दो साल पहले म्यांमार से बहुत से रोहिंगाया मुस्लिम भारत में शरणार्थी बनकर आये ... बीजेपी के अलावा हर दलों जैसे कांग्रेस वामपथी, सपा बसपा आदि ने इनके लिए आवाज उठाई ... एनडीटीवी तो हर रोज इनके कैम्पों में जाकर छाती कूटता था की देखिये ये भी हमारे जैसे इन्सान है लेकिन किस हालात में रह रहे है ... फिर तात्कालिन यूपीए सरकार ने वोट की खातिर करीब चालीस हजार रोहिंग्या मुस्लिमो को भारत में रहने की अनुमति दे दी .. और ज्यादातर रोहिंग्या मुस्लिमो को ममता बनर्जी ने वोट बैंक बनाकर बंगाल में बसाया ...
और अब वर्धवान ब्लास्ट की जांच करते हुए एनआईए चौक उठी जब पता चला की भारत में शरणार्थी बनकर रहने वाले रोहिग्या मुस्लिम आंतकी वारदातों में लिप्त है और एनआईए ने अबतक आठ रोहिंग्या मुस्लिमो को आंतकी साजिश में शामिल रहने के केस में पकड़ा .. भारत में रहकर ये रोहिंग्या मुस्लिम भारत और म्यांमार में बौद्धों के उपर बड़े हमले और बम ब्लास्ट की योजना बना रहे थे .. और इनका प्लानिग दलाईलामा पर हमला करने का भी था ..
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‘एलिजाबेथ एकादशी’ मराठी चलचित्र इफ्फीमें न दर्शानेकी मांग....
अंग्रेजों का उदात्तीकरण करने वाला परेश मोकाशी दिग्दर्शित ‘एलिजाबेथ एकादशी’ यह चित्रपट हाल ही में प्रदर्शित हुआ है । उसमें हिन्दू देवता, विठ्ठल, वारकरी सम्प्रदाय, साथ ही जानबूझकर एकादशी के समान हिन्दुओं की उपासना पद्धति का अनादर किया गया है । इस सन्दर्भ में हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा केन्द्रीय चित्रपट परिनिरीक्षण मण्डल को निवेदन प्रस्तुत किया गया है । उसमें इस चित्रपट का प्रमाणपत्र निरस्त करने की मांग की गई है ।
‘एलिजाबेथ एकादशी’ नाम देकर चलचित्र निर्माता ने एक नई एकादशी उत्पन्न कर हिन्दुओं को भ्रमित करने तथा धार्मिक भावनाओंको आहत करनेका प्रयास किया है.
.रानी एलिजाबेथ ब्रिटिश अत्याचारी सत्ता की प्रतीक हैं । चित्रपट को उसका नाम देकर देश की अस्मिता का अनादर किया है ।
१४ नवम्बरको बालदिवसके दिन ही यह चित्रपट प्रसारित कर छोटे बालकोंपर धर्मविरोधी एवं हिन्दूविरोधी कुसंस्कार डालनेका प्रयास किया गया है..
पत्थर के देवता को लोग अनावश्यक धन अर्पण करते हैं, ऐसा प्रकाशित कर हिन्दू श्रद्धालुओं की श्रद्धा को आहत किया गया है ।
एक प्रसंगमें यात्राके समय वेश्याव्यवसाय करनेवाली स्त्रीके मुंहमें गत यात्राके समय अकाल था; इसलिए गत यात्रा अच्छी नहीं हुई, ऐसा बताकर यह स्पष्ट किया है कि इस वर्ष वेश्याव्यवसाय अच्छा हुआ है । कुछ वर्ष पूर्व वारकरी बांधवोंद्वारा ‘थरारली वीट’ नाटिकाका अधिक मात्रामें विरोध हुआ था, ऐसा होते हुए भी पुनः एक बार इस चित्रपटमें यात्रामें वेश्याव्यवसाय अच्छा हो रहा है, ऐसा प्रकाशित कर यात्राका तथा वारकरियोंका अनादर किया गया है ।
