act और इसमें जो कुछ लिखा था वोही सब कुछ भारत के संविधान में है कुछ बदला नही जबकि ये कानून भारत को गुलाम बनाने की लिए बनाया गया था |
संविधान सभा के ड्राफ्टिंग कमिटी के चेअरमन डॉ भीमराव आंबेडकर १९५३ में राज्यसभा में कहा था के "अगर कोई मुझे अनुमति दे दे के मैं सबसे पहला व्यक्ति होऊंगा जो इस संविधान को जला दूंगा"| उन्होंने और कहा था के 'इस संविधान से भारत के किसी नागरिक का भला नही होने वाला किउंकि ये जल्दी में बनाया गया संविधान है , मेरे पास कोई चारा नही था इतने कम समय में ये संविधान बनाना था, अग्रेजो की तरफ से हमे Government of India Act का ड्राफ्ट दिया गया था आधार बनाने के लिए और दुसरे देशो के संविधान से कुछ हिस्से ले कर भारत का संविधान बना' |
इसका परिणाम ये हुआ के ६० सालो में ९४ से जादा संविधान संशोधन हो गए और ये तभी हो सकते है जब संविधान में कोई खराबी, कमी या बुराई हो |
संविधान सभा के बड़े बड़े सब दिग्गजों ने कहा था के 'भारत के शहीदों ने क्रांतिवीरो ने जिस कल्पना से देश की आज़ादी की लड़ाई लड़ी है उस कल्पना को ये संविधान कही भी पूरा नही कररता ' |
* 1858 में Indian Education Act बनाया गया.. मैकोले का स्पष्ट कहना था कि भारत को हमेशा-हमेशा के लिए अगर गुलाम बनाना है तो इसकी देशी और सांस्कृतिक शिक्षा व्यवस्था को पूरी तरह से ध्वस्त करना होगा और उसकी जगह अंग्रेजी शिक्षा व्यवस्था लानी होगी और तभी इस देश में शरीर से हिन्दुस्तानी लेकिन दिमाग से अंग्रेज पैदा होंगे |
* 1860 में इंडियन पुलिस एक्ट बनाया गया | 1857 के पहले अंग्रेजों की कोई पुलिस नहीं थी| और वही दमन और अत्याचार वाला कानून "इंडियन पुलिस एक्ट" आज भी इस देश में बिना फुल स्टॉप और कौमा बदले चल रहा है |
Indian Police Act इस कानून का एक ही मकसद था भारत के क्रांतिकारियों को, आज़ादी की बात करने वाले लोगो को पुलिस के अत्याचार से परेशान करना | भारत में हजारो चक्रवर्ती सम्राट हुए पर किसी ने भी पुलिस नही बनायीं, देश की रक्षा करने के लिए सेना बनायी पर प्रजा पर अत्याचार करने के लिए पुलिस किसी ने भी नही बनायीं | Indian police act में हर पुलिस अधिकारी को right to offence है पर पीटने वाले को right to defense नही है | इसका मतलब है कि कोई पुलिस अधिकारी आपको डंडे से पीटे तो ये अधिकार है उसका, आप उसके डंडे को रोक नही सकते क्योकि ये आपका अधिकार नही है, अगर पुलिस वाला डंडा मर रहा है और आप ने डंडा पकड़ा तो कानून आपके खिलाफ है पुलिस वाले के समर्थन में है |
* 1860 में ही इंडियन सिविल सर्विसेस एक्ट बनाया गया | ये जो Collector हैं वो इसी कानून की देन हैं | ये जो Collector होते थे उनका काम था Revenue, Tax, लगान और लुट के माल को Collect करना इसीलिए ये Collector कहलाये | अब इस कानून का नाम Indian Civil Services Act से बदल कर Indian Civil Administrative Act हो गया है, 64 सालों में बस इतना ही बदलाव हुआ है |
