Monday, 14 July 2014

फिलिस्तीन ने भारत को क्या दिया ..?

इजराइल ने पाकिस्तान को 'हथियार' बेचने से इनकार कर 'व्यापारिक घाटा' सहना मंज़ूर किया क्यों? United Nation हो या कोई और अन्तर्राष्ट्रीय संस्था इजराइल ने हमेशा भारत का साथ दिया क्यों? कश्मीर स्टैंड पर भारत का समर्थन करने वाले देशों में इजराइल अग्रिम पंक्ति में क्यों है ? इजराइल अपनी तकनीकी को विश्व में बेंचने से पहले भारत को ही क्यों देता है ?
दूसरी तरफ फिलिस्तीन है जिसे भारत की तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने पैसा /विमान ही नहीं वरन विश्व में सबसे पहले फिलिस्तीन को एक राष्ट्र का दर्जा दिया जबकि अरब देश इसके खिलाफ थे लेकिन फिलिस्तीन ने बदले में क्या दिया? कश्मीर को पाकिस्तान का हिस्सा बताया ,भारत के खिलाफ पाकिस्तान को युद्ध के लिए सहायता का आश्वासन दिया|
अब ऐसे में कुछ राष्ट्रद्रोही मानवाधिकार के नाम पर इजराइली दूतावास के सामने प्रदर्शन करने सिर्फ यही साबित करना चाहते है की वो आतंकवाद ,दगाबाजों एवं देशद्रोहियों का समर्थन करते है ना की भारत का !

अब देश को फैसला लेना होगा की ऐसे देशद्रोहियों का देश में स्थान होना भी चाहिए या नहीं ?इन प्रदर्शनकारियों से पूंछा जाना चाहिए की ये भारत की विदेश नीति में रोड़ा क्यों डालने की कोशिश कर रहे है?अगर इन्हें फिलिस्तीन की इतनी ही चिंता हो रही है तो इन्हें फिलिस्तीन का वीजा मुहैया कराके सीधा फिलिस्तीन ही क्यों नहीं भिजवा दिया जाये ताकि ये फिलिस्तीन के प्रति अपनी आस्था को लेकर इजराइल के खिलाफ लड़ाई लड़ सकें !


इज़राइल का तमाचा जब गाल पर पड़ता है तो गाल लाल हो जाता है और वर्षों सहलाना पड़ता है. अब इस्लामिक आतंकवादियों के दिन लद चुके हैं. इराक तबाह हो गया, अफगानिस्तान भी, और पाकिस्तान भी तबाह हो रहा है. इरान के दिन जल्द ही आने वाले हैं. जो भी देश विश्व में अशांति फैलायेगा उसे नष्ट होना ही होगा.
यह याद रखना चाहिये की इज़राइल के पास उन्नत हथियार और एटामिक हथियार भी हैं और इज़राइल ने यह भी कहा है कि किसी एटमी हमले की सूरत में वह पूरे अरब को नेस्तानबूद कर देगा. इसलिये जिन कातिलों के मंसूबे इज़राइल को नष्ट करने के हैं उन्हें याद रखना चाहिये कि यह कोई कमज़ोर देश नहीं है जो इनके अत्याचार को सह ले.
इसलिये आश्चर्य नहीं होना चाहिये अगर इज़राइल का सब्र अब चुक न जाये.....
Sanjay Dwivedy
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 शांतिदूतो के जानिब सभी सेक्युलर राज्यों से अमन चैन की खबर....
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पहली खबर सोनिया चहेते रावत के उत्तराखंड से यह कि उत्तराखंड में कांवड़ यात्रा के दौरान रमजान माह को देखते हुए '''''शांति बनाए रखने के लिए'''' हिन्दुओं को महादेव का पवित्र शस्त्र त्रिशूल रखने पर रोक लगा दी गई है. यह पाबन्दी त्रिशूल से लेकर चाकू, और यहाँ तक की लकड़ी के डंडे तक पर लागू है 
(मज़े की बात यह कि शांति बनाए रखने के इन प्रयासों के तहत रमज़ान वालों के छुरे, कट्टे, तमंचों पर कोई प्रतिबन्ध नहीं है)
अब यदि कोई हिन्दू तीर्थयात्री किसी मुसीबत में फंस जाता है तो उसके पास आत्मरक्षा के लिए एक डंडा तक नहीं होगा.
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दूसरी खबर मोदी को वोट देकर समुन्दर में डूबने की सालाह बाले कश्मीर में ISIS के समर्थन में बड़े ही 'शांतिपूर्ण' ढंग से हंगामे, पत्थरबाज़ी, हुल्लड़ आदि-आदि जारी हैं. भाई ये 370धारा ना होती तो देशद्रोह के जुर्म में ये शांति दूत अन्दर होते
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तीसरी खबर कांग्रेस और सोनिया 10वर्षीय शासित महारास्त्र से यह कि इराक में मज़हब की जंग में भारत से भी 18 "शांतिदूत" लड़के गए हैं, जिनमे 2 ठाणे के हैं और इन शांतिदूतो का मानना हे की यदि पकिस्तान से युद्द हुआ तो ये इस्लाम का साथ देंगे ना की भारत का.....मतलब शांतिदूत को केवल धर्म से मतलब हे देश कोइसा भी हो
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चौथी खबर भी महारास्त्र से पूना बम धमाके में इडियन मुजाहिद्दीन का हाथ ........ये चुनाव से पहले की रिहर्सल हे.....
अरे ....रुको भी .कांग्रेस समाज गयी हे धमाके महारास्त्र में कराये तो हिन्दू एक जुट होजायेगा ...इसलिए ये धमाके लाल किले पे सलामी के लिए बचाके रखना चाहती हे कांग्रेस
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लो भाई दिल्ली क्यों छोड़ दे......सूना हे आप पार्टी में सामिल कुछ शांतिदूत संघठन ने इजराएल के हमले के विरोध में जंतर मंतर पर धरना और विरोध प्रकट किया.......पर समाज नहीं आया ये तब किस बिल में घुसे थे जब बोकोहरम 200 लडकिया उठा लगाया था और शिया और शुन्नी अपनी खूनी प्यास बुझा रहे थे......मतलब आपस में हम एक दूसरे की गाँ◆ मारले कोई दिक्कत नहीं मगर कोई काफ़िर आँख भी मार दे तो इस्लाम खतरे में दिखाई देता हे....

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