पणजी – हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा १७ नवम्बर को केन्द्रीय सूचना एवं प्रसारण मन्त्रालय, इफ्फी के अध्यक्ष एवं गोवा मनोरंजन सोसाइटी के पदाधिकारी से एक निवेदन द्वारा भारतीयों की राष्ट्रीय भावना एवं हिन्दुओं की धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाला ‘एलिजाबेथ एकादशी’ मराठी चलचित्र इफ्फी मेेंं न दर्शाने की मांग की गई है । हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा इस सन्दर्भ मेेंं १८ नवम्बर को सूचना एवं प्रसारण मन्त्रालय से सम्पर्क करने पर बताया गया कि समिति द्वारा दिया गया निवेदन आगे की कार्यवाही के लिए मन्त्रालय के अतिरिक्त सचिव को दिया गया है ।
विशेषतः महाराष्ट्र में वारकरियों की उपासना की विडम्बना करने वाले ‘एलिजाबेथ एकादशी’ चलचित्र को अखिल भारतीय सन्त समिति के महामन्त्री तथा श्री वारकरी प्रबोधन महासमिति के संस्थापक ह.भ.प. रामेश्वर महाराज शास्त्री ने विरोध दर्शाकर इस चलचित्रपर प्रतिबन्ध लगानेकी मांग की है ।
हिन्दू पंचांग वैâलेंडरके अनुसार एकादशी भगवान श्री विष्णुसे सम्बन्धित एक तिथि है । प्रत्येक वर्ष में कुल मिलाकर २४ एकादशी तिथियां आती हैं । प्रत्येक तिथि का अलग अलग आध्यात्मिक महत्त्व है । चलचित्र को ‘एलिजाबेथ एकादशी’ नाम देकर चलचित्र निर्माता ने एक नई एकादशी उत्पन्न कर हिन्दुओं को भ्रमित करने तथा धार्मिक भावनाओं को आहत करनेका प्रयास किया है । चलचित्र के भित्तीपत्रक पर ऐसा दर्शाया गया है कि एलिजाबेथ कमर पर हाथ रख कर एक र्इंटपर खडी हैं । यह छायाचित्र र्इंट पर खडे रहने वाले श्री विट्ठल भगवानसे मिलता-जुलता है । चलचित्र के भित्ती पत्रकपर विट्ठल भगवान को साइकिल पर बिठाया हुआ दर्शाया गया है । यह हिन्दुओं की धार्मिक भावनाओं को आहत करने की घटना है एवं मूल वास्तविकता की विडम्बना है । चलचित्र में संशोधक न्यूटन को सन्त सम्बोधित किया गया है । इसलिए दर्शको में विशेषत: चलचित्र के दर्शक बालवर्ग में अयोग्य सन्देश जा रहा है । एलिजाबेथ नाम ब्रिटेन की रानी एलिजाबेथ से मिलता-जुुलता है तथा एलिजाबेथ नाम के माध्यम से अंग्रेजों के काले इतिहास की स्मृतियों पर प्रकाश डाला जा रहा है । यह घटना राष्ट्राभिमान न होनेका द्योतक है ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात
जयपुर में सफाई का संदेश देने के लिए टॉयलेट पॉट पर गणपति का रूप दिखाया....
क्या अन्य धर्मियों के श्रद्धास्थानों का उपयोग करने का साहस इस चित्रकार ने किया होता ? आज हिन्दुआें मे धर्म शिक्षाका अभाव है , इसके कारण कोर्इ भी हमारे श्रद्धास्थानों का उपयोग अनादरात्मक तरीके से करते है ,......
जयपुर - राजस्थान की राजधानी जयपुर स्थित जवाहर कला केंद्र में शुक्रवार से शुरू होने वाला पांच दिवसीय वर्ल्ड आर्ट समिट विवादों में पड़ गया है। समिट की पूर्व संध्या पर गुरुवार को केंद्र की दीर्घाओं में आयोजित अखिल भारतीय कला प्रदर्शनी में टॉयलेट के पॉट में गणपति का रूप भी नजर आया। इसे लेकर कलाकारों समेत विभिन्न तबके के लोगों ने तीखी प्रतीक्रिया दी है। जयपुर के कलाकार चंद्रप्रकाश गुप्ता ने कहा कि वे अपने साथी कलाकारों के साथ इसके खिलाफ शुक्रवार को जवाहर कला केंद्र में विरोध-प्रदर्शन करेंगे। उन्होंने इसे प्रचार पाने का हथकंडा बताया। कलाकारों ने कहा कि गणेश प्रथम पूज्य हैं और उन्हें ऐसे रूप में दिखाना बेहद शर्मनाक है। जनसमस्या निवारण मंच के प्रमुख सूरज सोनी ने भी धमकी दी कि किसी भी हाल में प्रदर्शनी चलने नहीं दी जाएगी।
