Tuesday 19 February 2013


डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा लिखित लेख ‘How to wipe out Islamic terror?’ का हिन्दी अनुवाद---इस्लामिक आतंकवाद का सफाया कैसे किया जाए? 
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जुलाई 13, 2011 को मुसलिम आतंकवादियों द्वारा किए गए बम धमाकों के बाद हिन्दूओं को निर्णायक रूप से अपनी अन्तरात्मा को झकझोरने की जरूरत है। भारत का विनाश करने के लिए, मुस्लिम आतंकवादियों द्वारा हिन्दूओं का हलाल तरीके से आए दिन खून बहाया जाना, हिन्दूओं द्वारा स्वीकार नहीं किया जा सकता। आतंकवाद गैर कानूनी तरीके से ताकत के दुरूपयोग का वो हथियार है, जिससे आम जनता को भयभीत कर, उसे आतंकवादियों की इच्छा के विपरीत काम करने से रोकने व आतंकवादियों की नजाजय मांगो को समर्थन देने के लिए मजबूर करने के लिए उपयोग किया जाता है भारत में हर महीने लगभग 40 आतंकवादी हमले होते हैं। इसलिए हाल ही में अमेरिका के ‘आतंकवाद विरोधी केन्द्र’ के प्रकाशन ‘A Chronology of International Terrorism ’ में बताया गया है कि आज तक जितने आतंकवादी हमले भारत पर हुए हैं उतने आतंकवादी हमले दुनिया के किसी भी देश ने नहीं झेले हैं। वेशक प्रधानमन्त्री माओवादी हिंसा को देश के लिए सबसे बड़ा खतरा बतायें लेकिन मेरा मानना है कि आज इस्लामिक आतंकवाद देश के लिए सबसे गम्भीर खतरा है।अगर वर्तमान गृहमन्त्री, प्रधानमन्त्री और UPA अध्यक्ष को आज हटा दिया जाए तो माओवादी हिंसा को एक महीन में उसी तरह समाप्त किया जा सकता है जिस तरह मैंने 1991 में बरिष्ठ मन्त्री के पद पर रहते हुए तमिलनाडु में LTTE व MGR ने 1980 में नक्सलवादियों को किया। मुसलिम आतंकवाद देश के लिए एक अलग तरह का खतरा है। मुसलिम आतंकवाद हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए सबसे बड़ी चुनौती क्यों है?

इसके बारे में 2012 के बाद किसी के मन में कोई शंका नहीं रहेगी। 2012 में तालिवान पाकिस्तान पर कब्जा कर लेंगे व अमेरिका अफगानिस्तान छोड़ कर भाग जाएगा। उसके बाद इस्लाम अपने अधूरे काम को पूरा करने के लिए हिन्दूत्व से सीधी लड़ाई लड़ेगा। अलकायदा का नया सरगना, जो कि ओसामा विन लादेन का उताधिकारी है पहले ही घोषणा कर चुका है कि मुस्लिम आतंकवादियों का सबसे बड़ा लक्ष्य भारत है न कि अमेरिका। कट्टरपंथी मुसलमान हिन्दूबहुल भारत को ‘इस्लामी विजय का एक अधूरा अध्याय’ मानते हैं। हमें यह ध्यान में रखना चाहिए कि दुनिया के वाकी सभी वो देश, जिन पर इस्लाम ने विजय प्राप्त की , इस्लामी आक्रमण के दो दशकों के भीतर 100% इस्लाम में परिवर्तित हो गए। भारत एक अपबाद है । 800 वर्षों के अत्याचारी बरबर मुस्लिम शासन के बाद भी अविभाजित भारत में 75% हिन्दू अबादी थी। कट्टरपंथी मुसलमानों को यही बात आज तक सता रही है कि मुसलमानों द्वारा किए गए वेहिसाब जुल्मों के बाबजूद वो मुसलिम आतंकवादी हिन्दूओं का मनोबल तोड़ने में क्यों सफल न हो पाए। हर दंगे के बाद नियुक्त किए गए जांच आयोगों की रिपोर्टों के अधार पर हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि 1947 से लेकर आज तक जितने भी हिन्दू- मुसलिम दंगे हुए हैं उन सबकी शुरूआत कट्टरपंथी मुसलमानों द्वारा ही की गई ---यहां तक कि गुजरात दंगों की शुरूआत भी कट्टरपंथी मुसलमानों द्वारा गोधरा में 56 हिन्दू महिलाओं और बच्चों को जिन्दा जलाकर की गई। आज की परिभाषा के अनुसार मुस्लिम आतंकवादियों द्वारा किए गए ये सबके सब हमले आतंकवादी गतिविधियां हैं। वेशक भारत में मुसलमान अल्पसंख्यक