Monday, 19 August 2013

ऐसे थे हमारे सत्यवादी.............

 शहीदे आजम भगतसिंह को फांसी दिए जाने पर अहिंसा के महान पुजारी गांधी ने कहा था, ‘‘हमें ब्रिटेन के विनाश के बदले अपनी आजादी नहीं चाहिए ।’’ और आगे कहा, ‘‘भगतसिंह की पूजा से देश को बहुत हानि हुई और हो रही है । वहीं इसका परिणाम गुंडागर्दी का पतन है । फांसी शीघ्र दे दी जाए ताकि 30 मार्च से करांची में होने वाले कांग्रेस अधिवेशन में कोई बाधा न आवे । ” अर्थात् गांधी की परिभाषा में किसी को फांसी देना हिंसा नहीं थी ।
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इसी प्रकार एक ओर महान् क्रान्तिकारी जतिनदास को जो आगरा में अंग्रेजों ने शहीद किया तो गांधी आगरा में ही थे और जब गांधी को उनके पार्थिक शरीर पर माला चढ़ाने को कहा गया तो उन्होंने साफ इनकार कर दिया अर्थात् उस नौजवान द्वारा खुद को देश के लिए कुर्बान करने पर भी गांधी के दिल में किसी प्रकार की दया और सहानुभूति नहीं उपजी, ऐसे थे हमारे अहिंसावादी गांधी ।

जब सन् 1937 में कांग्रेस अध्यक्ष के लिए नेताजी सुभाष और गांधी द्वारा मनोनीत सीताभिरमैया के मध्य मुकाबला हुआ तो गांधी ने कहा यदि रमैया चुनाव हार गया तो वे राजनीति छोड़ देंगे लेकिन उन्होंने अपने मरने तक राजनीति नहीं छोड़ी जबकि रमैया चुनाव हार गए थे। इसी प्रकार गांधी ने कहा था, “पाकिस्तान उनकी लाश पर बनेगा” लेकिन पाकिस्तान उनके समर्थन से ही बना । ऐसे थे हमारे सत्यवादी गांधी । 

इससे भी बढ़कर गांधी और कांग्रेस ने दूसरे विश्वयुद्ध में अंग्रेजों का समर्थन किया तो फिर क्या लड़ाई में हिंसा थी या लड्डू बंट रहे थे ? पाठक स्वयं बतलाएं ? गांधी ने अपने जीवन में तीन आन्दोलन (सत्याग्रहद्) चलाए और तीनों को ही बीच में वापिस ले लिया गया फिर भी लोग कहते हैं कि आजादी गांधी ने दिलवाई ।

इससे भी बढ़कर जब देश के महान सपूत उधमसिंह ने इंग्लैण्ड में माईकल डायर को मारा तो गांधी ने उन्हें पागल कहा इसलिए नीरद चौ० ने गांधी को दुनियां का सबसे बड़ा सफल पाखण्डी लिखा है । इस आजादी के बारे में इतिहासकार सी. आर. मजूमदार लिखते हैं – “भारत की आजादी का सेहरा गांधी के सिर बांधना सच्चाई से मजाक होगा । यह कहना उसने सत्याग्रह व चरखे से आजादी दिलाई बहुत बड़ी मूर्खता होगी । इसलिए गांधी को आजादी का ‘हीरो’ कहना उन सभी क्रान्तिकारियों का अपमान है जिन्होंने देश की आजादी के लिए अपना खून बहाया ।”
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"जो जीता वही चंद्रगुप्त ना होकर...
जो जीता वही सिकन्दर हो गया...क्यों ?

क्यों महराणा प्रताप महान ना होकर..
अकबर महान हो गया...?

क्यों सवाई जय सिंह महान वास्तुप्रिय
राजा ना होकर.. शाहजहाँ को यह
उपाधि मिली ..क्यों ?

क्यों जो स्थान वीर
शिवाजी को मिलना चाहिये वो... क्रूर
औरंगजेब को मिला..क्यों ?

क्यों स्वामी विवेकानंद और आचार्य
चाणक्य की जगह... गांधी को थोप
दिया गया...क्यों ?

कैसे तेजोमहालय- ताजमहल, लालकोट- लाल
किला, फतेहपुर सीकरी का देवमहल-
बुलन्द दरवाजा,
सुप्रसिद्घ गणितज्ञ वराह मिहिर
की मिहिरावली (महरौली) स्थित
वेधशाला- कुतुबमीनार हो गया...क्यों ?

वन्दे मातर्म की जगह- गुलामी का प्रतीक
जन-गण-मन हो गया...क्यों ?

और राम, कृष्ण, तो इतिहास सेकहाँ गायब
हो गये पता ही नहीं चला,,,,क्यों ?

सबको अपदस्थ कर दिया गया....सिर्फ
काँग्रेस की वर्धा योजना ने.....इस
कांग्रेस ने हमसे विश्वगुरु का अलंकार छीन
लिया...--
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एक चेतावनी ---देश का कोई मीडिया चैनल नहीं बताएगा --सेंसर कर दी गयी है
देश की आर्थिक हालात अत्यंत खराब हो चुकी है ---
चूँकि पिछले दस साल मे कांग्रेस सरकार ने कुल मिलाकर १७५ खराब डालर का
कर्जा लीया हुआ है --ये कर्जा ,आई.एम.ऍफ़ ,वर्ल्ड बैकं और दुसरे देशों से लीया गया
है --इस कर्जे की ई.एम.आई पिछले छ: महीने से नहीं चुकाई गयी है --२५ अरब
डालर के हिसाब से १५० अरब की ई.एम आई बकाया हो चुकी है --इसका कारण हैं
की देश के दो धुरंधर अर्थशात्री चिदम्बरम और मनमोहन की आर्थिक उदारीकरण
नीतिया जिम्मेदार हैं ---
इससे निबटने के लिए भारत सरकार " बांड " निकालेगी --यानी की देश के
एअरपोर्ट ,रेलवे स्टेशन ,बिजली आदि सभी जरूरी इन्फ्रास्ट्रक्चर विदेशी कंपनियों के
हाथ गिरवी रखना पड़ेगा ---
देश वासियों --कांग्रेस देश को बेच चुकी है --और जो अभी न चेते तो काया तब
चेतोगे जब आप अपने बच्चे की फीस ,घर का किराया ,बिजली का बिल ,भी जमा
करने लायक नहीं रह जाओगे ---
इस अर्थ व्यवस्था के ऊपर देश के प्रधानमंत्री अभी १९९२ जैसे हालात होने की
आशा कर रहे है --उनका मानना है की अभी १९९२ जैसे हालात नहीं आये है -जब
देश का सोना गिरवी रखने की नौबत आयी थी --मनमोहन सिंह साहब अब तो सोना
भी गिरवी रख कर कोई फायदा नहीं होने वाला --क्या कीमत रह गयी है अंतर्राष्ट्रीय
बजार मे सोने की ---
शर्म करो मनमोहन सिंह जी कहते हैं डायन भी एक घर छोड़ देती है --माना की
आपका जन्म पाकिस्तान मे हुआ है लेकिन नमक तो इस देश का खाया है --कम से
कम दूसरी कौम की तरह नमक हरामी तो न करो --देस को युम्हारी और तुम्हारी
नीति की कोई जरूरत नहीं है ---
एक इंसान का खून करने की सजा फांसी होती है --पूरे देश के नागरिक का खून
करने की सजा ----???
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