Saturday, 29 November 2014

ये हैं दुनिया के सबसे पुराने हवाई अड्डे जहां हनुमान जी ने मचा दी थी तबाही !

होशियारपुर. श्रीलंका की श्री रामायण रिसर्च कमेटी ने रावण के चार हवाई अड्डे खोजने का दावा किया है। ये हैं उसानगोड़ा, गुरुलोपोथा, तोतूपोलाकंदा और वारियापोला। कमेटी के मुताबिक सीता की तलाश में जब हनुमान लंका पहुंचे तो लंका दहन में रावण का उसानगोड़ा हवाई अड्डा नष्ट हो गया था।
पिछले ९ वर्षों से ये कमेटी श्री लंका का कोना कोना छान रही थी जिसके तहत कई छुट पुट जानकारी व् अवशेष भी मिलते रहे परन्तु पिछले ४ सालो में लंका के दुर्गम स्थानों में की गई खोज के दोरान रावण के ४ हवाईअड्डे हाथ लगे है ।
उसानगोडा रावण का निजी हवाईअड्डा था तथा यहाँ का रनवे लाल रंग का है । इसके आसपास की जमीं कहीं काली तो कहीं हरी घास वाली है । जब हनुमान जी सीता जी की खोज में लंका गये तो वहां से लौटते समय उन्होंने रावण के निजी उसानगोडा को नष्ट कर दिया था ।
आगे केंथ ने बताया की अब तक उनकी टीम ने लंका के ५० दुर्गम स्थानों की खोज की है । इससे पूर्व पंजाब के अशोक केंथ सन २ ० ० ४ में लंका में स्थित अशोक वाटिका खोजने के कारन सुर्खियों में आये थे । तत्पश्चात श्री लंका सर्कार ने २ ० ० ७ में ‘श्री रामायण अनुसन्धान कमेटी’ का गठन किया तथा केंथ को इसका अध्यक्ष बनाया था ।
रावण के हवाई अड्डे की तलाश भी हो चुकी है पूरी
श्रीलंका के अंदर जिस सोने की लंका में दुनिया भर के सप्तद्वीपों का राजा रावण रहता था, वह तो डूब चुकी है लेकिन श्री लंका का 60 फीसदी हिस्सा अभी भी  रावण की स्मृतियों को ताजा कर देता है। यहां खोजे गए स्थान कम से कम इतना तो प्रमाणित कर ही रहे हैं कि रामायण काल से जुड़ी लंका वास्तव में श्री लंका ही है। श्री लंका में रामायण काल से जुड़े अनेक स्थलों को खोजा जा रहा है। श्री रामायण रिसर्च कमेटी द्वारा पिछले चार साल में खोजे गए 50 के करीब स्थलों में रावण के हवाई अड्डे भी मिले हैं। श्री रामायण रिसर्च कमेटी श्रीलंका द्वारा खोजी गई अशोक वाटिका से लेकर पाताल लोक के साथ-साथ एक अहम स्थान ऐसा भी है जिसे सुनकर एक बार तो विश्वास करना भी मुश्किल हो जाता है। जी हां वह स्थल हैं रावण के हवाई अड्डे। लंका नगरी में रावण के पांच हवाई अड्डे होने का दावा किया जा रहा है।