Indian Income Tax Act -* तो ध्यान दीजिये कि इस देश में टैक्स का कानून क्यों लाया जा रहा है ? क्योंकि इस देश के व्यापारियों को, पूंजीपतियों को, उत्पादकों को, उद्योगपतियों को, काम करने वालों को या तो बेईमान बनाया जाये या फिर बर्बाद कर दिया जाये, ईमानदारी से काम करें तो ख़त्म हो जाएँ और अगर बेईमानी करें तो हमेशा ब्रिटिश सरकार के अधीन रहें | अंग्रेजों ने इनकम टैक्स की दर रखी थी 97% और इस व्यवस्था को 1947 में ख़त्म हो जाना चाहिए था लेकिन ऐसा नहीं हुआ और आपको जान के ये आश्चर्य होगा कि 1970-71 तक इस देश में इनकम टैक्स की दर 97% ही हुआ करती थी |
* अंग्रेजों ने तो 23 प्रकार के टैक्स लगाये थे उस समय इस देश को लुटने के लिए, अब तो इस देश में VAT को मिला के 64 प्रकार के टैक्स हो गए हैं |* 1865 में Indian Forest Act बनाया गया और ये लागू हुआ 1872 में | इस कानून के बनने के पहले जंगल गाँव की सम्पति माने जाते थे|
इस कानून में ये प्रावधान किया कि भारत का कोई भी आदिवासी या दूसरा कोई भी नागरिक पेड़ नहीं काट सकता | लेकिन दूसरी तरफ जंगलों के लकड़ी की कटाई के लिए ठेकेदारी प्रथा लागू की गयी जो आज भी लागू है और कोई ठेकेदार जंगल के जंगल साफ़ कर दे तो कोई फर्क नहीं पड़ता | ये इंडियन फोरेस्ट एक्ट ऐसा है जिसमे सरकार के द्वारा अधिकृत ठेकेदार तो पेड़ काट सकते हैं लेकिन आप और हम चूल्हा जलाने के लिए, रोटी बनाने के लिए लकड़ी नहीं ले सकते और उससे भी ज्यादा ख़राब स्थिति अब हो गयी है, आप अपने जमीन पर के पेड़ भी नहीं काट सकते |
* ) *Indian Penal Code *- अंग्रेजों ने एक कानून हमारे देश में लागू किया था जिसका नाम है Indian Penal Code (IPC ) | ड्राफ्टिंग करते समय मैकोले ने एक पत्र भेजा था ब्रिटिश संसद को जिसमे उसने लिखा था कि "मैंने भारत की न्याय व्यवस्था को आधार देने के लिए एक ऐसा कानून बना दिया है जिसके लागू होने पर भारत के किसी आदमी को न्याय नहीं मिल पायेगा | इस कानून की जटिलताएं इतनी है कि भारत का साधारण आदमी तो इसे समझ ही नहीं सकेगा और जिन भारतीयों के लिए ये कानून बनाया गया है उन्हें ही ये सबसे ज्यादा तकलीफ देगी |
ये हमारी न्याय व्यवस्था अंग्रेजों के इसी IPC के आधार पर चल रही है | और आजादी के 64 साल बाद हमारी न्याय व्यवस्था का हाल देखिये कि लगभग 4 करोड़ मुक़दमे अलग-अलग अदालतों में पेंडिंग हैं, उनके फैसले नहीं हो पा रहे हैं | 10 करोड़ से ज्यादा लोग न्याय के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं लेकिन न्याय मिलने की दूर-दूर तक सम्भावना नजर नहीं आ रही है, कारण क्या है ? कारण यही IPC है | IPC का आधार ही ऐसा है |
* *Land Acquisition Act -* एक अंग्रेज आया इस देश में उसका नाम था डलहौजी | डलहौजी ने इस "जमीन को हड़पने के कानून" को भारत में लागू करवाया, इस कानून को लागू कर के किसानों से जमीने छिनी गयी | गाँव गाँव जाता था और अदालतें लगवाता था और लोगों से जमीन के कागज मांगता था" | और आप जानते हैं कि हमारे यहाँ किसी के पास उस समय जमीन के कागज नहीं होते थे| एक दिन में पच्चीस-पच्चीस हजार किसानों से जमीनें छिनी गयी | डलहौजी ने आकर इस देश के 20 करोड़ किसानों को भूमिहीन बना दिया और वो जमीने अंग्रेजी सरकार की हो गयीं | 1947 की आजादी के बाद ये कानून ख़त्म होना चाहिए था लेकिन नहीं, इस देश में ये कानून आज भी चल रहा है | आज भी इस देश में किसानों की जमीन छिनी जा रही है बस अंतर इतना ही है कि पहले जो काम अंग्रेज सरकार करती थी वो काम आज भारत सरकार करती है | पहले जमीन छीन कर अंग्रेजों के अधिकारी अंग्रेज सरकार को वो जमीनें भेंट करते थे, अब भारत सरकार वो जमीनें छिनकर बहुराष्ट्रीय कंपनियों को भेंट कर रही है | 1894 का ये अंग्रेजों का कानून बिना किसी परेशानी के इस देश में आज भी चल रहा है | जहाँ लोग नहीं चाहते कि हम हमारी जमीन छोड़े, वहां लाठियां चलती हैं, गोलियां चलती है |
