Wednesday, 5 November 2014




इमली-
इसके फल में शर्करा,टार्टरिक अम्ल,पेक्टिन,ऑक्जेलिक अम्ल तथा मौलिक अम्ल आदि तथा बीज में प्रोटीन,वसा,कार्बोहायड्रेट तथआ खनिज लवण प्राप्त होते हैं | यह कैल्शियम,लौह तत्व,विटामिन B ,C तथा फॉस्फोरस का अच्छा स्रोत है |आज हम आपको इमली के औषधीय गुणों से अवगत करा रहे हैं -

१- १० ग्राम इमली को एक गिलास पानी में भिगोकर,मसल-छानकर ,शक्कर मिलाकर पीने से सिर दर्द में लाभ होता है |

२- इमली को पानी में डालकर ,अच्छी तरह मसल- छानकर कुल्ला करने से मुँह के छालों में लाभ होता है|

३- १० ग्राम इमली को १ लीटर पानी में उबाल लें जब आधा रह जाए तो उसमे १० मिलीलीटर गुलाबजल मिलाकर,छानकर, कुल्ला करने से गले की सूजन ठीक होती है |

४-इमली के दस से पंद्रह ग्राम पत्तों को ४०० मिलीलीटर पानी में पकाकर ,एक चौथाई भाग शेष रहने पर छानकर पीने से आंवयुक्त दस्त में लाभ होता है |

५- इमली की पत्तियों को पीसकर गुनगुना कर लेप लगाने से मोच में लाभ होता है |

६-इमली के बीज को नींबू के रस में पीसकर लगाने से दाद में लाभ होता है |

७- गर्मियों में ताजगी दायक पेय बनाने के लिए इमली को पानी में कुछ देर के लिए भिगोएँ व मसलकर इसका पानी छान लें। अब उसमें स्वादानुसार गुड़ या शक़्कर , नमक व भुना जीरा डाल लें। इसमें ताजे पुदीने की पत्तियाँ स्फूर्ति की अनुभूति बढ़ाती हैं ,अतः ताजे पुदीने की पत्तियाँ भी इस पेय में डाली जा सकती हैं |

नोट -- चूँकि इमली खट्टी होती है अतः इसे भिगोने के लिए कांच या मिट्टी के बर्तन का उपयोग किया जाना चाहिए |
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अमरूद एक बेहतरीन स्वादिष्ट फल है। अमरूद कई गुणों से भरपूर है। अमरूद में प्रोटीन 10.5 प्रतिशत, वसा 0. 2 कैल्शियम 1.01 प्रतिशत बी पाया जाता है। अमरूद का फलों में तीसरा स्थान है। पहले दो नम्बर पर आंवला और चेरी हैं। इन फलों का उपयोग ताजे फलों की तरह नहीं किया जाता, इसलिए अमरूद विटामिन सी पूर्ति के लिए सर्वोत्तम है।

विटामिन सी छिलके में और उसके ठीक नीचे होता है तथा भीतरी भाग में यह मात्रा घटती जाती है। फल के पकने के साथ-साथ यह मात्रा बढती जाती है। अमरूद में प्रमुख सिट्रिक अम्ल है 6 से 12 प्रतिशत भाग में बीज होते है। इसमें नारंगी, पीला सुगंधित तेल प्राप्त होता है। अमरूद स्वादिष्ट फल होने के साथ-साथ अनेक गुणों से भरा से होता है।

यदि कभी आपका गला ज्यादा ख़राब हो गया हो तो अमरुद के तीन -चार ताज़े पत्ते लें ,उन्हें साफ़ धो लें तथा उनके छोटे-छोटे टुकड़े तोड़ लें | एक गिलास पानी लेकर उसमे इन पत्तों को डाल कर उबाल लें , थोड़ा पकाने के बाद आंच बंद कर दें | थोड़ी देर इस पानी को ठंडा होने दें ,जब गरारे करने लायक ठंडा हो जाये तो इसे छानकर ,इसमें नमक मिलाकर गरारे करें , याद रखें कि इसमें ठंडा पानी नहीं मिलना है |

अमरूद के ताजे पत्तों का रस 10 ग्राम तथा पिसी मिश्री 10 ग्राम मिलाकर 21 दिन प्रात: खाली पेट सेवन करने से भूख खुलकर लगती है और शरीर सौंदर्य में भी वृद्धि होती है।

अमरूद खाने या अमरूद के पत्तों का रस पिलाने से शराब का नशा कम हो जाता है। कच्चे अमरूद को पत्थर पर घिसकर उसका एक सप्ताह तक लेप करने से आधा सिर दर्द समाप्त हो जाता है। यह प्रयोग प्रात:काल करना चाहिए। गठिया के दर्द को सही करने के लिए अमरूद की 4-5 नई कोमल पत्तियों को पीसकर उसमें थोड़ा सा काला नमक मिलाकर रोजाना खाने से से जोड़ो के दर्द में काफी राहत मिलती है।

डायबिटीज के रोगी के लिए एक पके हुये अमरूद को आग में डालकर उसे भूनकर निकाल लें और भुने हुई अमरुद को छीलकर साफ़ करके उसे अच्छे से मैश करके उसका भरता बना लें, उसमें स्वादानुसार नमक, कालीमिर्च, जीरा मिलाकर खाएं, इससे डायबिटीज में काफी लाभ होता है। ताजे अमरूद के 100 ग्राम बीजरहित टुकड़े लेकर उसे ठंडे पानी में 4 घंटे भीगने दीजिए। इसके बाद अमरूद के टुकड़े निकालकर फेंक दें। इस पानी को मधुमेह के रोगी को पिलाने से लाभ होता है।

जब भी आप फोड़े और फुंसियों से परेशान हो तो अमरूद की 7-8 पत्तियों को लेकर थोड़े से पानी में उबालकर पीसकर पेस्ट बना लें और इस पेस्ट को फोड़े-फुंसियों पर लगाने से आराम मिल जाएगा। चार हफ्तों तक नियमित रूप से अमरूद खाने से भी पेट साफ रहता है व फुंसियों की समस्या से राहत मिलती है।

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पित्त वृद्धि

आयुर्वेद चिकित्सा विज्ञान के अनुसार मानव शरीर , प्रकृति में व्याप्त पांच तत्वों से मिलकर बना है ये तत्व हैं -वायु,जल,अग्नि,आकाश और पृथ्वी |
आयुर्वेद ने इन पांच तत्वों को मूल तत्व समझते हुए इनकी उपस्थिति को वात ,पित्त और कफ के नाम से संज्ञान में लिया है | दिन के मध्य प्रहर और रात्री के मध्य प्रहर में पित्त बढ़ता है।
पित्त की वृद्धि से कब्ज़ ,सिरदर्द ,भूख न लगना ,सुस्ती आदि के लक्षण होते हैं | पित्त की वृद्धि का उपचार विभिन्न औषधियों द्वारा किया जा सकता है :--
१-हरीतकी का चूर्ण सुबह -शाम मिश्री के साथ खाने से पित्त की वृद्धि ठीक होती है और जलन भी शांत होती है |

२-पित्त बढ़ने पर मुनक्के का सेवन भी अति लाभकारी है | इससे भी पित्त की जलन दूर होती है |

३- कागज़ी नींबू का शरबत सुबह -शाम पीने से पित्त की वृद्धि बंद हो जाती है |

४-गिलोय का रस 10 ml रोज़ तीन बार शहद में मिलाकर लेने से लाभ होता है |

५-छोटी इलायची सुबह -शाम खाने से पित्त में लाभ होता है |
- सौंफ , धनिया ( सुखा या हरा ) , हिंग , अजवाइन , आंवला आदि पित्त को नियंत्रित करते है।
- सुबह सुबह छाछ , निम्बू पानी , नारियल पानी , मूली , फलों के रस आदि के सेवन से पित्त नहीं बढ़ता।

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हरड़ -
इसका रंग काला व पीला होता है तथा इसका स्वाद खट्टा,मीठा और कसैला होता है | आयुर्वेदिक मतानुसार हरड़ में पाँचों रस -मधुर ,तीखा ,कड़ुवा,कसैला और अम्ल पाये जाते हैं | वैज्ञानिक मतानुसार हरड़ की रासायनिक संरचना का विश्लेषण करने पर ज्ञात होता है कि इसके फल में चेब्यूलिनिक एसिड ३०%,टैनिन एसिड ३०-४५%,गैलिक एसिड,ग्लाइकोसाइड्स,राल और रंजक पदार्थ पाये जाते हैं | ग्लाइकोसाइड्स कब्ज़ दूर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं| ये तत्व शरीर के सभी अंगों से अनावश्यक पदार्थों को निकालकर प्राकृतिक दशा में नियमित करते हैं | यह अति उपयोगी है | आज हम हरड़ के कुछ लाभ जानेंगे -

१- हरड़ के टुकड़ों को चबाकर खाने से भूख बढ़ती है |

२- छोटी हरड़ को पानी में घिसकर छालों पर प्रतिदिन ०३ बार लगाने से मुहं के छाले नष्ट हो जाते हैं | इसको आप रात को भोजन के बाद भी चूंस सकते हैं |

३- छोटी हरड़ को पानी में भिगो दें | रात को खाना खाने के बाद चबा चबा कर खाने से पेट साफ़ हो जाता है और गैस कम हो जाती है |

४- कच्चे हरड़ के फलों को पीसकर चटनी बना लें | एक -एक चम्मच की मात्रा में तीन बार इस चटनी के सेवन से पतले दस्त बंद हो जाते हैं |

५- हरड़ का चूर्ण एक चम्मच की मात्रा में दो किशमिश के साथ लेने से अम्लपित्त (एसिडिटी ) ठीक हो जाती है |

६- हरीतकी चूर्ण सुबह शाम काले नमक के साथ खाने से कफ ख़त्म हो जाता है |

७- हरड़ को पीसकर उसमे शहद मिलाकर चाटने से उल्टी आनी बंद हो जाती है|
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मौसमी -

मौसमी रुचिकारक, धातुवर्धक और खून को साफ़ करने वाली है | इसके सेवन से पाचन में लाभ मिलता है | आइये जानते हैं मौसमी के कुछ लाभ -

१- मौसमी का रस पीने से रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है तथा जीवनी शक्ति की वृद्धि होती है |

२- मौसमी खाने से दांत मज़बूत होते हैं और इसका रेशा कब्ज़ दूर करने में मदद करता है |

३-मौसमी के रस में क्षार तत्व अधिक होता है अत: यह खून की अम्लता (एसिडिटी) को दूर करता है|

४- मौसमी के रस को हल्का सा गर्म करके इसमें ५ - ६ बूँद अदरक का रस डालकर पीने से जुकाम में आराम मिलता है |

५- मौसमी या इसके रस के सेवन से रक्तवाहिनियों में कोलेस्ट्रोल जमा नहीं हो पाता और ह्रदय रोग होने की संभावना नहीं रहती | अतः इसका सेवन ह्रदय को स्वस्थ रखता है |