हनुमान जी ने उसानगौड़ा हवाई अड्डे को कर दिया था नष्ट
श्रीलंका के लोगों का विश्वास है कि हनुमान जी ने जब लंका दहन किया तो रावण के पांच हवाई अड्डों में से एक महत्वपूर्ण स्थान उसानगौड़ा हवाई अड्डे को भी पूरी तरह से नष्ट कर दिया था। उसानगौड़ा वह हवाई अड्डा है जिसे स्वंय राजा रावण निजी तौर पर प्रयोग करता था। इस हवाई अड्डे का रन वे सुर्ख लाल रंग का दिखता है। रन-वे के आसपास की जमीन कहीं काली तो कहीं हरी घास युक्त बनी हुई है। कुछ जगह पर जले हुए पत्थर भी एक दूसरे से जुड़े हुए दिखते हैं। अशोक कैंथ ने बताया कि इस पर अभी और भी खोज जारी है फिर भी 10-10 किलोमीटर लंबाई व चौड़ाई तक फैले कच्चे परंतु कठोर जमीन पर बने रन-वे सरीखे मैदान देख कर तो ऐसा लगता है कि यहां रावण की प्रजा के लिए हवाई अड्डे जरुर रहे होंगे। ऐसा प्रतीत होता है जैसे आज की नई तकनीक भी इतनी शानदार व सख्त हवाई पट्टी नहीं बना सकती जितनी ठोस यह हवाई पट्टी बनी है। यह हवाई पट्टी आसपास की भूमि से बिल्कुल अलग है। जिस जगह पर यह हवाई पट्टी है उस स्थान पर कोई भी पेड़ नहीं है। श्री रामायण रिसर्च कमेटी के चीफ रिसर्चर अशोक कैंथ ने बताया कि रिसर्च में यह बात भी सामने आई है कि उस समय के हवाई जहाज पैट्रोल से नहीं मरकरी से चलाए जाते थे।
श्रीलंका में कहां- कहां थे रावण के हवाई अड्डे
श्री रामायण रिसर्च कमेटी श्री लंका द्वारा अशोक कैंथ के नेतृत्व में लंका में चार स्थानों पर रावण के हवाई अड्डों की खोज की गई है।


1. उसानगौड़ा
2. गुरुलोपोथा(इस स्थान को एयरक्राफट रिपेयर सैंटर के तौर पर खोजा गया है)
3. -तोतूपोलाकदा
4-. वारियापोला में दो हवाई रन वे।

श्री रामायण रिसर्च कमेटी के प्रमुख रिसर्चर अशोक कैंथ ने कहा कि दोनों देशों (श्री लंका व भारत)की सरकारें अगर इस पर मिलजुल कर काम करें तो इन हवाई अड्डों को एक ऐतिहासिक व पर्यटन स्थलों के तौर पर पूरी तरह से विकसित किया सकता है। यही नहीं श्रीलंका में रामायण काल से जुड़ी सभी प्रमुख स्थलों जो अब विकसित हो रही है में सहयोग देनी चाहिए।

श्री रामायण अनुसन्धान कमेटी के मुख्य सदस्य :
इस कमिटी में श्री लंका के पर्यटन मंत्रालय के डायरेक्टर जनरल क्लाइव सिलबम , आस्ट्रेलिया के हेरिक बाक्सी , लंका के पीवाई सुदेशम, जर्मनी के उर्सला मुलर , इंग्लॅण्ड की हिमी जायज शामिल है ।
अब तक क्या क्या पाया ?
अशोक वाटिका,रावण के ४ हवाईअड्डे : उसानगोडा , गुरुलोपोथा , तोतुपोलाकंदा , वरियापोला रावण का महल ,विभीषण का महल आदि ।
 श्रीलंका के नेशनल असेंबली  में आज भी महाराज विभीषण का आदमकद मूर्ति  है...
हैरानीवाली बात है कि श्रीलंका के नाम का खयाल आते ही हमारे जेहन में बुराईयों के प्रतीक के रुप में रावण का नाम सबसे पहले आता है लेकिन कम लोग ही जानते होंगे कि श्रीलंका में आज भी रावण को वहां के लोग बड़े ही आदर व सममान से लिया करते हैं। आश्चर्य होता है कि श्रीलंका के नेशनल असेंबली के मुखय कक्ष में आज भी रावण के साथ साथ रावण की मौत के बाद लंका के राजा बने महाराज विभीषण का आदमकद मूर्ति लगाई गई है। श्रीलंका के रामायण रिसर्च कमेटी के चेयरमैन अशोक कैंथ  ने दैनिक भास्कर के साथ इन विषयों पर खुलकर बातचीत की।
माता सीता ही सबसे पहले लंका विमान से पहुंची थी
अशोक कैंथ ने बताया कि श्रीलंका में आज भी वहां बौद्घ धर्म को मानने वाले बहुसंखयक होने के बावजूद माता सीता को बड़े ही आदर से लोग नाम लेते हैं। यही नहीं श्रीलंका के लोगों के साथ साथ वहां की सरकारे भी मानती है कि माता सीता ही वह शखस थी जो सबसे पहले विमान(पुष्पक) से भारत से श्रीलंका पहुंची थी जिसका पायलट महाराज रावण थे। यही कारण है कि आज भी श्रीलंका के सबसे पहले एयरलाइंस का नाम सीता एयरलाईन्स के नाम से ही जाना जाता है।





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