हैं लेकिन फिर भी कट्टरपंथी हिंसक मुसलमान हिन्दूओं पर जानलेवा हमले करने की हिम्मत करते हैं। भारत के अन्य मुसलमान इन हमलों को या तो मौन स्वीकृति देते हैं या फिर इनमें कूद पड़ते हैं या फिर हिन्दूओं के मारे जाने का तमाशा देखते हैं। भारत में अत्याचारी बाबर से लेकर कातिल औरंगजेब तक और औरंगजेब से लेकर आज तक हिन्दूओं का कत्लयाम ही मुसलमानों का इतिहास है। हिन्दूओं पर मुस्लिम आतंकवादियों द्वारा किए जाने हमलों के प्रति उदासीन रहने में, भूतकाल में दारा सिकोह व वर्तमान में एम जे अकबर व सलमान हैदर जैसे लोग, जो मुसलिम आतंकवाद के विरूद्ध खुलकर वोलने से नहीं डरते हैं,अपबाद हैं .कट्टरपंथी मुसलमानों द्वारा किए जाने वाले हमलों के लिए हिन्दू ही दोशी हैं। कट्टरपंथी मुसलमानों द्वारा हिन्दूओं को निशाना बनाए जाने के लिए मैं मुसलमानों के बजाए हिन्दूओं को ही दोष देता हूं। में इन हमलों का दोष उन हिन्दूओं को देता हूं जिन्होंने सनातन धर्म में बाताई गई आत्मा और परमात्मा की अविधारना को चरम पर ले जाते हुए खुद को अपने आप तक सीमित कर लिया। लाखों हिन्दू विना किसी सरकारी सहयोग के अपने आप को व्यबस्थित कर कुम्भ मेले में ईकट्ठे हो सकते हैं, लेकिन मेले के बाद ये सब हिन्दू कश्मीर, मऊ, मेल्विशरम और मलप्पुरम व अन्य विधर्मियों के बहुमत वाले इलाकों में हिन्दूमिटाओ-हिन्दूभगाओ अभियान के तहत मुसलमानों द्वारा निशाना बनाए जा रहे हिन्दूओं की पीड़ा से बेखबर, हमले के शिकार हिन्दूओं की सहायता के लिए विना कोई संगठित कदम उठाए घर की ओर लौट जाते हैं। उधाहरण के लिए अगर आधे हिन्दू भी जाति, भाषा व क्षेत्र के विभाजनों से उपर उठकर वोट करें तो एक सच्चे हिन्दू राजनीतिक दल को दो तिहाई बहुमत मिलेगा।

आज धर्मनिर्पेक्षतावादी, उग्र हिन्दूओं द्वारा मुसलमानों व अन्य अल्पसंख्यकों पर किए गए छुट-पुट हमलों की बात करते हैं। लेकिन इन में से अधिकतर हमले कांग्रेस सरकारों द्वारा नियोजित रूप से करवाए गए, न कि संगठित हिन्दूओं द्वारा। जबकि ISI व पाकिस्तान की सेना द्वारा प्रयोजित व नियोजित हमलों को छोड़ दें तो मुसलमानों द्वारा किए गए अधिकतर हमले गैर राज्य उपद्रवियों द्वारा किए गए। कट्टरपंथी मुसलमान हिन्दूओं को निरूत्साहित करने के लिए हिन्दूओं को निशाना बनाकर हमले करते हैं ताकि हिन्दू अपने उन अधिकारों को छोड़ दें जो कि उन्हें नहीं छोड़ने चाहिए। इन हमलों का मूल उद्देशय भारतीय संस्कृति को कमजोर कर अन्त में भारत को समाप्त करना है। ये 1000 वर्ष से लड़े जा रहे हिन्दूविरोधी- भारतविरोधी युद्ध का वो अधूरा उद्देश्य है जिसकी बात ओसामा विन लादेन अक्सर करता था। असल में मुस्लिम आतंकवाद वही हथियार है जिसका उपयोग सुहरावर्दी और जिन्ना द्वारा 1946 में हिन्दूओं को पाकिस्तान बनाने की मांग मानने को मजबूर करने के लिए वंगाल में किया गया। कांग्रेस पार्टी ने हिन्दूओं का प्रतिनिधि बनकर मुसलिम आतंकवाद के आगे घुटने टेकते हुए देश के भारत का 25% हिस्सा धर्मनिर्पेक्ष थाली में सजाकर मुसलिम आतंकवादी जिन्ना के हबाले कर दिया। अब ये मुसलमान वाकी बचे 75% हिस्से पर आतंकवाद को हथियार बनाकर कब्जा करना चाहते हैं। हिन्दू विरोधी ताकतें हम ये नहीं कहते कि इस्लाम को छोड़कर किसी और ने हिन्दूओं को निशाना नहीं बनाया। आजादी के बाद के 6 दशकों में अंग्रेजो के सम्राज्यबाद से प्रभावित ई. वी. रामास्वामी के नेतृत्व वाले,द्रविड़यन अन्दोलन ने तर्कशीलता के नाम पर हिन्दू धर्म को तर्कहीन करार देने की कोशिश की और हिन्दू धर्म का प्रचार करने वाले