Wednesday, 13 February 2013

कुरुक्षेत्र युद्ध ..........सेना विभाग पर एक नज़र

पाण्डवों और कौरवों ने अपनी सेना के क्रमशः 7 और 11 विभाग अक्षौहिणी में किये। एक अक्षौहिणी में 21,870 रथ,21,870 हाथी, 65,690 सवार और 1,09,350 पैदल सैनिक होते हैं। यह प्राचीन भारत में सेना का माप हुआ करता था। हर रथ में चार घोड़े और उनका सारथि होता है हर हाथी पर उसका हाथीवान बैठता है और उसके पीछे उसका सहायक जो कुर्सी के पीछे से हाथी को अंकुश लगाता है, कुर्सी में उसका मालिक धनुष-बाण से सज्जित होता है और उसके साथ उसके दो साथी होते हैं जो भाले फेंकते हैं

तदनुसार जो लोग रथों और हाथियों पर सवार होते हैं उनकी संख्या 2,84,323 होती हैं एक अक्षौहिणी सेना में समस्त जीवधारियों- हाथियों, घोड़ों और मनुष्यों-की कुल संख्या 6,34,243 होती हैं,

अतः 18 अक्षौहिणी सेना में समस्त जीवधारियों- हाथियों, घोड़ों और मनुष्यों-की कुल संख्या 1,14,16,374 होगी। अठारह अक्षौहिणियों के लिए यही संख्या 11,416,374 हो जाती है अर्थात 3,93,660 हाथी, 27,55,620 घोड़े, 82,67,094 मनुष्य।

महाभारत युद्ध में भाग लेने वाली कुल सेना निम्नलिखित है
कुल पैदल सैनिक- 19,68,300
कुल रथ सेना- 3,93,660
कुल हाथी सेना-3,33,660
कुल घुड़सवार सेना- 11,80,980
कुल न्यूनतम सेना- 39,06,600
कुल अधिकतम सेना- 1,14,16,374

यह सेना उस समय के अनुसार देखने में बहुत बड़ी लगती है परन्तु जब 323 ईसा पूर्व यूनानी राजदूत मेगस्थनीज भारत आया था तो उसने चन्द्रगुप्त जो कि उस समय भारत का सम्राट् था, के पास 30,000 रथों, 1000 हाथियों तथा 6,00,000 पैदल सैनिकों से युक्त सेना देखी। अतः चन्द्रगुप्त की कुल सेना उस समय 6,39,000 के आस पास थी जिसके कारण सिकंदर ने भारत पर आक्रमण करने का विचार छोड़ दिया था और पुनः अपने देश लौट गया था।

महाभारत के युद्ध मे कई तरीके के हथियार प्रयोग मे लाये गये। प्रास, ऋष्टि, तोमर, लोहमय कणप, चक्र, मुद्गर, नाराच, फरसे, गोफन, भुशुण्डी, शतघ्नी, धनुष-बाण, गदा, भाला, तलवार, परिघ, भिन्दिपाल, शक्ति, मुसल, कम्पन, चाप, दिव्यास्त्र, एक साथ कई बाण छोड़ने वाली यांत्रिक मशीनें।

यह युद्ध प्राचीन भारत के इतिहास का सबसे विध्वंसकारी और विनाशकारी युद्ध सिद्ध हुआ। इस युद्ध के बाद भारतवर्ष की भूमि लम्बें समय तक वीर क्षत्रियों से विहीन रही। इस युद्ध में लाखों वीर योद्धा मारे गये।

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