Friday, 14 March 2014

तात्या टोपे पर 'अनोखा' इतिहास पढ़ा रही है सरकार

भाद्रपद कृष्ण २ , कलियुग वर्ष ५११५
 
सन 1857 की क्रांति के नायक रहे तात्या टोपे को शिवपुरी की 12वीं की सामाजिक विज्ञान की किताब में शहीद के बजाय संन्यासी बताया गया है।
इस मामले में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी प्रेमनारायण नागर ने कहा कि गलती नहीं सुधरने से कक्षा 12वीं के छात्र गलत इतिहास पढ़ रहे हैं।
प्रदेश सरकार का राज्य शिक्षा केंद्र तात्या टोपे को संन्यासी बता रहा है, जबकि स्वराज संचालनालय व संस्कृति विभाग उन्हें शहीद बताते हुए उनकी याद में शिवपुरी में हर साल मेला लगवाता है।

दसवीं की किताब में शहीद

कक्षा 10वीं की सामाजिक विज्ञान की पुस्तक के अध्याय सात में पृष्ठ क्रमांक 110 पर लिखा है कि शिवपुरी में 18 अप्रैल 1859 को तात्या टोपे को फांसी दी गई।

बारहवीं की किताब में संन्यासी

कक्षा 12 वीं की हिन्दी विशिष्ट के गद्य खंड के पाठ 6 में पृष्ठ क्रमांक 64 में लिखा है कि अग्रेजों ने तात्याटोपे की जगह किसी अन्य को फांसी दी थी। इसके बाद तात्या संन्यासी हो गए थे। पुस्तक के लेखक डॉ. सुरेश चंद्र शुक्ल हैं।

सुधार के लिए दिया था ज्ञापन

12वीं की किताब में गलत जानकारी प्रकाशित होने के बाद 29 मई 2013 को शहर के बुद्धिजीवियों ने राज्य सरकार के नाम एक ज्ञापन एडीएम को सौंपा था। ज्ञापन में गलतियों को सुधारने की मांग की गई थी। मगर तथ्यों में सुधार नहीं हुआ।
शिवपुरी में तात्या टोपे को फांसी देते वक्त कई लोगों ने देखा था। कुछ लेखक ऐसे भी हैं, जो घर बैठकर किताबें लिख रहे हैं। इन लेखकों को इतिहास की कोई जानकारी नहीं रहती।
- प्रेमनारायण नागर, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, शिवपुरी
तात्या टोपे के संबंध में 10वीं और 12वीं की किताबों में छपी जानकारी को लेखन समिति के सदस्यों के सामने रखा जाएगा। तथ्यों का क्रॉस चेक कराया जाएगा। तथ्य गलत होंगे तो सुधारेंगे।
- गोविंद प्रसाद शर्मा, अध्यक्ष, पाठ्य पुस्तक लेखन समिति, मप्र
स्त्रोत : अमर उजाला

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