६- मौसमी का रस पीने से आंव या पेचिश का रोग दूर हो जाता है |

७- मौसमी के रस के सेवन से बुखार में काफी लाभ होता है |
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अरहर 
अरहर की खेती लगभग ३,५०० साल पहले से की जाती है | यह भारत में बहुत प्रयोग की जाती है , यहाँ पर इस दाल को शाकाहारी वर्ग के लिए मुख्य प्रोटीन स्रोत माना जाता है | अरहर की दाल में प्रचुर मात्रा में प्रोटीन के साथ-साथ amino acids ,methionine ,lysine or tryptophan भी पाए जाते हैं | 
दाल के रूप में उपयोग में ली जानेवाली सभी दलहनों में अरहर का प्रमुख स्थान है | यह गर्म तथा शुष्क होती है इसलिए इसे देसी घी में छौंककर खाना चाहिए | अरहर की दाल में पर्याप्त मात्रा में घी मिलाकर खाने से वह वायुकारक नहीं रहती | यह दाल त्रिदोषनाशक (वात ,पित्त और कफ़ ) है , अतः यह सभी के लिए अनुकूल है |
आइये जानते हैं अरहर के कुछ औषधीय गुण ------------
१-अरहर के पत्तों और दूब घास का रास निकालकर छान लें , इसे सूंघने से आधे सर का दर्द दूर होता है |
२-अरहर के पत्तों को जलकर राख बना लें , इस राख को दही में मिलाकर लगाने से खुजली समाप्त होती है |
३-अरहर की दाल खाने से पेट की गैस की शिकायत दूर होती है |
४-रात को अरहर की दाल पानी में भिगो दें , सुबह इस पानी को गर्म करके गरारे करने से गले की सूजन दूर होती है |
५-अरहर के कोमल पत्ते पीसकर घावों पर लगाने से घाव जल्दी भरते है |
६-यदि शरीर के किसी अंग पर सूजन है तो चार चम्मच अरहर की दाल को पीसकर बांधने से उस अंग की सूजन खत्म हो जाती है |
७-अरहर की दाल पाचक है तथा इसका सेवन बवासीर , बुखार, व गुल्म रोगों में लाभकारी है |
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तुलसी के बीज का औषधीय उपयोग

जब भी तुलसी में खूब फूल यानी मञ्जरी लग जाए तो उन्हें पकने पर तोड़ लेना चाहिए वरना तुलसी के पौधे में चीटियाँ और कीड़ें लग जाते है और उसे समाप्त कर देते है |इन पकी हुई मञ्जरियों को रख ले , इनमे से काले काले बीज अलग होंगे उसे एकत्र कर ले , इसे सब्जा कहते है | अगर आपके घर में तुलसी के पौधे नही है तो बाजार में पंसारी या आयुर्वैदिक दवाईयो की दुकान से भी तुलसी के बीज ले सकते हैं वहाँ पर भी ये आसानी से मिल जाएंगे |
शीघ्र पतन एवं वीर्य की कमी ---- तुलसी के बीज 5 ग्राम रोजाना रात को गर्म दूध के साथ लेने से समस्या दूर होती है

नपुंसकता---- तुलसी के बीज 5 ग्राम रोजाना रात को गर्म दूध के साथ लेने से नपुंसकता दूर होती है और यौन-शक्ति में बढ़ोत्तरी होती है।

मासिक धर्म में अनियमियता------ जिस दिन मासिक आए उस दिन से जब तक मासिक रहे उस दिन तक तुलसी के बीज 5-5 ग्राम सुबह और शाम पानी या दूध के साथ लेने से मासिक की समस्या ठीक होती है और जिन महिलाओ को गर्भधारण में समस्या है वो भी ठीक होती है

तुलसी के पत्ते गर्म तासीर के होते है पर सब्जा शीतल होता है . इसे फालूदा में इस्तेमाल किया जाता है . इसे भिगाने से यह जैली की तरह फूल जाता है . इसे हम दूध या लस्सी के साथ थोड़ी देशी गुलाब की पंखुड़ियां डाल कर ले तो गर्मी में बहुत ठंडक देता है .इसके अलावा यह पाचन सम्बन्धी गड़बड़ी को भी दूर करता है तथा यह पित्त घटाता है |
ये त्रिदोषनाशक व क्षुधावर्धक है |
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खसरा 
खसरा जिसे अंग्रेज़ी में मीसल्स कहते हैं,एक विषाणु (वायरस) द्वारा फैलाए जाने वाला श्वसन प्रणाली,प्रतिरक्षा प्रणाली तथा त्वचा का संक्रमण है जो बच्चों में होता है | इसके लक्षण संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने के ७-१४ दिन बाद प्रकट होते हैं | इसके प्रारम्भिक लक्षणों में बच्चे को छींकें आना,नाक बहना,आँखे लाल होना तथा सूखी खांसी होती है| बुखार भी १०३-१०४ डिग्री सेल्सियस तक पहुँच जाता है | बुखार होने के ३-४ दिन बाद से चेहरे और छाती पर लाल दाने दिखने लगते हैं | जैसे-जैसे दाने समाप्त होने लगते हैं, बुखार और खांसी भी समाप्त होने लगती हैं | खसरा के विषाणु किसी भी स्वस्थ बच्चे के कंठ, नाक और गले की श्लेष्मिक कला पर संक्रमण करते हैं | इस रोग में औषधियों की अपेक्षा रोगी की देखभाल आवश्यक है | रोगी को अधिक से अधिक आराम कराना चाहिए | तो आइये जानते हैं खसरा के कुछ सरल घरेलु उपचार-

१- प्रतिदिन तुलसी के पत्तों का एक चम्मच रस रोगी को पिलायें | लगातार ३-४ तक यह प्रयोग करने से खसरे के रोग में लाभ होता है |

२- खसरा निकलने के बाद शरीर में जलन और खुजली होती है | इसके लिए ३-४ आंवले एक भगोने पानी में उबाल लें | ठंडा होने के बाद इस पानी से प्रतिदिन शरीर को साफ़ करें, इससे खसरे की खुजली और जलन दूर होती है |

३- नागरमोथा,गिलोय,खस,धनिया और आंवला को बराबर मात्रा में लेकर बारीक चूर्ण बना लें | इसमें से ५ ग्राम चूर्ण को ३०० ग्राम पानी में उबालकर काढ़ा बना लें | इसे छानकर थोड़ी -थोड़ी मात्रा में दो से तीन बार बच्चे को पिलाने से बहुत आराम होता है |

४- खसरा के रोगी को प्यास बहुत अधिक लगती है और बार-बार पानी पीने से उसे उल्टी होने लगती है | ऐसे में पानी उबालते समय उसमे ३-४ लौंग दाल दें ,इस पानी को छानकर थोड़ी -थोड़ी मात्रा में रोगी को पिलाने से प्यास समाप्त होती है |

५- खस ,चन्दन और हल्दी सामान मात्रा में मिलाकर गुलाबजल में पीसकर लेप बना लें | खुजली वाले अंगों पर सुबह शाम लगाने से शान्ति मिलती है |
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मिर्गी

मिर्गी के रोगी अक्सर इस बात से परेशान रहते हैं कि वे आम लोगों की तरह जीवन जी नहीं सकते। उन्हें कई चीजों से परहेज करना चाहिए। खासतौर पर अपनी जीवनशैली में आमूलचूल परिवर्तन करना पड़ता है जिसमें बाहर अकेले जाना प्रमुख है।
यह रोग कई प्रकार के ग़लत तरह के खान-पान के कारण होता है। जिसके कारण रोगी के शरीर में विषैले पदार्थ जमा होने लगते हैं, मस्तिष्क के कोषों पर दबाब बनना शुरू हो जाता है और रोगी को मिर्गी का रोग हो जाता है।

दिमाग के अन्दर उपलब्ध स्नायु कोशिकाओं के बीच आपसी तालमेल न होना ही मिर्गी का कारण होता है। हलांकि रासायनिक असंतुलन भी एक कारण होता है।

अंगूर का रस मिर्गी रोगी के लिये अत्यंत उपादेय उपचार माना गया है। आधा किलो अंगूर का रस निकालकर प्रात:काल खाली पेट लेना चाहिये। यह उपचार करीब ६ माह करने से आश्चर्यकारी सुखद परिणाम मिलते हैं।

मिट्टी को पानी में गीली करके रोगी के पूरे शरीर पर प्रयुक्त करना अत्यंत लाभकारी उपचार है। एक घंटे बाद नहालें। इससे दौरों में कमी होकर रोगी स्वस्थ अनुभव करेगा।

मानसिक तनाव और शारिरिक अति श्रम रोगी के लिये नुकसान देह है। इनसे बचना जरूरी है।

मिर्गी रोगी को २५० ग्राम बकरी के दूध में ५० ग्राम मेंहदी के पत्तों का रस मिलाकर नित्य प्रात: दो सप्ताह तक पीने से दौरे बंद हो जाते हैं। जरूर आजमाएं।

रोजाना तुलसी के २० पत्ते चबाकर खाने से रोग की गंभीरता में गिरावट देखी जाती है।

पेठा मिर्गी की सर्वश्रेष्ठ घरेलू चिकित्सा में से एक है। इसमें पाये जाने वाले पौषक तत्वों से मस्तिष्क के नाडी-रसायन संतुलित हो जाते हैं जिससे मिर्गी रोग की गंभीरता में गिरावट आ जाती है। पेठे की सब्जी बनाई जाती है लेकिन इसका जूस नियमित पीने से ज्यादा लाभ मिलता है। स्वाद सुधारने के लिये रस में शकर और मुलहटी का पावडर भी मिलाया जा सकता है।

गाय के दूध से बनाया हुआ मक्खन मिर्गी में फ़ायदा पहुंचाने वाला उपाय है। दस ग्राम नित्य खाएं।

गर्भवती महिला को पड़ने वाला मिर्गी का दौरा जच्चा और बच्चा दोनों के लिए तकलीफदायक हो सकता है। उचित देखभाल और योग्य उपचार से वह भी एक स्वस्थ शिशु को जन्म दे सकती है।

मिर्गी की स्थिति में गर्भ धारण करने में कोई परेशानी नहीं है। इस दौरान गर्भवती महिलाएं डॉक्टर की सलाह के अनुसार दवाइयां लें। मां के रोग से होने वाले बच्चे पर कोई असर नहीं पड़ता। गर्भवती महिला समय-समय पर डॉक्टर से जांच कराती रहें, पूरी नींद लें, तनाव में न रहें और नियमानुसार दवाइयां लेती रहें। इससे उन्हें मिर्गी की परेशानी नहीं होगी। गर्भवती महिला के साथ रहने वाले सदस्यों को भी इस रोग की थोड़ी जानकारी होना आवश्यक है।

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मुनक्का

मुनक्कों से तो हम सब परिचित हैं | इसकी प्रकृति गर्म होती है | इसका प्रयोग करने से प्यास शांत हो जाती है व यह गर्मी और पित्त को ठीक करता है | यह पेट और फेफड़ों के रोगों में भी बहुत लाभकारी है | आज हम जानेंगे मुनक्कों से विभिन्न रोगों का उपचार ---------
१ - 10 -12 मुनक्के धोकर रात को पानी में भिगो दें | सुबह को इनके बीज निकालकर खूब चबा -चबाकर खाएं , तीन हफ़्तों तक यह प्रयोग करने से खून साफ़ होता है तथा नकसीर में भी लाभ होता है |

२ - 5 मुनक्के लेकर उसके बीज निकल लें , अब इन्हें तवे पर भून लें तथा उसमें कालीमिर्च का चूर्ण मिला लें | इन्हें कुछ देर चूस कर चबा लें ,खांसी में लाभ होगा |

३- बच्चे यदि बिस्तर में पेशाब करते हों तो उन्हें 2 मुनक्के बीज निकालकर व उसमें एक-एक काली मिर्च डालकर रात को सोने से पहले खिला दें , यह प्रयोग लगातार दो हफ़्तों तक करें , लाभ होगा |

४- पुराने बुखार के बाद जब भूख लगनी बंद हो जाए तब 10 -12 मुनक्के भून कर सेंधा नमक व कालीमिर्च मिलाकर खाने से भूख बढ़ती है |

५ - यदि किसी को कब्ज़ की समस्या है तो उसके लिए शाम के समय 10 मुनक्कों को साफ़ धोकर एक गिलास दूध में उबाल लें फिर रात को सोते समय इसके बीज निकल दें और मुनक्के खा लें तथा ऊपर से गर्म दूध पी लें , १इस प्रयोग को नियमित करने से लाभ स्वयं महसूस करें | इस प्रयोग से यदि किसी को दस्त होने लगें तो मुनक्के लेना बंद कर दें |

