Sunday, 18 August 2013

डर के आगे ही जीत है।

एक गुंडा सेविंग और हेयर कटिंग के लिये सैलुन में
गया।
नाई से बोला की अगर मेरी सेविंग ठिक से बिना कटे
छंटे की तो मुहमाँगा दाम दूँगा।

अगर कहीं भी कट गया तो गर्दन उड़ा दूगा।

सभी नाईयो ने डर के मारे मना कर दिया।

अंत में वो गुंडा गाँव के नाई के पास पहुँचा।
काफी कम उम्र का लड़का था।
उसने कहा ठिक है बैठो मैं बनाता हूँ।

उस लड़के ने काफी बढ़ीया तरीके से गुंडे की सेविंग
और हेयर कटिंग कर दी।

गुंडे ने खुश होकर लड़के को दस हजार रूपया दे दिया।
और पूछा - तुझे अपनी जान जाने का डर
नहीं था क्या?

लड़के ने कहा - डर ? डर कैसा? पहल तो मेरे हाथ में
थी।

गुंडे ने कहा - पहल तुम्हारे हाथ में थी, का मतलब
नहीँ समझा।

लड़के ने हँसते हुये कहा,
उस्तरा तो मेरे हाथ में थी। अगर आपको खरोंच
भी लगती तो आपकी गर्दन तुरंत काट देता

बेचारा गुंडा!

ये जवाब सुनकर पसीने से लथपथ हो गया।

नोट - डर के आगे ही जीत है।

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चीन का विश्वासघात और नेहरू की दुर्बलता

बेचारा दीन नेहरू ! जब चीन का प्रधानमंत्री चाऊ एन लाइ भारत आया और उससे मिला तथा बड़े वेग से जब उसने विश्वशांति और शांतिमय सहस्तित्व के महान सिद्धांतों का उच्चारन किया तो नेहरू स्तंभित रह गया | उसने नेहरू को पूर्णतया व्यमोहित कर दिया और वह तथाकथित शांति का मसीहा नेहरू – बेचारा सहस्तित्व के अर्थ को समझने में असमर्थ रहा | शांतिमय सह-अस्तित्व की दो प्रकार से व्यख्या की जा सकती है – एक तो यह जो वर्तमान में हमारे समाज में प्रचलित है ,जहाँ लोग एक साथ बैठते हैं बिना एक दुसरे से कटुता किये उस भाव से समस्याओं पर वार्तालाप करते हैं ,विचारों का आदान – प्रदान करते हैं | किसी शेर के पेट में पड़ी बकरी के बारे में भी कहा जा सकता है कि दोनों में शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व की भावना है |हमारे भोले समझे जाने वाले नेहरू ने सोचा कि ‘पंचशील’ पर हस्ताक्षर कर देने के बाद चीन उस सब को क्रियान्वित करेगा जो हम कहेंगे और वैसा ही हम भी करेंगे , इस प्रकार से हम शांति से दोनों साथ साथ रह सकेंगे |
मिस्टर नेहरू यह भली भांति जनता था कि चीन सैकड़ों किलोमीटर लम्बी रेलवे लाइन बिछा रहा है और सैनिक आवागमन का राजपथ निर्माण कर रहा है | मैं समझ नही पा रहा था कि जब चीन इस प्रकार आक्रमण की तैयारी में लगा हुआ था ,उस अवधि में हमारा गुप्तचर विभाग कहाँ और क्या करता रहा | इस विषय में नेहरू से पूछा गया तो प्रथम तो उसने कहा कि उसको इस प्रकार की कोइ सूचना नही है | यह पूर्णतया सत्य पर लीपापोती करना था | और यदि नेहरू को इस विषय में कुछ ज्ञात नही था तो हम कहेंगे कि वह प्रधानमंत्री के योग्य नही है | और यदि यह सब उसको विदित था तो उसने यह सब अपने देशवासियों को बताया क्यों नही ?उसने जनसाधारण से इस समाचार को छिपाए क्यों रखा ?उसने तुरंत हमारी सेनाओं को वहां क्यों नही भेजा जिससे कि वे सीमा का संरक्षण कर सकें |
----------------------------------------वीर सावरकर

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चलो अब जरा आपको सुन्नी समुदाय द्वारा दुनिया भर में 2012 का आंकड़ा बता दूँ, कि इस समुदाय ने कहाँ- कहाँ पर शांति और भाईचारे का सन्देश दिया..

बीते वर्ष में अमन पसंद इस्लामिक मुल्क के अमन पसंद नागरिकों का आपस में लड़ कर मरने का आंकड़ा :-

पाकिस्तान :- 19711.

अफगानिस्तान :- 36799.

सीरिया :- 2 लाख से अधिक.

मिस्त्र :- 4566.

लीबिया :- 19000 से अधिक.

ईरान :- 1987.

ईराक :- 4567.

इंडोनेशिया :- 1734 (2069 गैर मुस्लिम भी)

उज्ज्बेकिस्तान :- 1103.

फलिस्तीन :- 13000 से अधिक.

मलेशिया :- 2200 से अधिक.

1000 से कम मौत वाले मुल्कों का नाम बदनामी के डर से गोपनीय रखा गया है, आप समझ सकते हैं क्यों ?

और सबसे खास बात कि इन देशों में हिन्दू, RSS या बीजेपी का नाम तक मौजूद नहीं है, जिसको ये लोग भारत में अपने 'सत्कर्मों' को छुपाने के लिए हमेशा सारा दोष इन पर डाल देते हैं..

पर कोई बात नहीं सुन्नी मुस्लिम अभी भी बेशर्मी से कहेंगे कि हिन्दू, RSS या बीजेपी इन देशों में नहीं है तो क्या हुआ अमेरिका, इजरायल तो है ना, तो बस सारी बात यहीं खत्म हो गयी कि ये लोग(सुन्नी) तो बेहद ही सीधे और भोलेभाले हैं, इनको तो इन सभी देशों में अमेरिका, इजरायल एक चाल के तहत साफ़ कर रहा है..

नोट :- ये आंकड़े केवल बीते साल 2012 दिसम्बर तक के हैं, इस साल के आंकड़ों को इसमें शामिल नहीं किया गया है, पर यदि अभी तक अगस्त तक का मोटा- मोटा हिसाब लगाएँ तो सीरिया, लीबिया, पाकिस्तान, बांग्लादेश, इजिप्ट आदि इस्लामिक देशों में मरने वालों की संख्या कई लाख तक पहुँचती है..

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समा के चावल /मोरधन/भगर --
- व्रत में खाने के लिए समा के चावल उपयोग में लाये जाते है|
- राजगीरा की तरह ये भी एक घास के बीज है , जो चावल के खेतों में अपने अपा उग आते है | चावल की तरह ही इसे भी ज्यादा पानी की आवश्यकता होती है|
- यह अनाज नहीं है , पर अनाज की तरह ही पोषण और शक्ति प्रदान करता है| 
- यह सात्विक भोजन है|
- इसमें पाचन में मदद करने वाले फाइबर विद्यमान है|
- साबूदाना खाने से गैस बनती है और कब्ज हो जाती है. यह समस्या समा के चावलों से नहीं होती|
- डायबिटीज़ के मरीज़ भी इसे खा सकते है|
- इससे तरह तरह के मीठे , नमकीन व्यंजन बनाए जा सकते है|
- व्रत के लिए समा के चावल , राजगिरा बेहतर और अधिक सेहतमंद है| इन्हें खा कर दिन भर हल्का और उर्जावान महसूस होगा|

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