ब्रिटिश शासन से मुक्ति के तुरंत बाद प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने सुंदर जम्मू कश्मीर का भविष्य काले अंधरों में फेंक दिया था। इतना ही नहीं, घाटी के नागरिकों की जिंदगी को दो देशों के बीच का पेंडुलम बना दिये थे भारत के प्रथम प्रधानमंत्री नेहरू ने। लेकिन देश के बदलते कालचक्र में भारत माता का शेर-ए-दिल सपूत और भारत के अठारहवें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के किये कार्य ने जम्मू कश्मीर पर छाये काला साया को हटा दिया है। ऐसा मानना है मुस्लिम संगठन ‘अंजुमन मिन्हाज ए रसूल’ के अध्यक्ष मौलाना सैयद अतहर देहलवी का।
जम्मू कश्मीर और पाक अधिकृत जम्मू कश्मीर के वर्तमान हालातों का दौरा कर लौटे देहलवी ने कहा कि हमने मुआयना में पाया है कि ‘कश्मीर में अलगाववादियों का आधार खत्म हो गया है और घाटी के लोग सुशासन, विकास और शिक्षा जैसे मुद्दों पर बात कर रहे हैं। उन्हें इस बात से फर्क नहीं पड़ता कि मुट्ठी भर लोग क्या कहते हैं। देहलवी ने कहा कि अगर पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के लोगों को अवसर दिया जाए तो वे भारत में शामिल होना पसंद करेंगे। बता दें कि देहलवी देश में शांति एवं सांप्रदायिक सौहार्द के लिए काम करने वाला संगठन ‘अंजुमन मिन्हाज-ए-रसूल’ के अध्यक्ष हैं।
RH- Jammu Kashmir Bharatमौलाना सैयद अतहर देहलवी ने कहा, “पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में अगर जनमत संग्रह होता है तो 99 फीसदी से ज्यादा लोग भारत का हिस्सा बनने के लिए वोट देंगे।” जम्मू-कश्मीर के बाढ़ प्रभावित इलाकों के पांच दिवसीय दौरे पर जम्मू आए देहलवी ने कहा, “कश्मीर के अलगाववादियों का आधार खत्म हो गया है और घाटी के लोग सुशासन एवं विकास की बात कर रहे हैं।”
कश्मीर में अलगाववादियों के खत्म होते जमीन का जिक्र करते हुए देहलवी ने कहा कि कश्मीर दौरे के समय उन्होंने पाया कि बाढ़ प्रभावित लोगों ने सेना द्वारा चलाए गए राहत एवं बचाव कार्यों की भूरि-भूरि प्रशंसा की। संगठन के अध्यक्ष देहलवी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की भी जम्मू-कश्मीर एवं देश में ‘लोक समर्थक’ नीतियों के लिए प्रशंसा की।
देहलवी ने कहा, “उनका संगठन अंजुमन-ए-रसूल ही एकमात्र इस्लामी संगठन है जिसने अलकायदा एवं अन्य आतंकवादी समूहों के खिलाफ आवाज उठाई है।” उन्होंने कहा कि जब कश्मीरी पंडितों को जबरन कश्मीर से बाहर किया गया तो हमने जेद्दा में ओआईसी में आपत्ति जताई और हमने ही ओसामा बिन लादेन की निंदा की और अब हम इस्लामिक स्टेट की कड़ी निंदा करते हैं।
गौरतलब है कि जम्मू कश्मीर में 25 नवम्बर से विधानसभा चुनाव शुरू होने वाला है। घाटी के हालातों के मद्देनजर यह कहना जल्दीबाजी न होगा कि इस बार चुनाव के जोश पिछले 25 साल के पुराने रिकार्ड तोड़ने वाले हैं। जम्मू कश्मीर में बाढ़ से उपजे हालात में केंद्र सरकार और सेना ने लोगों की सोच बदल दी है। कश्मीर में लोग अपने नुमाइंदे चुनने के लिए उत्साहित हैं तो गुलाम कश्मीर में भी नब्बे फीसद से अधिक लोग चाहते हैं कि उनका विलय भारत के साथ हो जाए।