६- मुनक्के के सेवन से कमजोरी मिट जाती है और शरीर पुष्ट हो जाता है |

७- मुनक्के में लौह तत्व [ Iron ] की मात्रा अधिक होने के कारण यह [ Heamoglobin ] खून के लाल कण को बढ़ाता है अतः रंग को है |

८ - 4-5 मुनक्के पानी में भिगोकर खाने से चक्कर आने बंद हो जाते हैं |
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मलेरिया
मलेरिया एक वाहक-जनित संक्रामक रोग है जो प्रोटोज़ोआ परजीवी द्वारा फैलता है। मलेरिया सबसे प्रचलित संक्रामक रोगों में से एक है तथा भंयकर जन स्वास्थ्य समस्या है।मलेरिया के परजीवी का वाहक मादा एनोफ़िलेज़ (Anopheles) मच्छर है। इसके काटने पर मलेरिया के परजीवी लाल रक्त कोशिकाओं में प्रवेश कर के बहुगुणित होते हैं जिससे रक्तहीनता (एनीमिया) के लक्षण उभरते हैं (चक्कर आना, साँस फूलना, द्रुतनाड़ी इत्यादि) । इसके अलावा अविशिष्ट लक्षण जैसे कि बुखार, सर्दी, उबकाई, और जुखाम जैसी अनुभूति भी देखे जाते हैं। गंभीर मामलों में मरीज मूर्च्छा में जा सकता है और मृत्यु भी हो सकती है
मलेरिया का बुखार ठण्ड लगकर आता है | इस बुखार में रोगी के शरीर का तापमान १०१ -१०५ डिग्री तक बना रहता है | इसमें रोगी के जिगर और तिल्ली बढ़ जाते हैं |
आईये जानते हैं मलेरिया बुखार के कुछ उपचार -
१- तुलसी के सेवन से प्रकार के बुखारों में लाभ होता है | १० ग्राम तुलसी के पत्ते और ७ काली मिर्च को पानी में पीस कर सुबह और शाम लेने से मलेरिया बुखार ठीक होता है |

२- अमरुद का सेवन मलेरिया में लाभप्रद है | मलेरिया बुखार में प्रतिदिन एक अमरुद खाना चाहिए |

३- प्याज़ के आधे टुकड़े का रस निकाल लें और उसमे एक चुटकी काली मिर्च मिला लें | सुबह -शाम इसके सेवन से मलेरिया बुखार में आराम मिलता है |

४- ५०-६० ग्राम नीम के हरे पत्ते और चार काली मिर्च एक साथ पीस लें | अब इसे १२५ मिलीलीटर पानी में उबाल लें | छानकर पीने से मलेरिया में लाभ होता है|

५- गिलोय के काढ़े या रस में शहद मिलाकर ४०-८० मिलीलीटर की मात्रा में रोज़ सेवन करने से मलेरिया में लाभ होता है ।

६- धनिया और सौंठ के चूर्ण को बराबर मात्रा में मिलाकर रोज़ दिन में तीन बार पानी से लें | ऐसा करने से मलेरिया के बुखार में राहत मिलती है |

७- आधे नींबू पर काली मिर्च का चूर्ण और कालानमक लगाकर धीरे -धीरे चूसने से मलेरिया बुखार दूर होता है |

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आँख आना [ Conjunctivitis ]
Conjunctivitis एक आम वायरल इन्फ़ेक्शन है जो कभी-कभी बैक्टीरिया से भी होता है , इसे आम भाषा में आँख आना कहते हैं | 
आँख का लाल होना , दर्द होना और आँख से पानी आना इसके मुख्य लक्षण हैं | आँख आने पर आँखों में कुछ अटका हुआ सा प्रतीत होता है | इस रोग में आँख खोलने से भी दर्द होता है और रोग के बढ़ने पर गाढ़ा -गाढ़ा पदार्थ भी निकलता है इसलिए रात में पलकें चिपक जाती हैं, जोकि पीड़ादायक है |
यह एक संक्रामक रोग है , यह रोगी के तौलिये या रुमाल के इस्तेमाल से भी फैलता है | आज हम आपको इसके कुछ घरेलू उपचारों से अवगत कराते हैं :--
1- मुलहठी को दो घंटे तक पानी में भिगोकर रखें। उसके बाद उस पानी में रुई डुबोकर पलकों पर रखें , ऐसा करने से आँखों की जलन व दर्द में आराम मिलता है |
2 -आधे गिलास पानी में दो चम्मच त्रिफ़ला चूर्ण दो घंटे भिगोकर रखें | अब इसे छान लें ,इस पानी से दिन में 3 -4 बार छींटें मारकर आँखें धोने से लाभ होता है |
3 -नीम के पानी से आँख धोने के बाद आँखों में गुलाबजल डालें लाभ होगा |
4 -हरी दूब (घास ) का रस निकालें अब इस रस में रुई भिगोकर पलकों पर रखें ,आँखों में ठंडक मिलेगी |
5 -हरड़ को रात भर पानी में भिगोकर रखें | सुबह उस पानी को छानकर उससे आँख धोएं , आँखों की लाली और जलन दूर होगी |
6 -दूध पर जमी मलाई उत्तर लें, अब इसे दोनों पलकों पर रख कर ऊपर से रुई रखकर पट्टी बांध दें | यह प्रयोग रात को सोते समय करें ,लाभ होगा |
7- प्रातःकाल उठते ही अपना बासी थूक भी संक्रमित आँखों पर लगा सकते हैं |

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पेट में कीड़े

कई बार किन्ही कारणों से पेट में कीड़े हो जाते हैं जिनसे काफी पीड़ा होती है | पेट में पाए जाने वाले कीड़ों के सामान्य लक्षण है --- सोते हुए दाँत पीसना ,शरीर का रंग पीला या काला होना , भोजन से अरुचि , होंठ सफ़ेद होना , शरीर में सूजन होना आदि | तो आइए जानते हैं इनसे छुटकारा पाने के कुछ सरल उपाय :-----

1-अनार के छिलकों को सुखाकर चूर्ण बना लें | यह चूर्ण दिन में तीन बार एक -एक चम्मच लें , इससे पेट के कीड़े नष्ट हो जाते हैं |

2 -टमाटर को काटकर ,उसमें सेंधा नमक और कालीमिर्च का चूर्ण मिलाकर सेवन करें | इस प्रयोग से पेट के कीड़े मर कर गुदामार्ग से बाहर निकल जाते हैं |

3-लहसुन की चटनी बनाकर उसमें थोड़ा-सा सेंधा नमक मिलाकर सुबह -शाम खाने से पेट के कीड़े नष्ट होते हैं |

4 -नीम के पत्तों का रस शहद में मिलकर पीने से पेट के कीड़े समाप्त हो जाते हैं |

5 -कच्चे केले की सब्ज़ी 7 -8 दिन तक लगातार सेवन करने से पेट के कीड़े मर जाते हैं |

6 -तुलसी के पत्तों का एक चम्मच रस दिन में दो बार पीने से पेट के कीड़े मरकर मल के साथ बाहर निकल जाते हैं |

7 - अजवायन का 1-2 ग्राम चूर्ण छाछ के साथ पीने से पेट के कीड़े समाप्त हो जाते हैं | यदि छोटे बच्चों के पेट में कीड़े हो गए हों तो आप उन्हें लगभग आधा ग्राम काला नमक व आधा ग्राम अजवायन का चूर्ण मिलकर सोते समय गुनगुने पानी से दें लाभ होगा |
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नींबू

नींबू एक रसीला फल है जो आता तो फल की श्रेणी में है लेकिन काम करता है सब्जियों में। नींबू के रस से किसी भी सब्जी का स्वाद और ज्यादा बढ़ जाता है। यह फल स्वादिष्ट होने के साथ -साथ विटामिन सी से भरपूर भी है। नींबू में और भी कई तत्व पाए जाते हैं जिनकी वजह से नींबू कई रोगों में दवा की तरह भी काम करता है। खासतौर से पेट से संबंधित परेशानियों के लिए नींबू का प्रयोग कई तरीकों से किया जाता है। तो आईये जानते हैं नींबू के ऐसे ही कुछ फायदों के बारे में -

१- एक गिलास पानी में एक नींबू निचोड़कर रात को सोते समय पीने से पेट साफ़ हो जाता है |

२- एक गिलास गुनगुने पानी में एक नींबू का रस व एक चम्मच शहद मिलाकर पीने से कब्ज दूर होती है और शरीर का वजन घटने लगता है |

३- नींबू के रस के सेवन से पेट के कीड़े मर जाते हैं |

४- नींबू के रस में जैतून का तेल मिलाकर चहरे पर मलने से दाग-धब्बे,मुहांसे तथा झाईयां समाप्त होती हैं |

५- हैजा के रोग में नींबू का पानी ज्यादा से ज्यादा पीना चाहिए, इसकी वजह से शरीर में पानी की कमी नहीं होती |

६- लगभग आधा कप गाजर के रस में नींबू का रस मिलकर पीने से शरीर में खून की कमी दूर होती है |

७- यदि किसी को खांसी-जुक़ाम अधिक परेशान करता हो तो आधे नींबू के रस को दो चम्मच शहद के साथ मिलकर पीने से लाभ होता है |

८- आधे नींबू का रस व थोड़ा सा सेंधा नमक १०० मिलीलीटर पानी में डालकर पीने से पेट दर्द में आराम मिलता है |

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केला
भारत में केला हर जगह पाया जाता है और इसकी सबसे अच्छी किस्में भारत में ही होती हैं | भले ही रोज एक सेब खाने से आप डॉक्टर के पास जाने से बच सकते हैं, लेकिन केला खाने से आप अपनी पूरी जिन्दगी स्वस्थ्य रह सकते हैं। रिसर्च के मुताबिक केला आपको कई बीमारियों से बचा सकता है।
तो आइए जानते हैं केला खाने का स्वास्थ्यलाभ -

१ - केला खिलाड़ियों का प्रिय फल है क्योंकि यह तुरंत एनर्जी प्रदान करता है। सुबह नाश्ते में केला खाने से ऊर्जा बढती है और सूकरोज़, फ्रक्टोज़ और ग्लूकोज जैसे पोषक तत्व भी मिलते हैं। यदि आप दिन भर भूखे प्यासे रहते हैं, तो केवल केला ही खा लें देखिये अन्य फल के मुकाबले केले से तुरंत एनर्जी मिलेगी।

२- केले में प्रोटीन पाया जाता है, जो कि दिमाग को आराम देता है इसलिए डिप्रेशन दूर करने में सहायक है |

३- दूध के साथ केला और शहद मिला कर पीने से अनिद्रा की समस्या दूर हो जाती है।

४- केले में रेशा पाया जाता है, जिससे पाचन क्रिया मजबूत बनती है। गैस्ट्रिक व कब्ज़ की बीमारी वाले लोंगो के लिये केला बहुत प्रभावशाली उपचार है। अक्सर यात्रा के दौरान कब्ज की शिकायत हो जाती है। इसको दूर करने के लिये केला एक अच्छा विकल्प है |

५- केला शरीर के खून में हीमोग्लोबिन को बढाता है। जिससे एनीमिया की शिकायत दूर हो जाती है।वे लोग जो एनीमिया से प्रभावित हैं, उन्हें अपने भोजन में केला शामिल करना चाहिये।

६-केले में पोटैशियम पाया जाता है, जो उच्चरक्तचाप के रोगियों के लिए विशेष लाभकारी होता है| केला खाने से उच्चरक्तचाप सामान्य बना रहता है |