पुजारियों को आतंकित कर हिन्दू धर्म का प्रचार करने से रोकने की कुचेष्ठा की। आंदोलन के संगठनात्मक हाथ, द्रविड़ कझगम (डी के) ने 50 वर्ष तक इसलिए राबण की पूजा की ताकि हिन्दूओं द्वारा भगवान राम की अराधना करने का उपहास उड़ाया जा सके व माता सीता के अपहरण को जायज ठहराकर हिन्दूओं को अपमानित किया जा सके। लेकिन जैसे ही द्रविड़ कझगम (DK) को ये पता चला कि रावण एक ब्राह्मण भगवान होने के साथ-साथ शिव का एक पवित्र भक्त भी था,तो इसने राबण की पूजा करनी बन्द कर दी। रामायण के अपमान की इस नीचता को छोड़ने के बाद DK ने अब उस भारत विरोधी LTTE का समर्थन करना शुरू कर दिया जिसने श्रीलंका में तमिल–हिन्दू नेताओं को मारने में विशेसज्ञता हासिल कर ली है। वेशक अब LTTE के नाश के बाद DK अनाथ हो गई है। गृह-युद्ध की स्थिति 1960 के दशक में ईसाई मिशनरियों ने नागा लोगों को भारत के विरूद्ध भड़काया। जिसके परिणामस्वारूप अब नागा भी भारत से नागालैंड को अलग करवाकर भारत को और विभाजित करना चाहते हैं।

1980 के दशक में विदेश में प्रक्षिक्षण प्राप्त भारतविरोधी ईसाई आतंकवादियों ने मणिपुर में हिन्दूओं को निशाना बनाया। ईसाई आतंकवादियों द्वारा मणिपुर में रहने वाले लोगों को धमकी दी गई कि या तो भारत का विरोध करो या फिर मरने के लिए तैयार हो जाओ। 1986 से खासकर 1990 के दशक में कश्मीर में इस्लामिक आतंकवादियों ने हिन्दूओं को निशाना बनाकर उनकी मां-बहन- वेटियों को अपनानित करने के साथ-साथ हिन्दूओं का बड़े पैमाने पर कत्लयाम कर उन्हें कश्मीर घाटी छोड़ने को मजबूर किया। अब बड़े स्तर पर इस बात को माना जाने लगा है कि मुस्लिम आतंकवादी हिन्दूओं को निशाना बनाकर हमले कर रहे हैं व भारत के मुसलमान इन हमलों को मौन स्वीकृति दे रहे हैं। मुसलिम आतंकवादियों के विदेशी संरक्षक अब आतंकवादी हमलों को कुछ इस तरह का अंजाम दे रहे हैं ताकि मुसलमानों को हिन्दूओं के विरूद्ध राष्ट्रीय स्तर पर लड़ाया जा सके जिससे भारत में सर्विया और वोसनिया की तरह गृह युद्ध छेड़ा जा सके । मुसलमानों को 'उदारवादियों' और 'चरमपंथियों में विभाजित नहीं किया जा सकता है क्योंकि जब भी चरमपंथी मुसलमानों के विरूद्ध कदम उठाए जाते हैं तब तथाकथित उदारवादी उनकी ढ़ाल बनकर खड़े हो जाते हैं। पाकिस्तान की असैन्य सरकार ने पतंगबाजी पर सिर्फ इसलिए प्रतिबन्ध लगा दिया क्योंकि तालिवान पतंगवाजी को हिन्दूओं का खेल मानते हैं। मलेशिया और कजाकिस्तान की उदारबादी सरकारें हिन्दू- मन्दिरों को गिरा रहीं हैं। *सामूहिक प्रतिक्रिया* इसलिए भारत में आतंकवाद से निपटने के लिए, भारतविरोधी इस्लामिक आतंकवाद के हाल के इतिहास से हमें सबसे पहला सबक ये सीखने की जरूरत है कि आतंकवाद के निशाने पर हिंदू हैं और भारत के मुसलमानों को धीमी प्रतिक्रियाशील प्रक्रिया के द्वारा आतंकवादी बनने के लिए क्रमादेशित किया जा रहा है ताकि वो हिन्दूओं के विरूद्ध आत्मघाती हमले करने पर अमादा हो जायें। हिंदू मानस को कमजोर करने और गृहयुद्ध का डर पैदा करने के लिए इन आतंकवादी हमलों को अन्जाम दिया जा रहा है। और इसलिए क्योंकि आतंकवादियों के निशाने पर हिन्दू हैं, हिन्दूओं को हिन्दूओं के रूप में ही भारतविरोधी आतंकवादियों के विरूद्ध संगठित होकर जवाबी कार्यवाही करनी चाहिए ताकि कोई हिन्दू खुद को अलग-थलग या लाचार महसूस न करे। हिन्दू को इसलिए आतंकवाद से मुंह नहीं फेर लेना चाहिए कि अभी तक उसके परिवार का कोई सदस्य इस आतंकवाद का शिकार नहीं हुआ है।