इसे करिश्मा कहें या जादू, लेकिन इसका श्रेय तो प्रधानमंत्री मोदी को ही जाता है, क्योंकि नाजुक और संकट के समय प्रधानमंत्री मोदी द्वारा घाटी में किये गए कार्य देश के प्रति वहां लोगों की जमीर को जगा दिया है। बाढ़ से उपजे हालात में केंद्र सरकार और सेना की भूमिका से जम्मू कश्मीर के लोगों को अपने-पराए में फर्क भी दिख गया है। बाढ़ के दौरान संपूर्ण भारत के सहयोग, सहानुभूति और प्यार ने घाटी के लोगों की आँखें खोल दी है, और अब वे चाहते हैं कि कितनी जल्दी चुनाव हो जाए, कि जम्मू कश्मीर को विकास के पथ पर दौराया जा सके।
RH-POKमौलाना देहलवी की माने तो राज्य में इसबार का विधानसभा चुनाव इतिहास बदलने वाला है। इस चुनाव से कश्मीर में रायशुमारी और अलगाववाद समर्थकों के साथ आतंकवादी भी खत्म हो जाएंगे। देहलवी ने बताया कि उन्होंने कश्मीर के पुलवामा व शोपियां जिलों के साथ कुछ अन्य इलाकों के दौरे के दौरान पाया कि लोगों की सोच में बदलाव आया है। घाटी के लोगों में विधानसभा चुनाव को लेकर जोश है। लोग चुनाव बहिष्कार के दावे करने वालों को नकार चुके हैं।
कश्मीर में विकास को लोगों की मुख्य मांग करार देते हुए उन्होंने कहा कि वहां अब आइएस, लश्कर-ए-तैयबा के साथ हाफिज सईद, अजहर मसूद व बगदादी के शैतानी टोली की कोई गुंजाइश नहीं है। शांति को दांव पर लगाने के लिए सीमा पार से हो रही कोशिशें बेअसर हो गई हैं।
http://republichind.com/ 2014/11/10/ pakistan-occupied-kashmir-p eople-want-to-be-part-of-i ndian/
=======================================
धारा 370
ब्रिटिश शासन के समय जम्मू-कश्मीर एक
देशी रियासत थी । भारत पाकिस्तान जब
1947 मे स्वतन्त्र राट्र के रुप मे अस्तित्व मे
आये तो जम्मू कश्मीर एक
रियासत के रुप मे रहना चाहता था, लेकिन जब
26 अक्टूबर 1947 को आजाद
कश्मीर की सेनाओ ने पाक कि सहायता से
कश्मीर पर आक्रमण कर दिया तो वहा
के राजा हरिसिँह ने भारत से मदद माँगी भारत
सरकार ने मदद देते हुये एक
सन्धि की जिसके अनुसार उसे भारतीय भू भाग
काअंग मान लिया गया उन सर्तो
के अनुसार संबिधान मे धारा 370
कि व्यवस्थाकि गयी जिनमे निम्न प्रावधान
किये गये॥
1. जम्मू कश्मीर के नागरिक अन्य राज्य मे
रहते हुये वहा की नागरिकता
ग्रहण कर सकते है जबकि अन्य राज्य के
नागरिक वहा कि नही।
2. जम्मू-कश्मीर के नागरिक अन्य राज्य के
सरकारी सेवाओ मे जा सकते है
जबकि अन्य राज्य के नागरिक जम्मू कश्मीर
राज्य की सरकारी सेवाओ मे नही जा
सकते।
3. जम्मू-कश्मीर राज्य का न्यूनतम
योग्यता रखने वाला नागरिक भारत मे किसी
भी निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभाका चुनाव लड़
सकता है जबकि दूसरे राज्य का
नागरिक जम्मू कश्मीर से चुनाव नही लड़
सकता।
4. जम्मू कश्मीर का अपना भी एक कानून है
जिसके संशोधन का अधिकार राज्य
विधान सभा को ही है।
5. जम्मू कश्मीर राज्य की सीमाओ तथा उसके
नाम मे परिर्वन राज्य विधान
परिषद कि संस्तुति के बिना संसद नही कर
सकती।
6.भारतीय संविधान के भाग-4 मे जिन
नीति निदेशक तत्वो कि व्यवस्था कि गयी
है वह जम्मू कश्मीर राज्य के लिये लागू
नही होते।
7. केन्द्र सरकार धारा 360 के अनुसार राज्य
मे आपातकाल नही लगा सकती।
8. अनुच्छेद 352 के अन्तर्गत आपातकाल
की घोसणा संसद राज्य सरकार की सहमति
से ही कर सकती है।