७- दो केले लगभग १०० ग्राम दही के साथ सेवन करने से दस्त व पेचिश में लाभ होता है |

८- केले पर चीनी और इलायची डालकर खाने से खट्टी डकारें आनी बंद हो जाती हैं |
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प्याज़ से सभी परिचित हैं इसे किसी परिचय की आवश्यकता नहीं है | आज हम आपको इसके कुछ सरल और रोचक प्रयोग बता रहे हैं -----

प्याज़ कोलेस्ट्रॉल का ऑक्सीकरण करती है फलस्वरूप खून में कोलेस्ट्रॉल का स्तर घट जाता है , प्रातःकाल खाली पेट कच्चे प्याज़ का एक चम्मच रस लें , लाभ होगा |

प्रतिदिन कच्चा प्याज़ भोजन के साथ लेने से कब्ज़ रोग ठीक हो जाता है | 

सफ़ेद प्याज़ के रस मे बारबर मात्रा में शहद मिलाकर चाटने से दमा रोग में लाभ होता है |

प्याज़ और सिरका मिलाकर चटनी बनाकार ख़ाने से लू लगने से राहत मिलती है |

प्याज़ में नमक डालकार खाने से जी मिचलाना ठीक हो जाता है |

नोट -- कच्ची प्याज़ खाने के बाद मुख से आने वाली गंध को थोड़ा सा गुड़ खाकर दूर किया जा सकता है |
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गन्ने का रस
1- गन्ने के रस का नियमित सेवन करने से शरीर का दुबलापन,पेट की गर्मी ,हृदय की जलन एवं कमज़ोरी दूर होती है । ग्रीष्म ऋतू में इसका विशेष लाभ होता है ।
2- गन्ने का रस पीलिया रोग में बहुत लाभदायक है | एक गिलास गन्ने के रस में नींबू निचोड़कर पीने से पीलिया में बहुत लाभ होता है |
3- भोजन के बाद एक गिलास गन्ने का रस पीने से त्वचा रोगों में लाभ होता है |
4- गन्ने का रस पीने से पेशाब की जलन ख़त्म होती है |
5- गन्ने के रस में कैल्शियम,पोटैशियम,आयरन,मैग्नीशियम और फॉस्फोरस जैसे आवश्यक पोषक तत्व पाए जाते हैं जो हमारे शरीर के दैनिक क्रियाकलापों के लिए आवश्यक हैं |
6- गन्ने का रस पीने से हिचकी आने में लाभ होता है |
7- गन्ने के रस के सेवन से मूत्राशय की पथरी व पेशाब की रुकावट दूर होती है |
8- ताजा गन्ने का रस कार्बोनेटेड पेयों की अपेक्षा एक उत्तम विकल्प है |

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पीलिया -

रक्त में लाल कणों की निश्चित आयु होती है | यदि किसी कारण इनकी आयु कम हो जाए और ये जल्दी ही अधिक मात्रा में नष्ट होने लगें तो पीलिया होने लगता है | यदि जिगर का कार्य भी पूरी तरह न हो तो पीलिया हो जाता है | हमारे रक्त में बिलीरुबिन नामक पीले रंग का पदार्थ होता है | यह पदार्थ लाल कणों के नष्ट होने पर निकलता है इसलिए शरीर में पीलापन आने लगता है | त्वचा का पीलापन ही पीलिया कहलाता है | रोग बढ़ने पर सारा शरीर हल्दी की तरह पीला दिखाई देता है | इस रोग में जिगर, पित्ताशय , तिल्ली और आमाशय आदि खराब होने की संभावना रहती है | अत्यंत तीक्ष्ण पदार्थों का सेवन, अधिक खटाई , गर्म तथा चटपटे और पित्त को बढ़ने वाले पदार्थों का अधिक सेवन,शराब अधिक पीने आदि कारणों से वात , पित्त और कफ कुपित होकर पीलिया को जन्म देते हैं| कुछ प्रयोग निम्न प्रकार हैं -----
1- ५० ग्राम मूली के पत्ते का रस निचोड़कर १० ग्राम मिश्री मिला लें, और बासी मुहँ पियें |
2- पीलिया के रोगी को जौं ,गेंहू तथा चने की रोटी ,खिचड़ी ,हरी सब्ज़ियाँ,मूंग की दाल तथा नमक मिला हुआ मट्ठा आदि देना चाहिए |
3- तरल पदार्थों का सेवन अधिक करना चाहिए |
4- रोगी को भोजन बिना हल्दी का देना चाहिए तथा मैदे से बनी वस्तुएं ,खटाई ,उड़द ,सेम ,सरसों युक्त गरिष्ठ भोजन नहीं देना चाहिए |
5- कच्चे पपीते का खूब सेवन करें | पका हुआ पपीता भी पीलिया में बहुत लाभदायक होता है |
6- उबली हुई बिना मसाले व मिर्च की सब्ज़ी का सेवन करें |
7- मकोय के ४ चम्मच रस को हल्का गुनगुना करके सात दिन तक सेवन करें ,लाभ होगा |
8- पीलिया के रोगी को पूर्णतः विश्राम करना चाहिए तथा नमक का सेवन भी कम करना चाहिए |
9- अनार के रस के सेवन से रुक हुआ मल निकल जाता है और पीलिया में फायदा होता है |
10- आंवला रस पीने से भी पीलिया दूर होता है |

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सदाबहार 
1 -सदाबहार की तीन - चार कोमल पत्तियाँ चबाकर रस चूसने से मधुमेह रोग से राहत मिलती है | 
2 - सदाबहार के पौधे के चार पत्तों को साफ़ धोकर सुबह खाली पेट चबाएं और ऊपर से दो घूंट पानी पी लें | इससे मधुमेह ,मिटता है | यह प्रयोग कम से कम तीन महीने तक करना चाहिए | 
3 - आधे कप गरम पानी में सदाबहार के तीन ताज़े गुलाबी फूल 05 मिनिट तक भिगोकर रखें | उसके बाद फूल निकाल दें और यह पानी सुबह ख़ाली पेट पियें | यह प्रयोग 08 से 10 दिन तक करें | अपनी शुगर की जाँच कराएँ यदि कम आती है तो एक सप्ताह बाद यह प्रयोग पुनः दोहराएँ |


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आलू 

भारत और विश्व में आलू विख्यात है और अधिक उपजाया जाता है| आलू को हमेशा छिलके समेत पकाना चाहिए क्योंकि आलू का सबसे अधिक पौष्टिक भाग छिलके के एकदम नीचे होता है, जो प्रोटीन और खनिज से भरपूर होता है। आलू में स्टॉर्च, पोटाश और विटामिन ए व डी होता है।
यह अन्य सब्जियों के मुकाबले सस्ता मिलता है लेकिन है गुणों से भरपूर | आलू से मोटापा नहीं बढ़ता| आलू को तलकर तीखे मसाले, घी आदि लगाकर खाने से जो चिकनाई पेट में जाती है, वह चिकनाई मोटापा बढ़ाती है| आलू को उबालकर अथवा गर्म रेत या राख में भूनकर खाना लाभदायक और निरापद है|
आलू में विटामिन बहुत होता है| आलू को छिलके सहित गरम राख में भूनकर खाना सबसे अधिक गुणकारी है|

-भुना हुआ आलू पुरानी कब्ज और अंतड़ियों की सड़ांध दूर करता है| आलू में पोटेशियम साल्ट होता है जो अम्लपित्त को रोकता है|
-चार आलू सेंक लें और फिर उनका छिलका उतार कर नमक, मिर्च डालकर नित्य खाएं। इससे गठिया ठीक हो जाता है|
हरा भाग खतरनाक
आलू के हरे भाग में सोलेनाइन विषैला पदार्थ होता है, जो शरीर के लिए नुकसानदायक होता है। आलू के अंकुरित हिस्से का भी प्रयोग नहीं करना चाहिए।

आलुओं में प्रोटीन होता है, सूखे आलू में 8.5 प्रतिशत प्रोटीन होता है| आलू का प्रोटीन बूढ़ों के लिए बहुत ही शक्ति देने वाला और बुढ़ापे की कमजोरी दूर करने वाला होता है|
आलू में कैल्शियम, लोहा, विटामिन-बी तथा फास्फोरस बहुतायत में होता है| आलू खाते रहने से रक्त वाहिनियां बड़ी आयु तक लचकदार बनी रहती हैं तथा कठोर नहीं होने पातीं|
इसको छिलके सहित पानी में उबालें और गल जाने पर खाएं।
यदि दो-तीन आलू उबालकर छिलके सहित थोड़े से दही के साथ खा लिए जाएं तो ये एक संपूर्ण आहार का काम करते हैं|
आलू के छिलके ज्यादातर फेंक दिए जाते हैं, जबकि अच्छी तरफ साफ़ किये छिलके सहित आलू खाने से ज्यादा शक्ति मिलती है|
- कभी-कभी चोट लगने पर नील पड़ जाती है। नील पड़ी जगह पर कच्चा आलू पीसकर लगाएँ|
- शरीर पर कहीं जल गया हो, तेज धूप से त्वचा झुलस गई हो, त्वचा पर झुर्रियां हों या कोई त्वचा रोग हो तो कच्चे आलू का रस निकालकर लगाने से फायदा होता है।|
-गुर्दे की पथरी में केवल आलू खाते रहने पर बहुत लाभ होता है| पथरी के रोगी को केवल आलू खिलाकर और बार-बार अधिक पानी पिलाते रहने से गुर्दे की पथरियाँ और रेत आसानी से निकल जाती हैं|
-उच्च रक्तचाप के रोगी भी आलू खाएँ तो रक्तचाप को सामान्य बनाने में लाभ करता है|
-आलू को पीसकर त्वचा पर मलें। रंग गोरा हो जाएगा|


जादुई असर करे आलू के छिलके

आलू के छिलके कमाल के होते हैं, यकीन मानिए। दुनिया भर आलू एक प्रचलित कंद है और इसका इस्तेमाल लगभग हर घर में किया जाता है लेकिन दुर्भाग्यवश जानकारी के अभाव में हम इसके छिलकों को फेंक देते हैं। आप जब इसके औषधीय गुणों को जानेंगे तो सिवाय दांतों में ऊंगली दबाने के कुछ ना कर पाएंगे। आपको आश्चर्य होगा कि आलू के छिलकों में आलू के अंदर के हिस्से से ज्यादा महत्वपूर्ण रसायन पाए जाते हैं। आंखों के नीचे बैग (एक प्रकार की सूजन) बने हों, या चेहरे पर दाग- धब्बे हों या मुहांसे हो..कुछ ना करें सिर्फ आलू के छिलकों के अंदरूनी हिस्से को चेहरे पर लगाए और हल्का हल्का दबाते हुएं रगडें, १५ दिन में फर्क बताएं,..दावा है मेरा..और तो और इन छिल्कों को ग्राईंड करें, रुई डुबोकर चेहरे पर लगाएं और फिर १५ दिनों में चेहरे की रंगत ना बदले तो बताएं..देसी ज्ञान है ....., असर दिखाकर दम लेगा..आज से आलू के छिलके फेंकना बंद..ध्यान रहें, छिलकों के इस्तेमाल से पहले आलू को साफ पानी से खूब अच्छी तरह से धो जरूर लें...