आज अगर एक हिन्दू सिर्फ इसलिए मारा जाता है क्योंकि वह हिन्दू ता तो यह सब हिन्दूओं की नैतिक मौत है। ये विराट हिन्दू का एक जरूरी और आवश्यक मानसिक रवैया है। ( विराट हिन्दू की अविधारणा की अधिक जानकारी के लिए मेरी ‘Hindus Under Siege: The Way Out Haranand, 2006)’ देखें। इसलिए हमें मुस्लिम आतंकवाद का सामना करने के लिए हिन्दू के नाते सामूहिक मानसिकता की जरूरत है। इस जवाबी कार्यवाही में भारत के मुसलमान भी हमारे साथ आ सकते हैं अगर वो सच में हिन्दूओं के कत्लयाम के विरूद्ध हैं तो। मैं नहीं मानता कि भारतीय मुसलमान हिन्दूओं पर हो रहे अत्याचारों के विरूद्ध तब तक हमारे साथ आयेंगे जब तक वो इस सच्चाई को स्वीकार नहीं करते कि वेशक वो आज मुस्लिम हैं लेकिन उनके पूर्वज भी हिन्दू ही हैं। अपने पूर्वजों के बारे में इस सच्चाई को स्वीकार करना मुसलमानों के लिए आसान नहीं है क्योंकि मुस्लिम मुल्ला इसका इसलिए विरोध करेंगे क्योंकि इस सच्चाई को स्वीकारने के बाद एक तो भारतीय मुसलमानों में इस्लाम से मिली आत्मघाती कट्टरता कमजोर हो जाएगी और दूसरा इस सच्चाई को जानने व स्वीकारने के बाद उनकी हिन्दू धर्म में घर बापसी की सम्भावनायें बढ़ जायेंगी। कहीं भारतीय मुसलमान इस सच्चाई को स्वीकार न कर लें इसीलिए मुसलमानों के धार्मिक नेता हर हाल में काफिर बोले तो हिन्दूओं के विरूद्ध हिंसा और नफरत का प्रचार प्रसार करते रहते हैं। (उधाहरण के लिए आप कुरान के अध्याय 8 की आयत 12 पढ़ सकते हैं।) इस्लामिक आतंकवादी संस्था सिमी (SIMI) पहले ही यह घोषणा कर चुकी है कि भारत दारूल हरब है और SIMI इसे दारूल इस्लाम बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। भारत का दारूल हरब होना, मुसलमानों को हिन्दूओं का कत्लयाम करने, हिन्दूओं के मान सम्मान को ठेस पहुंचाने ,हिन्दूओं की मां-बहन- बेटियों की इज्जत आबरू के साथ खिलबाड़ करने के साथ साथ उन्हें हिन्दूओं के प्रति हर तरह के नैतिक बन्धनों से मुक्त करता है क्योंकि मुसलमानों को कुरान व हदीस में दारूल हरब को दारूल इस्लाम बनाने के लिए ये सब करने का आदेश दिया गया है। बृहद हिन्दू समाज परन्तु फिर भी अगर कोई मुसलमान इस बात को स्वीकार करता है कि उसके पूर्वज हिन्दू हैं तो हम उसे बृहद हिन्दू समाज बोले तो हिन्दूस्तान के अंग के रूप में स्वीकार कर सकते हैं।भारत अर्थात इंडिया अर्थात हिन्दुस्तान हिन्दूओं और अन्य जिनके पूर्बज हिन्दू हैं उन सबका देश है। यहां तक कि भारत में रहने वाले पारसियों और यहूदियों के पूर्वज भी हिन्दू ही थे। अन्य जो भारत से अपना खून का रिश्ता होने की बात को अस्वीकार करते हैं या फिर जिनका भारत से खून का रिस्ता है ही नहीं या फिर वो विदेशी जो मात्र पंजीकरण की बजह से भारतीय नागरिक बने हैं वो भारत में रह तो सकते हैं लेकिन उन्हें वोट डालने का अधिकार नहीं दिया जा सकता (मतलब वो चुने हुए प्रतिनिधि नहीं हो सकते)। इसलिए आतंकवाद का मुकाबला करने बाली नीति पर अमल करने से पहले हर और प्रतेक हिन्दू का प्रतिबद्ध और विराट हिन्दू बनना जरूरी है। किसी भी व्यक्ति को विराट हिन्दू बनने के लिए एक हिन्दू मानसिकता रखना मतलब उसकी एक ऐसी मानसिकता होना जरूरी है जो व्यक्तिगत और राष्ट्रीय चरित्र के अन्तर को समझ सके।

