Tuesday 1 July 2014

''भारी सूखा'' या ''भारी बरसात'' भी अरबो डॉलर का व्यपार है आज ''अंतर-रास्ट्रीय'' मार्केट में !

अमेरिका केवल ''मोदी जी सरकार'' की जासूसी नहीं कर रहा है अपितु तकनिकी के गलत इस्तिमाल पर भी उत्तर आया है !
इस साल भारी सुखा पड़ेगा , बरसात तब होगी जब किसानो को नुकसान पहुचे ! नासा और U.S. military की नयी एलेक्ट्रोमेग्नेटिक तकनीकी ( HARRP) की मिलीभगत है ''अल नीनो'' में छेड़छाड़ !अमेरिकन वैज्ञानिक भी मानते हैं अमेरका की सेना सारे पर्यावरण मैं छेड़छाड़ की पीछे हैं , और मार काट फैला रही है
''अल नेनो'' प्राकृतिक नहीं है !
यह हार्प तकनीकी है , HARRP एलेक्ट्रोमैग्नेटि वेव्स है ! इलेक्ट्रोमैग्नेटिक वेव्स ऊर्जा तरंगे है , यह हज़ारो साल पुराने ग्लेशियर को भी पिघला सकते हैं ! ''अल नेनो'' की सारी भविष्वाणी केवल अमेरिका या ऑस्ट्रेलिया करता है ! इनको ४-५ महीने पहले ही पता लग जाता है इस साल सुखा पड़ेगा , कहा बाढ़ आएगी !
अमेरिकी मौसम विज्ञानी महीनो पहले यह कैसे बता पाते हैं की ''भारत'' में इस साल सबसे बड़ा सूखा पड़ने वाला है जबकि अपने यहा यह मौसम में आराम से परिवर्तन कर के भारी बारिश या तापमान में परिवर्तन भी कर लेते हैं !
''नासा'' और ''C.I.A'' इस दिशा में बहुत आगे निकल चुका है !
सूखे की दशा में भारत के कमोडिटीज और स्टॉक मार्केट का पस्त होना अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के हित में है !
''भारी सूखा'' या ''भारी बरसात'' भी अरबो डॉलर का व्यपार है आज ''अंतर-रास्ट्रीय'' मार्केट में !

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