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लौकी 

हमारे देश मे कुछ सब्जियां लोग बड़े ही चाव से खाते और खिलाते हैं ,अर्थात खुद तो फायदे लेते ही हैं ,औरों के स्वास्थ्य का ध्यान भी रखते हैं। सब्ज़ी के रुप में खाए जाने वाली लौकी हमारे शरीर के कई रोगों को दूर करने में सहायक होती है। यह बेल पर पैदा होती है और कुछ ही समय में काफी बड़ी हो जाती है। 

वास्तव में यह एक औषधि है और इसका उपयोग हजारों रोगियों पर सलाद के रूप में अथवा रस निकालकर या सब्ज़ी के रुप में एक लंबे समय से किया जाता रहा है। लौकी को कच्चा भी खाया जाता है, यह पेट साफ करने में भी बड़ा लाभदायक साबित होती है । लंबी तथा गोल दोनों प्रकार की लौकी वीर्यवर्धक, पित्त तथा कफनाशक और धातु को पुष्ट करने वाली होती है। अंग्रेजी में बाटल गार्ड के नाम से प्रचलित इसके बारे में कहा जाता है, कि मनुष्य द्वारा सबसे पहले उगाई गयी सब्ज़ी लौकी ही थी। प्रोटीन,फाइबर ,मिनरल,कार्बोहाइड्रेट से भरपूर इसके औषधीय गुणों पर एक नज़र डालते हैं-

1-इसे उबाल कर कम मसालों के साथ सब्ज़ी बनाकर खाने पर यह मूत्रल (डायूरेटीक), तनावमुक्त करनेवाली (सेडेटिव) और पित्त को बाहर निकालनेवाली औषधि है।
2- हृदय रोग में, एक कप लौकी के रस में थोडी सी काली मिर्च और पुदीना डालकर पीने से हृदय रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।
3- इसका जूस निकालकर नींबू के रस में मिलाकर एक गिलास की मात्रा में सुबह सुबह पीने से यह प्राकृतिक एल्कलाएजर का काम करता है ,और कैसी भी पेशाब की जलन चंद पलों में ठीक हो जाती है।
4- हैजा होने पर 25 एमएल लौकी के रस में आधा नींबू का रस मिलाकर धीरे-धीरे पिएं। इससे मूत्र बहुत आता है।
5 -अगर डायरिया के मरीज को केवल लौकी का जूस हल्के नमक और चीनी के साथ मिलकर पिला दिया जाय तो यह प्राकृतिक जीवन रक्षक घोल बन जाता है।
6-लौकी में श्रेष्ठ किस्म का पोटैशियम प्रचुर मात्रा में मिलता है, जिसकी वजह से यह गुर्दे के रोगों में बहुत उपयोगी है और इससे पेशाब खुलकर आता है।
7-लौकी के बीज का तेल कोलेस्ट्रोल को कम करता है तथा हृदय को शक्ति देता है। यह रक्त की नाड़ियों को भी स्वस्थ बनाता है। लौकी का उपयोग आंतों की कमजोरी, कब्ज, पीलिया, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, मधुमेह, शरीर में जलन या मानसिक उत्तेजना आदि में बहुत उपयोगी है।
8-लौकी का रस मिर्गी और अन्य तंत्रिका तंत्र से सम्बंधित बीमारियों में भी फायदेमंद है।

9-अगर आप एसिडीटी,पेट क़ी बीमारियों एवं अल्सर से हों परेशान, तो न घबराएं बस लौकी का रस है इसका समाधान।

10- केवल पर्याप्त मात्रा में लौकी क़ी सब्ज़ी का सेवन पुराने से पुराने कब्ज को भी दूर कर देता है।

तो लौकी इस नाम क़ी सब्ज़ी को इसके नाम से हल्का न समझें, इसके गुण बड़े भारी हैं ,लेकिन शरीर पर प्रभाव बड़ा ही हल्का और सुखदाई है।

सावधानी - जूस निकालने से पहले लौकी का एक छोटा टुकड़ा काटकर उसे चख लेना चाहिए। अगर वह कड़वा हो तो लौकी का किसी भी रूप में इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।

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गर्मी से कैसे बचा जाये

जैसा की आप जानते हैं उपचार से बचाव बेहतर होता है, आइये आज हम गर्मी से कैसे बचा जाये इस पर चर्चा करते हैं:----
चेहरा और सर रुमाल या तौलिया और टोपी , पगड़ी से ढक कर निकलना चाहिये गर्मी के मौसम में अधिक-से-अधिक कार्य प्रात: और शाम को निपटाना चाहिए।गर्मियों में सिरदर्द की परेशानी बढ़ जाती है। जिन्हें सिरदर्द रहता है, उन्हें धूप में नहीं निकलना चाहिए। यदि मजबूरन बाहर जाना ही हो, तो सिर पर टोपी,पगड़ी, अंगोछा या कोई कपड़ा रखकर निकलना चाहिए।

गर्मी में सूती और हलके रंग के कपडे पहनने चाहिये,गर्मी के मौसम में चमकदार, भड़कीले और चटक रंग वाले कपड़े गर्मी को अवशोषित करते हैं। जिससे शरीर की त्वचा जलने लगती है। इसके विपरीत हल्के रंग वाले, सादे रंग उत्तम माने जाते हैं। खास कर पूरी गर्मी में सूती कपड़े पहनना चाहिए। यदि सूती कपड़े उपलब्ध न हों,तो ऐसे कपड़े चुनें, जिनमें सूती का अंश अधिक हो और यदि हो सके तो घर से बाहर जाते समय पूरी बांह के सूती कपड़े पहनें |
गर्मी में जब भी घर से निकले ,कुछ खा कर और पानी पी कर ही निकले ,खाली पेट नहीं |घर से बाहर निकलते समय पानी की बोतल साथ रखें | 8 से 10 गिलास पानी का सेवन ,रोजाना करना चाहिए |
गर्मी में ज्यादा भारी तथा बासी भोजन नहीं करना चाहिए ,क्योंकि गर्मी में शरीर की जठराग्नि मंद रहती है ,इसलिए वह भारी खाना पूरी तरह पचा नहीं पाती और जरुरत से ज्यादा खाने या भारी खाना खाने से उलटी-दस्त की शिकायत हो सकती है,गरम मसालों का उपयोग (लौंग, जायफल, दालचीनी इत्यादि) कम करें। भोजन के समय पुदीना , प्याज और कच्चे आम की चटनी अवश्य खायें | चाय और काफी का उपयोग कम करें
बाज़ार की ठंडी चीजे नहीं बल्कि घर की बनी ठंडी चीजो का सेवन करना चाहिये, यथा आम का पना, खस, चन्दन, गुलाब, फालसा, संतरे का शर्बत ,नींबू की शिकंजी ,ठंडाई, सत्तू, दही की लस्सी,मट्ठा,गुलकंद इत्यादि का सेवन करना चाहिये |
हरी ताजी सब्जियों व फलों का सेवन अधिक करना चाहिये यथा तोरई, लौकी ,ककड़ी,खीरा, पुदीना ,नीबू ,तरबूज, खरबूजा, आम, बेल ,पपीता, आलूबुखारा ,आड़ू ,लीची आदि |
गर्मियों में त्वचा संबंधी परेशानियों से छुटकारा पाने के लिए हर्बल फेस पैक अपनाएं। आप चेहरे व बालों के लिए मुल्तानी मिटटी का उपयोग भी कर सकते हैं , यह त्वचा को ठंडक देती है |

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ज्वार ----

गेहूं की रोटी का बेहतर विकल्प है मोटे अनाज में ज्वार की रोटी। यह पोटेशियम और फास्फोरस के साथ ही कैल्शियम और आयरन से भरपूर है। यह वजन बढ़ने और हृदय विकार जैसे आर्टरीज में होने वाले ब्लॉकेज को रोकने में मददगार है।गर्मियों में ज्वार की रोटी , छाछ या कढी के साथ या साग के साथ सेवन करने से ठंडक देती है. तो हो जाए ज्वारी रोटी !!!!!!
ज्वार बहुत पौष्टिक होता है। इसमें बहुत ज्यादा फाइबर है। यह आटे की तरह लसलसा नहीं होता, जिससे यह डायबिटीज, आर्थराइटिस जैसी बीमारियों से बचाव में मदद देता है। यह हड्डियों और दांतों को भी मजबूत बनाता है।
ज्वार बवासीर और घावों में लाभदायक है। ज्वार की रोटी नित्य छाछ में भिगोकर खाएँ। शरीर बलवान होता है।
यह आटा गेहूं के आटे से कई गुना बेहतर होता है। ज्वार के आटे में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं। यह ग्लुटेन रहित और नॉन एलर्जिक होता है। यह फाइबर, फॉस्फोरस और आयरन का भंडार है। इसमें अल्कालाइन नहीं होता, जिससे यह आसानी से पच जाता है। ज्वार विटमिन बी कॉम्प्लेक्स का अच्छा स्त्रोत है। शाकाहारी लोगों के लिए ज्वार का आटा प्रोटीन का एक अच्छा स्रोत है। शोध बताते हैं कि यह कुछ खास प्रकार के कैंसर के खतरों को भी कम करता है। साथ ही यह हृदय और मधुमेह रोगियों के लिए आटे का अच्छा विकल्प है।

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दांत दर्द
दांत दर्द कई कारणों से होता है मसलन किसी तरह के संक्रमण से या डाईबिटिज की वजह से या ठीक ढंग से दांतों की साफ सफाई नहीं करते रहने से। यूँ तो दांत दर्द के लिए कुछ ऐलोपैथिक दवाइयां होती हैं लेकिन उनके बहुत हीं कुप्रभाव होते हैं जिसकी वजह से लोग चाहते हैं की कुछ घरेलू उपचार से इसे ठीक कर लिया जाये। अगर आप भी दांत दर्द से परेशान है एवं इसके उपचार के लिए प्रभावकारी घरेलू उपाय चाहते हैं तो नीचे दिए गए उपायों पर अमल करें।

हींग - जब भी दांत दर्द के घरेलू उपचार की बात की जाती है, हींग का नाम सबसे पहले आता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि यह दांत दर्द से तुरंत मुक्ति देता है। इसका इस्तेमाल करना भी बेहद आसन है। आपको चुटकी भर हींग को मौसम्मी के रस में मिलाकर उसे रुई में लेकर अपने दर्द करने वाले दांत के पास रखना है। चूँकि हींग लगभग हर घर में पाया जाता है इसलिए दांत दर्द के लिए यह उपाय बहुत सुलभ, सरल एवं कारगर माना जाता है।

लौंग -- लौंग में औषधीय गुण होते हैं जो बैकटीरिया एवं अन्य कीटाणु (जर्म्स, जीवाणु) का नाश करते हैं। चूँकि दांत दर्द का मुख्य कारण बैकटीरिया एवं अन्य कीटाणु का पनपना होता है इसलिए लौंग के उपयोग से बैकटीरिया एवं अन्य कीटाणु का नाश होता है जिससे दांत दर्द गायब होने लगता है। घरेलू उपचार में लौंग को उस दांत के पास रखा जाता है जिसमें दर्द होता है। लेकिन दर्द कम होने की प्रक्रिया थोड़ी धीमी होती है इसलिए इसमें धैर्य की जरुरत होती है।

प्याज -- प्याज (कांदा ) दांत दर्द के लिए एक उत्तम घरेलू उपचार है। जो व्यक्ति रोजाना कच्चा प्याज खाते हैं उन्हें दांत दर्द की शिकायत होने की संभावना कम रहती है क्योंकि प्याज में कुछ ऐसे औषधीय गुण होते हैं जो मुंह के जर्म्स, जीवाणु एवं बैकटीरिया को नष्ट कर देते हैं। अगर आपके दांत में दर्द है तो प्याज के टुकड़े को दांत के पास रखें अथवा प्याज चबाएं। ऐसा करने के कुछ हीं देर बाद आपको आराम महसूस होने लगेगा।

लहसुन -- लहसुन भी दांत दर्द में बहुत आराम पहुंचाता है। असल में लहसुन में एंटीबायोटिक गुण पाए जाते हैं जो अनेकों प्रकार के संक्रमण से लड़ने की क्षमता रखते हैं। अगर आपका दांत दर्द किसी प्रकार के संक्रमण की वजह से होगा तो लहसुन उस संक्रमण को दूर कर देगा जिससे आपका दांत दर्द भी ठीक हो जायेगा। इसके लिए आप लहसुन की दो तीन कली को कच्चा चबा जायें। आप चाहें तो लहसुन को काट कर या पीस कर अपने दर्द करते हुए दांत के पास रख सकते हैं। लहसुन में एलीसिन होता है जो दांत के पास के बैकटीरिया, जर्म्स, जीवाणु इत्यादि को नष्ट कर देता है। लेकिन लहसुन को काटने या पीसने के बाद तुरंत इस्तेमाल कर लें। ज्यादा देर खुले में रहने देने से एलीसिन उड़ जाता है जिससे बगैर आपको ज्यादा फायदा नहीं होता।

