ईसाईयों द्वारा इडुक्की (कर्नाटक ) के जंगलमें ‘क्रॉस’ खडा कर भूमि हथियानेका षडयंत्र !
यदि कांग्रेस के राज्यमें ईसाईयों द्वारा ऐसे षडयंत्र रचे गए, तो उसमें कोई आश्चर्य नही है !
इडुक्की (कर्नाटक ) : यहांके चरुतोणे गांवके पासके जंगलमें एकाएक ईसाईयोंके ‘क्रॉस’ का निर्माण कार्य किया गया है । इससे पूर्व यहां भारी मात्रामें इस प्रकारके अवैध कृत्य किए जाते थे । तत्पश्चात वे बंद हो गए थे । अब इस घटनासे पुनः ये कृत्य चालू हो गए, ऐसा दिखाई दे रहा है । कुछ धर्मांध ईसाई संगठनोंद्वारा ‘क्रॉस’ खडा करनेपर वहां चर्चका निर्माण कार्य कर आसपासके जंगलोंको नष्ट कर यह भूमि अपनीही मालिकीकी है, ऐसा दर्शाते हुए भूमि हथियानेका षडयंत्र रचाया जा रहा है ।
१. कांक्रीट के ‘क्रॉस’में धारवाले आरेके टुकडे लगाए गए हैं । ऐसे ‘क्रॉस’से वन्यप्राणियोंको कष्ट हो रहा है । (तथाकथित समाजसेवा का ढोंग करनेवाले ईसाईयोंकी धर्मांधता ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
२. वहांके निवासियोंने कहा कि लोगबस्तीसे से ३ कि.मी.दूरीपर स्थित जंगलमें यह ‘क्रॉस’ स्थापित किया गया है ।
३. इससे पूर्व भी भूमि हथियानेके लिए यहां अनेक बार ‘क्रॉस’ स्थापित किया गया था, जिसे अनेक बार जंगली हाथियोंने उद्धस्त किया था । इस पार्श्वभूमिपर हाथि स्पर्श भी न कर सके, इस तरह धारवाले आरेके टुकडे लगाकर ‘क्रॉस’ स्थापित किया गया है । प्राणियोंद्वारा स्पर्श होते ही उन्हें जखम होनेके उद्देश्यसे करवत गुणनफलके चिन्होंमें संलग्न किए गए हैं ।
४. इस ‘क्रॉस’के विरुद्ध इडुक्की एस्.पी.सी.आय. (सोसायटी फॉर प्रिवेंशन ऑफ क्रुएल्टी टू एनिमल्स ) द्वारा जिलाधिकारीकी ओर परिवाद प्रविष्ट किया गया है । इस परिवादमें कहा गया है कि वन्यजीव सुरक्षा कानूनके अनुसार ‘वन्यप्राणियोंको घायल करना‘ शिकार करने समान ही है । जंगलमें धारवाले शस्रोंका उपयोग कर ‘क्रॉस’का निर्माण करना धर्मके अनुसार नहीं है एवं यह भूमि हथियानेकी एक धारणा है ।
५. ६ मईको किए गए इस परिवादके विषयमें संबंधित अधिकारियोंने आजतक कुछ भी प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की है ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात
यदि कांग्रेस के राज्यमें ईसाईयों द्वारा ऐसे षडयंत्र रचे गए, तो उसमें कोई आश्चर्य नही है !
इडुक्की (कर्नाटक ) : यहांके चरुतोणे गांवके पासके जंगलमें एकाएक ईसाईयोंके ‘क्रॉस’ का निर्माण कार्य किया गया है । इससे पूर्व यहां भारी मात्रामें इस प्रकारके अवैध कृत्य किए जाते थे । तत्पश्चात वे बंद हो गए थे । अब इस घटनासे पुनः ये कृत्य चालू हो गए, ऐसा दिखाई दे रहा है । कुछ धर्मांध ईसाई संगठनोंद्वारा ‘क्रॉस’ खडा करनेपर वहां चर्चका निर्माण कार्य कर आसपासके जंगलोंको नष्ट कर यह भूमि अपनीही मालिकीकी है, ऐसा दर्शाते हुए भूमि हथियानेका षडयंत्र रचाया जा रहा है ।
१. कांक्रीट के ‘क्रॉस’में धारवाले आरेके टुकडे लगाए गए हैं । ऐसे ‘क्रॉस’से वन्यप्राणियोंको कष्ट हो रहा है । (तथाकथित समाजसेवा का ढोंग करनेवाले ईसाईयोंकी धर्मांधता ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
२. वहांके निवासियोंने कहा कि लोगबस्तीसे से ३ कि.मी.दूरीपर स्थित जंगलमें यह ‘क्रॉस’ स्थापित किया गया है ।
३. इससे पूर्व भी भूमि हथियानेके लिए यहां अनेक बार ‘क्रॉस’ स्थापित किया गया था, जिसे अनेक बार जंगली हाथियोंने उद्धस्त किया था । इस पार्श्वभूमिपर हाथि स्पर्श भी न कर सके, इस तरह धारवाले आरेके टुकडे लगाकर ‘क्रॉस’ स्थापित किया गया है । प्राणियोंद्वारा स्पर्श होते ही उन्हें जखम होनेके उद्देश्यसे करवत गुणनफलके चिन्होंमें संलग्न किए गए हैं ।
४. इस ‘क्रॉस’के विरुद्ध इडुक्की एस्.पी.सी.आय. (सोसायटी फॉर प्रिवेंशन ऑफ क्रुएल्टी टू एनिमल्स ) द्वारा जिलाधिकारीकी ओर परिवाद प्रविष्ट किया गया है । इस परिवादमें कहा गया है कि वन्यजीव सुरक्षा कानूनके अनुसार ‘वन्यप्राणियोंको घायल करना‘ शिकार करने समान ही है । जंगलमें धारवाले शस्रोंका उपयोग कर ‘क्रॉस’का निर्माण करना धर्मके अनुसार नहीं है एवं यह भूमि हथियानेकी एक धारणा है ।
५. ६ मईको किए गए इस परिवादके विषयमें संबंधित अधिकारियोंने आजतक कुछ भी प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की है ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात
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