Monday, 7 July 2014

पाकिस्तान में है एक ऎसा मंदिर जहां भगवान राम पहुंचे।

१७  लाख साल पहले बने इस पंचमुखी हनुमान मंदिर का पुर्ननिर्माण १८८२  में किया गया..पाकिस्तान के सिंध प्रांत के कराची में स्थित इस मंदिर में पंचमुखी हनुमान की मनमोहक प्रतिमा स्थापित है।बताया जाता है कि हनुमानजी की यह मूर्ति डेढ़ हजार साल पहले प्रकट हुई थी। जहां से मूर्ति प्रकट हुई वहां से मात्र ११ मुट्ठी मिट्टी को हटाया गया और मूर्ति सामने आ गई। हालांकि इस रहस्मयी मूर्ति का संबंध त्रेता युग से है।
मंदिर पुजारी का कहना है कि यहां सिर्फ ११-१२ परिक्रमा लगाने से मनोकामना पूरी हो जाती है। हनुमानजी के अलावा यहां कई हिन्दु देवी-देवताओं की मूर्तियां स्थापित हैं।
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दुनिया का सबसे बड़ा हिन्दू मंदिर

नई दिल्ली स्थित स्वामीनारायण अक्षरधाम मंदिर दुनिया का सबसे बड़ा हिन्दू मंदिर माना जाता है और इसी वजह से इसे गिनिज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड्स में भी शामिल किया गया है। इस मंदिर का परिसर करीब 100 एकड़ भूमि में फैला हुआ है..मंदिर में कई द्वार बनाए गए हैं जिनकी सुंदरता देखते ही बनती है। यहां मयूर द्वार, भक्ति द्वार, दश द्वार नामक द्वार हैं। मयूर द्वार में परस्पर गुंथे हुए भव्य मयूर तोरण एवं कलामंडित स्तंभों के करीब 869 मोर नृत्य कर रहे हैं। यह शिल्पकला की उत्तम कलात्मक कृति है।
भक्ति द्वार में भक्ति एवं उपासना के करीब 208 स्वरूप भक्ति द्वार में मंडित किए गए हैं। वहीं दश द्वार में दसों दिशाओं के प्रतीक हैं, जो कि वैदिक शुभकामनाओं को प्रदर्शित करते हैं।
अक्षरधाम मंदिर में हस्तशिल्प से निर्मित करीब 234 खंबे हैं, नौका विहार है।, मंदिर में करीब 20 हजार मूर्तियां हैं जिनकी सुंदरता तुरंत ही भक्तों का मन मोह लेती है।अक्षरधाम मदिंर को बनाने में करीब 11 हजार शिल्पकारों ने कड़ी मेहनत की है। मंदिर को बनने में लगभग 5 साल का समय लगा है।
अक्षरधाम मंदिर में किसी भी प्रकार से कंक्रीट और स्टील का प्रयोग नहीं किया गया है। मंदिर की इमारत गुलाबी बलुआ पत्थरों को जोड़कर तैयार की गई है।
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शोधकर्ताओं ने कंबोडिया के प्रसिद्ध अंकोरवाट मंदिर में छिपे सैकड़ों भित्तिचित्रों को खोज निकाला है।
ये भित्तिचित्र लगभग पांच सौ सालों से मंदिर की दीवारों पर थे। इनके जरिए देवताओं, पशुओं, नावों को चित्रित किया गया है। इससे इतिहासकारों को कंबोडिया के इतिहास की नई जानकारी मिली है। ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी [एएनयू] के रॉक आर्ट पर शोध करने वाले नोएल हिडाल्गो टैन ने छिपी हुई छवियों को खोजा। उन्होंने इसकी खोज तब की, जब वह २०१०  में अंकोरवाट में पुरातत्व खुदाई के दौरान वालंटियर के रूप में कार्य कर रहे थे। उन्होंने बताया, 'मैं लंच के दौरान मंदिर में टहल रहा था। उसी दौरान दीवार पर मुझे कुछ रंगरोगन दिखा। मैंने तुरंत कुछ तस्वीरें लीं लेकिन तब मैंने सोचा भी नहीं था कि ये तस्वीरें इतनी खास होंगी।'
अंकोरवाट दुनिया के सबसे प्रसिद्ध स्मारकों में एक और कंबोडिया का राष्ट्रीय प्रतीक है। इसका निर्माण १२वीं सदी में सम्राट सूर्यवर्मन द्वितीय के शासनकाल में हुआ था।
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