आपको यह जानकार हर्ष होगा कि पाश्चात्य ही नहीं कुछ मुस्लिम विद्वानों ने भी स्वीकार किया है कि प्राचीन हिन्दू विज्ञान अत्यंत उन्नत था। आज हम ऐसा ही एक उदाहरण प्रस्तुत कर रहे हैं :-
(६५६ -६६१) इस्लाम के चतुर्थ खलीफ़ा अली बिन अबी तालिब लिखते हैं कि वह भूमि जहां पुस्तकें सर्वप्रथम लिखी गईं, और जहां से विवेक तथा ज्ञान की नदियां प्रवाहित हुईं, वह भूमि हिन्दुस्तान है। (स्रोत : 'हिन्दू मुस्लिम कल्चरल अवार्ड' - सैयद मोहमुद. बाम्बे १९४९.)
नौवीं शती के मुस्लिम इतिहासकार अल जहीज़ लिखते हैं,हिन्दू ज्योतिष शास्त्र में, गणित, औषधि विज्ञान, तथा विभिन्न विज्ञानों में श्रेष्ठ हैं। मूर्ति कला, चित्रकला और वास्तुकला का उऩ्होंने पूर्णता तक विकास किया है। उनके पास कविताओं, दर्शन, साहित्य और निति विज्ञान के संग्रह हैं। भारत से हमने कलीलाह वा दिम्नाह नामक पुस्तक प्राप्त की है। इन लोगों में निर्णायक शक्ति है, ये बहादुर हैं। उनमें शुचिता, एवं शुद्धता के सद्गुण हैं। मनन वहीं से शुरु हुआ है। (स्रोत : द विज़न आफ़ इंडिया-शिशिर् कुमार मित्रा, पेज २२६)
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(६५६ -६६१) इस्लाम के चतुर्थ खलीफ़ा अली बिन अबी तालिब लिखते हैं कि वह भूमि जहां पुस्तकें सर्वप्रथम लिखी गईं, और जहां से विवेक तथा ज्ञान की नदियां प्रवाहित हुईं, वह भूमि हिन्दुस्तान है। (स्रोत : 'हिन्दू मुस्लिम कल्चरल अवार्ड' - सैयद मोहमुद. बाम्बे १९४९.)
नौवीं शती के मुस्लिम इतिहासकार अल जहीज़ लिखते हैं,हिन्दू ज्योतिष शास्त्र में, गणित, औषधि विज्ञान, तथा विभिन्न विज्ञानों में श्रेष्ठ हैं। मूर्ति कला, चित्रकला और वास्तुकला का उऩ्होंने पूर्णता तक विकास किया है। उनके पास कविताओं, दर्शन, साहित्य और निति विज्ञान के संग्रह हैं। भारत से हमने कलीलाह वा दिम्नाह नामक पुस्तक प्राप्त की है। इन लोगों में निर्णायक शक्ति है, ये बहादुर हैं। उनमें शुचिता, एवं शुद्धता के सद्गुण हैं। मनन वहीं से शुरु हुआ है। (स्रोत : द विज़न आफ़ इंडिया-शिशिर् कुमार मित्रा, पेज २२६)
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