इस टॉयलेट डिजाइन को तैयार करने वाले उदयपुर के वरिष्ठ चित्रकार भूपेश कावड़िया ने गुरुवार रात से ही अपना सेल फोन बंद कर दिया। इससे पहले, उन्होंने बताया था कि सफाई की महत्ता को समझाने के लिए उन्होंने टॉयलेट के पॉट्स का इन्स्टालेशन यहां प्रदर्शित किया है। इन पॉट्स में धार्मिक आस्था के प्रतीक मोली के गट्टे रखे गए हैं और एक डब्लूसी को उल्टा रखकर उस पर तीन कौड़ियों से त्रिनेत्र की आकृति बनाई है। इसके इर्द-गिर्द सोने का वर्क सजाया है। इस इन्स्टालेशन के इर्द-गिर्द ‘सफाई भगवान तुल्य’, ‘टॉयलेट के बिना घर में वधू नहीं’ के स्लोगन भी लिखे हैं। भूपेश कावड़िया ने कहा कि यह इन्स्टालेशन देश में प्रचारित किए जा रहे शौचालय के संदेश से प्रेरित होकर बनाया है।
प्रदर्शनी के संयोजक और राजस्थान ललित कला अकादमी के पूर्व अध्यक्ष डॉ. भवानी शंकर शर्मा का कहना है कि मोली तो धागे का रूप है। इसमें दिखाई देने वाले चिह्न सिर्फ कलात्मक आकृतियां हैं, जिनका आध्यात्मिकता से कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने कहा कि कलाकार का यह प्रयास ठीक उसी तरह से है, जैसे प्राण प्रतिष्ठा के बिना पत्थर में दिखाई देने वाला कोई भी रूप मान्य नहीं होता है।
स्त्रोत : दैनिक भास्कर
कोका कोला पेय के विज्ञापन में भगवान श्रीकृष्ण की विडम्बना ...!
मुंबई - अमेरिका के ‘इथकामिथ वर्डप्रेस डॉट कॉम’ आस्थापन ने कोका कोला पेय के विज्ञापन के लिए महाभारत के युद्धके प्रसंग का विकृतीकरण कर भगवान श्रीकृष्ण एवं अर्जुन शंखनाद करने के स्थान पर कोका कोला पीते हुए दर्शाए गए हैं । यह बात कुछ धर्माभिमानियों के ध्यान में आते ही उन्होंने हिन्दू जनजागृति समिति से सम्पर्क कर इस घटना की जानकारी दी । समिति के कार्यकर्ताओं ने ‘इथकामिथ वर्डप्रेस डॉट कॉम’ आस्थापन को ई-मेल भेजकर निषेध व्यक्त किया एवं उन्हें सूचित किया कि यह कृत्य श्रीकृष्ण तथा हिन्दू धर्मशास्त्र की विडम्बना करने वाला है । इसलिए हिन्दुओं की धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं । अतः ऐसे विज्ञापन हटाकर हिन्दुओं से क्षमा याचना करने की विनती भी उनसे की गई है । तथापि इस पत्र को आस्थापन द्वारा कोई प्रतिसाद नहीं मिला । इसलिए ,,धर्माभिमानी हिन्दू अगले ब्लॉगपर जाकर अपनी निषेधात्मक प्रतिक्रियाओंकी प्रविष्ट कर रहे हैं ।
‘शिवाजी अण्डर ग्राउण्ड इन भीमनगर मुहल्ला’ नाटकका प्रयोग निरस्त करें ...
पनवेल - ९ नवम्बर को दोपहर ४.३० बजे यहां के वासुदेव बलवंत फडके सभागृह में होने वाला धर्म एवं इतिहासद्रोही ‘शिवाजी अण्डर ग्राउण्ड इन भीमनगर मुहल्ला’ नाटक का प्रयोग निरस्त करने एवं इस नाटक पर स्थायी रूपसे प्रतिबंध करने की मांग को लेकर ८ नवम्बर को पनवेल पुलिस थाने में पुलिस निरीक्षक श्री. सुनील गवली को निवेदन दिया गया ।
इस अवसर पर शिवसेना के नया पनवेल विभाग प्रमुख श्री. किरण सोनवणे तथा अन्य पदाधिकारी सर्वश्री महेश येडगे, नीलम फडके, लीलाधर भोईर, भारत स्वाभिमान के नथुराम तटकरे, पत्रकार राजेश कदम, सनातन संस्था के श्री. दीपक कुलकर्णी एवं हिन्दू जनजागृति समिति के श्री. श्रीकृष्ण एवं श्रीमती अभया उपाध्ये उपस्थित थे ।
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