गरारे (गार्गल) करें
गरारे भी दांत दर्द दूर करने का एक अति उत्तम घरेलू उपाय है। हल्के गर्म पानी में एक चम्मच नमक डालकर गरारे करें। ऐसे नमकीन पानी से दिन में दो चार बार कुल्ला किया करें। नमक के संपर्क में आने के बाद मुंह के जर्म्स, जीवाणु एवं बैकटीरिया नष्ट हो जाते हैं जिसकी वजह से आपको दर्द से तुरंत राहत मिलती है।
सलाह
जब दांत दर्द हो तब मीठे पदार्थ खाने या पीने से परहेज करें क्योंकि ये बैकटीरिया, जर्म्स, जीवाणु इत्यादि को और बढ़ावा देते है जिनसे आपकी तकलीफ और बढती है

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स्वादिष्ट होने के साथ ही गुणकारी भी है खरबूजा
खरबूजा गर्मी के मौसम में आने वाला एक ऐसा फल है, जिसका स्वाद और सुगंध दोनों अपने आप में अलग ही होती है। यह सेहत के लिए भी लाभदायक होता है। खरबूजे में 95 प्रतिशत पानी के साथ विटामिन और मिनरल्स भी पाए जाते हैं।

गर्मी के इस मौसम में अपने शरीर से पानी की कमी को दूर करने के लिए खरबूजे का सेवन एक बेहतर विकल्प है। यह एक्जिमा में भी बहुत लाभकारी होता है। इसके बीज में प्रोटीन और तेल काफी मात्रा में होता है।

पुरानी खाज में खरबूजे का रस लाभदायक है। इसमें विटामिन सी पाया जाता है। खरबूजे के सेवन से पेट की जलन शांत होती है। खरबूजे से कब्ज व एसिडिटी की समस्या दूर हो जाती है। चलिए, आज जानते हैं गर्मी में खरबूजा खाने से होने वाले ऐसे ही कुछ फायदों के बारे में...

त्वचा को बनाएं जवान- खरबूजे में भरपूर मात्रा में एंटी-ऑक्सीडेंट होते हैं। साथ ही, पर्याप्त मात्रा में विटामिन सी व विटामिन ए पाया जाता है। इसीलिए इसके नियमित सेवन से त्वचा जवां बनी रहती है।

कैंसर से बचाता है-
खरबूजे में आर्गेनिक पिगमेंट केरोटीनाइड पाया जाता है, जो कैंसर से बचाने के साथ ही किसी भी तरह के कैंसर की संभावना को भी कम कर देता है।

दिल को सुरक्षित रखता है-

खरबूजे में एडेनोसीन नामक एंटीकोएगुलेंट पाया जाता है, जो ब्लड सर्कुलेशन को ठीक करता है और खून का थक्का नहीं जमने देता है। इसीलिए इसके नियमित सेवन से दिल से संबंधित बीमारियां दूर ही रहती हैं।

पाचन से जुड़ी समस्याएं दूर करता है-

खरबूजा कब्ज की समस्या दूर करता है। अगर आप पाचन की समस्या से जूझ रहे हैं, तो खरबूजा खाइए। खरबूजे में मौजूद पानी की मात्रा भोजन के पाचन में सहायक होती है। इसमें पाए जाने वाले मिनरल्स पेट से जुड़ी समस्याओं को दूर कर पाचन प्रक्रिया दुरुस्त कर देते हैं।

चेहरा चमकने लगता है-

स्किन में कनेक्टिव टिशू पाए जाते हैं। खरबूजे में पाया जाने वाले कोलाजन प्रोटीन इन कनेक्टिव टिशू में कोशिका की संरचना को बनाए रखता है। कोलाजन से जख्म भी जल्दी ठीक होते हैं और त्वचा को मजबूती मिलती है। अगर आप लगातार खरबूजा खाएंगे तो चेहरा चमकने लगेगा।

किडनी को स्वस्थ बनाए रखता है-

खूरबूजे में डाइयुरेटिक (मूत्रवर्धक) क्षमता काफी अच्छी होती है। इस कारण इससे किडनी की बीमारियां ठीक होती हैं और यह एक्जिमा को कम करता है। अगर खरबूजे में नींबू मिलाकर इसका सेवन किया जाए तो इससे गठिया की बीमारी भी ठीक हो सकती है।

ऊर्जा को बढ़ाता है-

खरबूजे में विटामिन बी पाया जाता है। यह शरीर में ऊर्जा के निर्माण में सहायक होता है। शुगर और कार्बोहाइड्रेट को संसाधित करने में यह ऊर्जा शरीर के लिए आवश्यक होती है।

वजन कम करने में होता है मददगार

जो लोग वजन कम करना चाहते हैं, उन्हें गर्मी में रोज खरबूजे का सेवन करना चाहिए। इसमें काफी कम मात्रा में सोडियम पाया जाता है। साथ ही, यह फैट और कोलेस्ट्रोल से भी मुक्त होता है। इसमें कम मात्रा में कैलोरी होती है। एक कप खरबूजे में सिर्फ 48 कैलोरी ऊर्जा होती है। इसीलिए यह बढ़ते वजन को नियंत्रित करने में काफी मददगार होता है।

आंखों को स्वस्थ बनाता है-

खरबूजे में विटामिन ए बहुत अधिक मात्रा में पाया जाता है। साथ ही, इसमें बीटा-केरोटीन भी पाया जाता है। इसीलिए इसके नियमित सेवन से आंखें स्वस्थ रहती हैं और आंखों से जुड़ा कोई रोग परेशान नहीं करता है।

तनाव से मुक्ति दिलाता है-

खरबूजे में काफी मात्रा में पोटैशियम मौजूद होता है। पोटेशियम दिल को सामान्य रूप से धड़कने में मदद करता है, जिससे मस्तिष्क में पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन पहुंचती है और तनाव से भी मुक्ति मिलती है।

डायबिटीज में भी है फायदेमंद-

डायबिटीज के रोगियों के लिए खरबूजा बहुत फायदेमंद होता है। माना जाता है कि जो डायबिटीज रोगी गर्मी में रोज एक गिलास खरबूजे का जूस लेते हैं, उनका कोलेस्ट्राल हमेशा कंट्रोल में रहता है।
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ठंडाई -
- होली से सूरज की किरणें प्रखर होने लगती है और मौसम बदलता है. इससे पित्त बढ़ने लगता है और शरीर में गर्मी बढ़ने से अनेक परेशानियां होने लगती है. इसीलिए ठंडाई का सेवन शुरू किया जाता है.
- जिनको अम्ल पित्त, पित्त प्रकोप और उदर में ज्यादा गर्मी होने की तथा पेट में जलन होने की शिकायत हो, मुँह में छाले होते रहते हों, आँखों और पेशाब में जलन हुआ करती हो, उन्हें ठंडाई का सेवन सुबह खाली पेट करना चाहिए। इससे यह सभी शिकायतें दूर होंगी।
- शरीर में अतिरिक्त उष्णता बढ़ जाने से तथा पित्त के कुपित रहने से जिन्हे स्वप्नदोष और शीघ्रपतन होने की शिकायत हो, स्त्रियों को रक्तप्रदर होता हो, उन्हें 40 दिन तक नियमित रूप से ठंडाई का सेवन करने से लाभ हो जाता है।
- सुबह के वक्त ठंडाई का सेवन करने से किसी किसी को जुकाम हो जाता है। ऐसी स्थिति में जुकाम ठीक होने तक ठंडाई का सेवन न करें। 2-3 दिन में शरीर में संचित हुआ कफ, नजला-जुकाम के जरिये निकल जाएगा और जुकाम अपने आप ठीक हो जाएगा। यदि फिर भी हो जाए तो फिर ठंडाई का सेवन सुबह के वक्त न करके दोपहर बाद करना चाहिए।
- नियमित रूप से पौष्टिक ठंडाई का सेवन करने से शरीर में ताजगी और शीतलता बनी रहती है, दिमागी ताकत बनी रहती है, गर्मी से कष्ट नहीं होता, शरीर में जलयांश की कमी (डिहाइड्रेशन ), लू लगना, डायरिया, उलटी-दस्त-हैजा आदि व्याधियाँ नहीं होतीं, मुँह सूखना, आँखों में जलन होना, पेशाब में रुकावट या कमी, अनिद्रा, पित्तजन्य सिर दर्द, कब्ज रहना, ज्यादा पसीना आना, स्त्रियों को अधिक रक्त स्राव होना आदि शिकायतें नहीं होती।
- जो व्यक्ति सभी सामग्री को अलग-अलग खरीदकर लाना चाहे और उसे उचित मात्रा में मिलाकर घर पर ही ठंडाई का मिश्रण तैयार करना चाहे, वो इस विधि का उपयोग कर सकते हैं। ऐसा करना गुणवत्ता, शुद्धता एवं प्रत्येक द्रव्य को उचित मात्रा में मिश्रण करने की दृष्टि से अच्छा ही होगा।
सामग्री : धनिया, खसखस के दाने, ककड़ी के बीज, गुलाब के फूल, काहू के बीज, खस कुलफे के बीज, सौंफ, काली मिर्च, सफेद मिर्च और कासनी, सभी 11 द्रव्य 50-50 ग्राम। छोटी इलायची, सफेद चन्दन का चूरा और कमल गट्टे की गिरी, तीनों 25-25 ग्राम। इन सबको इमामदस्ते में कूटकर पीस लें और बर्नी में भर लें।
- कमल गट्टे की गिरि और चन्दन का चूरा खूब सूखा हुआ होना चाहिए। कमल गट्टे के पत्ते और छिलके हटाकर सिर्फ गिरि ही लेना है। इस मिश्रण की 10 ग्राम मात्रा एक व्यक्ति के लिए काफी होती है। जितने व्यक्तियों के लिए ठंडाई घोंटना हो, प्रति व्यक्ति 10 ग्राम के हिसाब से ले लेना चाहिए।

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मुंह में अगर छाले हो जाएं तो जीना मुहाल हो जाता है। खाना तो दूर पानी पीना भी मुश्किल हो जाता है। लेकिन, इसका इलाज आपके आसपास ही मौजूद है। मुंह के छाले गालों के अंदर और जीभ पर होते हैं।

संतुलित आहार, पेट में दिक्कत, पान- मसालों का सेवन छाले का प्रमुख कारण है। छाले होने पर बहुत तेज दर्द होता है। आइए हम आपको मुंह के छालों से बचने के लिए घरेलू उपचार बताते हैं।

मुंह के छालों से बचने के घरेलू उपचार –

शहद में मुलहठी का चूर्ण मिलाकर इसका लेप मुंह के छालों पर करें और लार को मुंह से बाहर टपकने दें।

मुंह में छाले होने पर अडूसा के 2-3 पत्तों को चबाकर उनका रस चूसना चाहिए।

छाले होने पर कत्था और मुलहठी का चूर्ण और शहद मिलाकर मुंह के छालों पर लगाने चाहिए।

अमलतास की फली मज्जा को धनिये के साथ पीसकर थोड़ा कत्था मिलाकर मुंह में रखिए। या केवल अमलतास के गूदे को मुंह में रखने से मुंह के छाले दूर हो जाते हैं।

अमरूद के मुलायम पत्तों में कत्था मिलाकर पान की तरह चबाने से मुंह के छाले से राहत मिलती है और छाले ठीक हो जाते हैं।