विराट हिन्दू होने के लिए किसी हिन्दू का पवित्र, ईमानदार और पढ़ा- लिखा होना ही काफी नहीं है। ये सब व्यक्तिगत चरित्र के अंग हैं। राष्ट्रीय चरित्र वो मानसिकता है जो सक्रिय व पूरी ताकत से देश की पवित्रता और अखण्डता के लिए प्रतिबद्ध रहती है।उधाहरण के लिए मनमोहन सिंह (प्रधानमन्त्री) का व्यक्तिगत चरित्र तो ठीक दिखता है परन्तु अर्द्ध साक्षर सोनिया गांधी की एक रबर स्टैंप की तरह काम करते हुए हर राष्ट्रीय मुद्दे पर घुटने टेक देने की वजह से ये साबित हो चुका है कि उसका कोई राष्ट्रीय चरित्र नहीं है। भारत में आतंकवाद से निपटने के लिए, भारतविरोधी इस्लामिक आतंकवाद के हाल के इतिहास से हमें दूसरा सबक ये सीखना चाहिए कि क्योंकि आतंकवादियों का उदेश्य हिन्दूओं का मनोबल तोड़ना और हिन्दू संस्कृति को समाप्त करने के लिए भारत के हिन्दू आधार को तबाह करना है इसलिए हमें आतंकवादियों के आगे न तो हथियार डालने चाहिए और न ही आतंकवादियों की किसी भी मांग को मानना चाहिए। आतंकवाद से लड़ने की किसी भी नीति का मूल आधार यही होना चाहिए कि हम आतंकवादियों की किसी भी मांग को किसी भी हालात में नहीं मानेंगे।हमारे हाल के इतिहास में इस नीति पर बिल्कुल भी अमल नहीं किया गया। जबसे हमने 1947 में मुसलिम आतंकवादियों के दबाब में पाकिस्तान बनाने की मांग को स्वीकार किया है तब से हम दबाब में बार-बार आतंकवादियों के आगे घुकने टेक देते हैं। आतंकवादियों के सामने घुटने टेकने की घटनायें। 1989 में मुफ्ती मुहम्द सैयद की बेटी रूविया को आतंकवादियों से मुक्त करवाने के लिए वी पी सिंह सरकार द्वारा भारतीय जेलों से पांच आतंकवादियों को छोड़ दिया गया। इस घटना ने अपराधियों को कश्मीरी अलगाववादियों व उनके समर्थकों की आँखों में नायक बना दिया ।क्योंकि इन अपराधियों ने हिन्दूओं की सरकार को घुटने टेकने पर मजबूर कर देने में सफलता हासिल की थी।रूविया को छुड़ाने के लिए आतंकवादियों के आगे घुटने टेकना जरूरी नहीं था। भारत के आधुनिक इतिहास में आतंकवादियों के आगे घुटने टेकने की सबसे शर्मनाक घटना तब घटी जब 1999 में आतंकवादियों ने भारतीय विमान सेवा की उड़ान IC-814 को अगवा कर कन्धार पहुंचा दिया। सरकार ने न्यायालय से आज्ञा लिए बिना ही तीन आतंकवादियों को छोड़ दिया। मानो देश को शर्मशार करने के लिए इतना ही काफी न हो आतंकवादियों को पाकिस्तान में धकेलने के बजाए, उनके साथ एक बिशेष अतिथी जैसा बर्ताव करते हुए प्रधानमन्त्री के विमान में विठाकर एक बरिष्ठ मन्त्री द्वारा कन्धार पहुंचाया गया। ये तीनों आतंकवादी कन्धार में छोड़े जाने के बाद वापिस पाकिस्तान गए। पाकिस्तान जाकर इन तीनों आतंकवादियों ने हिन्दूओं को कत्ल करने के लिए तीन अलग-अलग आतंकवादी संगठन बनाए। मुहमद हजर जिसे ततकालीन सुरक्षा सलाहकार ब्रजेस मिश्र ने मेमना बताया था ने छोड़े जाने के बाद लश्करे तैयावा की कमान सम्भाली । लश्करे तैयवा वह गिरोह है जिसने श्रीनगर से लेकर बंगलौर तक हिन्दूओं को लहुलुहान करने के लिए बार-बार हमलों को अन्जाम दिया। अजहर ने मध्य 2000 से लेकर अब तक 2000 से अधिक हिन्दूओं का खून बहाया।यही अजहर दिसम्बर 13, 2001 में संसद भवन पर हुए हमले के लिए भी जिम्मेदार है। तीसरा आतंकवादी जरगर अल- मुझाहिदीन-जंगान की स्थापना करने के बाद आजकल डोडा और जम्मू में हिन्दूओं का खून बहा रहा है। कन्धरा में की गई ये मुर्खता हमें के सबक देती है कि हमें कभी भी, किसी भी हालात में आतंकवादियों के आगे घुटने नहीं टेकने चाहिए। अगर आप आतंकवादियों के आगे घुटने टेकते हैं तो आप घुटने टेक कर बचाए गए हिन्दूओं से कहीं ज्यादा हिन्दूओं का कत्ल करवायेंगे। इसलिए आतंकवादियों से किसी भी तरह की सौदेबाजी पर लगाम लगाकर, आतंकवादियों के सर्वनाश के लिए आगे बढ़ना चाहिए। सच का सामना भारत में आतंकवाद से निपटने के लिए, भारत विरोधी इस्लामिक आतंकवाद के हाल के इतिहास से हमें तीसरा सबक ये सीखना चाहिए