इंटर पास चपरासी ने बनाया हेलिकॉप्टर :::::
कहते हैं कि अगर इंसान के अंदर मेहनत, लगन और ईमानदारी से काम करने का जज्बा हो तो वह बुलंदियों को छू सकता है। प्रतिभा किसी भी संसाधन की मोहताज नहीं होती है। इस बात को मऊ के इस व्यक्ति ने सच साबित कर दिखाया है।
गाजीपुर में 32 साल पहले वीरेंदर ने हाई स्कूल में पढ़ाई के दौरान टीचर की मदद से छोटा हेलिकॉप्टर बनाया था। वीरेंदर सिंह का दावा है कि उन्होंने जो हेलिकॉप्टर बनाया है, वह पायलट और पैसेंजर दोनों को सहूलियत देगा।
जानिए क्या है हेलिकॉप्टर की खासियत :::::
आमतौर पर हेलिकॉप्टर में उड़ान भरते समय पायलट समेत पैसेंजर को झटका लगता है। वीरेंदर सिंह ने बताया कि खास तकनीक की वजह से इस हेलिकॉप्टर में ऐसा नहीं होगा। इस हेलिकॉप्टर की खासियत होगी कि यह सीधी लाइन में उड़ेगा और अप-डाउन की समस्या भी नहीं रहेगी, इस वजह से ईंधन की बचत होगी और हादसों में कमी आएगी।
वीरेंदर सिंह ने बताया कि हेलिकॉप्टर को हॉरिजेंटल लाइन डिस्बेल्टी के लिए पायलट को बार-बार लिफ्ट करना पड़ता है। हेलिकॉप्टर की इन कमियों को बेस्ट लिफ्टिंग के जरिए आसानी से दूर किया जा सकेगा।
1981 में पहली बनाया था हेलिकॉप्टर ::::::
वीरेंदर सिंह ने बताया कि हाईस्कूल में पढ़ाई के दौरान हल्के इंजन से हेलिकॉप्टर का पूरा डिजाइन बनाया था। तब टीचर ने मॉडल पर दस हजार रुपये खर्च किए थे। पैसा न होने की वजह से प्रोजेक्ट अधूरा रह गया। इंटर तक पढ़ाई करने के बाद बनारस आईटीआई में ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। उन्होंने बताया कि 1994 में एक बड़े अधिकारी का बिगड़ा जनेटर जुगाड़ से ठीक कर देने पर, उस अधिकारी ने मेरे काम से प्रभावित होकर नौकरी दिलवा दी।
चपरासी होने के बावजूद मैं खाली समय में यही सोचा करता था कि मुझे हेलिकॉप्टर बनाना है। उन्होंने बताया कि हाईस्कूल में जब पढ़ाई कर रहा था, तो एयरक्राफ्ट पर छोटा सा चेप्टर था। जिसमें राइट ब्रदर्स के बारे में बताया गया था कि साइकिल टेक्नीशियन होने के बावजूद राइट ब्रदर्स ने एयर क्राफ्ट बनाया।
उन्होंने बताया कि मैं फिर 2004 से हेलिकॉप्टर बनाने के प्रोजेक्ट पर लग गया। हेलिकॉप्टर के पार्ट्स के लिए खर्च बहुत था। कम आमदनी में परिवार चलाने के साथ-साथ अपने प्रोजेक्ट पर भी लगा रहा। आज पूरा मॉडल बनकर तैयार खड़ा है, जो टेस्टिंग के दौरान तीन फुट की ऊंचाई तक आसानी से उड़ा है।
महावीर प्रसाद खिलेरी
कहते हैं कि अगर इंसान के अंदर मेहनत, लगन और ईमानदारी से काम करने का जज्बा हो तो वह बुलंदियों को छू सकता है। प्रतिभा किसी भी संसाधन की मोहताज नहीं होती है। इस बात को मऊ के इस व्यक्ति ने सच साबित कर दिखाया है।
गाजीपुर में 32 साल पहले वीरेंदर ने हाई स्कूल में पढ़ाई के दौरान टीचर की मदद से छोटा हेलिकॉप्टर बनाया था। वीरेंदर सिंह का दावा है कि उन्होंने जो हेलिकॉप्टर बनाया है, वह पायलट और पैसेंजर दोनों को सहूलियत देगा।
जानिए क्या है हेलिकॉप्टर की खासियत :::::
आमतौर पर हेलिकॉप्टर में उड़ान भरते समय पायलट समेत पैसेंजर को झटका लगता है। वीरेंदर सिंह ने बताया कि खास तकनीक की वजह से इस हेलिकॉप्टर में ऐसा नहीं होगा। इस हेलिकॉप्टर की खासियत होगी कि यह सीधी लाइन में उड़ेगा और अप-डाउन की समस्या भी नहीं रहेगी, इस वजह से ईंधन की बचत होगी और हादसों में कमी आएगी।
वीरेंदर सिंह ने बताया कि हेलिकॉप्टर को हॉरिजेंटल लाइन डिस्बेल्टी के लिए पायलट को बार-बार लिफ्ट करना पड़ता है। हेलिकॉप्टर की इन कमियों को बेस्ट लिफ्टिंग के जरिए आसानी से दूर किया जा सकेगा।
1981 में पहली बनाया था हेलिकॉप्टर ::::::
वीरेंदर सिंह ने बताया कि हाईस्कूल में पढ़ाई के दौरान हल्के इंजन से हेलिकॉप्टर का पूरा डिजाइन बनाया था। तब टीचर ने मॉडल पर दस हजार रुपये खर्च किए थे। पैसा न होने की वजह से प्रोजेक्ट अधूरा रह गया। इंटर तक पढ़ाई करने के बाद बनारस आईटीआई में ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। उन्होंने बताया कि 1994 में एक बड़े अधिकारी का बिगड़ा जनेटर जुगाड़ से ठीक कर देने पर, उस अधिकारी ने मेरे काम से प्रभावित होकर नौकरी दिलवा दी।
चपरासी होने के बावजूद मैं खाली समय में यही सोचा करता था कि मुझे हेलिकॉप्टर बनाना है। उन्होंने बताया कि हाईस्कूल में जब पढ़ाई कर रहा था, तो एयरक्राफ्ट पर छोटा सा चेप्टर था। जिसमें राइट ब्रदर्स के बारे में बताया गया था कि साइकिल टेक्नीशियन होने के बावजूद राइट ब्रदर्स ने एयर क्राफ्ट बनाया।
उन्होंने बताया कि मैं फिर 2004 से हेलिकॉप्टर बनाने के प्रोजेक्ट पर लग गया। हेलिकॉप्टर के पार्ट्स के लिए खर्च बहुत था। कम आमदनी में परिवार चलाने के साथ-साथ अपने प्रोजेक्ट पर भी लगा रहा। आज पूरा मॉडल बनकर तैयार खड़ा है, जो टेस्टिंग के दौरान तीन फुट की ऊंचाई तक आसानी से उड़ा है।
महावीर प्रसाद खिलेरी
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