“ नरेन्द्र मोदी के जीवन की अनसूनी कहानी, नरेन्द्र मोदी की जूबानी “
[नरेन्द मोदी प्राथमिक शालाओ में शिक्षण सुधारणा के लिये जाने वाले अफसरो को संबोधित कर रहे है-शाला प्रवेशोत्सव कार्यक्रम से पेहले]
कही बार मुजे एक प्रसंग याद आता है,वैसे तो ये बात में करता नही हुं पर बात नीकल गयी है इशलिये कर देता हु।
एक बार मुजे वडोदरा स्टेशन पर एक बच्चा मिला। तो उस बच्चे को मे ले आया, फिर मेने उसका उछेर(भरण-पोषण) हो इसलिये जरा व्यवस्था की, फिर मेने उसे स्कूल मे भेजा, 12वी कक्षा तक अभ्यास हुआ उसका, अब उसे उसके गांव का पता नही, कुछ उसको याद नही क्युंकी जब वो मिला तब उसकी उम्र लगभग 5 या 7 साल होगी ।
पर अभी में नेपाल जाने वाला था,…… मुजे बस इतना पता था की ये नेपाल का लडका है,उसका वतन नेपाल है । अभी….बिच मे मेरा नेपाल के लिये कार्यक्रम बनता था, तब मुजे इच्छा हुइ की में उसके मां-बाप को खोजु, क्युंकी बहोत सालो से में उसको संभालता था, पढाता था, पर मन में था की उसके मां-बाप से मिले तो अच्छा है, इसलिये मेंने एम्बेसी की मदद ली । ये एक साल पेहले की बात है,…..एम्बेसी की मदद ली और उसको गांव का नाम थोडा सा याद था, इसके आधार पर नेपाल में बहोत इन्टिरियर में उसका गांव खोज निकाला, एम्बेसी और नेपाल गवर्नमेंट ने भी बहोत मदद की । खोज निकाल के फिर उसके मां-बाप को पूछा की ऐसा कोई आपका बच्चा… इसको मां-बाप के नाम का पता नही,..इस बच्चे को,….।
पर,..एक निशानी दी की उसके दोनो पॉंव में 6-6 उन्गलिया है । मुजे वहा से मेसेज आया, तो मेंने इस बच्चे को पूछा, क्युंकी मेरे ध्यान में भी नही था की उसके पॉंव की उन्गली ज्यादा है, इतने सालो से वो मेरे पास था, पर......तो मेने पूछा उसे की,..भाई तेरे पॉंव की उन्गलिया…..??..तो उसने बताया की “हां….”…...तो अब तो तेरा पक्का,.…मिल गया है,…. खेर, मेरा नेपाल जाना केंसल हुआ, पर बाद में मेने उसे भेजने की व्यवस्था की, वो इतने सालो के बाद अपने मां-बाप को मिला,..अभी वो लडका MBA का अभ्यास कर रहा है…।
मित्रो…में ये सब काम(बाकी सब मुख्यमंत्री के काम) करता हुं ना, पर जब में इस घटना को याद करता हुं तो आनंद आता है की, वाह….कैसा सुंदर काम हो गया हमारे से । मन में मुजे एक…..एक…. कल्पना बाहर का संतोष का भाव मिलता है । मित्रो… हमारे पास पद-प्रतिष्ठा सब कुछ हो, पर हम इंसान है,… मानवीय चीजे हमारे जीवन को दौडाती है, रुपये-पैसे नही दौडा सकते, पद-प्रतिष्ठा नही दौडा सकते, जीवन का जो संतोष होता है वो हमें दौडाता है ।
Speech: http://bit.ly/13pJHSb
[नरेन्द मोदी प्राथमिक शालाओ में शिक्षण सुधारणा के लिये जाने वाले अफसरो को संबोधित कर रहे है-शाला प्रवेशोत्सव कार्यक्रम से पेहले]
कही बार मुजे एक प्रसंग याद आता है,वैसे तो ये बात में करता नही हुं पर बात नीकल गयी है इशलिये कर देता हु।
एक बार मुजे वडोदरा स्टेशन पर एक बच्चा मिला। तो उस बच्चे को मे ले आया, फिर मेने उसका उछेर(भरण-पोषण) हो इसलिये जरा व्यवस्था की, फिर मेने उसे स्कूल मे भेजा, 12वी कक्षा तक अभ्यास हुआ उसका, अब उसे उसके गांव का पता नही, कुछ उसको याद नही क्युंकी जब वो मिला तब उसकी उम्र लगभग 5 या 7 साल होगी ।
पर अभी में नेपाल जाने वाला था,…… मुजे बस इतना पता था की ये नेपाल का लडका है,उसका वतन नेपाल है । अभी….बिच मे मेरा नेपाल के लिये कार्यक्रम बनता था, तब मुजे इच्छा हुइ की में उसके मां-बाप को खोजु, क्युंकी बहोत सालो से में उसको संभालता था, पढाता था, पर मन में था की उसके मां-बाप से मिले तो अच्छा है, इसलिये मेंने एम्बेसी की मदद ली । ये एक साल पेहले की बात है,…..एम्बेसी की मदद ली और उसको गांव का नाम थोडा सा याद था, इसके आधार पर नेपाल में बहोत इन्टिरियर में उसका गांव खोज निकाला, एम्बेसी और नेपाल गवर्नमेंट ने भी बहोत मदद की । खोज निकाल के फिर उसके मां-बाप को पूछा की ऐसा कोई आपका बच्चा… इसको मां-बाप के नाम का पता नही,..इस बच्चे को,….।
पर,..एक निशानी दी की उसके दोनो पॉंव में 6-6 उन्गलिया है । मुजे वहा से मेसेज आया, तो मेंने इस बच्चे को पूछा, क्युंकी मेरे ध्यान में भी नही था की उसके पॉंव की उन्गली ज्यादा है, इतने सालो से वो मेरे पास था, पर......तो मेने पूछा उसे की,..भाई तेरे पॉंव की उन्गलिया…..??..तो उसने बताया की “हां….”…...तो अब तो तेरा पक्का,.…मिल गया है,…. खेर, मेरा नेपाल जाना केंसल हुआ, पर बाद में मेने उसे भेजने की व्यवस्था की, वो इतने सालो के बाद अपने मां-बाप को मिला,..अभी वो लडका MBA का अभ्यास कर रहा है…।
मित्रो…में ये सब काम(बाकी सब मुख्यमंत्री के काम) करता हुं ना, पर जब में इस घटना को याद करता हुं तो आनंद आता है की, वाह….कैसा सुंदर काम हो गया हमारे से । मन में मुजे एक…..एक…. कल्पना बाहर का संतोष का भाव मिलता है । मित्रो… हमारे पास पद-प्रतिष्ठा सब कुछ हो, पर हम इंसान है,… मानवीय चीजे हमारे जीवन को दौडाती है, रुपये-पैसे नही दौडा सकते, पद-प्रतिष्ठा नही दौडा सकते, जीवन का जो संतोष होता है वो हमें दौडाता है ।
Speech: http://bit.ly/13pJHSb
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