कि आतंकवादी घटना कितनी भी छोटी या कम महत्व क्यों न हो देश को जबाबी कार्यवाही हर हाल में करनी चाहिए--- आतंकवादी घटना के बराबर या फिर विनम्र कार्यवाही नहीं बल्कि आतंकवादियों और उनके समर्थकों को सबक सिखाने के लिए पूर्ण कार्यवाही। उधाहरण के लिए अय़ोध्या पर किया गया आतंकवादी हमला वेशक बड़ा हमला नहीं था लेकिन हमें आतंकवादियों के हमले पर जबाबी कार्यवाही करते हुए अयोध्य में एक भव्य राम मन्दिर का पुनरनिर्माण करना चाहिए था। ये कलियुग है इसलिए हिन्दू विरोधी आतंकवादियों व उनके समर्थकों के प्रति किसी भी सातविक प्रतिक्रिया के लिए कोई जगह नहीं है। हिन्दू धर्म में आपाकलीन धर्म का प्रावधान है जिसपर हमें आज के हालात में अमल करना चाहिए। ये हमारे लिए सच्चाई का सामना करने का वक्त है। 

एक सभ्यता के रूप में अपने अस्तित्व की रक्षा के लिए या तो हमें हिन्दू के रूप में संगठित होकर हिंसक व अत्याचारी इस्लामिक आतंकवादी हमले का मुकावला करना चाहिए या फिर परसियन, वेवीलोनियन और मिश्र की सभ्यता की तरह नष्ट होने के लिए तैयार हो जाना चाहिए। ये सभ्यतायें अत्याचारी इस्लामिक आतंकवादी हमले का संगठित होकर मुकाबला करने में असमर्थ रहीं इसलिए इनका सर्वनाश हो गया। हमें शाम, दाम, दण्ड, भेद नियम का पालन करते हुए हर हाल में अत्याचारी इस्लामिक आतंकवाद का सर्वनाश सुनिश्चित करना चाहिए वरना ये राक्षश हमें समाप्त करने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।गरीबी आतंकवाद का कोई कारक नहीं भारत में इस्लामिक आतंकवादियों को प्रेरणा कहां से मिलती है? बहुत से लोग हिन्दूओं को ये सलाह देते हैं कि मुस्लिम आतंकवादियों पर जबाबी हमले करने के बजाए आतंकवाद के मूल कारण को खत्म करें। ये लोग मूल कारण भी बताते हैं। निर्दोष हिन्दूओं का खून बहाने वाले आतंकवादियों के लिए हर तरह की सहानुभूति रखने वाले खूनी उदारवादी हमे बताते हैं कि आतंकवाद के पनपने व बढ़ने का कारण अनपढ़ता, गरीबी, शोषण और भेदभाव है। ये तथाकथित उदारबादी कुतर्क देते हैं कि इन आतंकवादियों का खात्मा करने पर जोर देने के बजाए आतंकवाद के इन चार कारणों को खत्म किया जाए। इन चार कारणों के समाप्त होते ही आतंकवाद खत्म हो जाएगा। इन प्रश्नों का उतर देने से पहले ये समझ लेना बहुत जरूरी है कि मुझें नहीं लगता ये कातिल उदारवादी या खूनी बुद्धिजीवी भारत के प्रति बफादार हैं। ये हर व्यक्ति की भावनात्मक ताकत को खत्म कर उसे जिन्दा मुर्दा बना देना चाहते हैं। मतलब मजबूरी को ये हिन्दूओं की मानसिकता का अंग बना देना चाहते हैं। इस तरह की हीन भावना के साथ कोई भी देश य़ा समाज लम्बे समय तक जीवित नहीं रह सकता। ये कहना बकवास है कि जो आतंकवादी आज तक हमले कर लाखों हिन्दूओं का खून बहा चुके हैं वो गरीब हैं।उधाहरण के लिए दुनिया का सबसे बड़ा आतंकवादी ओसामा विन लादेन अरबपति है।खनिज तेल से वेहिसाब पैसा कमाने वाले अमीर देश मुसलिम आतंकवादियों को संरक्षण और आर्थिक मदद पहुंचाते हैं। ब्रिटेन में आतंकवादी हमलों को अन्जाम देने के दोषी सबके सब आतंकवादी साधन सम्पन मुसलमान हैं। मुसलिम आतंकवादी अनपढ़ भी नहीं हैं। आतंकवादियों के अधिकतर सरगना डाकटर, चार्टड अकाउंटेड (CA),एम.बी.ए (MBA) और अध्यापक हैं। उधाहरण के लिए दिल्ली में धनतेरस के दिन सैंकड़ों हिन्दूओं का क़त्ल करने वाला आतंकवादी रसायन विज्ञान में सनातकोतर है व टायम सुकेयर पर हमले का असफल प्रयास करने वाला आतंकवादी सहजाद MBA है वो भी अमेरिका के एक उच्चस्तरीय विश्वविद्यालय से। उसका सबन्ध पाकिस्तान के एक अमीर परिबार से है। निश्चित तौर पर उसने अपने ही देश पाकिस्तान में किसी भी तरह का भेदभाव नहीं सहा। 11 सित्मबर,2001 को जिन 9 लोगों के गिरोह ने चार हबाई जहाजों को अगवा कर World Trade Towers सहित अन्य जगहों को निशाना बनाया निश्चित तौर पर उनके साथ भी अमेरिका में किसी तरह का भेदभाव या शोषण नहीं हुआ था। इसलिए ये कहना कि आतंकवाद गरीब आतंकवादियों की देन है पूरी से मूर्खतापूर्ण है।