कहते है कि आज के दिन हमारा खुद का सविधान लागू हुआ आजादी के बाद, पर सत्य ये है कि हमारा सविधान सिर्फ़ एक कापी पेस्ट है हूबहु वो ही जो अंग्रेजो ने भारत पर लागू किया था, अंग्रेजो का एक बड़ा चालाकी भरा कदम ये था के भारत में कुछ भी करो कानून के नाम पर करो, भारत को लूटना है तो कानून बना कर लूटो, बर्बाद करना है तो कानून बना कर बर्बाद करो जिसे Rule of Law कहा जाता है जिसमे कुल 34,735 कानून थे | दुर्भाग्य से ये सब कानून आज़ादी के बाद उनके सविधान से उठा कर हमारे नए सविधान में डाल दिए गये और ये आज भी चल रहा है इसे बदला नही गया जैसे का तैसा इन कानूनो को भारतीय सविधान में रखा गया है
चाहे Indian Police Act, Indian Civil Services Act (अब इसका नाम है Indian Civil Administrative Act), Indian Penal Code (Ireland में भी IPC चलता है और Ireland में जहाँ "I" का मतलब Irish है वही भारत के IPC में "I" का मतलब Indian है बाकि सब के सब कंटेंट एक ही है, कौमा और फुल स्टॉप का भी अंतर नहीं है) Indian Citizenship Act, Indian Advocates Act, Indian Education Act, Land Acquisition Act, Criminal Procedure Act, Indian Evidence Act, Indian Income Tax Act, Indian Forest Act, Indian Agricultural Price Commission Act सब के सब आज भी वैसे ही चल रहे हैं बिना फुल स्टॉप और कौमा बदले हुए |
श्री राजीव भाई बताते है भारत का संविधान २६ जनवरी १९५० में तैयार हुआ और इसके लिए संविधान सभा का निर्माण किया गया था जिसमे २९६ सदस्य थे जिन्होंने ११ महीने और १८ दिन काम करके संविधान तैयार किया | लेकिन ११ महीने १८ दिन में काम कुल १६६ घंटे हुआ और उसमे संविधान तैयार हो गया |
भारत का संविधान दुनिया का सबसे बड़ा संविधान है , इतना बड़ा लिखित संविधान दुनिया के किसी देश के पास नही है |
राजीव भाई के मन में एक बात आती थी कि मात्र ११ महीने १८ दिन में इतना बड़ा संविधान हमने कैसे बना लिया ? इसको बनाने में तोह जादा समय लगना चाहिए था ! बहुत खोजने के बाद उनको पता चला के संविधान में हमने कुछ खास नही बनाया , अंग्रेजो ने एक कानून बनके भारत में चोर हुआ था उसीको हमने भारत का संविधान बना लिया | १९३५ में अंग्रेजो ने एक कानून लाया था जिसका नाम था Government of India Act और इसमें जो कुछ लिखा था वोही सब कुछ भारत के संविधान में है कुछ बदला नही जबकि ये कानून भारत को गुलाम बनाने की लिए बनाया गया था |
संविधान सभा के ड्राफ्टिंग कमिटी के चेअरमन डॉ भीमराव आंबेडकर १९५३ में राज्यसभा में कहा था के "अगर कोई मुझे अनुमति दे दे के मैं सबसे पहला व्यक्ति होऊंगा जो इस संविधान को जला दूंगा"| उन्होंने और कहा था के 'इस संविधान से भारत के किसी नागरिक का भला नही होने वाला किउंकि ये जल्दी में बनाया गया संविधान है , मेरे पास कोई चारा नही था इतने कम समय में ये संविधान बनाना था, अग्रेजो की तरफ से हमे Government of India Act का ड्राफ्ट दिया गया था आधार बनाने के लिए और दुसरे देशो के संविधान से कुछ हिस्से ले कर भारत का संविधान बना' |
