Saturday, 13 July 2013

झूठे आरोपों में फंसाने के लिए दबाव डाल रही है

इशरत जहां के कथित फर्जी एनकाउंटर केस में इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) बनाम सीबीआई का विवाद अभी सुलझा नहीं है और एक नया विवाद सामने आ रहा है। गृह मंत्रालय के पूर्व अंडर सेक्रेटरी आरवीएस मणि ने आरोप लगाया है कि सीबीआई उन पर अपने सीनियरों को झूठे आरोपों में फंसाने के लिए दबाव डाल रही है। मणि वही अधिकारी हैं, जिन्होंने आधिकारिक रूप से इशरत जहां केस में गृह मंत्रालय के पहले हलफनामे का ड्राफ्ट तैयार किया था। मणि का कहना है कि आईपीएस अधिकारी सतीश वर्मा उनके ऊपर दबाव डाल रहे हैं।

दरसअसल, गृह मंत्रालय ने अपने पहले हलफनामे में कहा था कि कथित एनकाउंटर में मारी गई इशरत और तीन अन्य के टेरर लिंक थे और इस मामले में सीबीआई जांच की जरूरत नहीं है। सीबीआई के सूत्रों का दावा है कि असल में आईबी के स्पेशल डायरेक्टर राजेंद्र कुमार ने पहले हलफनामे का ड्राफ्ट तैयार किया था। सीबीआई 25 जुलाई को रिटायर होने के बाद राजेंद्र कुमार को गिरफ्तार करने की तैयारी में है। इस केस में सीबीआई की दूसरी चार्जशीट भी जुलाई अंत तक संभावित है।

मणि ने मांग की है कि सीबीआई को निर्देश दिया जाए कि जांच एजेंसी चीफ विजिलेंस ऑफिसर की मौजूदगी में ही उनका बयान दर्ज करे और पूछताछ के दौरान उन्हें वकील मुहैया कराया जाए। दूसरी तरफ, सीबीआई ने गृह मंत्रालय से कहा है कि मणि ने जिन फाइलों के आधार पर हलफनामा तैयार किया था, वे उसे उपलब्ध कराए जाएं। इस पर गृह मंत्रालय का कहना है कि फाइलों में दूसरी संवेदनशील जानकारियां हैं और इन्हें सार्वजनिक नहीं किया जा सकता है। मंत्रालय ने इस मसले पर कानून मंत्रालय से सलाह मांगी है।
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