अगर हम बांमपंथी उदारवादी कुतर्क को मान भी लें तो क्या बामपंथी इस बात से सहमत हैं कि मुसलिम देशों में प्रताड़ित सबके सब गैर मुसलमानों को आतंकवादी बनकर मुसलमानों का कत्ल करना चाहिए। कशमीर घाटी जहां पर मुसलमान बहुमत में हैं वहां पर घारा 370 लगाकर बहुसंख्यक मुसलमानों को विशेषाधिकार दिए गए हैं व अल्पसंखयक हिन्दूओं का कत्लेआम किया गया ,हिन्दूओं की मां- बहन बेटियों के साथ बलात्कार किए गए, अन्त में उन्हें वहां से जगा दिया गया। वो अपने ही देश में वेघर होकर दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं तो क्या ये उदारबादी उनके द्वारा मुसलमानों के विरूद्ध हथियार उठाने पर उनउनका बैसा ही साथ देंगे जैसा वो आज तक हिन्दूओं का कत्ल करने वाले मुस्लिम आतंकवादियों का देते आए हैं? यह कहना कि क्योंकि आतंकवादी मरने-मारने को तैयार हैं, वे अपना विवेक खो चुके हैं,उनका कोई घरबार नहीं है इसलिए उनका कत्ल नहीं किया जाना चाहिए। आतंकवादियों के सरगनाओं की इस आतंकवाद रूपी पागलपन में भी एक सोची समझी रणनीति और योजना है जिसके लिए उन्होंने निश्चित राजनीतिक उद्देश्य चुने हैं। 

इसलिए हमें आतंकवादियों को कुचलने के साथ-साथ एक ऐसी रणनीति पर अमल करना है, जो आतंकवादियों के उद्देश्यों को पूरी तरह से विफल कर दे। ऐसी रणनीति कैसे बनाई जा सकती है। राबर्ट टरैगर और देशीसलाबा (Robert Trager and Dessislava Zagorcheva) ने शोध पत्र आतंकवाद का मुकाबला ((‘Deterring Terrorism’ International Security, vol 30, No 3, Winter 2005/06, pp 87-123) में आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए रणनीति बनाने के लिए समान्य सिद्धांत बताए हैं। सामरिक योजना अगर मुसलिम समाज आतंकवादियों के इन उद्देश्यों को गैर इस्लामिक घोषित कर इनकी निंदा और विरोध नहीं करता है तो इन सिद्धांतों का उपयोग कर मैं इस्लामिक आतंकवादियों के राजनैतिक उदेश्यों को असफल करने के लिए निम्नलिखित सामरिकनीतिका समर्थन करता हूं। 

षडयन्त्र-1 :- कश्मीर पर भारत को आतंकित करना।
रणनीति-1:- धारा 370 समाप्त कर,भूतपूर्व सैनिकों को कश्मीर घाटी में बसाना। कश्मीर हिन्दूओं के लिए पुनः कश्मीर का निर्माण करना,बलूचियों और सिंधियों को आजादी के लिए सहायता देना। षडयन्त्र-2:- हमारे मन्दिरों में बम धमाके कर भक्तों का कत्ल करना।
रणनिति-2:- जैसे को तैसानीति अपनाते हुए काशी विश्वानाथ मन्दिर परिसर सहित 300 अन्य जगहों से
मसजिदों को हटाना। 

षडयन्त्र:-3 भारत को दारूल इस्लाम बनाना ।
रणनिति-3:- भारत में एक समान नागरिक संहिता लागू करना,पढ़ाई के लिए संस्कृत को अनिवार्या बनाना, वन्देमातरम् का गान जरूरी करना और भारत को हिन्दू राष्ट्र घोषित कर सिर्फ उन्हीं गैर हिन्दूओं
को बोट का अधिकार देना जो गर्व से ये स्वीकार करें कि उनके पूर्बज हिन्दू हैं। भारत का हिन्दूस्तान (हिन्दूओं और उन गैर हिन्दूओं का देश जिनके पूर्बज हिन्दू हैं) के रूप में पुन : नामकरण करना। 

षडयन्त्र-4 अवैध आप्रवास, धर्मांतरण, और परिवार नियोजन को अपनाने से इनकार द्वारा भारत की जनसांख्यिकी बदलें.