इसका परिणाम ये हुआ के ६० सालो में ९४ से जादा संविधान संशोधन हो गए और ये तभी हो सकते है जब संविधान में कोई खराबी, कमी या बुराई हो |
संविधान सभा के बड़े बड़े सब दिग्गजों ने कहा था के 'भारत के शहीदों ने क्रांतिवीरो ने जिस कल्पना से देश की आज़ादी की लड़ाई लड़ी है उस कल्पना को ये संविधान कही भी पूरा नही कररता ' |
* 1858 में Indian Education Act बनाया गया.. मैकोले का स्पष्ट कहना था कि भारत को हमेशा-हमेशा के लिए अगर गुलाम बनाना है तो इसकी देशी और सांस्कृतिक शिक्षा व्यवस्था को पूरी तरह से ध्वस्त करना होगा और उसकी जगह अंग्रेजी शिक्षा व्यवस्था लानी होगी और तभी इस देश में शरीर से हिन्दुस्तानी लेकिन दिमाग से अंग्रेज पैदा होंगे |
* 1860 में इंडियन पुलिस एक्ट बनाया गया | 1857 के पहले अंग्रेजों की कोई पुलिस नहीं थी| और वही दमन और अत्याचार वाला कानून "इंडियन पुलिस एक्ट" आज भी इस देश में बिना फुल स्टॉप और कौमा बदले चल रहा है |
Indian Police Act इस कानून का एक ही मकसद था भारत के क्रांतिकारियों को, आज़ादी की बात करने वाले लोगो को पुलिस के अत्याचार से परेशान करना | भारत में हजारो चक्रवर्ती सम्राट हुए पर किसी ने भी पुलिस नही बनायीं, देश की रक्षा करने के लिए सेना बनायी पर प्रजा पर अत्याचार करने के लिए पुलिस किसी ने भी नही बनायीं | Indian police act में हर पुलिस अधिकारी को right to offence है पर पीटने वाले को right to defense नही है | इसका मतलब है कि कोई पुलिस अधिकारी आपको डंडे से पीटे तो ये अधिकार है उसका, आप उसके डंडे को रोक नही सकते क्योकि ये आपका अधिकार नही है, अगर पुलिस वाला डंडा मर रहा है और आप ने डंडा पकड़ा तो कानून आपके खिलाफ है पुलिस वाले के समर्थन में है |
* 1860 में ही इंडियन सिविल सर्विसेस एक्ट बनाया गया | ये जो Collector हैं वो इसी कानून की देन हैं | ये जो Collector होते थे उनका काम था Revenue, Tax, लगान और लुट के माल को Collect करना इसीलिए ये Collector कहलाये | अब इस कानून का नाम Indian Civil Services Act से बदल कर Indian Civil Administrative Act हो गया है, 64 सालों में बस इतना ही बदलाव हुआ है |
Indian Income Tax Act -* तो ध्यान दीजिये कि इस देश में टैक्स का कानून क्यों लाया जा रहा है ? क्योंकि इस देश के व्यापारियों को, पूंजीपतियों को, उत्पादकों को, उद्योगपतियों को, काम करने वालों को या तो बेईमान बनाया जाये या फिर बर्बाद कर दिया जाये, ईमानदारी से काम करें तो ख़त्म हो जाएँ और अगर बेईमानी करें तो हमेशा ब्रिटिश सरकार के अधीन रहें | अंग्रेजों ने इनकम टैक्स की दर रखी थी 97% और इस व्यवस्था को 1947 में ख़त्म हो जाना चाहिए था लेकिन ऐसा नहीं हुआ और आपको जान के ये आश्चर्य होगा कि 1970-71 तक इस देश में इनकम टैक्स की दर 97% ही हुआ करती थी |