9. संघ को जम्मू कश्मीर के संविधान
को निलम्बित करने का अधिकार नही है।
10. संविधान द्वारा अवशिष्ट शक्तियाँ जम्मू
कश्मीर की सरकार और वहा के
विधान मंडल को दी गयी है।
11. राज्य से अनुच्छेद 370 को संघ
तभी समाप्त कर सकती हैँ, जब राज्य
विधान सभा अपने दो तिहाई बहुमत से इसके
पक्षमे प्रस्ताव पारित कर देगी।
जम्मू कश्मीर और पाक अधिकृत जम्मू कश्मीर के वर्तमान हालातों का दौरा कर लौटे देहलवी ने कहा कि हमने मुआयना में पाया है कि ‘कश्मीर में अलगाववादियों का आधार खत्म हो गया है और घाटी के लोग सुशासन, विकास और शिक्षा जैसे मुद्दों पर बात कर रहे हैं। उन्हें इस बात से फर्क नहीं पड़ता कि मुट्ठी भर लोग क्या कहते हैं। देहलवी ने कहा कि अगर पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के लोगों को अवसर दिया जाए तो वे भारत में शामिल होना पसंद करेंगे। बता दें कि देहलवी देश में शांति एवं सांप्रदायिक सौहार्द के लिए काम करने वाला संगठन ‘अंजुमन मिन्हाज-ए-रसूल’ के अध्यक्ष हैं।
RH- Jammu Kashmir Bharatमौलाना सैयद अतहर देहलवी ने कहा, “पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में अगर जनमत संग्रह होता है तो 99 फीसदी से ज्यादा लोग भारत का हिस्सा बनने के लिए वोट देंगे।” जम्मू-कश्मीर के बाढ़ प्रभावित इलाकों के पांच दिवसीय दौरे पर जम्मू आए देहलवी ने कहा, “कश्मीर के अलगाववादियों का आधार खत्म हो गया है और घाटी के लोग सुशासन एवं विकास की बात कर रहे हैं।”
कश्मीर में अलगाववादियों के खत्म होते जमीन का जिक्र करते हुए देहलवी ने कहा कि कश्मीर दौरे के समय उन्होंने पाया कि बाढ़ प्रभावित लोगों ने सेना द्वारा चलाए गए राहत एवं बचाव कार्यों की भूरि-भूरि प्रशंसा की। संगठन के अध्यक्ष देहलवी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की भी जम्मू-कश्मीर एवं देश में ‘लोक समर्थक’ नीतियों के लिए प्रशंसा की।
देहलवी ने कहा, “उनका संगठन अंजुमन-ए-रसूल ही एकमात्र इस्लामी संगठन है जिसने अलकायदा एवं अन्य आतंकवादी समूहों के खिलाफ आवाज उठाई है।” उन्होंने कहा कि जब कश्मीरी पंडितों को जबरन कश्मीर से बाहर किया गया तो हमने जेद्दा में ओआईसी में आपत्ति जताई और हमने ही ओसामा बिन लादेन की निंदा की और अब हम इस्लामिक स्टेट की कड़ी निंदा करते हैं।
गौरतलब है कि जम्मू कश्मीर में 25 नवम्बर से विधानसभा चुनाव शुरू होने वाला है। घाटी के हालातों के मद्देनजर यह कहना जल्दीबाजी न होगा कि इस बार चुनाव के जोश पिछले 25 साल के पुराने रिकार्ड तोड़ने वाले हैं। जम्मू कश्मीर में बाढ़ से उपजे हालात में केंद्र सरकार और सेना ने लोगों की सोच बदल दी है। कश्मीर में लोग अपने नुमाइंदे चुनने के लिए उत्साहित हैं तो गुलाम कश्मीर में भी नब्बे फीसद से अधिक लोग चाहते हैं कि उनका विलय भारत के साथ हो जाए।
इसे करिश्मा कहें या जादू, लेकिन इसका श्रेय तो प्रधानमंत्री मोदी को ही जाता है, क्योंकि नाजुक और संकट के समय प्रधानमंत्री मोदी द्वारा घाटी में किये गए कार्य देश के प्रति वहां लोगों की जमीर को जगा दिया है। बाढ़ से उपजे हालात में केंद्र सरकार और सेना की भूमिका से जम्मू कश्मीर के लोगों को अपने-पराए में फर्क भी दिख गया है। बाढ़ के दौरान संपूर्ण भारत के सहयोग, सहानुभूति और प्यार ने घाटी के लोगों की आँखें खोल दी है, और अब वे चाहते हैं कि कितनी जल्दी चुनाव हो जाए, कि जम्मू कश्मीर को विकास के पथ पर दौराया जा सके।