रणनिति-4:- देश में एक ऐसा राष्ट्रीय नियम लागू करें जिसके अनुसार हिन्दू धर्म से किसी भी अन्य धर्म में धर्मांतरण करना बर्जित हो। किसी भी अन्य धर्म से हिन्दू धर्म में घर वापसी इसमें प्रतिबन्धित नहीं होनी चाहिए। गैर हिन्दूओं द्वारा अपनी इच्छा के अनुसार किसी भी जाति में घर वापसी करने का स्वागत करें बशर्ते वे अनशासन का पालन करने को तैयार हों। भारत में रहने वाले अबैध वंगलादेशियों की शंख्या के अनुशार बंगलादेश की जमीन पर कब्जा कर लिया जाए। आज की संख्या के अनुसार सिलहट से खुलना तक के उतर का एक- तिहाई भारत को अबैध रूप से भारत में रह रहे बंगलादेशियों को बसाने के लिए अपने कब्जे में ले लेना चाहिए। 

षडयन्त्र-5 हिन्दूओं के अन्दर आत्मगलानी का बोध पैदा करने व उन्हें आत्म समर्पण के लिए मजबूर करने के मकसद से मस्जिदों, मदरसों और चर्चों में अश्लील लेखन और उपदेश के माध्यम से हिंदू धर्म को बदनाम करना।
रणनिति-5:- हिन्दू मानसिकता के विकाश का प्रचार-प्रसार करें ( मेरी नई पुस्तक ‘हिंदुत्व और राष्ट्रीय पुनर्जागरण’ Haranand, 2010 देखें।) समाधान का समय भारत इस तरह की रणनीति अपनाकर सिर्फ पांच बर्षो में अपनी आतंकवाद की समस्या का समाधान निकाल सकता है परन्तु इसके लिए हमें आतंकवाद द्वारा सिखाए गए उपरलिखित चार सबक हर समय याद रखने होंगे और राष्ट्र की रक्षा के लिए साहसिक,जोखिम भरे व कठोर कदम उठाने के लिए हिन्दू मानसिकता का निर्माण करना होगा। यदि यहूदियों को गैस चैंबरों में जलाए जाने के लिए मिमयाते हुए जाने वाले मेमनों से ज्वलंत शेर में सिर्फ 10 वर्ष में बदला जा सकता है तो हिन्दूओं के लिए तो उनसे कहीं वेहतर हालात (आज भी हम भारत का 83 प्रतिशत हैं) में ये काम सिर्फ पांच वर्ष में करना किसी भी तरह से मुशकिल नहीं है। परम पूज्यनीय गुरू गोविन्द सिंह जी द्वारा हमें पहले ही रास्ता दिखा दिया गया है कि किस तरह सिर्फ पांच निडर लोग आध्यात्मिक मार्गदर्शन में सारे समाज को बदल सकते हैं। यहां तक कि अगर आधे हिन्दू मतदाता भी संगठित होकर हिन्दू के रूप में, इमानदारी से हिंदू एजेंडा के लिए प्रतिबद्ध पार्टी को,बोट डालने के लिए प्रोतसाहित किए जा सकें तब भी हम परिवर्तन के लिए एक मजबूत आधार तैयार कर सकते हैं। और अंततः सच्चाई के इस क्षण में एक लोकतांत्रिक हिंदुस्तान में यही आतंकवाद से लड़ने की रणनीति में निम्नतम जरूरत है।

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