* अंग्रेजों ने तो 23 प्रकार के टैक्स लगाये थे उस समय इस देश को लुटने के लिए, अब तो इस देश में VAT को मिला के 64 प्रकार के टैक्स हो गए हैं |* 1865 में Indian Forest Act बनाया गया और ये लागू हुआ 1872 में | इस कानून के बनने के पहले जंगल गाँव की सम्पति माने जाते थे|
इस कानून में ये प्रावधान किया कि भारत का कोई भी आदिवासी या दूसरा कोई भी नागरिक पेड़ नहीं काट सकता | लेकिन दूसरी तरफ जंगलों के लकड़ी की कटाई के लिए ठेकेदारी प्रथा लागू की गयी जो आज भी लागू है और कोई ठेकेदार जंगल के जंगल साफ़ कर दे तो कोई फर्क नहीं पड़ता | ये इंडियन फोरेस्ट एक्ट ऐसा है जिसमे सरकार के द्वारा अधिकृत ठेकेदार तो पेड़ काट सकते हैं लेकिन आप और हम चूल्हा जलाने के लिए, रोटी बनाने के लिए लकड़ी नहीं ले सकते और उससे भी ज्यादा ख़राब स्थिति अब हो गयी है, आप अपने जमीन पर के पेड़ भी नहीं काट सकते |
* ) *Indian Penal Code *- अंग्रेजों ने एक कानून हमारे देश में लागू किया था जिसका नाम है Indian Penal Code (IPC ) | ड्राफ्टिंग करते समय मैकोले ने एक पत्र भेजा था ब्रिटिश संसद को जिसमे उसने लिखा था कि "मैंने भारत की न्याय व्यवस्था को आधार देने के लिए एक ऐसा कानून बना दिया है जिसके लागू होने पर भारत के किसी आदमी को न्याय नहीं मिल पायेगा | इस कानून की जटिलताएं इतनी है कि भारत का साधारण आदमी तो इसे समझ ही नहीं सकेगा और जिन भारतीयों के लिए ये कानून बनाया गया है उन्हें ही ये सबसे ज्यादा तकलीफ देगी |
ये हमारी न्याय व्यवस्था अंग्रेजों के इसी IPC के आधार पर चल रही है | और आजादी के 64 साल बाद हमारी न्याय व्यवस्था का हाल देखिये कि लगभग 4 करोड़ मुक़दमे अलग-अलग अदालतों में पेंडिंग हैं, उनके फैसले नहीं हो पा रहे हैं | 10 करोड़ से ज्यादा लोग न्याय के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं लेकिन न्याय मिलने की दूर-दूर तक सम्भावना नजर नहीं आ रही है, कारण क्या है ? कारण यही IPC है | IPC का आधार ही ऐसा है |
* *Land Acquisition Act -* एक अंग्रेज आया इस देश में उसका नाम था डलहौजी | डलहौजी ने इस "जमीन को हड़पने के कानून" को भारत में लागू करवाया, इस कानून को लागू कर के किसानों से जमीने छिनी गयी | गाँव गाँव जाता था और अदालतें लगवाता था और लोगों से जमीन के कागज मांगता था" | और आप जानते हैं कि हमारे यहाँ किसी के पास उस समय जमीन के कागज नहीं होते थे| एक दिन में पच्चीस-पच्चीस हजार किसानों से जमीनें छिनी गयी | डलहौजी ने आकर इस देश के 20 करोड़ किसानों को भूमिहीन बना दिया और वो जमीने अंग्रेजी सरकार की हो गयीं | 1947 की आजादी के बाद ये कानून ख़त्म होना चाहिए था लेकिन नहीं, इस देश में ये कानून आज भी चल रहा है | आज भी इस देश में किसानों की जमीन छिनी जा रही है बस अंतर इतना ही है कि पहले जो काम अंग्रेज सरकार करती थी वो काम आज भारत सरकार करती है | पहले जमीन छीन कर अंग्रेजों के अधिकारी अंग्रेज सरकार को वो जमीनें भेंट करते थे, अब भारत सरकार वो जमीनें छिनकर बहुराष्ट्रीय कंपनियों को भेंट कर रही है | 1894 का ये अंग्रेजों का कानून बिना किसी परेशानी के इस देश में आज भी चल रहा है | जहाँ लोग नहीं चाहते कि हम हमारी जमीन छोड़े, वहां लाठियां चलती हैं, गोलियां चलती है |
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