RH-POKमौलाना देहलवी की माने तो राज्य में इसबार का विधानसभा चुनाव इतिहास बदलने वाला है। इस चुनाव से कश्मीर में रायशुमारी और अलगाववाद समर्थकों के साथ आतंकवादी भी खत्म हो जाएंगे। देहलवी ने बताया कि उन्होंने कश्मीर के पुलवामा व शोपियां जिलों के साथ कुछ अन्य इलाकों के दौरे के दौरान पाया कि लोगों की सोच में बदलाव आया है। घाटी के लोगों में विधानसभा चुनाव को लेकर जोश है। लोग चुनाव बहिष्कार के दावे करने वालों को नकार चुके हैं।
कश्मीर में विकास को लोगों की मुख्य मांग करार देते हुए उन्होंने कहा कि वहां अब आइएस, लश्कर-ए-तैयबा के साथ हाफिज सईद, अजहर मसूद व बगदादी के शैतानी टोली की कोई गुंजाइश नहीं है। शांति को दांव पर लगाने के लिए सीमा पार से हो रही कोशिशें बेअसर हो गई हैं।
http://republichind.com/
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धारा 370
ब्रिटिश शासन के समय जम्मू-कश्मीर एक
देशी रियासत थी । भारत पाकिस्तान जब
1947 मे स्वतन्त्र राट्र के रुप मे अस्तित्व मे
आये तो जम्मू कश्मीर एक
रियासत के रुप मे रहना चाहता था, लेकिन जब
26 अक्टूबर 1947 को आजाद
कश्मीर की सेनाओ ने पाक कि सहायता से
कश्मीर पर आक्रमण कर दिया तो वहा
के राजा हरिसिँह ने भारत से मदद माँगी भारत
सरकार ने मदद देते हुये एक
सन्धि की जिसके अनुसार उसे भारतीय भू भाग
काअंग मान लिया गया उन सर्तो
के अनुसार संबिधान मे धारा 370
कि व्यवस्थाकि गयी जिनमे निम्न प्रावधान
किये गये॥
1. जम्मू कश्मीर के नागरिक अन्य राज्य मे
रहते हुये वहा की नागरिकता
ग्रहण कर सकते है जबकि अन्य राज्य के
नागरिक वहा कि नही।
2. जम्मू-कश्मीर के नागरिक अन्य राज्य के
सरकारी सेवाओ मे जा सकते है
जबकि अन्य राज्य के नागरिक जम्मू कश्मीर
राज्य की सरकारी सेवाओ मे नही जा
सकते।
3. जम्मू-कश्मीर राज्य का न्यूनतम
योग्यता रखने वाला नागरिक भारत मे किसी
भी निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभाका चुनाव लड़
सकता है जबकि दूसरे राज्य का
नागरिक जम्मू कश्मीर से चुनाव नही लड़
सकता।
4. जम्मू कश्मीर का अपना भी एक कानून है
जिसके संशोधन का अधिकार राज्य
विधान सभा को ही है।
5. जम्मू कश्मीर राज्य की सीमाओ तथा उसके
नाम मे परिर्वन राज्य विधान
परिषद कि संस्तुति के बिना संसद नही कर
सकती।
6.भारतीय संविधान के भाग-4 मे जिन
नीति निदेशक तत्वो कि व्यवस्था कि गयी
है वह जम्मू कश्मीर राज्य के लिये लागू
नही होते।
7. केन्द्र सरकार धारा 360 के अनुसार राज्य
मे आपातकाल नही लगा सकती।
8. अनुच्छेद 352 के अन्तर्गत आपातकाल
की घोसणा संसद राज्य सरकार की सहमति
से ही कर सकती है।
9. संघ को जम्मू कश्मीर के संविधान
को निलम्बित करने का अधिकार नही है।
10. संविधान द्वारा अवशिष्ट शक्तियाँ जम्मू
कश्मीर की सरकार और वहा के
विधान मंडल को दी गयी है।
11. राज्य से अनुच्छेद 370 को संघ
तभी समाप्त कर सकती हैँ, जब राज्य
विधान सभा अपने दो तिहाई बहुमत से इसके
पक्षमे प्रस्ताव पारित कर देगी।
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