चक्रमर्द (Cassia tora )-
बारिश के बाद इसकी झाड़ियाँ अपने आप उग आती है.यह बहुत उपयोगी पौधा है.
- रक्त सम्बन्धी विकारों और शीतपित्त में बहुत लाभकारी .
- लीवर सिरोसिस में इसकी साग लाभकारी .
- आधा सिसी के दर्द में इसके बीजों की पावडर को पीसकर लेप बनाकर माथे पर लगाएं .
- कील मुंहासों के लिए पनवाड़ के बीजों का चूर्ण और चन्दन मिला कर लगाए.
- सुजन उतारने के लिए बीजों का सेवन करें और इसके पत्तों से सिकाई करें .
- गाँठ या फोड़े या सुजन पर पनवाड़ के पत्तों की पुल्टिस बना के लगा दे.
- खांसी में इसके बीजों के पावडर की एक ग्राम मात्रा ले लें.
- जड़ के चूर्ण को चावल के धोवन के साथ लेने से प्रदर में लाभ होगा.
- त्वचा रोगों में लाभकारी. एक्जीमा , सोरायसिस और दाद खाज खुजली में इसके पत्तों को उबालकर , उस पानी से स्नान करें . इसके पत्तों का साग खाए और इसके बीजों के २-3 ग्राम मात्रा पानी के साथ सुबह शाम सेवन करें .
- सोरायसिस जब पुराना हो जाता है तो उससे अर्थराइटिस हो जाता है. तब उष्ण औषधि लेने से त्वचा को हानि होती है और शीतल औषधि से दर्द बढ़ता है. ऐसे समय पनवाड़ सबसे उत्तम औषधि है.
- इसके बीजों की ३ ग्राम मात्रा मधुमेह को नियंत्रित करती है.
- बावची, अजमोद, पवांड तथा कमल गट्टा को बराबर मात्रा में लेकर पीसकर इसमें शहद मिलाकर. गोलियां बना लें। यह 1-2 गोली सुबह और शाम अंजीर की जड़ के काढे़ के साथ सेवन करने से. सफेद कुष्ठ दूर होता है।
- यह एक अच्छा रेचक है.
- ह्रदय को मजबूती देता है.
- यह कोलेस्ट्रोल को घटाता है और बीपी नियंत्रित करता है.
- यह इन्फेक्स्हंस को दूर कर बुखार को ठीक करता है.
- इसकी पत्तियों का हल्का काढा छोटे बच्चों में दांत निकलते वक़्त होने वाले बुखार का इलाज है.
- चायनीज़ मेडिसिन में इसे आँखों की ज्योति बढाने के इस्तेमाल किया जाता है.
- इसकी जड़ों को निम्बू के रस के साथ पीसकर रिंग वर्म होने पर लगाया जाता है.
- इसकी पट्टी का साग अल्सर , पाइल्स आदि को ठीक करता है.
- इसके फलों का उपयोग सर्प दंश तथा छाल और जड़ का उपयोग बिच्छु के काटने पर किया जाता है.
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बारिश के बाद इसकी झाड़ियाँ अपने आप उग आती है.यह बहुत उपयोगी पौधा है.
- रक्त सम्बन्धी विकारों और शीतपित्त में बहुत लाभकारी .
- लीवर सिरोसिस में इसकी साग लाभकारी .
- आधा सिसी के दर्द में इसके बीजों की पावडर को पीसकर लेप बनाकर माथे पर लगाएं .
- कील मुंहासों के लिए पनवाड़ के बीजों का चूर्ण और चन्दन मिला कर लगाए.
- सुजन उतारने के लिए बीजों का सेवन करें और इसके पत्तों से सिकाई करें .
- गाँठ या फोड़े या सुजन पर पनवाड़ के पत्तों की पुल्टिस बना के लगा दे.
- खांसी में इसके बीजों के पावडर की एक ग्राम मात्रा ले लें.
- जड़ के चूर्ण को चावल के धोवन के साथ लेने से प्रदर में लाभ होगा.
- त्वचा रोगों में लाभकारी. एक्जीमा , सोरायसिस और दाद खाज खुजली में इसके पत्तों को उबालकर , उस पानी से स्नान करें . इसके पत्तों का साग खाए और इसके बीजों के २-3 ग्राम मात्रा पानी के साथ सुबह शाम सेवन करें .
- सोरायसिस जब पुराना हो जाता है तो उससे अर्थराइटिस हो जाता है. तब उष्ण औषधि लेने से त्वचा को हानि होती है और शीतल औषधि से दर्द बढ़ता है. ऐसे समय पनवाड़ सबसे उत्तम औषधि है.
- इसके बीजों की ३ ग्राम मात्रा मधुमेह को नियंत्रित करती है.
- बावची, अजमोद, पवांड तथा कमल गट्टा को बराबर मात्रा में लेकर पीसकर इसमें शहद मिलाकर. गोलियां बना लें। यह 1-2 गोली सुबह और शाम अंजीर की जड़ के काढे़ के साथ सेवन करने से. सफेद कुष्ठ दूर होता है।
- यह एक अच्छा रेचक है.
- ह्रदय को मजबूती देता है.
- यह कोलेस्ट्रोल को घटाता है और बीपी नियंत्रित करता है.
- यह इन्फेक्स्हंस को दूर कर बुखार को ठीक करता है.
- इसकी पत्तियों का हल्का काढा छोटे बच्चों में दांत निकलते वक़्त होने वाले बुखार का इलाज है.
- चायनीज़ मेडिसिन में इसे आँखों की ज्योति बढाने के इस्तेमाल किया जाता है.
- इसकी जड़ों को निम्बू के रस के साथ पीसकर रिंग वर्म होने पर लगाया जाता है.
- इसकी पट्टी का साग अल्सर , पाइल्स आदि को ठीक करता है.
- इसके फलों का उपयोग सर्प दंश तथा छाल और जड़ का उपयोग बिच्छु के काटने पर किया जाता है.
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