क्रिकेटर को 6 छक्कों पर 6 करोड़, फौजी को 6 गोली पर 6 हजार भी नहीं.
कारगिल युद्ध में पाक अधिकृत तोलोलिंग पहाड़ी की चोटी पर पहला तिरंगा फहराने वाले महावीर चक्र विजेता कमांडो दीगेंद्र कुमार उर्फ ‘कोबरा’ ने देश के लिए पाकिस्तानियो से लड़ते हुवे ६ गोलिया खाई लेकिन इस ज़बाज़ को नेताओ ने हरा दिया. देश का दुर्भाग्य है कि क्रिकेट में 6 छक्के मारो तो 6 करोड़ रुपए का इनाम मिलता है, लेकिन जान हथेली पर रखकर देश की रक्षा करने वाले फौजी को 6 गोलियां भी लग जाए तो सरकार 6 हजार रुपए तक नहीं देती है। महावीर चक्र विजेता को सरकार प्रतिमाह केवल 5 हजार रु.देती है, जबकि आतंकी अफजल और कसाब पर 20-20 हजार रु. खर्च कर रही है। देश के लिए गोलिया खाने वाले फौजी केवल कमांडर की शाबासी पाकर खुश हो लेता है। महावीर चक्रनायक दीगेंद्र ऐसे दूसरे कमांडो हैं जिन्हें कारगिल युद्ध में जीवित महावीर चक्र मिला है। यह परमवीर चक्र के बाद दूसरा सर्वोच्च सम्मान है। कारगिल युद्ध में असाधारण पराक्रम दिखाने पर 10 जांबाजों को 15 अगस्त,1999 को महावीर चक्र से नवाजा गया था।
एक हाथ व सीने में 5 गोली खाने के बावजूद जांबाज कमांडो दीगेंद्र सिंह उर्फ कोबरा की टीम ने 11 बंकर बर्बाद कर दिए। 13 जून को सुबह 4 बजे उन्होंने पाक मेजर अनवर खान को मौत के घाट उतार कर तोलो-लिंग की चोटी पर तिरंगा लहरा दिया। उनके पिता शिवदान सिंह पर सारी भी 1948 में 5 गोली खाकर शहीद हुए थे। 1993 में कुपवाड़ा में उग्रवादियों के एरिया कमांडर मजीद खान को ढेर करने पर दीगेंद्र को सेना मैडल दिया गया।
कारगिल युद्ध में पाक अधिकृत तोलोलिंग पहाड़ी की चोटी पर पहला तिरंगा फहराने वाले महावीर चक्र विजेता कमांडो दीगेंद्र कुमार उर्फ ‘कोबरा’ ने देश के लिए पाकिस्तानियो से लड़ते हुवे ६ गोलिया खाई लेकिन इस ज़बाज़ को नेताओ ने हरा दिया. देश का दुर्भाग्य है कि क्रिकेट में 6 छक्के मारो तो 6 करोड़ रुपए का इनाम मिलता है, लेकिन जान हथेली पर रखकर देश की रक्षा करने वाले फौजी को 6 गोलियां भी लग जाए तो सरकार 6 हजार रुपए तक नहीं देती है। महावीर चक्र विजेता को सरकार प्रतिमाह केवल 5 हजार रु.देती है, जबकि आतंकी अफजल और कसाब पर 20-20 हजार रु. खर्च कर रही है। देश के लिए गोलिया खाने वाले फौजी केवल कमांडर की शाबासी पाकर खुश हो लेता है। महावीर चक्रनायक दीगेंद्र ऐसे दूसरे कमांडो हैं जिन्हें कारगिल युद्ध में जीवित महावीर चक्र मिला है। यह परमवीर चक्र के बाद दूसरा सर्वोच्च सम्मान है। कारगिल युद्ध में असाधारण पराक्रम दिखाने पर 10 जांबाजों को 15 अगस्त,1999 को महावीर चक्र से नवाजा गया था।
एक हाथ व सीने में 5 गोली खाने के बावजूद जांबाज कमांडो दीगेंद्र सिंह उर्फ कोबरा की टीम ने 11 बंकर बर्बाद कर दिए। 13 जून को सुबह 4 बजे उन्होंने पाक मेजर अनवर खान को मौत के घाट उतार कर तोलो-लिंग की चोटी पर तिरंगा लहरा दिया। उनके पिता शिवदान सिंह पर सारी भी 1948 में 5 गोली खाकर शहीद हुए थे। 1993 में कुपवाड़ा में उग्रवादियों के एरिया कमांडर मजीद खान को ढेर करने पर दीगेंद्र को सेना मैडल दिया गया।
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