सूखे पान के पत्ते का चूर्ण बना लीजिए, इस चूर्ण को शहद में मिलाकर चाटिए, इससे मुंह के छाले समाप्त हो जाएंगे।

पान के पत्तों का रस निकालकर, देशी घी में मिलाकर छालों पर लगाने से फायदा मिलता है और छाले समाप्त हो जाते हैं।

नींबू के रस में शहद मिलाकर इसके कुल्ले करने से मुंह के छाले दूर होते हैं।

ज्यादा से ज्यादा मात्रा में पानी का सेवन कीजिए, इससे पेट साफ होगा और मुंह के छाले नहीं होंगे।

मशरूम को सुखाकर बारीक चूर्ण तैयार कर लीजिए, इस चूर्ण को छालों पर लगा दीजिए। मुंह के छाले ठीक हो जाएंगे।

मुंह के छाले होने पर चमेली के पत्तों को चबाइए। इससे छाले समाप्त हो जाते हैं।

छाछ से दिन में तीन से चार बार कुल्ला करने से मुंह के छाले ठीक होते हैं।

खाना खाने के बाद गुड चूसने से छालों में राहत होती है।

मेंहदी और फिटकरी का चूर्ण बनाकर छालों पर लगाएं, इससे मुंह के छाले समाप्त होते हैं।

अगर आपको बार-बार मुंह के छाले हो रहे हैं तो अपने मुंह की सफाई पर विशेष ध्यान दीजिए। ज्यादा मसालेदार और गरिष्ठ भोजन करने से बचें। अगर फिर भी छाले ठीक न हो रहे हों तो चिकित्सक से सलाह अवश्य कर लीजिए |
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सहजन -
दक्षिण भारत में साल भर फली देने वाले पेड़ होते है. इसे सांबर में डाला जाता है . वहीँ उत्तर भारत में यह साल में एक बार ही फली देता है. सर्दियां जाने के बाद इसके फूलों की भी सब्जी बना कर खाई जाती है. फिर इसकी नर्म फलियों की सब्जी बनाई जाती है. इसके बाद इसके पेड़ों की छटाई कर दी जाती है.
- आयुर्वेद में ३०० रोगों का सहजन से उपचार बताया गया है। इसकी फली, हरी पत्तियों व सूखी पत्तियों में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, कैल्शियम, पोटेशियम, आयरन, मैग्नीशियम, विटामिन-ए, सी और बी कॉम्पलैक्स प्रचुर मात्रा में पाया जाता है।
- इसके फूल उदर रोगों व कफ रोगों में, इसकी फली वात व उदरशूल में, पत्ती नेत्ररोग, मोच, शियाटिका,गठिया आदि में उपयोगी है|
- जड़ दमा, जलोधर, पथरी,प्लीहा रोग आदि के लिए उपयोगी है तथा छाल का उपयोग शियाटिका ,गठिया, यकृत आदि रोगों के लिए श्रेयष्कर है|
- सहजन के विभिन्न अंगों के रस को मधुर,वातघ्न,रुचिकारक, वेदनाशक,पाचक आदि गुणों के रूप में जाना जाता है|
- सहजन के छाल में शहद मिलाकर पीने से वात, व कफ रोग शांत हो जाते है| इसकी पत्ती का काढ़ा बनाकर पीने से गठिया,शियाटिका ,पक्षाघात,वायु विकार में शीघ्र लाभ पहुंचता है| शियाटिका के तीव्र वेग में इसकी जड़ का काढ़ा तीव्र गति से चमत्कारी प्रभाव दिखता है,
- मोच इत्यादि आने पर सहजन की पत्ती की लुगदी बनाकर सरसों तेल डालकर आंच पर पकाएं तथा मोच के स्थान पर लगाने से शीघ्र ही लाभ मिलने लगता है |
- सहजन को अस्सी प्रकार के दर्द व बहत्तर प्रकार के वायु विकारों का शमन करने वाला बताया गया है|
- इसकी सब्जी खाने से पुराने गठिया , जोड़ों के दर्द, वायु संचय , वात रोगों में लाभ होता है.
- सहजन के ताज़े पत्तों का रस कान में डालने से दर्द ठीक हो जाता है.
- सहजन की सब्जी खाने से गुर्दे और मूत्राशय की पथरी कटकर निकल जाती है.
- इसकी जड़ की छाल का काढा सेंधा नमक और हिंग डालकर पिने से पित्ताशय की पथरी में लाभ होता है.
- इसके पत्तों का रस बच्चों के पेट के किडें निकालता है और उलटी दस्त भी रोकता है.
- इसका रस सुबह शाम पीने से उच्च रक्तचाप में लाभ होता है.
- इसकी पत्तियों के रस के सेवन से मोटापा धीरे धीरे कम होने लगता है.
- इसकी छाल के काढ़े से कुल्ला करने पर दांतों के कीड़ें नष्ट होते है और दर्द में आराम मिलता है.
- इसके कोमल पत्तों का साग खाने से कब्ज दूर होती है.
- इसकी जड़ का काढे को सेंधा नमक और हिंग के साथ पिने से मिर्गी के दौरों में लाभ होता है.
- इसकी पत्तियों को पीसकर लगाने से घाव और सुजन ठीक होते है.
- सर दर्द में इसके पत्तों को पीसकर गर्म कर सिर में लेप लगाए या इसके बीज घीसकर सूंघे.
- इसमें दूध की तुलना में ४ गुना कैलशियम और दुगना प्रोटीन पाया जाता है।
- सहजन के बीज से पानी को काफी हद तक शुद्ध करके पेयजल के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। इसके बीज को चूर्ण के रूप में पीस कर पानी में मिलाया जाता है। पानी में घुल कर यह एक प्रभावी नेचुरल क्लैरीफिकेशन एजेंट बन जाता है। यह न सिर्फ पानी को बैक्टीरिया रहित बनाता है बल्कि यह पानी की सांद्रता को भी बढ़ाता है जिससे जीवविज्ञान के नजरिए से मानवीय उपभोग के लिए अधिक योग्य बन जाता है।
- कैन्सर व पेट आदि शरीर के आभ्यान्तर में उत्पन्न गांठ, फोड़ा आदि में सहजन की जड़ का अजवाइन, हींग और सौंठ के साथ काढ़ा बनाकर पीने का प्रचलन है। यह भी पाया गया है कि यह काढ़ा साइटिका (पैरों में दर्द), जोड़ो में दर्द, लकवा, दमा, सूजन, पथरी आदि में लाभकारी है।
- सहजन के गोंद को जोड़ों के दर्द और शहद को दमा आदि रोगों में लाभदायक माना जाता है।
- आज भी ग्रामीणों की ऐसी मान्यता है कि सहजन के प्रयोग से विषाणु जनित रोग चेचक के होने का खतरा टल जाता है।
- सहजन में हाई मात्रा में ओलिक एसिड होता है जो कि एक प्रकार का मोनोसैच्युरेटेड फैट है और यह शरीर के लिये अति आवश्यक है।
- सहजन में विटामिन सी की मात्रा बहुत होती है। विटामिन सी शीर के कई रोगों से लड़ता है, खासतौर पर सर्दी जुखाम से। अगर सर्दी की वजह से नाक कान बंद हो चुके हैं तो, आप सहजन को पानी में उबाल कर उस पानी का भाप लें। इससे जकड़न कम होगी।
- इसमें कैल्शियम की मात्रा अधिक होती है जिससे हड्डियां मजबूत बनती है। इसके अलावा इसमें आइरन, मैग्नीशियम और सीलियम होता है।
- इसका जूस गर्भवती को देने की सलाह दी जाती है। इससे डिलवरी में होने वाली समस्या से राहत मिलती है और डिलवरी के बाद भी मां को तकलीफ कम होती है।
- सहजन में विटामिन ए होता है जो कि पुराने समय से ही सौंदर्य के लिये प्रयोग किया आता जा रहा है। इस हरी सब्जी को अक्सर खाने से बुढापा दूर रहता है। इससे आंखों की रौशनी भी अच्छी होती है।
- आप सहजन को सूप के रूप में पी सकते हैं, इससे शरीर का रक्त साफ होता है। पिंपल जैसी समस्याएं तभी सही होंगी जब खून अंदर से साफ होगा।
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 Low blood pressure

ब्लड प्रेशर कम( Low blood pressure)रहता हो तो निम्न उपचार हितकारी साबित हुए हैं---
किशमिश १० नग रात भर पानी में भिगोएँ । सुबह एक-एक किशमिश बहुत बारीक चबाकर खाएं। यह उपाय एक दो माह करें।
बादाम ७ नग रात भर पानी में भिगोएँ । छिलका निकालें।अच्छी तरह पीसकर २५० मिलि दूध के साथ उपयोग करें।
ब्लड प्रेशर ज्यादा गिरने पर चुटकी भर नमक पानी में घोलकर पीयें।
बोलना बंद करें। सो जाएं। बाईं करवट लेटें। नींद लेना लाभदायक होता है।
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उच्च रक्त चाप के लक्षण व उपचार 
रक्त चाप बढने से तेज सिर दर्द,थकावट,टांगों में दर्द ,उल्टी होने की शिकायत और चिडचिडापन होने के लक्छण मालूम पडते हैं। यह रोग जीवन शैली और खान-पान की आदतों से जुडा होने के कारण केवल दवाओं से इस रोग को समूल नष्ट करना संभव नहीं है। जीवन चर्या एवं खान-पान में अपेक्षित बदलाव कर इस रोग को पूरी तरह नियंत्रित किया सकता है।
हाई ब्लड प्रेशर के मुख्य कारण--
१) मोटापा
२) तनाव(टेंशन)
३) महिलाओं में हार्मोन परिवर्तन
४) ज्यादा नमक उपयोग करना
अब यहां ऐसे सरल घरेलू उपचारों की चर्चा की जायेगी जिनके सावधानीपूर्वक इस्तेमाल करने से बिना गोली केप्सुल लिये इस भयंकर बीमारी पर पूर्णत: नियंत्रण पाया जा सकता है-
१) सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि रोगी को नमक का प्रयोग बिल्कुल कम कर देना चाहिये। नमक ब्लड प्रेशर बढाने वाला प्रमुख कारक है।
२) उच्च रक्तचाप का एक प्रमुख कारण है रक्त का गाढा होना। रक्त गाढा होने से उसका प्रवाह धीमा हो जाता है। इससे धमनियों और शिराओं में दवाब बढ जाता है।लहसुन ब्लड प्रेशर ठीक करने में बहुत मददगार घरेलू वस्तु है।यह रक्त का थक्का नहीं जमने देती है। धमनी की कठोरता में लाभदायक है। रक्त में ज्यादा कोलेस्ट्ररोल होने की स्थिति का समाधान करती है।
३)एक बडा चम्मच आंवला का रस और इतना ही शहद मिलाकर सुबह -शाम लेने से हाई ब्लड प्रेशर में लाभ होता है।
४) जब ब्लड प्रेशर बढा हुआ हो तो आधा गिलास मामूली गरम पानी में काली मिर्च पावडर एक चम्मच घोलकर २-२ घंटे के फ़ासले से पीते रहें। ब्लड प्रेशर सही मुकाम पर लाने का बढिया उपचार है।
५) तरबूज का मगज और पोस्त दाना दोनों बराबर मात्रा में लेकर पीसकर मिला लें। एक चम्मच सुबह-शाम खाली पेट पानी से लें।३-४ हफ़्ते तक या जरूरत मुताबिक लेते रहें।
६) बढे हुए ब्लड प्रेशर को जल्दी कंट्रोल करने के लिये आधा गिलास पानी में आधा निंबू निचोडकर २-२ घंटे के अंतर से पीते रहें। हितकारी उपचार है।
७) तुलसी की १० पती और नीम की ३ पत्ती पानी के साथ खाली पेट ७ दिवस तक लें।
८) पपीता आधा किलो रोज सुबह खाली पेट खावें। बाद में २ घंटे तक कुछ न खावें। एक माह तक प्रयोग से बहुत लाभ होगा।
९) नंगे पैर हरी घास पर १५-२० मिनिट चलें। रोजाना चलने से ब्लड प्रेशर नार्मल हो जाता है।
१०) सौंफ़,जीरा,शकर तीनों बराबर मात्रा में लेकर पावडर बनालें। एक गिलास पानी में एक चम्मच मिश्रण घोलकर सुबह-शाम पीते रहें।
११) उबले हुए आलू खाना रक्त चाप घटाने का श्रेष्ठ उपाय है।आलू में सोडियम(नमक) नही होता है।
पालक और गाजर का रस मिलाकर एक गिलास रस सुबह-शाम पीयें। अन्य सब्जीयों के रस भी लाभदायक होते हैं।
१३) नमक दिन भर में ३ ग्राम से ज्यादा न लें।
१४) अण्डा और मांस ब्लड प्रेशर बढाने वाली चीजें हैं। ब्लड प्रेशर रोगी के लिये वर्जित हैं।
१५) करेला और सहजन की फ़ली उच्च रक्त चाप-रोगी के लिये परम हितकारी हैं।
१६) केला,अमरूद,सेवफ़ल ब्लड प्रेशर रोग को दूर करने में सहायक कुदरती पदार्थ हैं।
१७) मिठाई और चाकलेट का सेवन बंद कर दें।
१८)सूखे मेवे :--जैसे बादाम काजू, आदि उच्च रक्त चाप रोगी के लिये लाभकारी पदार्थ हैं।
१९)चावल:-(भूरा) उपयोग में लावें। इसमें नमक ,कोलेस्टरोल,और चर्बी नाम मात्र की होती है। यह उच्च रक्त चाप रोगी के लिये बहुत ही लाभदायक भोजन है। इसमें पाये जाने वाले केल्शियम से नाडी मंडल की भी सुरक्षा हो जाती है।
२०)अदरक:-प्याज और लहसून की तरह अदरक भी काफी फायदेमंद होता है। बुरा कोलेस्ट्रोल धमनियों की दीवारों पर प्लेक यानी कि कैलसियम युक्त मैल पैदा करता है जिससे रक्त के प्रवाह में अवरोध खड़ा हो जाता है और नतीजा उच्च रक्तचाप के रूप में सामने आता है। अदरक में बहुत हीं ताकतवर एंटीओक्सीडेट्स होते हैं जो कि बुरे कोलेस्ट्रोल को नीचे लाने में काफी असरदार होते हैं। अदरक से आपके रक्तसंचार में भी सुधार होता है, धमनियों के आसपास की मांसपेशियों को भी आराम मिलता है जिससे कि उच्च रक्तचाप नीचे आ जाता है।
२०)लालमिर्च:-धमनियों के सख्त होने के कारण या उनमे प्लेक जमा होने की वजह से रक्त वाहिकाएं और नसें संकरी हो जाती हैं जिससे कि रक्त प्रवाह में रुकावटें पैदा होती हैं। लेकिन लाल मिर्च से नसें और रक्त वाहिकाएं चौड़ी हो जाती हैं, फलस्वरूप रक्त प्रवाह सहज हो जाता है और रक्तचाप नीचे आ जाता है।
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गहरी नींद के आसान उपाय........

