गाँधीनगर के चराड़ा गाँव निवासी प्रहलाद भाई जानी कक्षा तीन तक पढे़ लिखे हैं। ग्यारह वर्ष की उम्र में उन्हें ज्ञान प्राप्त हुआ, और उन्होंने घर त्याग कर जंगलों में रहना शुरू कर दिया। जानी का दावा है कि दैवीय कृपा तथा योग साधना के बल पर वे करीब 65 वर्ष से बिना कुछ खाए पिए-जिंदा हैं। इतना ही नहीं मल-मूत्र त्यागने जैसी दैनिक क्रियाओं को योग के जरिए उन्होंने रोक रखा है। स्टर्लिंग अस्पताल के न्यूरोफिजिशियन डॉ. सुधीर शाह बताते हैं कि जानी के ब्लैडर में मूत्र बनता है, लेकिन कहाँ गायब हो जाता है इसका पता करने में विज्ञान भी अभी तक विफल ही रहा है। रक्षा मंत्रालय के डॉ. सेल्वा मूर्ति की अगुआई में 15 चिकित्सकों की टीम ने लगातार दस दिन तक उनका वीडियो कैमरों के बीच चिकित्सकीय परीक्षण भी किया, लेकिन उनके समक्ष आज भी चुनरी वाले माताजी का यह केस एक यक्ष प्रश्न ही बना हुआ है। डॉ. शाह बताते हैं कि पहली बार माताजी का मुंबई के जे.जे. अस्पताल में परीक्षण किया गया था, लेकिन इस रहस्य से पर्दा नहीं उठ सका।
पिछले 72 सालों से भूखा प्यासा रहने का दावा करने वाले प्रहलाद जानी पर डॉक्टरों और वैज्ञानिकों की स्टडी पूरी हो गई है। 15 दिन की इस स्टडी में डीआरडीओ के वैज्ञानिक और डॉक्टरों को आखिर मानना पड़ा की प्रहलाद जानी ने 15 दिनों तक कुछ नहीं खाया-पिया। स्टडी के 15 दिन पहले और 15 दिन बाद की जांच ने सबको हैरत में डाल दिया है।
72 साल से भूखा-प्यासा रहने का दावा करने वाले प्रहलाद जानी विज्ञान के लिए अजब पहेली हैं। प्रहलाद जानी के दावों में कितनी सच्चाई है ये जानने के लिए रक्षा विभाग के डीआरडीओ के वैज्ञानिकों और डॉक्टरों की एक टीम ने शुरू किया 15 दिन का ऑपरेशन भूख। सीसीटीवी की नजरें 24 घंटे प्रहलाद जानी पर लगी रहीं। यहां तक कि नहाने और ब्रश करने के लिए भी पानी पहले से ही नापतौल कर दिया जाता। हर आधे से एक घंटे में प्रहलाद जानी को फिजीशियन, कार्डियोलॉजिस्ट, गेस्ट्रोएंटरोलॉजिस्ट,एंडोक
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