* रात्रि भोजन करने के बाद पन्द्रह से बीस मिनट धीमी चाल से सैर कर लेने के बाद ही बिस्तर पर जाने की आदत बना लेनी चाहिए। इससे अच्छी नींद के अलावा पाचन क्रिया भी दुरुस्त रहती है।
* अगर तनाव की वजह से नींद नहीं आ रही हो या फिर मन में घबराहट सी हो तब अपना मन पसंद संगीत सुनें या फिर अच्छा साहित्य या स्वास्थ्य से संबंधित पुस्तकें पढ़ें, ऐसा करने से मन में शांति का भाव आएगा, जो गहरी नींद में काफी सहायक होता है।
* अनिद्रा के रोगी को अपने हाथ-पैर मुँह स्वच्छ जल से धोकर बिस्तर पर जाना जाहिए। इससे नींद आने में कठिनाई नहीं होगी। एक खास बात यह कि बाजार में मिलने वाले सुगंधित तेलों का प्रयोग नींद लाने के लिए नहीं करें, नहीं तो यह आपकी आदत में शामिल हो जाएगा।
* सोते समय दिनभर का घटनाक्रम भूल जाएँ। अगले दिन के कार्यक्रम के बारे में भी कुछ न सोचें। सारी बातें सुबह तक के लिए छोड़ दें। दिनचर्या के बारे में सोचने से मस्तिष्क में तनाव भर जाता है, जिस कारण नींद नहीं आती।
* अपना पलंग मन-मुताबिक ही चुनें और जिस मुद्रा में आपको सोने में आराम महसूस होता हो, उसी मुद्रा में पहले सोने की कोशिश करें। अनचाही मुद्रा में सोने से शरीर की थकावट बनी रहती है, जो नींद में बाधा उत्पन्न करती है।
* अगर अनिद्रा की समस्या पुरानी और गंभीर है, नींद की गोलियाँ खाने की आदत बनी हुई है तो किसी योग चिकित्सक की सलाह लेकर शवासन का अभ्यास करें और रात को सोते वक्त शवासन करें। इससे पूरे शरीर की माँसपेशियों का तनाव निकल जाता है और मस्तिष्क को आराम मिलता है, जिस कारण आसानी से नींद आ जाती है।
* अच्छी नींद के लिए कमरे का हवादार होना भी जरूरी है। अगर मौसम बाहर सोने के अनुकूल है तो छत पर या बाहर सोने को प्राथमिकता दें। कमरे में कूलर-पँखा या फिर एयर कंडीशनर का शोर ज्यादा रहता है, तो इनकी भी मरम्मत करवा लेनी चाहिए, क्योंकि शोर से मस्तिष्क उत्तेजित रहता है, जिस कारण निद्रा में बाधा पड़ जाती है।

* सोने से पहले चाय-कॉफी या अन्य तामसिक पदार्थों का सेवन नहीं करें। इससे मस्तिष्क की शिराएँ उत्तेजित हो जाती हैं, जो कि गहरी नींद आने में बाधक होती हैं।
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गर्मियों में खाएं कम, पीएं ज्यादा ,पेय पदार्थों का करें नियमित सेवन

पेय पदार्थों की गर्मियों में एक अलग ही भूमिका होती है, फिर भले ही वह पेय पदार्थ पानी हो या जूस । इनके नियमित सेवन से हमारी त्वचा में निखार आने के साथ ही शरीर को भी भरपूर ऊर्जा मिलती है। फ्रूट जूस जहां आयरन और विटामिन से भरपूर होते हैं, वहीं वेजीटेबल जूस शरीर के लिए उपयोगी पोषक तत्वों से युक्त होते हैं। इन दोनों ही तरह के जूस का सेवन शरीर के लिए फायदेमंद होता है। यदि आप बेहतर स्वास्थ्य पाने की इच्छा रखते हैं तो आपको गर्मियों के अलावा हर मौसम में जूस और पानी की उचित मात्रा को शामिल करना होगा।

पानी

कम मात्रा में पानी पीने से हमारे शरीर में पानी की कमी हो जाती है जिसका प्रभाव शरीर के साथ ही त्वचा पर भी देखा जा सकता है। त्वचा की चमक को बरकरार रखने के लिए आपको हर दिन भरपूर मात्रा में पानी का सेवन करना चाहिए। पानी हमारी त्वचा की कोशिकाओं का भी प्रमुख तत्व होता है। जिस तरह से हम त्वचा की बाहरी नमी को बरकरार रखने के लिए उस पर मॉइश्चराइजर लगाते हैं उसी प्रकार से त्वचा को अंदरुनी नमी व पोषण प्रदान करने के लिए हमें पानी का अधिक से अधिक सेवन करना चाहिए।

जूस

100 % फल या सब्जियों से बनाए गए जूस हमारे शरीर में विटामिन की पूर्ति करने के साथ ही त्वचा को भी पोषण प्रदान करते हैं। स्वाद में लाजवाब होने के साथ ही जूस त्वचा की गहराई से सफाई कर विषैले पदार्थों को बाहर निकालता है। एक रिसर्च के अनुसार गहरे रंग के फलों के जूस शरीर के लिए अधिक गुणकारी होते हैं। अनार और ब्लू बेरी के जूस में हमारे शरीर व त्वचा के लाभकारी एंटी ऑक्सीडेंट की भरपूर मात्रा होती है। चुकंदर का रस भी स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद होता है।

ऐलोवेरा जूस

त्वचा के लालपन व खुजली को खत्म करने के साथ ही ऐलोवेरा का जूस त्वचा संबंधी अन्य समस्याओं जैसे कि एक्जिमा, सोरियोसिस में भी औषधि की तरह कार्य करता है। रक्त की शुद्धि, पाचन क्रिया को बढ़ाना, आर्थराइटिस में कारगर व शारीरिक क्षमता को बढाने के साथ ही ऐलोवेरा जूस के अनगिनत फायदे हैं। रोजाना एक कप ऐलोवेरा जूस का सेवन हमारे स्वास्थ्य व त्वचा संबंधी कई समस्याओं के निदान में कारगर है।

ग्रीन टी

ग्रीन टी को बगैर उबली हरी पत्तियों से बनाया जाता है। यही वजह है कि ग्रीन टी में उच्च स्तर पर पॉलीफिनोल्स होते हैं, जो एक ऐसा केमिकल कंपाउंड है जिसके पिगमेंट एंटी एजिंग के तौर पर कार्य करके त्वचा से झुर्रियों को कम कर उसे फोटो प्रोटेक्शन देते हैं। ग्रीन टी की विशेषता उसके एंटीऑक्सीडेंट और एंटी इन्फ्लामेट्री गुण भी होते हैं। बालों के लिए भी ग्रीन टी बेहतर है। यदि हम शुद्धता की बात करें तो चाय में शुद्धता के मामले में ग्रीन टी से बेहतर कोई नहीं है।

ब्लैक टी

ब्लैक टी भी ग्रीन टी के समान पत्तियों से ही बनाई जाती है। विटामिन ई और सी के साथ ही ब्लैक टी में मौजूद स्ट्रांग एंटीऑक्सीडेंट त्वचा पर प्रीमैच्योर एजिंग के लक्षणों को कम करता है। ब्लैक टी ऐसे एस्ट्रीजेंट के तौर पर कार्य करती है जिससे चेहरा बेदाग व चमकदार बनता है। ब्लैक टी के बेहतर परिणामों के लिए इसे दूध के बगैर पिएं, क्योंकि दूध इसके एंटी ऑक्सीडेंट गुण को घटाता है।

इनका सेवन ना करें

कॉफी : कॉफी में कैफीन व शुगर की अधिक मात्रा होने के कारण यह त्वचा पर कील-मुंहासों का कारण बनती है। कॉफी में मौजूद टैनिन त्वचा को शुष्क बनाती है।

एल्कोहल : एल्कोहल त्वचा की नमी को सोख त्वचा में ढीलापन लाता है। बहुत से कॉकटेल, डाइग्यूरस और मार्गरिटा में शुगर की बहुत अधिक मात्रा होती है, जो त्वचा को नुकसान पहुंचाती है।

सोडा : सोडा में मौजूद शुगर व अन्य सामग्री हमारे स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह होती है। सोडे की अधिक मात्रा शरीर में पानी के स्तर को कम कर देती है। शरीर व बेहतर स्वास्थ्य के लिए जहां तक संभव हो, हमें सोडा पीने से तौबा करनी चाहिए।
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